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जोंक से ब्लड प्यूरीफिकेशन (खून की सफाई) ऐसे किया जाता है, जानें इसके चौंकाने वाले फायदे

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar


Priyanka Srivastava द्वारा लिखित · अपडेटेड 26/09/2020

    जोंक से ब्लड प्यूरीफिकेशन (खून की सफाई) ऐसे किया जाता है, जानें इसके चौंकाने वाले फायदे

    बारिश में या नदी, तालाब के पास लीच को देख कर आपने कभी यह नहीं सोचा होगा जिसे आप मामूली सा कीड़ा समझ रहे है वह चिकित्सा पद्धति में महत्वपूर्ण योगदान रखता है। लीच यानी जाेंक से ब्लड प्यूरीफिकेशन यानी हमारे शरीर के खून की सफाई की जा सकती है। आयुर्वेद में इसे त्वचा संबंधी रोगों, तंत्रिका तंत्र की असमानताओं ( नर्वस सिस्टम इम्बैलेंस ) और इंफेक्शन के उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है। आजकल इसका इस्तेमाल ज्यादातर प्लास्टिक सर्जरी और माइक्रो सर्जरी के लिए किया जाता है क्योंकि लीच पेप्टाइड और प्रोटीन का सिक्रेशन करती है जो कि ब्लड क्लॉटिंग को रोकने का काम करता है। यह घाव के ब्लड सर्कुलेशन को ठीक करने में भी मदद करती है। इस आर्टिकल में जानें कि कैसे जोंक के माध्यम से ब्लड प्यूरीफिकेशन होता है।

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    जोंक से ब्लड प्यूरीफिकेशन कैसे कार्य करता है?

    जोंक से ब्लड प्यूरीफिकेशन को लीच थेरेपी कहते हैं। यह एक ब्लड प्यूरीफिकेशन ट्रीटमेंट है, जो शरीर से विषाक्त रक्त  (इमप्योर ब्लड) को बाहर निकालने में सहायक है। इस प्रक्रिया के दौरान मेडिसनल लीच का उपयोग किया जाता है जो अशुद्ध रक्त को चूसती है और रक्त में कुछ एंजाइम को छोड़ती है जो इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ-साथ शरीर की हीलिंग पॉवर को बढ़ाने में सहायक होते हैं।

    लीच थेरिपी कैसे की जाती है?

    जोंक थेरेपी हमेशा किसी हेल्थ एक्सपर्ट की देखरेख में ही की जा सकती है। इसे कभी भी खुद से घर पर ट्राई नहीं करना चाहिए। यह हेल्थ एक्सपर्ट की तय करते हैं कि जोंक को व्यक्ति के शरीर के किस भाग पर छोड़ा जाएगा। जिसके बाद यह शरीर के एक निश्चित भाग पर छो दी जाती है। इसके बाद यह त्‍वचा को काट कर खून चूसना शुरू कर देती है। जब यह अपना काम पूरा कर लेती है तो इन्‍हें तम्‍बाकू की मदद से शरीर से हटा दिया जाता है। जोंक को शरीर पर कितनी देर तक के लिए रहना देना चाहिए यह भी पूरी तरह से आपके हेल्थ एक्सपर्ट ही तय कर सकते हैं। इसलिए हमेशा अपने डॉक्टर की देखरेख में ही लीच थेरिपी का फैसला लें।

    जोंक कैसे खून साफ करती है?

    आयुर्वेद में जोंक से ब्लड प्यूरीफिकेशन पर काफी कुछ लिखा गया है। इसे ‘ रक्तमोक्षण जलुका चरण ‘ भी कहते हैं। जेएसएस हॉस्पिटल मैसूरु की रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे जोंक/लीच हमारे लिए बेहद फायदेमंद है। ज्यादातर लोग जोंक को खतरनाक मानकर उससे दूर रहते हैं। लोग यह तो जानते हैं कि जोंक इंसानी शरीर का खून चूस लेती है, पर बहुत कम लोग जानते हैं कि जोंक सिर्फ खून से गंदा रक्त ही चूसती है। इसके मदद से खून में इंफेक्शन या शरीर के घाव जल्दी ठीक किए जा सकते हैं।

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    जोंक/लीच थेरेपी आयुर्वेद में सबसे नया उपचार

