परिचय
साल ट्री क्या है?
साल ट्री को शाल या साखू भी कहा जाता है। इसे संस्कृत में अग्निवल्लभा, अश्वकर्ण या अश्वकर्णिका कहा जाता है। इसका वानस्पतिक नाम Shorea robusta है। यह एक द्विबीजपत्री बहुवर्षीय वृक्ष होता है। इसकी लकड़ी इमारती कामों में इस्तेमाल की जाती है। साथ ही, इसका छाल बहुत ही मुलायम होता है जिसका इस्तेमाल औषधी के तौर पर किया जा सकता है। इसकी लकड़ी बहुत ही कठोर, भारी, मजबूत होती है, जो भूरे रंग की होती है। साल ट्री एक अर्धपर्णपाती वृक्ष है जो हिमालय की तलहटी से लेकर 300 से 400 फुट की ऊंचाई तक पाई जाती है। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश, बंगाल, बिहार, झारखंड और असम के जंगलों में यह मुख्य रूप से पाया जा सकता है। साल ट्री 1 सेंमी से लेकर 508 सेमी वार्षिक वर्षा वाले स्थानों और भीषण उष्ण और ठंढे स्थानों में भी आसानी से उग सकता है। भारत के अलावा, म्यांमार (बर्मा) और श्रीलंका में भी इसे पाया जा सकता है। इसकी कुल नौ प्रजातियां हैं जिनमें शोरिया रोबस्टा (Shorea robusta Gaertn f.) का इस्तेमाल मुख्य तौर पर औषधी के रूप में किया जा सकता है। इस पेड़ में सफेद और लाल रंग के फूल होते हैं। इसके बीज, बीज का तेल, तने का छाल, पत्ती, फूल का उपयोग कई बीमारियों के लिए इलाज के लिए किया जा सकता है।
साल ट्री से रेजिन निकलता है जो अम्लीय होता है। जिसका इस्तेमाल धूप (पूजा सामाग्री) और औषधि बनाने के रूप में किया जाता है। इसकी छाल में लाल और काले रंग का पदार्थ पाया जाता है जिसका इस्तेमाल रंग बनाने के लिए किया जा सकता है। इसके अलावा, इस पेड़ का मुख्य तौर पर इस्तेमाल इसकी लकड़ी के लिए किया जाता है। इसकी लकड़ी बहुत ज्यादा मजबूत और भारी होती है जिसका मुख्य तौर पर इस्तेमाल केवल रेलवे लाइन के स्लीपर बनाने में ही किया जाता है क्योंकि भारी होने की वजह से इसकी लकड़ी बारिश में बहती नहीं है। इसके अलावा, हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार साल का वृक्ष भगवान विष्णु को बहुत प्रिय है। बौद्ध धर्म में भी इसे एक पवित्र वृक्ष माना जाता है क्योंकि रानी माया ने साल के वृक्ष के नीचे ही महात्मा बुद्ध को जन्म दिया था।
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साल का उपयोग किस लिए किया जाता है?
एक औषधी के तौर पर इसके इस्तेमाल की बात करें, तो इसके पेड़ से प्राप्त किए जाने वाले तेल, छाल और पत्तियों का इस्तेमाल कई स्वास्थ्य विकारों को दूर करने में किया जा सकता है। मुख्य तौर पर इसका इस्तेमान ड्राईनेस की समस्या दूर करने, कफ और पित्त को कम करने, घाव को जल्दी ठीक करने, दर्द निवारक, योनि संबंधी बीमारियों के उपचार के लिए किया जा सकता है। साथ ही, इसके इस्तेमाल से मोटापे की समस्या को भी कम किया जा सकता है।
निम्नलिखित स्वास्थ्य स्थितियों में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है, जिनमें शामिल हैंः
घाव भरने में मदद करे
साल का पेड़ घाव के कारण हुए सूजन और दर्द को ठीक करने में काफी लाभकारी हो सकता है। साल के पेड़ में राला नाम का एस्ट्रीजेंट पाया जाता है और इसमें उच्च मात्रा में एंटीमाइक्रोबियल गुण पाया भी जाता है। ये दोनों गुण एक मलहम के तौर पर कार्य करते हैं।
खुजली दूर करे
साल के पेड़ में स्फोतहरा (Sphotahara) और कुंदुनीशना (Kandunashana) नामक तत्व पाया जाता है जो खुजली की समस्या से राहत दिला सकता है।
फ्रैक्चर के दर्द को कम करे
शाल के पेड़ में भग्नासंधानाक्रुत (Bhagnasandhanakrut) पाया जाता है, जो शरीर में फ्रैक्चर को ठीक करने और उसके दर्द को कम करने में काफी मददगार हो सकता है।
दुर्गंध दूर करे
