परिचय
सेप्टिक गठिया को संक्रामक गठिया भी कहा जाता है। सेप्टिक गठिया जोड़ों में होने वाला इन्फेक्शन है। यह इन्फेक्शन शरीर के एक भाग से दूसरे भाग में फैल जाता है या किसी चोट, इंजेक्शन या सर्जरी से रोगी को हो सकता है। समान्यतया सेप्टिक गठिया स्टैफिलोकोकी, स्ट्रेप्टोकोकी या निसेरिया गोनोरिया से हुए बैक्टीरियल इन्फेक्शन का परिणाम है। हालांकि, यह फंगल या वायरल इन्फेक्शन से भी हो सकता है। जोड़ों को किसी भी नुकसान से बचाने और इन्फेक्शन को फैलने से रोकने के लिए इस रोग का उपचार जल्दी से जल्दी करा लेना चाहिए। इसके नाम के बावजूद, संक्रामक गठिया संक्रामक नहीं है।
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लक्षण
इस गठिया के लक्षण भी अन्य गठिया की तरह ही हैं जैसे सूजन, दर्द और अकड़न आदि। लेकिन, सेप्टिक गठिये के अन्य लक्षण भी हो सकते हैं। यह लक्षण एकदम से देखे जा सकते हैं। बुखार और जोड़ों में सूजन ऐसे कुछ लक्षण हैं जो सेप्टिक गठिया में देखे जा सकते हैं। इसके साथ ही इसमें जोड़ों में गंभीर दर्द हो सकता है जो हिलने के साथ ही बहुत बढ़ सकती है।
नवजात शिशुओं में सेप्टिक गठिये के लक्षण इस प्रकार हैं:
- जब संक्रामक जोड़ हिलते हैं तो बच्चे का रोना (जैसे डायपर बदलते हुए)
- बुखार
- संक्रमित जोड़ के साथ लिंब को हिलाने में असमर्थ होना (pseudoparalysis)
- बच्चे का बैचैन होना
बच्चों और वयस्कों में इसके लक्षण
- संक्रमित जोड़ के साथ लिंब को हिलाने में असमर्थ होना (pseudoparalysis)
- जोड़ों में बहुत अधिक दर्द
- जोड़ों का सूजन
- जोड़ों में लालिमा
- बुखार
- ठंड भी लग सकती है (हालांकि यह असाधारण लक्षण है)
अन्य लक्षण
- थकावट
- कमजोरी
- अपच
- त्वचा में रैशेस
गंभीर सेप्टिक गठिया सबसे अधिक इन अंगों के जोड़ों को प्रभावित करता है:
- घुटना
- कंधा
- कलाई
- कमर
- कोहनी
जैसे ही व्यक्ति इन्फेक्शन के सम्पर्क में आता है तो यह लक्षण कुछ ही देर में देखे जा सकते हैं। हालांकि, कई बार इन्हे कई घंटे भी लगते हैं। इनके अलावा भी लोग अन्य कई लक्षणों को महसूस कर सकते हैं।
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कारण
- सेप्टिक गठिया तब बढ़ता है जब बैक्टीरिया या अन्य छोटे रोग पैदा करने वाले जीव (सूक्ष्मजीव) खून से जोड़ों में फैल जाते हैं।
- यह तब भी हो सकता है जब जोड़ों में लगी चोट या सर्जरी को यह सूक्ष्मजीव सीधे तौर पर संक्रमित करें। आमतौर पर प्रभावित होने वाले जोड़ घुटने और कूल्हे होते हैं।
- तीव्र सेप्टिक गठिया के अधिकतर मामले स्टेफिलोकोकस या स्ट्रेप्टोकोकस बैक्टीरिया के कारण होते हैं।
- गंभीर सेप्टिक गठिया माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस और कैंडिडा अल्बिकंस सहित कई जीवों के कारण होता है। हालांकि यह इतना सामान्य नहीं है।
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जोखिम
1) पहले से ही जोड़ों में समस्या
गंभीर रोग और स्थितियां आपके जोड़ों को प्रभावित करेंगे जैसे ऑस्टियोआर्थराइटिस, गाउट, संधिशोथ या ल्यूपस। इनसे सेप्टिक गठिये का जोखिम बढ़ जाता है। पहले से ही जोड़ों में समस्या का अर्थ है पहले से ही आर्टिफिशल घुटने होना, पहले जोड़ों की सर्जरी हुई हो या चोट लगी हो।
2) संधिशोथ के लिए दवाएं ले रहे हों
जिन लोगों को संधिशोथ हो या जो पहले से ही इसकी दवाई ले रहे हैं। उन लोगों में भी सेप्टिक गठिया होने की संभावना बढ़ जाती है।
3) त्वचा का नाजुक होना
वो त्वचा जो जल्दी फट जाती है या जिसे ठीक होने में समय लगता हो। उनमे बैक्टीरिया के पनपने की संभावना अधिक रहती है। सोरायसिस और एक्जिमा जैसी त्वचा की स्थितियों से सेप्टिक आर्थराइटिस का खतरा बढ़ जाता है। जो लोग नियमित रूप से ड्रग्स इंजेक्ट करते हैं, उन्हें इंजेक्शन की साइट पर संक्रमण का खतरा अधिक होता है।
4) कमजोर इम्युनिटी
जिन लोगों की इम्युनिटी कमजोर होती है उन्हें सेप्टिक गठिया होने की संभावना अधिक होती है। इनमे वो लोग भी शामिल है जो डायबिटीज, किडनी या लिवर की समस्याओं से पीड़ित हैं।
5) ट्रामा
जोड़ों में जानवरों के काटने, घाव या कट होने से सेप्टिक गठिया होने की संभावना बढ़ जाती है।
6) उम्र
सेप्टिक गठिया किसी भी उम्र के लोगों में देखा जा सकता है। बच्चों में अधिकतर तीन साल से छोटे बच्चों में इस समस्या को देखा गया है। कुल्हा वो जगह है जहां बच्चों को अधिक इन्फेक्शन होता है।
निदान
सेप्टिक गठिया के निदान के लिए सबसे पहले डॉक्टर आपसे इसके लक्षणों के बारे में पूछेंगे और आपकी शारीरिक जांच भी की जा सकती है। इसके साथ ही आपके कुछ खास टेस्ट भी कराये जा सकते हैं, जैसे:
जोड़ों के फ्लूइड का विश्लेषण : इंफेक्शन से जोड़ो के फ्लूइड का रंग, मात्रा आदि में परिवर्तन आ सकता है। जोड़ों से सुई के माध्यम से फ्लूइड निकाला जाता है और फिर लेबोरेटरी में इंफेक्शन के कारण पता किया जाता है। ताकि डॉक्टर यह जान सके कि आपको कौन सी दवाईयां देनी हैं।
खून टेस्ट : इस टेस्ट से अगर खून में इंफेक्शन के कोई लक्षण होंगे, तो उनका पता चल जाता है। इसके लिए नसों से खून की कुछ बूंदे ली जाएंगी।
इमेजिंग टेस्ट : प्रभावित जोड़ों के एक्स-रे और अन्य इमेजिंग टेस्ट से जोड़ों को हुए नुकसान का आकलन किया जा सकता है।
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उपचार
सेप्टिक गठिया के उपचार के एक या दो दिनों के बाद ही लक्षणों में सुधार नजर आने लगता है। हालांकि, पूरी तरह से सुधार होने में कई हफ्ते लग सकते हैं लेकिन इन्फेक्शन ख़त्म हो जाता है। सेप्टिक गठिया का उपचार इसके कारणों पर निर्भर करता है। जानिए इसका उपचार कैसे किया जाता है।
एंटीबायोटिक्स
अगर इन्फेक्शन का कारण बैक्टीरिया हैं तो डॉक्टर आपको एंटीबायोटिक्स दे सकते हैं। अधिक नुकसान को कम करने के लिए संक्रमित रोगी को तुरंत एंटीबायोटिक लेनी शुरू करनी चाहिए। रोगी को कई हफ़्तों तक मुंह के माध्यम से इन्हे लेना पड़ेगा। उपचार के पूरे कोर्स को पूरा होने में लगभग 6–8 हफ्ते लग जाते हैं। IV एंटीबायोटिक्स से उपचार कुछ दिनों या हफ़्तों तक चल सकता है और यह रोगी की स्थिति की गंभीरता पर निर्भर करता है। डॉक्टर आपके घर पर भी IV एंटीबायोटिक्स का प्रबंध कर सकते हैं। डॉक्टर एंटीबायोटिक्स की अधिक डोज भी दे सकते हैं या स्थिति सुधरने के लिए इन्हे इंजेक्शन के माध्यम से भी आपको दिया जा सकता है।
जोड़ों की ड्रेनेज
संक्रमित जोड़ों से फ्लूइड को निकालना बहुत मुश्किल होता है, लेकिन इसके लिए इन तरीको को अपनाया जा सकता है:
- सुई: कुछ मामलों में, डॉक्टर जोड़ों के स्थान में डाली गई सुई से संक्रमित तरल को निकाल सकता है।
- स्कोप प्रक्रिया : अर्थरोस्कोपी में, एक छोटे से चीरे के माध्यम से जोड़ों में लचीली ट्यूब के साथ वीडियो कैमरा डाला जाता है। सक्शन और ड्रेनेज ट्यूब को तब रोगी के जोड़ के आसपास छोटे चीरों के माध्यम से डाला जाता है।
- ओपन सर्जरी : कुछ जोड़ जैसे कूल्हे के फ्लूइड को सुई या अर्थरोस्कोपी के माध्यम से निकालना मुश्किल होता है। इसलिए इन मामलों में ओपन सर्जरी का सहारा लिया जाता है।
एंटी-फंगल दवाईयां
अगर इंफेक्शन का कारण फंगस है, तो डॉक्टर आपको इसके उपचार के लिए एंटीबायॉटिक्स के स्थान पर एंटीफंगल दवाईयां दे सकते हैं।
एंटी-वायरल दवाईयां
अगर इंफेक्शन वायरस से हुआ है तो अधिकतर उपचार इसमें काम नहीं आते। इन्हे सामान्यतया साफ़ किया जाता है। कुछ मामलों में एंटी-वायरल दवाईयां भी दी जा सकती हैं, जैसे अगर यह इंफेक्शन हेपेटाइटिस B से हुई हों।
लगभग 45% लोगों में 65 साल की अधिक की उम्र में सेप्टिक गठिया होने की संभावना होती है। जिन लोगों को त्वचा सम्बन्धी समस्याएं हैं जैसे सोरायसिस, एक्जिमा या त्वचा संक्रमण आदि उन्हें भी यह समस्या हो सकती है।