जिंदा रहने या कहे कि जीवन जीने के लिए खाना बहुत जरूरी है, लेकिन कुछ लोगों के लिए यह पेट भरने से ज्यादा जरूरी होता है। ईटिंग डिसऑर्डर का सामना कर रहे लोगों के लिए फूड एंजायटी का कारण बनता है। एंजायटी और ईटिंग डिसऑर्डर (Anxiety and eating disorders) साथ में स्थिति को और भी बिगाड़ देते हैं। ईटिंग डिसऑर्डर के लक्षण इसके प्रकार पर निर्भर करते हैं। ये हर व्यक्ति में अलग-अलग भी हो सकते हैं।
इसमें आमतौर पर फूड और ईटिंग हैबिट्स पर अत्यधिक फोकस के साथ ही खाने से एक प्रकार की भावनात्मक परेशानी शामिल है। कई लोग जो ईटिंग डिसऑर्डर के साथ जी रहे हैं वे एंजायटी का भी सामना करते हैं और यह एंजायटी फूड रिलेटेड तनाव से काफी अधिक होती है। एनसीबीआई की एक स्टडी के अनुसार ईटिंग डिसऑर्ड का सामना कर रहे लोग जीवन में किसी ना किसी पॉइंट पर एंजायटी डिसऑर्डर का सामना करते हैं।
इस आर्टिकल में हम एंजायटी और ईटिंग डिसऑर्डर (Anxiety and eating disorders) के बीच क्या लिंक है इसके बारे में जानकारी दे रहे हैं।
एंजायटी और ईटिंग डिसऑर्डर (Anxiety and eating disorders)
ईटिंग डिसऑर्डर और एंजायटी का आपस में एक संबंध है। ये सही है कि ये दोनों एक साथ होते हैं और इनके लक्षण आपस में ओवरलेप कर सकते हैं। कई लोग जो दोनों कंडिशन का समाना करते हें वे एंजायटी डिसऑर्डर के लक्षणों के पहले एंजायटी के लक्षणों को अनुभव करते हैं। हालांकि इसका मतलब यह नहीं है कि एंजायटी ईटिंग डिसऑर्डर का कारण बनती है। जो लोग एंजायटी का अनुभव करते हैं वे ईटिंग डिसऑर्डर का सामना हर बार नहीं करते।
इस बात का भी ध्यान रखें कि ईटिंग डिसऑर्डर में व्यक्ति फूड और ईटिंग से संबधित डर का अनुभव करता है, लेकिन फूड रिलेटेड एंजायटी का मतलब एंजायटी कंडिशन से सीधे-सीधे नहीं होता। वहीं कुछ लोग जो ईटिंग डिसऑर्डर का सामना कर रहे हैं उनमें अपराधबोध, शर्मिंदगी, डिस्फोरिया या बॉडी इमेज का बिगड़ना और कम आत्मविश्वास की भावना हो सकती है, लेकिन चिंता नहीं।
फिर भी इस तथ्य को नकारा नहीं जा सकता है कि एंजायटी और ईटिंग डिसऑर्डर में संबंध है।
एंजायटी और ईटिंग डिसऑर्डर के रिस्क फैक्टर्स
एंजायटी और ईटिंग डिसऑर्डर (Anxiety and eating disorders) के रिस्क फैक्टर्स में निम्न शामिल हैं।
जेनेटिक्स (Genetics)
एनसीबीआई (NCBI) की एक स्टडी के अनुसार जेनेटिक्स ईटिंग डिसऑर्डर्स को डेवलप होने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके साथ ही अगर आपकी फैमिली में किसी को एंजायटी डिसऑर्डर है तो आपको भी इसके होने की संभावना बढ़ जाती है। एनसीबीआई की एक दूसरी स्टडी में कहा गया है कि एंजायटी और ईटिंग डिसऑर्डर में एक समान जीन्स हो सकते हैं।
ब्रेन कैमिस्ट्री (Brain Chemistry)
सेरोटॉनिन एक ब्रेन कैमिकल है जो मूड को रेगुलेट करने, नींद, भूख और बॉडी की दूसरे महत्वपूर्ण प्रॉसेस में मदद करता है। यह दोनों एंजायटी और ईटिंग डिसऑर्डर्स (Anxiety and eating disorders) दोनों में एक फैक्टर के रूप में दिखाई देता है।
