परिचय
कॉलीफ्लॉवर इयर क्या है?
क्या आपने कभी किसी ऐसे व्यक्ति को देखा है, जिसके कान बड़े और ऊबड़-खाबड़ हों। इस तरह के कान को कॉलीफ्लॉवर इयर कहा जाता है। इस बीमारी को कॉलीफ्लॉवर इयर नाम इसलिए दिया गया क्योंकि कान का आकार कॉलीफ्लॉवर जैसा ही होता है। यह निश्चित रूप से एक मज़ेदार नाम है। आइए इसके बारे में और जानें।
कॉलीफ्लॉवर इयर तब होता है जब किसी व्यक्ति के कान में बार-बार मार पड़ती है। जैसे पहलवानों और मुक्केबाजों को कॉलीफ्लॉवर इयर होना आम बात है। क्योंकि कुश्ती के दौरान उन्हें कान पर बार-बार चोट पड़ती रहती है। कान पर बार—बार एक ही तरह ही मार पड़ने से कान का बाहर का आकार बिगड़ जाता है।
कॉलीफ्लॉवर इयर को ठीक करने के लिए कान से रक्त के थक्के (रक्त की गांठ) को निकालना पड़ता है। यह इलाज काफी मुश्किल होता है। कॉलीफ्लॉवर इयर को ठीक करने का एक अन्य तरीका भी है। कान में चोट लगने की वजह से कार्टिलेज को नुकसान होता है। कार्टिलेज कठोर और लचीले सफेद रंग के उतक होते हैं। ये घुटने, गले और श्वसन तंत्र समेत शरीर के कई भागों में पाए जाते हैं। कार्टिलेज के नुकसान से रक्त का प्रवाह बंद हो जाता है। कार्टिलेज ही कान को आकार देने में मदद करता है। जब कार्टिलेज को भरपूर मात्रा में पोषक तत्व और ऑक्सीजन मिलता है तो कान अपने आप शेप में आ जाते हैं। इसके लिए ये ध्यान रखना होता है कि कान पर दोबारा चोट ना लगे।
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कार्टिलेज के बिना कान का आकार थोड़ा सिकुड़ जाता है। कॉलीफ्लॉवर इयर ना हो, इसे रोकने कुछ तरीके हैं। कोई भी स्पोर्ट्स खेलते समय सही से हेडगेयर पहनना बहुत जरूरी है। हेलमेट न केवल आपको कॉलीफ्लॉवर इयर होने से बचाता है बल्कि सिर पर गंभीर चोट भी नहीं लगने देता। यदि आप बाइक चला रहे हैं, ब्लेडिंग कर रहे हैं, अपने स्कूटर की सवारी कर रहे हैं या कोई भी खेल खेल रहे हैं तो हेलमेट पहनना ना भूलें। फुटबॉल, बेसबॉल, हॉकी, मुक्केबाजी, या कुश्ती जैसे खेलों को खेलते समय हेलमेट पहनना जरूरी है।
2014 में, UFC फाइटर लेस्ली स्मिथ को कॉलीफ्लॉवर इयर पर चोट पहुंचने से बहुत नुकसान पहुंचा था। लेस्ली स्मिथ को पहले से ही कॉलीफ्लॉवर इयर था और उस पर उनकी प्रतिद्वंद्वी जेसिका आई ने जोरदार प्रहार कर दिया था। जिसके बाद मुकाबले को रोक दिया गया था। लेस्ली के कान से तरल पदार्थ बहने लगा था और वो गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
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कारण
कॉलीफ्लॉवर इयर के कारण क्या है?
- कॉलीफ्लॉवर इयर तब होता है जब कान पर कोई गहरा आघात पहुंचता है। कान पर तेजी से चोट लगने पर रक्त के थक्के जमने शुरू हो जाते हैं। जिससे कान की आकृति कॉलीफ्लॉवर यानी फूलगोभी जैसी हो जाती है। कान में कार्टिलेज के द्वारा ही रक्त की आपूर्ति होती है। जब कार्टिलेज को नुकसान पहुंचता है तो कॉलीफ्लॉवर इयर बन जाता है। कार्टिलेज को नुकसान पहुंचने से इंफेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता है। क्योंकि ऐसे में कान तक पोषक तत्व नहीं पहुंच पाते हैं।
- अगर कान का इलाज नहीं किया गया तो कार्टिलेज ना होने की वजह से कान सिकुड़ने लगता है। कान में रक्त की आपूर्ति नहीं होती है इसलिए कान पीला पड़ने लगता है। कुछ कॉस्मेटिक कान को ठीक करने में मदद कर सकते हैं।
- कानों में पियरसिंग यानी छेदना भी कॉलीफ्लॉवर इयर का कारण बन सकता है। कानों के उपरी हिस्से में पियरसिंग कराने से भी कार्टिलेज को नुकसान पहुंचता है। पियरसिंग से इनफेक्शन की संभावना बढ़ जाती है जिसे ऑरिक्यूलर पेरिकोन्ड्राइटिस कहते हैं। इसी की वजह से कॉलीफ्लॉवर इयर हो जाता है। कॉलीफ्लॉवर इयर होने का एक और कारण पॉलीकोन्ड्राइटिस है। इससे कानों में सूजन आ जाती है, जो कॉलीफ्लॉवर इयर का कारण बनता है।
- आमतौर पर कॉलीफ्लॉवर इयर खेल खेलते समय लगने वाली चोट से होता है। कान पर बार-बार प्रहार होने से ये स्थिति पैदा होती है। समय के साथ स्थिति गंभीर हो जाती है। हालांकि चोट लगने के बाद इलाज करके कॉलीफ्लॉवर इयर को ठीक किया जा सकता है।
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लक्षण
कॉलीफ्लॉवर इयर के लक्षण क्या है?
