ब्रेन अटैक कभी भी किसी भी उम्र के व्यक्ति को आ सकता है। ब्रेन की नसों में खून के थक्के बनने या खून का प्रवाह रूकने के कारण ब्रेन स्ट्रोक की समस्या होती है। ब्रेन स्ट्रोक से बचाव करना मुश्किल हो सकता है। क्योंकि, आमतौर पर ब्रेन स्ट्रोक के संकेत या लक्षण आसानी से पहचान में नहीं आते हैं। आइए आपको हैलो स्वास्थ्य बताएगा कि ब्रेन स्ट्रोक आने पर क्या करें और क्या नहीं।
और पढ़ें : ब्रेन स्ट्रोक से बचने के उपाय ढूंढ रहे हैं? तो इन फूड्स से बनाएं दूरी
जानिए ब्रेन स्ट्रोक से बचाव करने के उपाय
ब्रेन स्ट्रोक से बचाव करने के लिए जरूरी है कि तुरंत उपचार की विधि शुरू की जाए। ब्रेन स्ट्रोक के कारण अधिकतर लोग चलने-फिरने, बोलने या देखने में असमर्थ हो जाते हैं या उनके शरीर के एक तरफ का हिस्सा अचानक से काम करना बंद कर देता है। ऐसे में आप इन बातों का ध्यान रख कर किसी भी व्यक्ति की जान बचा सकते हैं।
और पढ़ें : रुजुता दिवेकरः ब्रेन हैल्थ के लिए जरुरी है लोअर स्ट्रैंथ एक्सरसाइज
[mc4wp_form id=’183492″]
ब्रेन स्ट्रोक से बचाव के लिए निम्नलिखित बातों का रखें ध्यानः
- सबसे पहले आपातकालीन नंबर पर कॉल करें या जल्द से जल्द नजदीकी अस्पताल पहुंचें।
- अगर आपको खुद में स्ट्रोक के लक्षण दिखाई दे, तो किसी करीबी और आपातकालीन नंबर पर कॉल करें और अपने आस-पास के लोगों से मदद मांगें।
- स्ट्रोक आए व्यक्ति को आरामदायक अवस्था में लिटाएं। ध्यान रखें कि उनका सिर शरीर से थोड़ा ऊपर करके रखें ताकि उल्टी न आए।
- सांस चल रहीं है इसकी जांच करें। अगर वो सांस नहीं ले रहे हैं, तो CPR की मदद से उन्हें सांस लेने में मदद करें।
- स्ट्रोक से प्रभाविक व्यक्ति के गर्दन के हिस्से को खुला रखें, जैसे शर्ट के कॉलर का बटन खोलें, टाई पहनी हुई हो तो उसे ढ़ीला करें। ताकि सांस लेने में किसी तरह की परेशानी न हो।
- शरीर को गर्म बनाए रखें, ताकि मांसपेशियों को गर्माहट मिलती रहे।
- स्ट्रोक से प्रभावित व्यक्ति को कुछ भी खाने-पीने के लिए न दें।
- अगर चक्कर की वजह से स्ट्रोक से प्रभावित व्यक्ति नीचे गिरा है, तो उनके सिर या शरीर के किस अन्य हिस्सों में लगी चोटों की जांच करें और चिकित्सक मदद का इंतजार करें।
और पढ़ें : फाइब्रोमस्कुलर डिसप्लेसिया और स्ट्रोक का क्या संबंध है ?
अगर व्यक्ति होश में हो तोः
- सबसे पहले व्यक्ति को आरामदायक अवस्था में लिटाएं। फिर ऊपर बताई गई बातों की प्रक्रिया का ध्यान रखें।
- इसके बाद उनसे धीरे-धीरे बात करने का प्रयास करें। उनका नाम पूछें। अगर वो बात करने में समर्थ हों, तो उनके किसी करीबी को फोन कर इसकी सूचना दें। अगर इस दौरान वे किसी तरह के इशारे करें, तो उसे भी समझने का प्रयास करें।
- व्यक्ति को भरोसा दिलाएं कि उन्हें जल्द से जल्द उपचार की मदद मिलने वाली है और वो बहुत जल्द ठीक हो जाएंगे।
अगर व्यक्ति बेहोश हो तोः
- उन्हें आरामदायक अवस्था में लिटाएं।
- उनकी सांसों की जांच करें। अगर सांस नहीं चल रही हो, तो CPR की मदद से सांस लेने में मदद करें।
- उनके गर्दन के हिस्से को खुला रखें। किसी भी तरह के तंग कपड़े को गर्दन से हटा दें और आपातकालीन मदद मिलने तक उनकी शरीर में होने वाले बदलावों की जांत करते रहें।
और पढ़ें : अगर दिल बायीं की जगह हैं दायीं ओर तो आपको है डेक्स्ट्रोकार्डिया
क्या है सीपीआर (CPR)?
