लाइम डिजीज क्या है?
लाइम डिजीज बैक्टीरिया की वजह से होने वाला संक्रामक रोग है। यह बीमारी बोरेलिया बर्गडोरफेरी बैक्टीरिया या संक्रमित ब्लैकलेग्ड टिक के काटने की वजह से फैलती है। इसके लक्षण काटने के 3 दिनों से लेकर 30 दिनों तक नजर आ सकते हैं। वैसे लक्षण इंफेक्शन पर भी निर्भर करता है कि शरीर में कितना बैक्टीरिया फैला है। लाइम रोग की वजह से बुखार, सिरदर्द, कमजोरी, बदन दर्द, लिंफ नोड्स में सूजन जैसी समस्याएं होती हैं।
यह भी पढ़ें – जानिए किस तरह क्रॉसवर्ड पजल मेंटल हेल्थ के लिए फायदेमंद है
लाइम डिजीज कितना आम है?
डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) की एक रिपोर्ट के अनुसार इसके अबतक 30 हजार मामले सामने आ चुके हैं। हालांकि, लाइम डिजीज काफी सामान्य है। वहीं डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) की नए रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में 3 लाख से ज्यादा लोगों में लाइम डिजीज के लक्षण पाए गए हैं।
यह भी पढ़ें – बच्चों में नजर आए ये लक्षण तो हो सकता है क्षय रोग (TB)
लाइम डिजीज के लक्षण क्या हैं?
लाइम डिजीज के कुछ सामान्य लक्षण हैं जैसे:
- ठंड लगना
- चक्कर आना
- बुखार आना
- जोड़ों में सूजन होना
- चेहरे की मांसपेशियों में परेशानी होना
- लिम्फ नोड में सूजन होना
- याददाश्त में समस्या होना।
- मांसपेशियों में दर्द।
यह भी पढ़ें – वेज और नॉनवेज दोनों के लिए हैं ये बेस्ट डिशेज, जरूर ट्राई करें
कुछ लोगों में लाइम डिजीज के कुछ और लक्षण और संकेत भी हो सकते हैं:
- रैश
- जोड़ों में दर्द
- सिर दर्द
कुछ ऐसे भी लक्षण हो सकते हैं जो ऊपर नहीं बताए गए हों। इसलिए हेल्थ एक्सपर्ट से सलाह लेनी चाहिए।
हमें डॉक्टर से कब मिलना चाहिए?
रैश की वजह से लाइम डिजीज को समझना आसान हो जाता है। हालांकि, एंटी-बायोटिक दवाओं की मदद से इलाज करना आसान हो जाता है। यदि आपको कोई और लक्षण भी नजर आते हैं तो आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। क्योंकि हर व्यक्ति के शरीर की बनावट अलग होती है। इसलिए डॉक्टर से मिलकर और समझकर हल निकाला जा सकता है।
यह भी पढ़ें – जानिए कैसे वजन घटाने के लिए काम करता है अश्वगंधा
किस कारण होता है लाइम डिजीज?
संक्रमित ब्लैकलेग्ड टिक के काटने की वजह से लाइम बीमारी होती है। जो ब्लड में आसानी से पहुंच जाता है और 36 से 48 घंटों में शरीर में फैल सकता है। ऐसे में जल्द से जल्द इलाज करवाना चाहिए, अन्यथा बाद में आपकी समस्या और ज्यादा बढ़ सकती है।
यह भी पढ़ें – सेंसर की हेल्प से टीबी पेशेंट ले सकेंगे मेडिसिन
किन कारणों से बढ़ सकता है लाइम डिजीज?
कई ऐसे कारण हो सकते हैं जिस वजह से लाइम डिजीज की समस्या हो सकती है, जैसे:
ऐसे जगहों पर समय ज्यादा बिताना जहां लकड़ियां या फिर हरे घांस हों। जो बच्चे ज्यादा वक्त तक बाहर रहते हैं या फिर वैसे लोग जिनका काम ही लकड़ियों से जुड़ा हुआ हो, उनलोगों में लाइम डिजीज खतरा ज्यादा होता है।
अगर आपको इंफेक्शन का खतरा ज्यादा रहता है तो ऐसे में घांस ये लकड़ियों वाली जगहों पर जाने से परहेज करें।
अगर आपको संक्रमित ब्लैकलेग्ड टिक के काटने की वजह से लाइम बीमारी हुई है। जो ब्लड में आसानी से पहुंच जाता है और 36 से 48 घंटों में शरीर में फैल सकता है। अगर यह 2 दिनों में ठीक हो जाता है तो आपकी समस्या कम हो सकती है। लेकिन, अगर ऐसा नहीं होता है तो डॉक्टर से मिलना जरूरी हो जाता है।
यह भी पढ़ें – स्वाइन फ्लू से कैसे बचाएं बच्चों को?
