सॉफ्ट टिशू वेरिएशन्स (Soft tissue variations) दांतों का पीला पड़ना (Darkened tooth colour) दांतों में असमानता (Unevenness in teeth) संक्रमित दांत से खून बहना (An indication of drainage from an infected tooth) बच्चों के दांत बचाना क्यों जरूरी है?
बच्चों के दांत बचाना कई मायनों में जरूरी है। दांत निकलवाने के कारण खाना चबाने में दिक्कत होती है। बोलने में भी कई बच्चों को समस्या होती है। जब नए दांत आते हैं और उन्हें अपने बगल में ज्यादा जगह मिलती है, तब वह सारी जगह घेरने की कोशिश करते हैं। इस कारण दांतों की पुजिशन पर असर पड़ता है।
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रूट कैनाल क्या है? (What is Root Canal)
रूट कैनाल दांत के संक्रमण के लिए सबसे बेहतर उपचार है। बात करें दांत की बनावट की तो दांत के 3 भाग होते हैं। दांत के बाहरी हिस्से को एनामेल कहते हैं। डेंटीन की यदि बात की जाए तो, यह दांत का मुख्य भाग होता है और तीसरा भाग है दांतों का गूदा जोकि नर्म होता है। नसे व ब्लड वैसल दांतों की जड़ (एपेक्स) के माध्यम से अंदर जाती हैं। यह जड़ के कैनाल से होकर पल्प चैंबर तक पहुंचती हैं। दांतों के क्राउन के अंदर पल्प चैंबर होता है। दांत के पल्प के सूज जाने या संक्रमित हो जाने पर ही रूट कैनाल किया जाता है। रूट कैनाल में इस संक्रमित हिस्से को निकाल दिया जाता है। रोग ग्रस्त पल्प को हटाने के बाद उस जगह को साफ किया जाता है और सही आकार देकर भर दिया जाता है। बच्चों में रूट कैनाल ट्रीटमेंट का भी यही तरीका है और बड़ों के लिए भी यही तरीका अपनाया जाता है।
बच्चों में रूट कैनाल ट्रीटमेंट कैसे किया जाता है?
- सड़े हुए दांत के ऊपरी हिस्से यानी क्राउन से ड्रिल कर कैनाल को खोल दिया जाता है।
- इसके बाद सारे पल्प को निकाल दिया जाता है।
- पूरे कैनाल की हाइड्रोजन पैराक्साइड व सोडियम हायपोक्लोराइड से सफाई की जाती है।
- फिर एक कैल्शियम युक्त फिलर से इसे पूरी तरह भर दिया जाता है।
- इसके बाद दांत को सिल्वर फिलिंग या टूथ कलर फिलिंग करके सील कर दिया जाता है।
- दांत को मजबूत करने के लिए रूट कैनाल ट्रीटमेंट के बाद कैप लगाना जरूरी हो जाता है।
- यदि कैप ना लगाई जाए तो दांत के टूटने का खतरा रहता है। यदि शुरुआती अवस्था है तो एक या दो सिटिंग से ही इलाज पूरा किया जा सकता है।
- पहली सिटिंग में करीब 30 से 40 मिनट का वक्त लगता है। वहीं लापरवाही के कारण यह 4 से 5 सिटिंग तक भी पहुंच सकता है।