CPR का फुल फार्म कार्डियोपल्मोनरी रिससिटैशन (CPR) (cardiopulmonary resuscitation) है। इसकी मदद से किसी व्यक्ति को सांस लेने में मदद की जा सकती है। अगर बेहोशी के दौरान व्यक्ति के दिल की धड़कन बंद हो गई है या पल्स नहीं चल रहे हैं, तो सीपीआर की मदद से उसे सांस लेने में मदद की जा सकती है।
सीपीआर (CPR) देने की प्रक्रिया क्या है?
किसी जरूरतमंद की मदद करने और उसकी जान बचाने के लिए CPR की विधि क्या है, इसके लिए फॉलो करें हैले स्वास्थ्य की एक्सपर्ट और इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर, डॉक्टर शरयु माकणीकर के टिप्स।
CPR से पहले आपको इसके चरण A,B,C का ध्यान रखना होता है, यहांः
- A का अर्थ है एअरवे- व्यक्ति के गले या नाक में कुछ अटका तो नहीं है।
- B का अर्थ है ब्रीथिंग- व्यक्ति सांस ले रहा है या नहीं।
- C का अर्थ है सर्कुलेशन- व्यक्ति के पल्स काम कर रहें या नहीं।
और पढ़ें : ब्रेन स्ट्रोक कम करने के लिए बेस्ट फूड्स
ऐसे दें सीपीआर:
अगर व्यक्ति की सांस रूकी हुई है या पल्स बंद हो गए हो, तो फिर CPR देना शुरू करें। इसके लिए नीचे बताए गए बिंदुओं को फॉलो करना चाहिएः
- व्यक्ति को समतल स्थान पर सीधा लिटाएं।
- सीने में खून का संचार बनाने के लिए चेस्ट के बीच में, सीने पर पहले दायां हाथ रखें, फिर उसके ऊपर बायां हाथ रखें और बाएं हाथ की अंगुलियों को दाएं हाथ की अंगुलियों के बीच में फसाएं।
- ध्यान रखें कि इस दौरान दोनों हाथ एकदम सीधा रखें। इसेक लिए ऊपर बताए गए चित्र को देखें।
- अब कलाई के ऊपर और हथेली के नीचे वाले हिस्से से व्यक्ति के सीने को 5 से 6 सेमीं तक जोर से दबाएं। फिर हथेली को धीरे से ऊपर उठाएं, लेकिन हथेली सीने पर ही रखें रहें।
- 2 से 3 सेकेंड का गैप लेकर इसी प्रक्रिया को फिर से करें और ऐसा 30 बार तक करें।
- इसके बाद व्यक्ति के पल्स चेक करें।
- अगर अभी भी व्यक्ति के पल्स या सांसें नहीं चल रहीं, तो माउथ टू माउथ उसे सांस दें।
- इसके लिए सबसे पहले व्यक्ति का पूरा मुंह खोलें और नाक को बंद करें। फिर माउथ टू माउथ उन्हें सांस दें। ऐसा 2 बार करें।
- माउथ टू माउथ सांस देने के दौरान ध्यान रखें कि व्यक्ति का सिर थोड़ा नीचे की तरफ हो और चिन (ठोढ़ी) ऊपर की तरफ उठा हुआ हो।
- इस प्रक्रिया के दौरान बीच-बीच में व्यक्ति के पल्स को भी चेक करते हैं।
जब तक इमरजेंसी चिकित्सा की मदद नहीं मिलती है, तब तक इन तरीकों से आप ब्रेन स्ट्रोक से बचाव करने के लिए प्राथमिक उपचार कर सकते हैं। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (AHS) के निर्देशों के अनुसार, जिन लोगों ने औपचारिक सीपीआर प्रशिक्षण की जानकारी नहीं है, वे केवल किशोरों और वयस्कों को ही सीपीआर की प्रक्रिया दें। इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
और पढ़ें : ब्रेन स्ट्रोक के संकेत न करें नजरअंदाज, इस तरह लगाएं पता
ब्रेन स्ट्रोक से बचाव के दौरान क्या न करें?
ब्रेन स्ट्रोक से बचाव के दौरान आपको क्या नहीं करना चाहिए, इसके लिए आप निम्न बातों का ध्यान रख सकते हैं, जिसमें शामिल हैंः
- अगर किसी को ब्रेन स्ट्रोक या संकेत के लक्षण दिखाई दे रहें हो, तो किसी भी तरह के वाहन न चलाएं।
- ब्रेन स्ट्रोक आए हुए व्यक्ति को कुछ भी खाने-पीने के लिए न दें।
- ब्रेन स्ट्रोक के कारण बेहोश हुए व्यक्ति को किसी भी तरह की दवा न दें।
- बेहोश पड़े व्यक्ति के पास शोर न करें और न ही लोगों की भीड़ जमा होने दें।
- जब तक इमरेंजी हेल्थ ट्रीटमेंट नहीं मिलता तब तक व्यक्ति के पास ही रहें। उसके शरीर को अकेला न छोड़ें।
इसके बारे में अगर आपका कोई सवाल है, तो अधिक जानकारी के लिए कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
[embed-health-tool-bmi]