- कान में लगने वाली चोट के हिसाब से कॉलीफ्लॉवर इयर के लक्षण दिखाई पड़ते हैं। कानों में सूजन हो सकती है।
- त्वचा में लालिमा और खरोंच जैसी महसूस हो सकती है। ऐसे में अगर कान में चोट लगी है तो तुरंत उसका इलाज करना चाहिए। तुरंत इलाज होने से कॉलीफ्लॉवर इयर होने से रोका जा सकता है।
किसी भी चोट का इलाज कान में रक्त की कमी होने से पहले करना चाहिए। जिससे ऊतकों पर असर ना पड़े। इसके अलावा कॉलीफ्लॉवर इयर में निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते हैं-
- दर्द
- सूजन
- चोट
- कान के आकार में बदलाव
- सुनाई ना देना
- कान में सीटी बजना
- सिर दर्द
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- आंखों से धुंधला दिखना
- चेहरे की सूजन
- अत्यधिक रक्तस्राव
- यदि चोट गंभीर है तो तुरंत इलाज करना जरूरी है।
इलाज
कॉलीफ्लॉवर इयर का इलाज क्या है?
- सबसे पहले चोट की बर्फ से सिकाई करनी चाहिए। हर 15 मिनट के अंतराल में बर्फ लगाते रहना चाहिए। यह सूजन को कम करने में मदद करता है और कॉलीफ्लॉवर इयर होने से रोकता है। साथ ही तुरंत डॉक्टर से उपचार कराना चाहिए।
- डॉक्टर आपके कान से अतिरिक्त रक्त को निकाल देगा जिससे इलाज करना आसान हो जाएगा। डॉक्टर कान में एक कट लगा देते हैं जिससे खून निकल जाए और गांठ ना पड़े।
- कान की चोट ठीक होने लगती है तो डॉक्टर इस बात का ख्याल रखते हैं कि संक्रमण ना हो। इसके लिए वे आपको कुछ एंटिबायोटिक्स दे सकते हैं। साथ ही डॉक्टर आपको समय-समय पर ड्रेसिंग करवाने के लिए कह सकते हैं।
- ड्रेसिंग से ये पता चलता रहेगा कि कान का आकार बिगड़ तो नहीं रहा है। डॉक्टर आपको उन खेलों या गतिविधियों से बचने के लिए कहेंगे जिससे आपके कान पर फिर से चोट लगने का डर हो। चोट को पूरी तरह से ठीक होना जरूरी है।
- चोट ठीक हो जाने के बाद डॉक्टर आपको बाइक चलाने या खेल खेलने के लिए कह सकते हैं। लेकिन हेलमेट पहनना बेहद जरूरी है ताकि दोबारा कान में चोट ना लगे।
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- चोट ठीक हो जाने के बाद भी कॉलीफ्लॉवर इयर होने का खतरा रहता है इसलिए समय-समय पर कान का चेकअप करवाते रहना चाहिए। ध्यान देना चाहिए कि कान में सूजन ना आए।
- यदि सूजन का जल्दी से इलाज नहीं किया जाता है शुरू में किए गए इलाज का कोई फायदा नहीं होता है। इसके अलावा समस्या गंभीर होने पर डॉक्टर सर्जरी का भी सहारा लेते हैं।
- सर्जरी के दौरान डॉक्टर कार्टिलेज को बाहर निकालने के लिए आपके कान के पीछे एक कट बनाता है। सर्जरी के समय डॉक्टर आपको एनेस्थेसिया दे सकते हैं। सर्जरी के बाद सामान्य गतिविधियों को शुरू करने में 6 महीने लग सकते हैं।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।