एम आर आई (MRI)
इसकी मदद से ह्रदय की संरचना और आकार को देखा जाता है। इससे दिल की मसल्स में सूजन या लालिमा का पता चलता है।
इकोकार्डियोग्राम (Echocardiogram)
इस टेस्ट के दौरान ध्वनि तरंगों (साउंड वेव) की मदद से दिल की धड़कनों और वाल्व की कार्यक्षमता का पता लगाया जाता है। इससे दिल का बढ़ता आकर या सूजन, ह्रदय का ठीक तरह से ब्लड पंप न कर पाने जैसी समस्यायों का पता चलता है।
एंडोमायोकार्डियल बायोप्सी (Endomyocardial biopsy)
कुछ मामलों में डॉक्टर ह्रदय के टिशु का छोटा सा सैंपल निकलते हैं । इसका लैब में टेस्ट करते हैं । इससे दिल की स्थिति का पता चलता है ।
और पढ़ें : सिर्फ दिल की बातें न सुनें, दिल का ख्याल भी रखें
वायरल मायोकार्डिटिस का इलाज (viral myocarditis treatment)
वायरल मायोकार्डिटिस (Viral Myocarditis) ज्यादा गंभीर न होने पर डॉक्टर कुछ महीनों के लिए अधिक मेहनत वाले काम न करने, नमक का सेवन कम करने और ज्यादा से ज्यादा लिक्विड लेने की सलाह देते हैं। अधिकांश मामलों में मायोकार्डिटिस कुछ समय में अपनेआप या एंटीबायोटिक दवाइयों की मदद से पूरी तरह से ठीक हो जाता है। यदि स्थिति बिगड़ गई है या मरीज गंभीर है , तो नसों के द्वारा दवाएं दी जाती हैं, जो ह्रदय को ब्लड पंप करने में मदद करती हैं। कुछ मामलों में पेसमेकर या ICD यानि इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डेफिब्रिलिऐटर (Cardioverter-defibrillator) की मदद ली जाती है । इन उपकरणों के जरिए हृदय को पूरे शरीर में ब्लड पंप करने में मदद मिलती है और हार्ट फेल या हार्ट अटैक का खतरा टलता है।
तो यह थी वायरल मायोकार्डिटिस से सम्बंधित सारी जानकारी। हम उम्मीद करते हैं किआपको ये आर्टिकल पसंद आया होगा । यदि आपके मन में इस बीमारी से जुड़े कुछ सवाल हैं, तो आप हमसे कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं।