के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
प्रोस्टेट पुरुषों के रिप्रोडक्टिव सिस्टम में एक छोटी और मस्कुलर ग्रंथि होती है। यह आपके यूरेथ्रा के इर्द-गिर्द मौजूद होती है और आपके वीर्य के अधिकतर तरल पदार्थ का निर्माण करती है। जब आपको सेक्शुअल क्लाइमैक्स प्राप्त होता है, तो यही ग्रंथि उस समय फ्लूड और सीमन को पेनिस में आगे की तरफ धकेलती है। लेकिन, कई कारणों की वजह से पुरुषों में मौजूद प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ जाती है, जिसे एनलार्ज्ड प्रोस्टेट (Enlargement of the prostate) या बिनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया (Benign Prostatic Hyperplasia) कहते हैं। इसके कारण शरीर में कुछ लक्षण दिख सकते हैं और समय के साथ यह लक्षण गंभीर होकर शारीरिक समस्याओं का कारण भी बन सकते हैं।
प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़ने का मुख्य कारण इसमें मौजूद कोशिकाओं का तेजी से बढ़ना होता है। इस प्रक्रिया में तेजी से बनने वाली सेल्स प्रोस्टेट ग्लैंड को बढ़ा देती हैं और यूरेथ्रा जो कि आपका मूत्रमार्ग होता है, को दबा देती है और पेशाब के निकलने की प्रक्रिया पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। हालांकि, प्रोस्टेट ग्रंथि में यह बढ़ोतरी प्रोस्टेट कैंसर की तरह नहीं होती और न ही प्रोस्टेट कैंसर का खतरा बढ़ाती है। हालांकि, प्रोस्टेट का बढ़ना काफी कम मामलों में यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन, ब्लैडर स्टोन और ब्लैडर डैमेज, किडनी डैमेज जैसी जटिलताओं का कारण बन सकता है।
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प्रोस्टेट का बढ़ना या बिनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया होने पर निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते हैं। जैसे-
आपको बता दें कि, प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने से सभी को ऊपर बताए गए लक्षणों का सामना नहीं करना पड़ता। हर मरीज में इसके अलग-अलग लक्षण हो सकते हैं और यह लक्षण किसी अन्य कारण की वजह से भी दिख सकते हैं। अगर, आपको एनलार्ज्ड प्रोस्टेट के लक्षणों से जुड़े कुछ सवाल या शंका है, तो अपने डॉक्टर से चर्चा करें।
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अगर आपको पेशाब संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है तो अपने डॉक्टर से इस बारे में विचार-विमर्श करें। भले ही आपको मूत्राशय संबंधी लक्षण परेशान न कर रहे हों, लेकिन फिर भी समस्या के पीछे छिपे कारण का पता लगाना बेहद जरूरी होता है। पेशाब की समस्या को बिना इलाज के छोड़ने से मूत्राशय में रूकावट आ सकती है। अगर आप पेशाब करने में समस्या या अक्षमता का सामना कर रहे हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
डॉक्टर और विशेषज्ञ अभी तक पुरुषों में प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़ने के सटीक कारण (Cause of enlargement of prostate gland) का पता नहीं लगा पाए हैं। हालांकि, यह माना जाता है कि उम्र बढ़ने के साथ यह भी बढ़ता जाता है। एक अनुमान के मुताबिक, 40 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों की प्रोस्टेट ग्रंथि में थोड़ी बहुत बढ़ोतरी होती ही है और 80 वर्ष से अधिक उम्र के 90 प्रतिशत पुरुषों में यह कंडीशन होती है। क्योंकि, यौवनावस्था में प्रोस्टेट ग्रंथि का आकार दोगुना हो जाता है और 25 वर्ष की उम्र के आसपास से दोबारा बढ़ना शुरू कर देती है। कुछ पुरुषों में यह जीवनभर बढ़ता रहता है।
