के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
गठिया, अर्थराइटिस का ही एक जटिल रुप है जो जोड़ों में यूरिक एसिड क्रिस्टल जमा होने के कारण होता है। सूई के आकार के ये सूक्ष्म क्रिस्टल जोड़ों के कोमल ऊतक में जमा हो जाते हैं जिसके कारण जोड़ों में सूजन, लालिमा, गर्माहट, दर्द और अकड़न महसूस होता है। दरअसल, जोड़ों में प्यूरिंस के कारण यूरिक एसिड के क्रिस्टल जमा होते हैं।
प्यूरिंस एक रसायन है जो ज्यादातर फूड्स में पाया जाता है। जब शरीर प्यूरिंस को मेटाबोलाइज करता है तो यह यूरिक एसिड उत्पन्न करता है और उसे रक्त में भेजता है। रक्त में यूरिक एसिड की अधिक मात्रा की अवस्था को हाइपरयूरिसिमिया कहते हैं। अधिकांश लोगों में यूरिक एसिड की अधिक मात्रा क्रिस्टल में बदल जाती है और जोड़ों में जमा हो जाती है जिसके कारण गठिया हो जाता है।
गठिया आमतौर पर पैर की बड़ी उंगली को प्रभावित करता है। जोड़ों में यूरिक एसिड जमा होने के कारण अर्थराइटिस का दर्द बढ़ जाता है और यूरिक एसिड को छानने वाली किडनी की नलिकाएं ब्लॉक हो जाती हैं। गठिया के कारण किडनी में स्टोन भी हो सकता है। गठिया किसी भी समयय अचानक से अटैक कर सकता है।
यहां तक की आधी रात को भी बड़ी उंगली में सनसनाहट और दर्द के नींद खुल सकती है। हाइपरटेंशन, कार्डियोवैस्कुलर और मोटापा गठिया का जोखिम बढ़ाने वाले मुख्य कारक हैं। अगर समस्या की जद बढ़ जाती है तो आपके लिए गंभीर स्थिति बन सकती है । इसलिए इसका समय रहते इलाज जरूरी है। इसके भी कुछ लक्षण होते हैं ,जिसे ध्यान देने पर आप इसकी शुरूआती स्थिति को समझ सकते हैं।
गठिया एक गंभीर बीमारी है। ये महिलाओं की अपेक्षा पुरुष पर अधिक प्रभाव डालता है। पूरी दुनिया में 75 वर्ष से अधिक उम्र के लाखों लोग गठिया से पीड़ित हैं। महिलाओं में मेनोपॉज के बाद गठिया अटैक करता है। यदि माता-पिता को गठिया हो तो बच्चे में यह बीमारी होने की संभावना 20 प्रतिशत बढ़ जाती है। ज्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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एडवांस रूमेटाइड अर्थराइटिस
गठिया शरीर के कई सिस्टम को प्रभावित करता है। गठिया से पीड़ित व्यक्ति के शरीर के कई हिस्सों में शुरुआत में प्रायः हल्का दर्द होता है। लेकिन अचानक से पैर की बड़ी उंगली के जोड़ में तेज दर्द होने लगता है। गठिया पैरों, टखनों, घुटनों, कलाई, कोहनी और उंगलियों को प्रभावित करता है जिसके कारण ये लक्षण सामने आने लगते हैं :
कभी-कभी कुछ लोगों में इसमें से कोई भी लक्षण सामने नहीं आते हैं। जबकि कुछ लोगों के रक्त में अधिक मात्रा में यूरिक एसिड जमा होने के बाद भी गठिया का कोई लक्षण नजर नहीं आता है। इसे एसिम्प्टोमैटिक गठिया कहा जाता है।
ऊपर बताएं गए लक्षणों में किसी भी लक्षण के सामने आने के बाद आप डॉक्टर से मिलें। हर किसी के शरीर पर गठिया अलग प्रभाव डाल सकता है। यदि आपके जोड़ों में अचानक से तेज दर्द होता है, जोड़ों में सूजन और गर्माहट के साथ ही व्यक्ति को बुखार हो तो यह इंफेक्शन का संकेत हो सकता है। गठिया के इलाज में देरी करने पर ज्वाइंट डैमेज हो सकता है। इसलिए किसी भी परिस्थिति के लिए आप डॉक्टर से बात कर लें।