और पढ़ें: सेपरेशन एंजायटी डिसऑर्डर : जिसमें हर वक्त सताता है पेरेंट्स से बिछड़ने का डर
ब्रेन प्रॉसेसेज (Brain processes)
एंजायटी और ईटिंग डिसऑर्डर्स दोनों में व्यक्ति उन चीजों की तरफ अधिक ध्यान देता है जो कि डर पैदा करती हैं। बदलावों के साथ समन्वय ना बिठा पाना, दिनचर्या, इंफ्लैग्जिबिल्टी दोनों स्थितियों की विशेषता है।
व्यक्तिगत व्यवहार (Personality traits)
टेम्परामेंट और पर्सनैल्टी दोनों एंजायटी और ईटिंग डिसऑर्डर (Anxiety and eating disorders) से संबंधित है। जिसमें न्यूरोटिसिज्म, परफेक्शनिज्म, अनिश्चिता को सहन या सामना करने में कठिनाई होना शामिल है।
चाइल्डहुड एक्सपीरियंस (Childhood experience)
एंजायटी और ईटिंग डिसऑर्डर (Anxiety and eating disorders) दोनों के लिए चाइल्डहुड सेक्शुअल एब्यूज कारण हो सकता है। दोनों कंडिशन के लिए यह एक बड़ा रिस्क फैक्टर है।
और पढ़ें: भीड़ से डर लगना है सोशल एंजायटी डिसऑर्डर का लक्षण
ईटिंग डिसऑर्डर जो एंजायटी के साथ डेवलप हो सकते हैं
फिर से बता दें कि ईटिंग डिसऑर्डर हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग हो सकते हैं। इसका मतलब ये है कि व्यक्ति के लक्षण एक सेट क्राइटेरिया से अलग हो सकते हैं। किसी भी एज या बॉडी साइज का व्यक्ति ईटिंग डिसऑर्डर का सामना कर सकता है। ईटिंग डिसऑर्डर का सामना कर रहे बहुत से लोग दिखने में अनहेल्दी नहीं दिखते हैं, लेकिन यह उनके लिए गंभीर स्वास्थ्स संबंधी चिंता और तनाव का कारण बन सकते हैं।
एआएफआईडी (ARFID)
एवॉइडेंट/रेस्ट्रिक्टिव फूड इंटेक डिसऑर्डर यह नया ईटिंग डिअसॉर्डर क्लासिफिकेशन है। दूसरे ईटिंग डिसऑर्डर के विपरीत यह ईटिंग डिसऑर्डर प्रभावित व्यक्ति के बॉडी इमेज या अपीरिएंस को प्रभावित नहीं करता। इसके विपरीत इस डिसऑर्डर में व्यक्ति एंजायटी के कारण अधिकांश फूड्स को खाने में शारीरिक परेशान महसूस करता है। यह कंडिशन पिकी ईटिंग की तरह नहीं है। इसमें व्यक्ति को भूख लगती है और वह खाना चाहता है, लेकिन प्लेट सामने आने पर निम्न प्रकार के फिजिकल रिएक्शन सामने आते हैं।
- ऐसा महसूस होना कि गला चोक हो गया है
- जी मिचलाना
- ऐसा महसूस होना कि खाने के बाद उल्टी हो जाएगी
एनोरेक्सिया नर्वोसा (Anorexia nervosa)
एनोरेक्सिया नर्वोसा खाने का विकार है जिसे बहुत ही प्रतिबंधित खाने के पैटर्न द्वारा परिभाषित किया गया है। एंजायटी और ईटिंग डिसऑर्डर (Anxiety and eating disorders) का संबंध यहां भी है। इस स्थिति में मुख्य रूप से खाने के बारे में तीव्र चिंता और भय शामिल है। प्रभावित व्यक्ति निम्न बातों को महसूस कर सकता है।
- वजन बढ़ने की चिंता
- सार्वजनिक स्थानों पर या दूसरों के साथ खाने के बारे में अतिरिक्त चिंता का अनुभव
- अपने एंवायरमेंट और भोजन को नियंत्रित करने की तीव्र इच्छा
इस खाने के विकार के दो उपप्रकार हैं:
