क्या आपको लगता है कि आपका बच्चा स्मार्टफोन या डेस्कटॉप पर ज्यादा समय बीताने लगा है। वह सामाजिक व्यवहारों में हिस्सा नहीं लेता है। आपकी बातों को मानने से इनकार करता है? माता-पिता के रूप में बच्चे के व्यवहार में आए अचानक और अप्राकृतिक परिवर्तनों को समझ पाना बहुत मुश्किल होता है। एक रिसर्च के मुताबिक 66 प्रतिशत टीन एज वाले युवा साइबर अपराध (साइबर बुल्लिंग) के शिकार हैं। पटना के अविनाश कुमार (डिजिटल मार्केटर और सोशल मीडिया एक्सपर्ट) हमसे बात करते हुए कहते हैं, कि बच्चे सोशल मीडिया पर अपने अकाउंट तो बना लेते हैं, लेकिन उसे सही तरीके से मैनेज नहीं कर पाते। सोशल मीडिया पर कई असामाजिक विषय वाले पेज और पोस्ट आते रहते हैं, जिस पर अपने रिएक्शन दे कर हम अपने प्रोफाइल को पब्लिक तो कर लेते हैं, लेकिन सुरक्षित रखना नहीं जान पाते। जिस कारण बच्चे विभिन्न प्रकार के साइबर बदमाशी और अपराध के शिकार होते चले जाते हैं।
अविनाश ने साइबर बुल्लिंग के विभिन्न पक्षों को हमसे शेयर किया, उन्हीं से जानते हैं, कि यदि बच्चे साइबर बुल्लिंग के शिकार हो रहे हों, तो उन्हें इनसे कैसे बचाया जाए?
साइबर बदमाशी (साइबर बुल्लिंग) क्या है?
साइबर बुल्लिंग डिजिटल उपकरणों जैसे कि कंप्यूटर, लैपटॉप, स्मार्टफोन और टैबलेट के माध्यम से अंजाम दी जाने वाली उत्पीड़न या बदमाशी है। जिन प्लेटफॉर्म्स में साइबर बुल्लिंग हो सकती है, उनमें सोशल मीडिया, चैट रूम और गेमिंग प्लेटफॉर्म शामिल हैं। इन सोशल मीडिया पर जहां लोग कई प्रकार के इनफार्मेशन साझा करते हैं। वहीं, कुछ असामाजिक तत्व यहां अराजकता फैलाते हैं।
विभिन्न प्रकार के साइबर बुल्लिंग में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म/ सोशल ऐप्स पर नफरत और उन्माद फैलाने वाले पोस्ट, टिप्पणियों या संदेश के माध्यम से किसी के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने और उसे अपमानित करना शामिल है। इसमें अपमान, चरित्र हत्या के लिए किसी अन्य व्यक्ति के बारे में नकारात्मक, बुरा या गलत जानकारी पोस्ट करना, भेजना या साझा करना आदि भी शामिल है।
यह भी पढ़ें: पेरेंट्स की बुरी आदतों का खामियाजा भुगतते हैं बच्चे
विभिन्न प्रकार के साइबर बुल्लिंग :
विभिन्न प्रकार के साइबर बुल्लिंग की जानकारी होना आवश्यक है। यह पेरेंट्स और युवाओं को साइबर बुल्लिंग को रिपोर्ट करने और इसे रोकने के उपायों को अपनाने में सक्षम बनाता है।
साइबर बुल्लिंग के सामान्यतया इस प्रकार के होते हैं:
- किसी को आहत करना या अपमान जनक अफवाहें पोस्ट करना
- किसी व्यक्ति के बारे में ऑनलाइन गलत इनफार्मेशन शेयर करना
- एक शर्मनाक (डुप्लीकेसी के बाद) या गंदी फोटो या वीडियो साझा करना
- किसी व्यक्ति के बारे में नकली या असभ्य वेबपेज बनाना
- किसी को मारने या खुद को चोट पहुंचाने के लिए उकसाना
एक व्यक्ति किसी के सोशल मीडिया खातों और अन्य ऑनलाइन प्रोफाइल से जानकारी प्राप्त करता है। फिर इसका उपयोग ऑनलाइन उत्पीड़न, ऑनलाइन मानहानि और साइबर बदमाशी के अन्य रूपों के लिए किया जाता है।
यह भी पढ़ें: बच्चे करते हैं ‘नोज पिकिंग’, डांटें नहीं समझाएं
साइबर बुल्लिंग से अपने किशोर बच्चों को बचाने के टिप्स
बच्चों से साइबर एक्टिविटी पर चर्चा बहुत जरूरी
किसी भी स्वस्थ रिश्ते की तरह, आपके बच्चों के साथ ओपन और ब्रॉड कम्युनिकेशन होना महत्वपूर्ण है। इसलिए साइबर बुलिंग के बारे में बात करने का नियम बनाएं>कुछ मिनटों को अलग रखें। उन्हें बताएं कि आप इसके बारे में जानते हैं, आप जानना चाहते हैं कि क्या वे इसे अनुभव कर रहे हैं, और यदि वे हैं, तो आप निश्चित रूप से इसे रोकने में मदद करना चाहते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात, उन्हें बताएं कि आपने जज नहीं किया है, भले ही फोटो, खराब भाषा, या अन्य संभावित शर्मनाक तत्व शामिल हों।
