एवॉइडेंट/रेस्ट्रिक्टिव फूड इंटेक डिसऑर्डर यह नया ईटिंग डिअसॉर्डर क्लासिफिकेशन है। दूसरे ईटिंग डिसऑर्डर के विपरीत यह ईटिंग डिसऑर्डर प्रभावित व्यक्ति के बॉडी इमेज या अपीरिएंस को प्रभावित नहीं करता। इसके विपरीत इस डिसऑर्डर में व्यक्ति एंजायटी के कारण अधिकांश फूड्स को खाने में शारीरिक परेशान महसूस करता है। यह कंडिशन पिकी ईटिंग की तरह नहीं है। इसमें व्यक्ति को भूख लगती है और वह खाना चाहता है, लेकिन प्लेट सामने आने पर निम्न प्रकार के फिजिकल रिएक्शन सामने आते हैं।
एनोरेक्सिया नर्वोसा (Anorexia nervosa)
एनोरेक्सिया नर्वोसा खाने का विकार है जिसे बहुत ही प्रतिबंधित खाने के पैटर्न द्वारा परिभाषित किया गया है। एंजायटी और ईटिंग डिसऑर्डर (Anxiety and eating disorders) का संबंध यहां भी है। इस स्थिति में मुख्य रूप से खाने के बारे में तीव्र चिंता और भय शामिल है। प्रभावित व्यक्ति निम्न बातों को महसूस कर सकता है।
- वजन बढ़ने की चिंता
- सार्वजनिक स्थानों पर या दूसरों के साथ खाने के बारे में अतिरिक्त चिंता का अनुभव
- अपने एंवायरमेंट और भोजन को नियंत्रित करने की तीव्र इच्छा
इस खाने के विकार के दो उपप्रकार हैं:
- सीमित करना, या बहुत कम भोजन करना
- बिंज ईटिंग या अधिक मात्रा में भोजन करना और फिर उल्टी, व्यायाम या लैक्सेटिव का उपयोग करके उसको बाहर निकालना
जबकि यह स्थिति आमतौर पर महिलाओं को अधिक प्रभावित करती है, यह किसी भी जेंडर के लोगों में विकसित हो सकती है।
बूल्मिया नर्वोसा (Bulimia nervosa)
इस स्थिति में अधिक खाना और फिर उसे बाहर निकालना शामिल है। बिंजिंग का तात्पर्य कम समय में बड़ी मात्रा में भोजन का सेवन करना है। कैलोरी से छुटकारा पाने और असुविधा को दूर करने के लिए उपभोग किए गए भोजन को बाहर निकालने के किसी भी प्रयास से है।
बाहर निकालने के तरीकों में शामिल हो सकते हैं:
- उल्टी
- लैक्सेटिव्स का उपयोग
- अत्यधिक व्यायाम
एंजायटी दोनों स्थितियों में भूमिका निभा सकती है। जब कुछ स्थितियों में शक्तिहीन महसूस होता है, तो ईटिंग नियंत्रण हासिल करने का एक तरीका लग सकता है। वहीं पर्जिंग, जो नियंत्रण की भावना भी प्रदान कर सकता है, वजन बढ़ने या एक परिवर्तित शारीरिक उपस्थिति के बारे में चिंता के जवाब में हो सकता है।
और पढ़ें: रैपिड मूड स्विंग्स: हल्के में ना लें इस कंडिशन को, किसी बड़ी बीमारी की हो सकती है दस्तक
एंजायटी और ईटिंग डिसऑर्डर का इलाज (Anxiety and eating disorder treatment)
एंजायटी और ईटिंग डिअऑर्डर दोनों का इलाज संभव है जो इनके लक्षणों में सुधार के साथ ही स्थिति को बेहतर बनाने में मदद करता है। ट्रीटमेंट ऑप्शन में निम्न शामिल हैं।
कॉनग्निटिव बिहेवियरल थेरिपी (Cognitive behavioral therapy)
यह थेरिपी मरीज को अन्य भय और चिंताओं के साथ-साथ भोजन और खाने से संबंधित अवांछित और अनुपयोगी भावनाओं, व्यवहारों को पहचानना और उन्हें संबोधित करना सीखने में मदद करती है। विशेषज्ञ एक्सपोजर थेरिपी जो कि सीबीटी का एक उपप्रकार है को एंजायटी और ईटिंग डिसऑर्डर दोनों के लिए एक प्रभावी मानते हैं।
फैमिली बेस्ड थेरिपी (Family based therapy)
चिकित्सक आमतौर पर परिवार के सदस्यों को उपचार में शामिल करने की सलाह देते हैं। एआरएफआईडी वाले बच्चों के माता-पिता के लिए, एक परिवार-केंद्रित कार्यक्रम माता-पिता और बच्चों को खाने के विकार की जटिलताओं को कम करने में मदद कर सकता है।
दवाएं (Medications)
दवाएं ईटिंग डिसऑर्डर से लड़ने में मदद कर सकती हैं। इसके साथ ही होने वाली एंजायटी के लिए भी दवाओं का उपयोग प्रभावी। डॉक्टर मरीज की स्थिति के हिसाब से इन दवाओं को लिख सकते हैं। हालांकि इनके उपयोग से इनकी लत लगने का खतरा रहता है। ध्यान रखें किसी भी दवा का उपयोग डॉक्टर की सलाह के बिना ना करें। दवा को डोज वैसा ही रखें जैसा कि डॉक्टर ने बताया है।
और पढ़ें: चिंता का आयुर्वेदिक इलाज क्या है? चिंता होने पर क्या करें, क्या न करें?
उम्मीद करते हैं कि आपको एंजायटी और ईटिंग डिसऑर्डर (Anxiety and eating disorders) से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।