- सीमित करना, या बहुत कम भोजन करना
- बिंज ईटिंग या अधिक मात्रा में भोजन करना और फिर उल्टी, व्यायाम या लैक्सेटिव का उपयोग करके उसको बाहर निकालना
जबकि यह स्थिति आमतौर पर महिलाओं को अधिक प्रभावित करती है, यह किसी भी जेंडर के लोगों में विकसित हो सकती है।
बूल्मिया नर्वोसा (Bulimia nervosa)
इस स्थिति में अधिक खाना और फिर उसे बाहर निकालना शामिल है। बिंजिंग का तात्पर्य कम समय में बड़ी मात्रा में भोजन का सेवन करना है। कैलोरी से छुटकारा पाने और असुविधा को दूर करने के लिए उपभोग किए गए भोजन को बाहर निकालने के किसी भी प्रयास से है।
बाहर निकालने के तरीकों में शामिल हो सकते हैं:
- उल्टी
- लैक्सेटिव्स का उपयोग
- अत्यधिक व्यायाम
एंजायटी दोनों स्थितियों में भूमिका निभा सकती है। जब कुछ स्थितियों में शक्तिहीन महसूस होता है, तो ईटिंग नियंत्रण हासिल करने का एक तरीका लग सकता है। वहीं पर्जिंग, जो नियंत्रण की भावना भी प्रदान कर सकता है, वजन बढ़ने या एक परिवर्तित शारीरिक उपस्थिति के बारे में चिंता के जवाब में हो सकता है।
और पढ़ें: रैपिड मूड स्विंग्स: हल्के में ना लें इस कंडिशन को, किसी बड़ी बीमारी की हो सकती है दस्तक
एंजायटी और ईटिंग डिसऑर्डर का इलाज (Anxiety and eating disorder treatment)
एंजायटी और ईटिंग डिअऑर्डर दोनों का इलाज संभव है जो इनके लक्षणों में सुधार के साथ ही स्थिति को बेहतर बनाने में मदद करता है। ट्रीटमेंट ऑप्शन में निम्न शामिल हैं।
कॉनग्निटिव बिहेवियरल थेरिपी (Cognitive behavioral therapy)
यह थेरिपी मरीज को अन्य भय और चिंताओं के साथ-साथ भोजन और खाने से संबंधित अवांछित और अनुपयोगी भावनाओं, व्यवहारों को पहचानना और उन्हें संबोधित करना सीखने में मदद करती है। विशेषज्ञ एक्सपोजर थेरिपी जो कि सीबीटी का एक उपप्रकार है को एंजायटी और ईटिंग डिसऑर्डर दोनों के लिए एक प्रभावी मानते हैं।
फैमिली बेस्ड थेरिपी (Family based therapy)
चिकित्सक आमतौर पर परिवार के सदस्यों को उपचार में शामिल करने की सलाह देते हैं। एआरएफआईडी वाले बच्चों के माता-पिता के लिए, एक परिवार-केंद्रित कार्यक्रम माता-पिता और बच्चों को खाने के विकार की जटिलताओं को कम करने में मदद कर सकता है।
दवाएं (Medications)
दवाएं ईटिंग डिसऑर्डर से लड़ने में मदद कर सकती हैं। इसके साथ ही होने वाली एंजायटी के लिए भी दवाओं का उपयोग प्रभावी। डॉक्टर मरीज की स्थिति के हिसाब से इन दवाओं को लिख सकते हैं। हालांकि इनके उपयोग से इनकी लत लगने का खतरा रहता है। ध्यान रखें किसी भी दवा का उपयोग डॉक्टर की सलाह के बिना ना करें। दवा को डोज वैसा ही रखें जैसा कि डॉक्टर ने बताया है।
और पढ़ें: चिंता का आयुर्वेदिक इलाज क्या है? चिंता होने पर क्या करें, क्या न करें?
उम्मीद करते हैं कि आपको एंजायटी और ईटिंग डिसऑर्डर (Anxiety and eating disorders) से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।