वैक्सीन- तीन साल बाद 1955 में डॉ. जोनास साल्क ने वैक्सीन विकसित की और 1962 तक आते-आते इसके मामले घटकर हर साल औसतन 910 हो गए। पोलियो का कोई इलाज नहीं है, इसलिए इसकी वैक्सीन लगवाना जरूरी है।
यह भी पढ़ें: कोरोना वायरस और हाइजीन के बारे में कितना जानते हैं आप? खेलें ये क्विज
दुनिया में महामारी : एचआईवी/एड्स
1981 में पहली बार इस महामारी का मामला दर्ज किया गया, जिसे आज हम एचआईवी/एड्स के नाम से जानते हैं। पहली बार इस बीमारी को सिर्फ दुर्लभ लंग इंफेक्शन के तौर पर जाना जाता था। लेकिन, अध्ययनों के बाद पता चला कि, यह शरीर का पूरा इम्यून सिस्टम खराब कर देती है। एचआईवी की फाइनल स्टेज को एड्स कहा जाता है। यह बीमारी 1980 से लेकर आजतक मौजूद है, जो कि असुरक्षित यौन संबंध या खून के जरिए फैलती है।
वैक्सीन- एचआईवी/एड्स की कोई वैक्सीन या इलाज उपलब्ध नहीं है। इसका सिर्फ बचाव किया जा सकता है। यह बीमारी गर्भवती महिला से उसके बच्चे को भी हो सकती है।
महामारी कोलेरा
करीब 150 सालों में कोलेरा सात बार महामारी के रूप में ऊभरा। लेकिन, इसका सबसे पहला प्रकोप 1817 में रशिया से देखने को मिला, जहां करीब 10 लाख लोगों ने अपनी जान गंवाई। यह बीमारी संक्रमित मल-मूत्र से संक्रमित पानी और फूड से फैलती है। यह बैक्टीरिया ब्रिटिश सैनिकों में पहुंचने के बाद, उनके द्वारा भारत में पहुंचा। जहां कई लाख लोगों की मृत्यु भी हुई। ब्रिटिश एंपायर की वजह से यह खतरनाक बैक्टीरिया स्पेन, अफ्रीका, इंडोनेशिया, चीन, जापान, इटली, जर्मनी और अमेरिका भी पहुंचा और इन जगहों पर करीब 1,50,000 लोगों की मृत्यु हुई।
वैक्सीन- कोलेरा की वैक्सीन सबसे पहले 1885 में फेरन द्वारा विकसित की गई थी। लेकिन, इसके बाद भी यह महामारी चलती रही और समय के साथ वैक्सीन एडवांस होने से इसका इलाज उपलब्ध हो सका। हालांकि, अभी भी कई जगह कोलेरा का खतरा बना रहता है।