शरीर में अधिक पसीना आने की समस्या या शरीर से आने वाली दुर्गंध को दूर करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। इस पेड़ में स्वेदहरा (Svedahara) पाया जाता है जो तन की बदबू को दूर करने में मददगार होता है।
दाग-धब्बे दूर करे
किसी चोट के निशान, जलने के निशान या त्वचा पर अन्य तरह के निशान को हल्का करने में यह काफी मददगार हो सकता है। शाल ट्री में अर्स-दग्धारूक (Asra-dagdharuk) मौजूद होता है जो इस तरह की समस्याओं के उपचार में लाभकारी साबित हो सकता है।
बहरापन की समस्या
इस पेड़ में बधिर्याहरा (Badhiryahara) पाया जाता है जो बहरेपन की समस्या को दूर करने में लाभकारी साबित हो सकता है। हालांकि, इस विषय में अभी भी उचित शोध करने की आवश्यकता हो सकती है।
इंफेक्शन दूर करे
शाल ट्री में विशाहा (Vishaha) नाम तत्व पाया जाता है, जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद कर सकता है और शरीर को इंफेक्शन से सुरक्षित रख सकता है।
डायरिया का उपचार करे
साल ट्री में ग्राही (Grahi) नाम तत्व मुख्य रूप से पाया जाता है जो डायरिया के उपचार में मदद कर सकता है।
मूत्र पथ का संक्रमण दूर करे
साल ट्री मूत्र पथ के संक्रमण की समस्या और बार-बार पेशाब जाने की समस्या का भी उपचार कर सकता है।
इसके अलावा कुछ अध्ययनों में यह पाया गया है कि यह वाइट डिसचार्ज या ल्यूकोरिया में भी लाभकारी हो सकता है। किए गए शोध में 18 से 50 साल की 52 महिलाओं को शामिल किया गया था। जिन्हें 30 दिनों के लिए इसके चूर्ण और छाल के काढ़े का सेवन करने के लिए दिया गया।
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साल कैसे काम करता है?
साल ट्री में रासायनिक घटक के तौर पर स्टेरॉयड, टेरपीनोइड बेर्गेनिन, शोरेफेनोल, शलकोन, अरसोलिक एसिड, एमरीनो, hopeaphenol और friedelin की मात्रा पाई जाती है, जो इसके औओषधीय गुण को बढ़ाते हैं।
उपयोग
साल का उपयोग करना कितना सुरक्षित है?
एक औषधी के तौर पर साल ट्री का सेवन करना सुरक्षित माना जाता है, हालांकि, आपको हमेशा अपने डॉक्टर के निर्देश पर ही इसका इस्तेमाल करना चाहिए। इसके अलावा, अगर आपको डायबिटीज की समस्या है, तो इसके सेवन से आपको बचना चाहिए। यह ब्लड शुगर की मात्रा को कम कर सकता है। इसलिए एंटी-डायबिटिक दवाओं के साथ इसका इस्तेमाल नहीं करने की सलाह दी जाती है।
साइड इफेक्ट्स
साल के क्या साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं?
साल ट्री पाउडर के इस्तेमाल से कुछ लोगों में कब्ज और मल के सख्त होने की समस्या हो सकती है। हालांकि, साल के साइड इफेक्ट्स बहुत ही दुर्लभ हो सकते हैं। आपको इसके ओवरडोज की मात्रा से बचना चाहिए। इसके अलावा, कुछ स्थितियों में इसका सेवन की सलाह बच्चों को आसानी से भोजन पचाने के लिए भी दी जा सकती है। हालांकि, इसकी मात्रा बच्चे की स्थिति और उम्र पर निर्भर कर सकती है। अगर आप गर्भवती हैं या बच्चे को स्तनपान कराती हैं, तो इसका सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
डोसेज
साल को लेने की सही खुराक क्या है?
साल का इस्तेमाल आप कई रूपों में कर सकते हैं। इसकी मात्रा आपके शारीरिक स्थिति, उम्र और लिंग के आधार पर आपके डॉक्टर द्वारा निर्धारित की जा सकती है।
- साल ट्री पाउडर – ¼-½ छोटा चम्मच। दिन में एक बार
- साल ट्री काढ़ा – 8-10 चम्मच। जिसमें समान मात्रा में पानी मिलाएं और भोजन के बाद दिन में 1-2 बार पिएं।
उपलब्ध
यह किन रूपों में उपलब्ध है?
साल ट्री औषधी के रूप में निम्नलिखित रूपों में उपलब्ध हैंः
- साल ट्री पाउडर
- साल ट्री छाल
- साल ट्री काढ़ा
अगर आपका इससे जुड़ा किसी तरह का कोई सवाल है, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।
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