ओरल समस्याओं से बचने के लिए ओरल हाइजीन जरूरी है। इसलिए, मुंह की साफ-सफाई के लिए दिन में दो बार सुबह रात को दातुन करने की सलाह दी जाती है। आयुर्वेद के अनुसार दातुन में कसैले और कड़वे गुण होने चाहिए। दातुन के लिए नीम, अर्जुन, मुलेठी, निर्गुण्डी, अपामार्ग, करंज आदि जड़ी बूटियां सही रहती हैं। इनके इस्तेमाल से जिंजीवाइटिस, कैविटी आदि होने की संभावना को कम किया जाता है। नतीजन, मुंह की बदबू की संभावना कम होती है।
जिह्वा निरलेखन
दातुन करने के बाद जीभ की सफाई भी जरूरी होती है। इससे डाइजेस्टिव फायर (पाचन अग्नि) सुधरता है जिससे पाचन तंत्र उत्तेजित होता है। इससे मुंह से आने वाली बदबू से निजात मिलती है।
गण्डूष और कवल
गण्डूष और कवल को आयुर्वेद में मुंह की स्वच्छता के लिए बेस्ट माना जाता है। इस आयुर्वेदिक कर्म में औषधीय लिक्विड का इस्तेमाल किया जाता है। इस लिक्विड से ही मुंह को अच्छी तरह से साफ किया जाता है। यदि गण्डूष की नियमित अंतराल पर किया जाए तो इससे दुर्गंध (बदबू), दांतों में दर्द, दांतों का टूटना और मसूड़ों की सूजन भी कम होती है।
प्रतिसारण
दांतों के बीच में जमे मैल यानी प्लाक को साफ करने और दांतों को हेल्दी बनाए रखने के लिए आयुर्वेदिक थेरिपी प्रतिसारण को उपयोग में लाते हैं। त्रिकुट, त्रिफला और त्रिजात (तीन मसाले) को मिलाकर पाउडर तैयार किया जाता है जिससे दांतों और मसूड़ों की मालिश की जाती है।
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मुंह की बदबू का आयुर्वेदिक इलाज : जड़ी-बूटियां
दालचीनी
2017 में हुई एक लेबोरेटरी स्टडी में पाया गया कि दालचीनी के तेल में जीवाणुरोधी गुण होते हैं। सिनेमन ऑइल का इस्तेमाल ओरल हाइजीन प्रोडक्ट्स में करने से मुंह की बदबू को दूर करने में मदद मिल सकती है। इसमें वायुनाशक (पेट फूलने से राहत देने वाले), एंटी-इंफ्लेमेटरी, डाइजेस्टिव और कफ को दूर करने वाले गुण भी पाए जाते हैं। ये सभी प्रॉपर्टीज मुंह से आने वाली बदबू के कारणों को दूर करने में मददगार साबित होते हैं।
नीम
एंटी-वायरस, एंटीमाइक्रोबियल, दर्द निवारक और रक्तशोधक (खून साफ) गुणों से भरपूर नीम का इस्तेमाल मलेरिया, पीलिया, सिफलिस जैसे तमाम रोगों के उपचार में किया जाता है। इसकी दातुन का उपयोग दांतों को साफ करने में कई सदियों से चला आ रहा है। इससे मुंह के बैक्टीरिया को मारने में मदद मिलती है जिससे सांसों की बदबू का इलाज भी होता है। नीम का प्रयोग अर्क, काढ़े और पाउडर के रूप में डॉक्टर की सलाह से किया जा सकता है।
इलायची
इलायची का प्रयोग डाइजेस्टिव सिस्टम में सुधार करने के साथ ही परिसंचरण तंत्र, तंत्रिका और रेस्पिरेटरी सिस्टम (respiratory) पर भी अच्छा काम करती है। पेट से जुड़ी समस्याओं को कम करके और जीईआरडी की वजह से आने वाली मुंह की बदबू के उपचार में उपयोगी साबित होती है। डॉक्टर के निर्देशानुसार आप इसे काढ़े या पाउडर के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।
इसके अलावा लौंग, अदरक, सौंफ आदि हर्ब्स का उपयोग भी मुंह संबंधित समस्याओं को दूर करने में किया जाता है।
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मुंह की बदबू का आयुर्वेदिक इलाज : दवा