यह भी बढ़ें: बच्चों को स्लीप ट्रेनिंग देने के तरीके
किशोरों के साथ उनके एक्टिविटी में सम्मिलित हों
आप इस बात पर ध्यान देते हैं कि आपके बच्चे स्कूल के बाद कहां जाते हैं, किसके साथ घूमते हैं, और यह सब सही है? उस भागीदारी और पर्यवेक्षण को अपनी ऑनलाइन गतिविधियों तक बढ़ाएं। पता करें कि वे कौन से सामाजिक नेटवर्क का उपयोग करते हैं (फेसबुक और ट्विटर सबसे अधिक संभावना है), उन नेटवर्क पर अपने स्वयं के खाते बनाएं। वे शायद आपत्ति करेंगे, लेकिन उन्हें बताएं कि यदि वे स्वयं ऑनलाइन होना चाहते हैं तो यह शर्त है।
सोशल मीडिया पर समय-सीमा निर्धारित करें
साइबर बुलिंग का अधिकांश मामला टीनएज यानी मिडिल स्कूल (9 से 14 वर्ष के बच्चों) के बच्चों में ज्यादा होता है। चूंकि, ये खुद के अनुभव को जानने के लिए सोशल मीडिया पर एक्टिव होते हैं, और उचित जानकारी के भाव में साइबर बुल्लिंग करने वालों के झांसे में फंस जाते हैं।बच्चों के लिए जितनी अधिक अप्रतिबंधित, असामाजिक पोस्ट होती है, उतने ही अधिक इंटरनेट एक्सेस करने वाले उपकरण (स्मार्टफोन, टैबलेट इत्यादि), बदमाशी की संभावना अधिक होती है। मौका कम करने के लिए आपका बच्चा पीड़ित या अपराधी होगा, कुछ सीमाएं निर्धारित करें। उदाहरण के लिए, आप डिनर के घंटों बाद लैपटॉप या ऐसी अन्य उपकरणों के उपयोग को प्रतिबंधित कर सकते हैं, और यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि बच्चे इनका अनुभव बंद दरवाजों के भीतर नहीं करें।
यह भी पढ़ें: बच्चे को चैन की नींद सुलाने के लिए अपनाएं ये आसान टिप्स
स्कूल को इन परिस्थितियों से अवगत कराएं
कई स्कूल बच्चों को वास्तविक दुनिया के होने वाले बुल्लिंग के बारे में सिखाते हैं, लेकिन साइबर बुलिंग पर कम ध्यान केंद्रित करते हैं। उन शिक्षकों और व्यवस्थापकों को यह बताना चाहिए, जिनके बारे में आप चिंतित हैं, और उन्हें अपनी चर्चाओं और स्कूल की नीतियों में विषय को शामिल करने के लिए सुझाव दे सकते हैं। जितने अधिक अभिभावक साइबर बुलिंग के बारे में बोलते हैं, उतने अधिक स्कूल छात्रों को जागरूक करेंगे।
यह भी पढ़ें: बच्चे का रूट कैनाल ट्रीटमेंट हो तो ऐसे करें डील
उचित प्रतिक्रियाओं को जानें
एक बच्चे को साइबर हमले से कैसे निपटना चाहिए? कॉमन सेंस मीडिया के अनुसार, बच्चों को भी संचार के संभावित परिणाम से अवगत करा कर इसके नुकसान को रोकना चाहिए। किसी भी ईमेल से इस तरह के आपराधिक संपर्क को बचाने के लिए इंटरनेट प्रोवाइडर तथा अधिकारियों के साथ साझा करने के लिए जरूरी सूचनाएं पता होना चाहिए।
साइबर बुल्लिंग जिसे साइबर अपराध भी कहा जाता है, इंटरनेट के आगमन के बाद यह सबसे बड़ी मुख्य धारा की समस्या बन कर उभरी है। साइबर अपराध और साइबर बुल्लिंग से बचने का एक मात्र उपाय है, बच्चों को इंटरनेट और सोशल मीडिया यूजेस के दुष्परिणामों से परिचय कराना। बच्चों के सोशल मीडिया पर करने वाले एक्टिविटीज को पेरेंट्स को मॉनिटर करना चाहिए। ताकि, बतौर पेरेंट्स आपको अपने बच्चों की समस्या से अवगत होना आसान रहे।
यह भी पढ़ें: मेरे बच्चे ने खाना क्यों बंद कर दिया है?
उम्मीद करते हैं कि आपको बच्चों को साइबर बुल्लिंग से कैसे बचाना इससे संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
[embed-health-tool-bmi]