इसके अलावा, यह देखा गया है कि, जिन पुरुषों में यौवनावस्था से पहले ही किसी कारणवश, उदाहरण के लिए प्रोस्टेट कैंसर की वजह से टेस्टिकल्स हटा दिए जाते हैं, उनमें यह समस्या देखने को नहीं मिलती है। इसके साथ ही, कई वैज्ञानिक शोध में यह सामने आया है कि, सक्रिय मेल हार्मोन टेस्टोस्टेरॉन के स्तर में गिरावट के कारण पुरुषों में टेस्टोस्टेरॉन और एस्ट्रोजन का अनुपात बिगड़ जाता है, जिससे प्रोस्टेट की कोशिकाओं के विकसित होने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। इसके अलावा, कुछ शोध में यह पाया गया है कि, जिन पुरुषों में डीएचटी हार्मोन (डिहाइड्रोटेस्टोस्टेरॉन) का उत्पादन नहीं होता, उनमें प्रोस्टेट ग्रंथि नहीं बढ़ती है। जिस वजह से बिनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया के पीछे डीएचटी हार्मोन को भी वजह माना जाता है।
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रोग (Disease)
अध्ययनों के अनुसार डायबिटीज और हृदय रोगियों में प्रोस्टेट बढ़ने का खतरा अधिक होता है। साथ ही ऐसा बीटा ब्लॉकर दवाओं का सेवन करने वाले पुरुषों में भी हो सकता है।
फैमिली हिस्ट्री (Family history)
परिवार के किसी अन्य सदस्य जैसे पिता या भाई को प्रोस्टेट की समस्या होने पर आप में भी इसके होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में आपको प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़ने का जोखिम अन्य पुरुषों के मुकाबले अधिक होता है।
उम्र (Ages)
प्रोस्टेट बढ़ने के लक्षण और संकेत 40 वर्ष से कम उम्र वाले पुरुषों में बेहद कम दिखाई देते हैं। करीब एक-तिहाई (1/3) पुरुषों में मध्यम से गंभीर लक्षण 60 की उम्र में महसूस होते हैं और आधों को 80 की उम्र में।
जीवनशैली (lifestyle)
मोटापे के कारण प्रोस्टेट के बढ़ने का खतरा अधिक हो जाता है। जबकि व्यायाम की मदद से इसके जोखिम को कम किया जा सकता है।
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बढ़ी हुई प्रोस्टेट ग्रंथि की जांच के लिए डॉक्टर सबसे पहले आपकी शारीरिक जांच कर सकता है, जिसके साथ ही वह आपकी मेडिकल हिस्ट्री के बारे में भी पूछ सकता है। इस शारीरिक जांच में रेक्टल एग्जामिनेशन शामिल होता है, जिसकी मदद से प्रोस्टेट के अनुमानित आकार का पता लगाया जा सकता है। इसके अलावा निम्नलिखित टेस्ट की भी मदद ली जा सकती है। जैसे-
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ज्यादातर पुरुष प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़ने के लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं। जबकि शुरुआती चरणों में इसकी पहचान करके इलाज करवाने से खतरनाक जोखिमों और जटिलताओं से बचा जा सकता है। यदि आपको प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़ने के लक्षण या संकेत दिखाई देते हैं तो तुरंत अपने डॉक्टर को संपर्क करें। जिन पुरुषों में प्रोस्टेट का बढ़ना लंबे समय से शामिल होता है उनमें
कुछ मामलों में मूत्राशय की समस्याएं प्रोस्टेट के बढ़ने के कारण इतनी अधिक गंभीर हो जाती हैं कि व्यक्ति के ब्लैडर से पेशाब बिलकुल भी पास नहीं हो पाता है। इसे ब्लैडर में रूकावट आना कहा जाता है। यह बेहद खतरनाक हो सकता है क्योंकि ब्लैडर में रुका पेशाब मूत्राशय में संक्रमण का कारण बन सकता है। जिससे किडनी को भी क्षति पहुंच सकती है।
