2) संधिशोथ के लिए दवाएं ले रहे हों
जिन लोगों को संधिशोथ हो या जो पहले से ही इसकी दवाई ले रहे हैं। उन लोगों में भी सेप्टिक गठिया होने की संभावना बढ़ जाती है।
3) त्वचा का नाजुक होना
वो त्वचा जो जल्दी फट जाती है या जिसे ठीक होने में समय लगता हो। उनमे बैक्टीरिया के पनपने की संभावना अधिक रहती है। सोरायसिस और एक्जिमा जैसी त्वचा की स्थितियों से सेप्टिक आर्थराइटिस का खतरा बढ़ जाता है। जो लोग नियमित रूप से ड्रग्स इंजेक्ट करते हैं, उन्हें इंजेक्शन की साइट पर संक्रमण का खतरा अधिक होता है।
4) कमजोर इम्युनिटी
जिन लोगों की इम्युनिटी कमजोर होती है उन्हें सेप्टिक गठिया होने की संभावना अधिक होती है। इनमे वो लोग भी शामिल है जो डायबिटीज, किडनी या लिवर की समस्याओं से पीड़ित हैं।
5) ट्रामा
जोड़ों में जानवरों के काटने, घाव या कट होने से सेप्टिक गठिया होने की संभावना बढ़ जाती है।
6) उम्र
सेप्टिक गठिया किसी भी उम्र के लोगों में देखा जा सकता है। बच्चों में अधिकतर तीन साल से छोटे बच्चों में इस समस्या को देखा गया है। कुल्हा वो जगह है जहां बच्चों को अधिक इन्फेक्शन होता है।
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निदान
सेप्टिक गठिया के निदान के लिए सबसे पहले डॉक्टर आपसे इसके लक्षणों के बारे में पूछेंगे और आपकी शारीरिक जांच भी की जा सकती है। इसके साथ ही आपके कुछ खास टेस्ट भी कराये जा सकते हैं, जैसे:
जोड़ों के फ्लूइड का विश्लेषण : इंफेक्शन से जोड़ो के फ्लूइड का रंग, मात्रा आदि में परिवर्तन आ सकता है। जोड़ों से सुई के माध्यम से फ्लूइड निकाला जाता है और फिर लेबोरेटरी में इंफेक्शन के कारण पता किया जाता है। ताकि डॉक्टर यह जान सके कि आपको कौन सी दवाईयां देनी हैं।
खून टेस्ट : इस टेस्ट से अगर खून में इंफेक्शन के कोई लक्षण होंगे, तो उनका पता चल जाता है। इसके लिए नसों से खून की कुछ बूंदे ली जाएंगी।
इमेजिंग टेस्ट : प्रभावित जोड़ों के एक्स-रे और अन्य इमेजिंग टेस्ट से जोड़ों को हुए नुकसान का आकलन किया जा सकता है।
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