कोरोना की वैक्सीन आने में अभी एक लंबा समय बाकी है और देश में कोरोनो वायरस संक्रमण धीमा होने का नाम नहीं ले रहा है। इसी बीच कोविड-19 के इलाज के लिए रेमडेसिविर (Remedisvir Drug) और फेवीपिराविर (Favipiravir) के जेनरिक वर्जन को लॉन्च करने की अनुमति भारतीय महा दवा नियंत्रणक से मिल गई है। आपको बता दें ये एंटी-वायरल ड्रग्स हैं जिनका इस्तेमाल कोविड-19 के रोगियों के इलाज में किया जा रहा है। जबकि ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स (Glenmark Pharmaceuticals) ने कोरोना के हल्के से मध्यम मामलों के इलाज के लिए फेबीफ्लू (FabiFlu) ब्रांड के तहत फेवीपिराविर (favipiravir) को लॉन्च कर दिया है। वहीं, सिप्ला फार्मा कंपनी और हेटेरो ‘सिप्रेमी’ (Cipremi) और ‘कोविफोर’ (Covifor) ब्रांड नामों से रेमडेसिविर को लॉन्च करने के लिए इंडियन जनरल ड्रग कंट्रोलर से मंजूरी मिल गई है।
कोविड-19 के इलाज में कितनी प्रभावी हैं ये दवाएं?
दिल्ली के एम्स (AIIMS) के सेंटर फॉर कम्युनिटी मेडिसीन के प्रोफेसर डॉ. संजय राय ने कहा कि अभी तक कोविड-19 के इलाज के लिए कोई भी प्रभावी ट्रीटमेंट या कोरोना वैक्सीन (corona vaccine) नहीं मिली है। इसलिए, बिना किसी सबूत के लिए कोई दवा कितनी प्रभावी है, इस पर कुछ भी कहना अभी बहुत जल्दी होगा। इन दवाओं की लॉन्चिंग के बाद भविष्य में ही यह क्लियर होगा कि कोविड-19 के इलाज के लिए ये कितनी कारगर होंगी।
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कोविफोर और सिप्रेमी (Covifor and Cipremi)
सिप्ला और हेटेरो द्वारा लॉन्च की गई दो दवाएं रेमडेसिवीर के जेनेरिक संस्करण है, जो 2014 में इबोला के इलाज के लिए पहली बार विकसित की गई थी। यह एक एंटीवायरल ड्रग (antiviral drug) है। पिछले महीने, यूएस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिजीज ने प्रारंभिक परीक्षण के परिणाम जारी किए थें, जिसमें कोरोना रोगियों की रिकवरी के समय को दिखाया गया था। जिन मरीजों को रेमडेसिविर दी गई उनमें 15 से 11 दिनों में सुधार हुआ था। इसी वजह से भारत की ड्रग्स रेगुलेटरी बॉडी सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) ने रेमडेसिवीर (Remdesivir) को देश में इस्तेमाल करने की मंजूरी दे दी थी। बता दें कि यह मेडिसिन अमेरिका की प्रमुख बायोटेक्नेलॉजी कंपनियों में से एक गिलियड साइंसेज (Gilead Sciences) द्वारा बनाई जाती है।
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कोविड-19 के इलाज के लिए
हेटेरो ने कहा है कि वह अपने रेमडेसिवीर वर्जन के एक वायल की कीमत 5,000-6,000 रुपये रखेगा, ताकि पांच दिन के ट्रीटमेंट के लिए हर मरीज पर 30,000 रुपये से अधिक खर्च न आए। हालांकि, सिप्ला ने अभी तक अपने मूल्य का खुलासा नहीं किया है। क्योंकि रेमडेसिवीर को अभी कोविड-19 के इलाज के लिए अभी तक अनुमोदित नहीं किया गया है। इसे केवल “इमरजेंसी यूज’ के लिए डीसीजीआई द्वारा अनुमोदित किया गया है।
यह एंटी-वायरल दवा गंभीर रेनल इम्पेयरमेंट, लिवर एंजाइम, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए अनुशंसित नहीं है। इसी के साथ ही रेमडेसिवीर 12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए कोविड-19 के इलाज के लिए अनुशंसित नहीं किया गया है। यह एंटी-वायरल दवा, इंजेक्शन के रूप में दिन में 100 मिलीग्राम की खुराक से ज्यादा नहीं दी जानी चाहिए। इस दवा का ट्रीटमेंट सिर्फ पांच दिनों तक ही सीमित है। सिप्ला और हेटेरो लैब्स के अलावा, जुबिलेंट लाइफसाइंसेस (Jubilant Life sciences) और माइलन (Mylan) भारत में दवा की आपूर्ति और विस्तार करेंगे।
