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वायरल मायोकार्डिटिस : ये है दिल कि ऐसी समस्या, जो बन सकती है परेशानी का सबब!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Toshini Rathod द्वारा लिखित · अपडेटेड 21/02/2022

    वायरल मायोकार्डिटिस : ये है दिल कि ऐसी समस्या, जो बन सकती है परेशानी का सबब!

    दिल की तकलीफ़ व्यक्ति की परेशानी का कारण बन सकती है। दिल की सेहत ठीक है, तो व्यक्ति को सेहतमंद माना जा सकता है। लेकिन जब दिल से जुड़ी समस्या होती है, तो इससे व्यक्ति की जान का जोखिम बन सकता है। आज हम बात करने जा रहे हैं एक ऐसी समस्या की, जिसका नाम है वायरल मायोकार्डिटिस। WHO यानि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट के मुताबिक मायोकार्डिटिस (Myocarditis) हृदय की मांशपेशियों में सूजन की बीमारी है, जिसमें दिल की मसल्स थिक हो जाती हैं। अक्सर यह समस्या शरीर में इन्फेक्शन होने के कारण होती है, इसलिए इसे वायरल मायोकार्डिटिस (Viral Myocarditis) कहा जाता है। 

    क्या होता है वायरल मायोकार्डिटिस? (Viral myocarditis) 

    वायरल मायोकार्डिटिस (Viral Myocarditis) की स्थिति में हृदय की मांसपेशियों (मसल्स) में सूजन आने लगती है। दिल की इन मसल्स को मायोकार्डियम (Myocardium) कहा जाता है। ये मसल्स दिल के बीच की सतह में होती हैं। इनमें सूजन के कारण दिल के इलेक्ट्रिकल सिस्टम (विद्युत् प्रणाली) पर असर पड़ता है, जिससे हृदय को ब्लड पंप (Blood Pump) करने में दिक्कत होती है। ऐसे में दिल की धड़कनें तेज या अनियमित होने लगती हैं। वायरल मायोकार्डिटिस  (Viral Myocarditis) की स्थिति बिगड़ने पर हृदय पूरे शरीर में रक्त का संचार नहीं कर पाता। यह स्थिति गंभीर होने पर हृदय में खून के थक्के जमने की प्रॉब्लम भी हो सकती है, जिससे हार्ट अटैक या स्ट्रोक आ सकता है ।  

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    क्यों होता है वायरल मायोकार्डिटिस? (Viral Myocarditis Causes)

    कई तरह के वायरस मायोकार्डिटिस का कारण बनते हैं । इनसे संक्रमित होने पर वायरल मायोकार्डिटिस (viral myocarditis) हो सकता है। हालांकि कुछ प्रकार की दवाओं के असर या शरीर में टोक्सिंस बढ़ने, ज्यादा शराब पीने, मकड़ी या सांप के काटने, किसी तरह की रेडिएशन या कीमोथेरेपी के कारण भी मायोकार्डिटिस (Myocarditis) की प्रॉब्लम होती है। लेकिन ज्यादातार मामलों में वायरल इन्फेक्शन (Viral Infection) ही मायोकार्डिटिस की वजह बनता है, इसलिए डॉक्टर्स वायरल इन्फेक्शन के दौरान या बाद में सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ जैसे संकेतो को हल्के में न लेने की सलाह देते हैं।  

    वायरल मायोकार्डिटिस के लक्षण (Symptoms of viral myocarditis )

    वायरल मायोकार्डिटिस (viral myocarditis) के शुरूआती समय में आमतौर पर कोई खास लक्षण नजर नहीं आते हैं । समस्या बढ़ने पर सीने में दर्द या सांस लेने में तकलीफ होती है , लेकिन जैसे-जैसे स्थिति गंभीर होने लगती है इसके कई लक्षण देखने को मिलते हैं …

    • सीने में दर्द (Chest pain)
    • दिल की धड़कनें तेज या अनियमित होना । इस समस्या को (Arrhythmias) एरिथमिया कहते हैं
    • सांस लेने में परेशानी  (Shortness of breath)
    • फ्लूइड रिटेंशन (Fluid retention) और पैरों में सूजन आना (Swelling of your legs)
    • बहुत अधिक थकान (Fatigue) महसूस होना
    • वायरल इन्फेक्शन के अन्य संकेत जैसे- सिरदर्द  (Headache), शरीर में दर्द (Body aches), जोड़ों में दर्द (Joint pain), बुखार (Fever), गले में दर्द (Sore Throat) या दस्त लगना (Diarrhea)

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    बच्चों में वायरल मायोकार्डिटिस के संकेत (Symptoms of viral myocarditis in children)

    बच्चों को वायरल मायोकार्डिटिस (viral myocarditis) की शिकायत होने पर इस तरह के संकेत देखने को मिलते हैं…

    •   बुखार आना (Fever)
    •   बेहोशी (Fainting)
    •   सांस लेने में परेशानी (Breathing difficulties)
    •   दिल की धड़कनें तेज या अनियमित होना (Rapid or abnormal heart rhythms)

     वायरल मायोकार्डिटिस से कैसे बचें? (Prevention of viral Myocarditis)