    यूं तो प्राचीन समय में भी जोंक से ब्लड प्यूरीफिकेशन किया जाता रहा है। फिर भी आयुर्वेद में इसे एक सबसे नए और प्रभावी उपचार के रूप में देखा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि आयुर्वेद प्रैक्टिस करने वाले बहुत कम लोग लीच थेरेपी करना जानते हैं। एक्सपर्ट्स का दावा है कि इस थेरेपी में विशेष दक्षता होना काफी जरूरी है तभी यह असरदार होती है। इसके अलावा लीच थेरेपी में साफ-सफाई और हाइजीन का विशेष ध्यान रखना होता है कि क्योंकि ये सीधे तौर पर खून से संबंधित होती है।

    जोंक से ब्लड प्यूरीफिकेशन इन बीमारियों पर असरदार

    जोंक से ब्लड प्यूरीफिकेशन करने से सिर्फ खून साफ ही नहीं होता बल्कि आप कई तरह की बीमारियों से राहत पा सकते हैं। शोधकर्ताओं का दावा है कि लीच/जोंक के सलाइवा में 100 से ज्यादा बायोएक्टिव पदार्थ होते हैं, जो मनुष्य स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। इतना ही नहीं जोंका के सलाइवा का एक सबसे बड़ा फायदा यह भी है कि यह खून के गाढ़ेपन को कम कर सकता है। इस ब्लड क्लॉट की समस्या ठीक हो जाती है जो अक्सर डायबिटीज और कोलेस्ट्रोल से पीढ़ित लोगों में होती है।

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    पाइल्स में मददगा हैं थेरेपी

    यह तो रही जोंक से ब्लड प्यूरीफिकेशन की बात। पर आपको सुनकर आश्चर्य होगा पर जोंक और लीच थेरेपी की मदद से पाइल्स का भी सकुशल इलाज किया जा सकता है। कई तरह के पाइल्स में लीच थेरेपी दर्द से बहुत हद तक राहत दिलाने में कारगर है। एक रिसर्च के मुताबिक लीच थेरेपी की जरिए नसों पर दबाव कम किया जा सकता है।

    विदेशी जोंक से ब्लड प्यूरीफिकेशन

    मेडिकनली लीच ज्यादातर हंगरी या स्वीडन से आती हैं। इन लीचों में दांतों की छोटी पंक्तियों के साथ तीन जबड़े होते हैं। इनके दांत सूक्ष्म सूई की तरह होते हैं, जिससे वे व्यक्ति की त्वचा को छेदते हैं और उसके अंदर सलाइवा के माध्यम से खून चूंसती हैं। इसके साथ ही जोंक थक्कारोधी तत्व का सिक्रीशन करते हैं। लीच को एक समय में 20 से 45 मिनट तक ही ब्लड सिक्रेशन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इसकी मदद से खाज, पिंपल, घाव और सूजन समेत त्वचा के कई रोगों का आसानी से इलाज किया जा सकता है। 

    (स्वालोरुट हर्बल का इस्तेमाल भी ब्लड प्यूरीफिकेशन के लिए किया जाता है।)

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    जोंक से ब्लड प्यूरीफिकेशन का क्या फायदा है?

    कई स्थितियों में जोंक से ब्लड प्यूरीफिकेशन कराकर आराम पाया जा सकता है। जिन लोगों को जोंक से ब्लड प्यूरीफिकेशन से फायदा हो सकता है उनमें डायबटीज से परेशान मरीज शामिल हैं।

    लीच थेरिपी का फायदा किन्हें मिल सकता है?

    निम्न स्वास्थ्य स्थितियों में आपके डॉक्टर आपको लीच थेरिपी की सलाह दे सकते हैं, जिसमें शामिल हैंः

    किन लोगों को जोंक थेरिपी से ब्लड प्यूरीफिकेशन की प्रक्रिया से दूर रहना चाहिए?

    अगर आपको निम्न स्वास्थ्य स्थितियां हैं, तो आपको जोंक थेरिपी से ब्लड प्यूरीफिकेशन की प्रक्रिया से दूर रहना चाहिए, जिसमें शामिल हैंः

  • कॉस्मेटिक सर्जरी की प्लानिंग करने वाले
  • 18 साल से कम उम्र के लोग
  • प्रेग्नेंट म​हिलाएं
  • एनीमिया के मरीज
  • रक्त के थक्के की स्थिति होने पर
  •  शायद लीच के बारे में इतनी रोचक बातें आपने पहले कभी नहीं सुनी होंगी। पर अगली बार लीच को देख कर आप इस बारे में सोचेंगे जरूर। 

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

    के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

    Dr Sharayu Maknikar


    Priyanka Srivastava द्वारा लिखित · अपडेटेड 26/09/2020

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