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फेबीफ्लू
फेबीफ्लू का निर्माण मुंबई स्थित ग्लेनमार्क फ़ार्मास्युटिकल्स द्वारा किया जाएगा, जो फेवीपिराविर (Favipiravir) के जेनेरिक वर्जन के रूप में होगा। यह एंटी-वायरल दवा जापान में इन्फ्लूएंजा के इलाज के लिए दी जाती है। बता दें यह दवा ओरल मेडिकेशन के रूप में केवल हल्के से मध्यम कोविड-19 मामलों में आपातकालीन स्थिति में ही उपयोग की जाती है।
वर्तमान में कोविड-19 के इलाज के लिए 18 नैदानिक परीक्षणों में इसका टेस्ट किया जा रहा है और दो स्टडीज के परिणामों ने सकारात्मक परिणाम मिले हैं जबकि अन्य टेस्ट के डेटा का इंतजार है। ग्लेनमार्क ने दावा किया है कि कोविड-19 में फेवीपिरवीर ने 88 प्रतिशत तक क्लीनिकल इम्प्रूवमेंट दिखाया है, जिसमें चार दिनों में वायरल लोड में तेजी से कमी भी दर्ज की गई है।
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इसकी एक टैबलेट की कीमत 103 रूपए है जो कि सिर्फ डॉक्टर द्वारा प्रेस्क्राइब करने पर ही उपलब्ध होगी। ट्रीटमेंट शुरू होने के पहले दिन 1800 mg दिन में दो बार उसके बाद 14 दिनों तक दिन में दो बार 800 मिलीग्राम लेने की सिफारिश की गई है। द कॉउन्सिल ऑफ साइंटिफिक और इंडस्ट्रियल रिसर्च ने अप्रैल में फेवीपिराविर (Favipiravir) का एंड-टू-एंड सिंथेसिस भी किया था और अब एक मल्टी-सेंटर फेज-II ड्रग ट्रायल भी किया जा रहा है। अधिकारियों ने कहा है कि दवा की कीमत में 20-30 प्रतिशत की कमी भी हो सकती है।
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कोविड-19 के इलाज के लिए टोसीलीजुमैब (Tocilizumab)
‘टोसीलीजुमैब’ Tocilizumab दवा आमतौर पर गठिया के इलाज के लिए उम्रदराज रोगियों में इस्तेमाल की जाती है। जिसका इस्तेमाल अब कोरोना वायरस के गंभीर मामलों में किया जा रहा है। भारत में कई केंद्रों पर इस पर रैंडमाइज़्ड कंट्रोल ट्रायल (randomized control trial) भी जारी है।
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कोविड-19 के इलाज के लिए इटोलिज़ुमैब (Itolizumab)
इटोलिज़ुमैब (Itolizumab) आमतौर पर त्वचा विकार सोरायसिस, मल्टीपल स्केलेरोसिस और ऑटोइम्यून विकारों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवा है। इस दवा का परीक्षण कोरोना के मरीज पर दिल्ली और मुंबई में अभी भी किया जा रहा है।
प्लाज्मा थेरेपी
प्लाज्मा थेरेपी ने कोविड-19 रोगियों के उपचार के लिए कुछ सकारात्मक परिणाम भी दिखाए हैं। प्लाज्मा ट्रीटमेंट के अच्छे परिणामों को देखते हुए ही इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने इसके क्लिनिकल ट्रायल की मंजूरी भी दी थी। दरअसल, कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों का ट्रीटमेंट कर रहे डॉक्टरों की माने तो ठीक हो गए कोरोना मरीजों के शरीर में ब्लड के अंदर एंटीबॉडीज काफी लंबे समय तक रह जाते हैं। ऐसे में पूरी तरह से ठीक हो गए इंसान के शरीर से एंटीबॉडीज को कोरोना मरीज की बॉडी में इंजेक्ट किया जाता है। इससे उनके शरीर में इम्यूनिटी डेवलप होती है।
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