निदान और उपचार
दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
लाइम डिजीज का निदान कैसे किया जाता है?
डॉक्टर लक्षणों को समझकर लाइम डिजीज का इलाज करते हैं और साथ ही यह भी समझने की कोशिश करते हैं की यह पहले भी हुआ है या नहीं। CDC के अनुसार सही ब्लड टेस्ट रिपोर्ट से इलाज करना आसान हो जाता है। कई बार ऐसा भी हो सकता है कि इंफेक्शन अगर फर्स्ट स्टेज में है तो इसकी जानकारी नहीं भी मिल सकती है। जिन लोगों में लाइम डिजीज के लक्षण नहीं होते हैं उन्हें भी टेस्ट की सलाह दी जा सकती है।
यह भी पढ़ें – लो बीपी होने पर तुरंत अपनाएं ये प्राथमिक उपचार, जल्द मिलेगा फायदा
लाइम डिजीज का इलाज कैसे किया जाता है?
लाइम रोग के इलाज के लिए एंटी-बायोटिक्स का उपयोग किया जाता है। एक्सपर्ट्स के अनुसार इलाज जल्दी शुरू करके इससे छुटकारा पाया जा सकता है।
एंटी-बायोटिक्स
- ओरल एंटी-बायोटिक्स- लाइम डिजीज के शुरूआती स्टेज में एंटी-बायोटिक्स से इलाज किया जा सकता है। इनमें प्रायः 8 वर्ष से अधिक उम्र के वयस्कों और बच्चों के लिए डॉक्सीसाइक्लिन वहीं छोटे बच्चों और गर्भवती या स्तनपान करवाने वाली महिलाओं के लिए एमोक्सिसिलिन या सेफुरोक्सीम दिया जाता है। 14 से 21 दिनों तक एंटी-बायोटिक दी जाती है। वहीं कुछ रिसर्च के अनुसार यह डोज 10 से 14 दिनों के भी हो सकते हैं।
- इंट्रावेनस एंटी-बायोटिक्स- अगर लाइम डिजीज सेंट्रल नर्वस सिस्टम तक पहुंच चुका है तो इंट्रावेनस एंटी-बायोटिक्स मरीज को दी सकती है। ऐसी स्थिति में इलाज करने के लिए 14 से 28 दिन लग सकते हैं। इंट्रावेनस एंटी-बायोटिक्स के साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं जैसे, वाइट ब्लड सेल्स (WBC) का कम होना, बबबबया फिर एंटी-बायोटिक्स की वजह से कोई और परेशानी।
इलाज के बाद कभी-कभी लोगों को मसल में दर्द या फिर थकावट महसूस हो सकती है। अगर ऐसी समस्या लगातार बनी रहती है तो इसे पोस्ट-ट्रीटमेंट लाइम डिजीज सिंड्रोम कहा जाता है।
यह भी पढ़ें – A to Z यहां हर दवाई के बारे में जानें विस्तृत जानकारी
जीवनशैली में बदलाव या घरेलू उपचार
निम्नलिखित जीवनशैली और घरेलू उपचार से लाइम डिजीज से निपटा जा सकता है:
- किसी भी लकड़ियों वाली जगह या फिर फिर जंगल वाले इलाके में जाने से पहले अपने आपक को अच्छी तरह से कवर कर लें जैसे, आप फूल शर्ट, जूता-मोजा और कैप से अपने आपको ढ़क सकते हैं।
- कीड़े-मकोड़ों से बचने के लिए इंसेक्ट रिपैलंटस का इस्तेमाल करना चाहिए। यह भी ध्यान रखें इसे बच्चों के हांथ, मुंह और आंखों पर न लगे।
- अगर लकड़ियों का ढ़ेर है तो इसे धुप वाली जगह में रखने की कोशिश करें।
- खुद की और बच्चों की जांच करें।
- बाहर की अपेक्षा यह घर में आसानी से दिखाई दे सकता है।
यह भी पढ़ें – विटामिन-ई की कमी को न करें नजरअंदाज, डायट में शामिल करें ये चीजें
अगर आपके मन में कोई सवाल हैं तो आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए जिससे बीमारी समझकर इलाज करवाना आसान हो सकता है।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है।
और पढ़ें :
Strep-throat: स्ट्रेप थ्रोट/गले का संक्रमण क्या है?
Nipah Virus Infection: निपाह वायरस संक्रमण क्या है?