    • यदि किसी व्यक्ति को वायरल इन्फेक्शन या फ्लू हुआ है, तो उससे दूर रहें
    • यदि आपको वायरल इन्फेक्शन हुआ है, तो लोगों के संपर्क में आने से बचें । 
    • रोजाना नियमित रूप से हाथ धोना और सफाई का ध्यान रखने की आदत भी वायरल इन्फेक्शन से बचने में अहम भूमिका निभा सकती है। इससे वायरल  मायोकार्डिटिस (Viral Myocarditis) का खतरा टलेगा ।
    •  किसी ऐसी जगह पर जा रहे  हैं, जहां कीट या कीड़े- मकोड़ों के काटने का खतरा है, तो उनसे बचने के लिए फुल कपड़े पहनें। कीटों को भागने वाली क्रीम या स्प्रे भी इस्तेमाल कर सकते हैं ।
    • रोजाना  एक्सरसाइज, धूम्रपान से परहेज, फलों और सब्जियों से भरपूर हेल्दी डाइट लेने जैसी आदतें इम्यून सिस्टम को मजबूत करेंगी । इससे वायरल इन्फेक्शन (viral infection) और वायरल मायोकार्डिटिस (Viral Myocarditis) का खतरा टलेगा ।
    • ज्यादा शराब पीने से हृदय की मसल्स पर बुरा असर पड़ता है और शरीर की इम्युनिटी भी कम होती है  ऐसे में वायरल मायोकार्डिटिस (Viral Myocarditis) की आशंका बढ़ जाती है, इसलिए शराब पीने से बचें ।
    • रूबेला और इन्फ्लूएंजा जैसे टीके वायरल इन्फेक्शन और फ्लू से बचने में मदद करते हैं। डॉक्टर की सलाह के अनुसार समय–समय पर ये टीके लगवाने से वायरल मायोकार्डिटिस (Viral Myocarditis) का खतरा टल सकता है।

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    डॉक्टर को कब दिखाएं

    अक्सर सीने में दर्द या सांस फूलने की परेशानी होती है, तो डॉक्टर से संपर्क करें। वायरल इन्फेक्शन की शिकायत होने के बाद सांस लेने में परेशानी, बहुत अधिक थकान, शरीर या जोड़ों में दर्द की परेशानी हो,तो डॉक्टर को इस बारे में जरुर बताएं । 

    वायरल मायोकार्डिटिस का परीक्षण (Diagnosis of myocarditis)

    वायरल मायोकार्डिटिस (viral myocarditis) के संकेत नज़र आने पर डॉक्टर कुछ टेस्ट करने की सलाह देते हैं जैसे ….

    ECG (ईसीजी) यानि इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram)

    ईसीजी एक सामान्य टेस्ट है । इससे अनियमित ह्रदय की धडकनों का पता चलता है।

    छाती का एक्स-रे (Chest x-ray)

    छाती का एक्स-रे करवाकर ह्रदय की स्थिति का पता लगाया जाता है। दिल में यदि किसी तरह का द्रव्य जमा हो रहा है तो वह भी एक्स-रे में साफ नजर आ जाता है।

    एम आर आई (MRI)

    इसकी मदद से  ह्रदय की संरचना और आकार को देखा जाता है। इससे दिल की मसल्स में सूजन या लालिमा का पता चलता है।

    इकोकार्डियोग्राम (Echocardiogram)

    इस टेस्ट के दौरान ध्वनि तरंगों (साउंड वेव) की मदद से दिल की धड़कनों और वाल्व की कार्यक्षमता का पता लगाया जाता है। इससे दिल का बढ़ता आकर या सूजन, ह्रदय का ठीक तरह से ब्लड पंप न कर पाने जैसी समस्यायों का पता चलता है।

    एंडोमायोकार्डियल बायोप्सी (Endomyocardial biopsy)

    कुछ मामलों में डॉक्टर ह्रदय के टिशु का छोटा सा सैंपल निकलते हैं । इसका लैब में टेस्ट करते हैं । इससे दिल की स्थिति का पता चलता है । 

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    वायरल मायोकार्डिटिस का इलाज (viral myocarditis treatment)

    वायरल मायोकार्डिटिस (Viral Myocarditis) ज्यादा गंभीर न होने पर डॉक्टर कुछ महीनों के लिए अधिक मेहनत वाले काम न करने, नमक का सेवन कम करने और ज्यादा से ज्यादा लिक्विड लेने की सलाह देते हैं। अधिकांश मामलों में मायोकार्डिटिस कुछ समय में अपनेआप या एंटीबायोटिक दवाइयों की मदद से पूरी तरह से ठीक हो जाता है। यदि स्थिति बिगड़ गई है या मरीज गंभीर है , तो नसों के द्वारा दवाएं दी जाती हैं, जो ह्रदय को ब्लड पंप करने में मदद करती हैं। कुछ मामलों में पेसमेकर या ICD यानि इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डेफिब्रिलिऐटर (Cardioverter-defibrillator) की मदद ली जाती है । इन उपकरणों के जरिए हृदय को पूरे शरीर में ब्लड पंप करने में मदद मिलती है और हार्ट फेल या हार्ट अटैक का खतरा टलता है।

    तो यह थी वायरल मायोकार्डिटिस से सम्बंधित सारी जानकारी। हम उम्मीद करते हैं किआपको ये आर्टिकल पसंद आया होगा । यदि आपके मन में इस बीमारी से जुड़े कुछ सवाल हैं, तो आप हमसे कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं।      

    डिस्क्लेमर

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