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प्रोस्टेट ग्रंथि को उम्र बढ़ने के साथ ज्यादा जोड़ा जाता है, इसलिए इसके लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए आपको जीवनशैली में बदलाव जैसे तरीकों का इस्तेमाल करना पड़ेगा।
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बढ़ी हुई प्रोस्टेट ग्रंथि का उपचार व लक्षण नियंत्रित करने के लिए जीवनशैली में बदलाव के अलावा कुछ अन्य ट्रीटमेंट की भी आवश्यकता हो सकती है। जैसे-
अल्फा-1 ब्लॉकर्स
अगर आपकी प्रोस्टेट ग्रंथि हल्की से मध्यम बढ़ी हुई है, तो डॉक्टर आपको डोक्साजोसिन, प्राजोसिन जैसी अल्फा-1 ब्लॉकर्स, डुटास्टेराइड या फिनास्टेराइड जैसी प्रोस्टेट ग्लैंड द्वारा उत्पादित हार्मोन के स्तर को नियंत्रित करने वाली दवाएं या एंटीबायोटिक्स का सेवन करने के लिए कह सकते हैं।
हॉर्मोन रिडक्शन मेडिकेशन
इस प्रकार की दवाएं प्रोस्टेट ग्रंथि द्वारा उत्पादित होने वाले हॉर्मोन के स्तर को कम करने में मदद करती हैं। आमतौर पर इस स्थिति के लिए डुटास्टेरीड (Dutasteride) और फिनास्टेराइड (finasteride) लेने की सलाह दी जाती है।
यह दोनों दवाएं टेस्टोस्टेरॉन के स्तर को कम कर देती हैं जिसकी मदद से पेशाब के बहाव में सुधार आता है और प्रोस्टेट छोटा होने लगता है। हालांकि, इस प्रकार की दवाओं के कुछ गंभीर दुष्प्रभाव भी हो सकते है। जैसे कि बांझपन और कामोत्तेजना में कमी।
एंटीबायोटिक्स
एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल तब किया जाता है जब आपका प्रोस्टेट बैक्टीरिया के कारण क्षतिग्रस्त होने लगता है। एंटीबायोटिक्स की मदद से बैक्टीरियल प्रोस्टेटाइटिस का इलाज करवाने से प्रोस्टेट ग्रंथि के लक्षणों में सुधार आता है और साथी ही सूजन भी कम होने लगती है। हालांकि, अगर आपके प्रोस्टेटाइटिस का कारण बैक्टीरिया नहीं बल्कि कुछ और है तो एंटीबायोटिक दवाएं इसके इलाज में कारगर साबित नहीं होंगी।
जब दवाएं काम नहीं आती हैं तो प्रोस्टेट बढ़ने के लक्षणों को कम करने के लिए कई प्रकार की प्रक्रियाओं का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे कई प्रकार के इलाज हैं जिनमें हीट एनर्जी की मदद से प्रोस्टेट को कम करने में मदद मिलती है। तो चलिए जानते हैं इनके बारे में –
प्रोस्टेटिक स्टेंट (Prostatic stents)
कुछ मामलों में मूत्रमार्ग को खुला रखने के लिए उसमें स्टेंट (लोहे की पतली डंडी) को डाला जाता है। यह भी एक आउटपेशंट प्रक्रिया होती है जिसमें मरीज को अस्पताल रहने की जरूरत नहीं होती है। आमतौर पर स्टेंट का इस्तेमाल उन पुरुषों के लिए किया जाता है जो दवाओं के सेवन से इनकार कर देते हैं या किसी समस्या के कारण उनका इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। ज्यादातर डॉक्टरों के अनुसार स्टेंट एक अच्छा विकल्प नहीं माना जाता है।
प्रोस्टेटिक स्टेंट के कुछ गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं। इसके साथ ही कुछ पुरुषों में इसकी मदद से कोई सुधार नहीं आता है। कुछ परिस्थितियों में स्टेंट अपनी जगह बदल लेता है जिसके कारण स्थिति और गंभीर हो सकती है।
ट्रांसयूरेथरल माइक्रोवेव थर्मोथेरेपी (Transurethral microwave thermotherapy)
इस थेरेपी में कंप्यूटर द्वारा हीट वेव पैदा की जाती हैं जिससे बढ़े हुए प्रोस्टेट की कोशिकाओं को नष्ट किया जा सके। इस प्रक्रिया के दौरान मूत्रमार्ग को सुरक्षित रखने के लिए कूलिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है। ट्रांसयूरेथरल माइक्रोवेव थर्मोथेरेपी में सामान्य एनेस्थीसिया और पेन मेडिकेशन का इस्तेमाल किया जाता है।
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