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ब्लड में यूरिक एसिड के जमा होने के कारण गठिया होता है। जब बॉडी प्यूरिंस को तोड़ता है तो जोड़ों में यूरिक एसिड जमा होने लगता है। प्यूरिंस ऑर्गन मीट, सीफूड, स्टीक,एल्कोहलिक पेय पदार्थ, बीयर, फ्रूट शुगर और मीठे पेय पदार्थों में पाया जाता है।यूरिक एसिड ब्लड में घुल जाता है और किडनी से होते हुए पेशाब के माध्यम से बाहर निकलता है, लेकिन जब अधिक मात्रा में यूरिक एसिड जमा हो जाता है तो किडनी यूरिक एसिड का उत्सर्जन नहीं कर पाती है जिसके कारण जोड़ों और आसपास के ऊतक में यूरेट क्रिस्टल बन जाते हैं और सूजन पैदा करते हैं। इसके अलावा मोटापा बढ़ने, डायबिटीज, मेटाबोलिक सिंड्रोम, हृदय और किडनी की बीमारी, आनुवांशिक कारणों, बढ़ती उम्र, सर्जरी और कुछ दवाओं का सेवन करने के कारण भी गठिया हो सकता है।
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गठिया एक जटिल बीमारी है जिसके कारण कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। यह बीमारी जोड़ों को स्थायी रुप से डैमेज कर सकती है। यूरिनरी ट्रैक्ट में यूरेट क्रिस्टल जमा होने का काण किडनी स्टोन हो सकता है। सिर्फ इतना ही नहीं जोड़ों के ऊतक को भी नुकसान पहुंच सकता है। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
गठिया का पता लगाने के लिए डॉक्टर शरीर की जांच करते हैं और मरीज का पारिवारिक इतिहास भी देखते हैं। इस बीमारी को जानने के लिए कुछ टेस्ट कराए जाते हैं :
कुछ मरीजों में गठिया का पता लगाने के लिए सिनोवियल बायोप्सी करते हैं जिसमें प्रभावित ज्वाइंट की झिल्ली, जिसे सिनोवियल झिल्ली कहा जाता है,को हटा दिया जाता है और यूरिक एसिड क्रिस्टल का परीक्षण किया जाता है। ज्यादातर गठिया के मामले का निदान ज्वाइंट फ्लुइड एनालिलिस से हो जाता है।
गठिया को इलाज से ठीक किया जा सकता है। इलाज का शुरुआती उद्देश्य ज्वाइंट के प्रभावित हिस्से में दर्द, सूजन, लालिमा और गर्माहट को कम करना होता है। कुछ थेरिपी और दवाओं से व्यक्ति में गठिया के असर को कम किया जाता है। गठिया के लिए कई तरह की मेडिकेशन की जाती है :
गठिया से राहत पाने के लिए कैसी एब्सोल्युट नामक हर्ब को उपयोगी माना जाता है। इसके अलावा मरीज को जोड़ों पर दवाब नहीं पड़ने देना चाहिए और अपनी देखभाल करनी चाहिए। गठिया से पीड़ित व्यक्ति को डॉक्टर अधिक से अधिक आराम करने के लिए कहते हैं। इससे जोड़ों का दर्द और सूजन कम होने में मदद मिलती है। यदि गठिया से पैर प्रभावित हो तो ज्यादा चलना फिरना नहीं चाहिए और पैर को तकिए पर रखना चाहिए।
अगर आपको गठिया है तो आपके डॉक्टर एल्कोहलिक पेयपदार्थ जैसे बीयर और रेड वाइन से परहेज करने की सलाह देंगे। इन पेय पदार्थों में प्यूरिंस अधिक मात्रा में पाया जाता है जो यूरिक एसिड को बढ़ाता है। इसके साथ ही वजन को नियंत्रित रखने के लिए कहा जाएगा। रक्त में यूरिक एसिड की मात्रा को कम करने के लिए कॉफी का सेवन करना चाहिए।
सिर्फ इतना ही नहीं पूरे दिन 8 से 9 गिलास पानी पीना चाहिए। वाटर इनटेक बढ़ाने से किडनी स्वस्थ रहती है और यूरिक एसिड को शरीर से बाहर निकालने में मदद करती है। सिर्फ यही नहीं विटामिन सी सप्लीमेंट्स और चेरी ब्लड में यूरिक एसिड के स्तर को घटाता है और गठिया के लक्षणों को कम करता है। इसके साथ ही कम वसायुक्त डेयरी प्रोडक्ट का सेवन करना चाहिए। अधिक वसायुक्त फूड्स खाने से परहेज करना चाहिए। गठिया के लक्षणों को कम करने के लिए निम्न फूड्स का सेवन करना चाहिए:
गठिया से बचने के लिए प्यूरिंस युक्त फूड्स नहीं खाना चाहिए। रेड मीट, ऑर्गन मीट, सीफूड, एल्कोहल, स्कैलोप्स, मसल्स और साल्मन मछली, सोडा और फ्रूट जूस का सेवन करने से बचना चाहिए क्योंकि इन फूड्स में प्यूरिंस अधिक मात्रा में पाया जाता है। इसके साथ ही नियमित रुप से एक्सरसाइज भी करना चाहिए
इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।
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