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Babies Sleep: शिशु की रात की नींद टूटने के कारण और रात भर शिशु सोना कब कर सकता है शुरू?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 01/02/2022

    Babies Sleep: शिशु की रात की नींद टूटने के कारण और रात भर शिशु सोना कब कर सकता है शुरू?

    मैंने अक्सर नवजात शिशुओं के माता-पिता से ये कहते सुना है कि बच्चे ज्यादातर रात के वक्त जागते हैं और परेशान करते हैं। अब इससे तो यही समझा जा सकता है कि न्यूली बॉर्न बेबी के पेरेंट्स रात को ठीक से नहीं सो पाते हैं। हमने कई कपल से शिशु की नींद (Babies Sleep)  के बारे में पूछा तो ज्यादातर कपल का यही सवाल था कि शिशु पूरी रात कब सोना शुरू करेगा? इसलिए आज इस आर्टिकल में शिशु की रात की नींद (Babies Night Sleep) से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारी शेयर करेंगे। 

    • रात भर सोने का क्या अर्थ है?
    • शिशु रात भर सोना कब शुरू करता है? 
    • शिशु को रात भर कैसे सुलाएं?   
    • शिशु की रात की नींद किन कारणों से पूरी नहीं हो सकती है?
    • शिशु की रात की नींद पूरी हो, इसके लिए क्या करें?  

    शिशु की रात की नींद (Babies Night Sleep) से जुड़े इन सवालों का जवाब एक-एक कर समझने की कोशिश करते हैं, जिससे शिशु और शिशु के माता-पिता की नींद भी पूरी हो सके।  

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    रात भर सोने का क्या अर्थ है?

    शिशु की रात की नींद (Babies Night Sleep)

    नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार रात भर सोना या शिशु की रात की नींद उनके उम्र पर निर्भर करती है, जो इस प्रकार हैं-

      शिशु या बच्चे की उम्र (Babies Age)             सोने के घंटे (Sleeping Hours)
            0 से 3 माह का शिशु               14 से 17 घंटे   
          4 से 11 महीने का शिशु                  12 से 15 घंटे 
            1 से 2 साल का शिशु                      11 से 14 घंटे 
            3 से 5 साल का शिशु                       10 से 13 घंटे

    ये रहें बच्चों के उम्र और नींद के घंटे। चलिए अब समझते हैं कि शिशु पूरी रात कब सोना शुरू करता है। 

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    शिशु रात भर सोना कब शुरू करता है? 

    स्लीप फाउंडेशन (Sleep Foundation) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार नवजात शिशुओं के लिए नींद अत्यधिक आवश्यक है। यह ठीक वैसे ही है जैसे बड़े या बुजुर्गों के अच्छी सेहत और बीमारियों से दूर रहने के 7 से 9 घंटे की नींद आवश्यक होती है, वैसे ही शिशु के ब्रेन डेवलपमेंट एवं शारीरिक विकास के लिए शिशु के लिए सोना जरूरी है। नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार 0 से 3 महीने के शिशु को 14 से 17 घंटे के लिए सोना चाहिए। हालांकि यह ध्यान रखें कि बच्चे कभी भी 14 से 17 घंटे लगातार नहीं सोयेंगे। एक अनुमान के तहत शिशु तकरीबन 30 से 35 बार जगता है। रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार तकरीबन 2 महीने के शिशु में स्लीप पैटर्न विकसित होने लगती है और वह दिन की तुलना में रात के वक्त ज्यादा सोना शुरू कर देता है। शिशु की रात की नींद (Babies Night Sleep) लगातार होने के बावजूद लगभग 6 महीने तक वह रात के वक्त दूध पीने के लिए उठ सकता है। इसके अलावा शिशु टॉयलेट या पोट्टी करने के दौरान भी उठ सकता है। वैसे जैसे-जैसे शिशु बड़ा होगा वैसे-वैसे रात को वह कम जागेगा।  

    यहां अब यह सवाल उठता है कि शिशुओं को दिन या रात में सोने से जुड़ी जानकारी नहीं होती है, इसलिए शिशु की रात की नींद (Babies Night Sleep) पूरी होने के लिए माता-पिता को क्या करना चाहिए यह अब समझने की कोशिश करेंगे। 

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    शिशु की रात की नींद: शिशु को रात भर कैसे सुलाएं? (How to get baby to sleep through the night)

    शिशु की रात की नींद (Babies Night Sleep) पूरी हो या शिशु को रात भर सोने की आदत पेरेंट्स को ही तैयार करनी होगी। शिशु की रात की नींद के लिए निम्नलिखित टिप्स फॉलो कर सकते हैं। जैसे:

    1. डेली रूटीन बनायें (Prepare a daily routine)- जिस तरह बड़े या बुजुर्गों के लिए डेली रूटीन जरूरी है, ठीक वैसे ही नवजात शिशु के लिए दैनिक दिनचर्या बनाना जरूरी है। अगर शिशु को समय-समय पर फीड कराया जाए, मालिश, स्नान कराया जाए और उसके साथ बात या खेलने का समय तय किया जाए तो इससे शिशु की डेली रूटीन बनने लगेगी और वह घर के सदस्यों के साथ व्यस्त रहेगा। ऐसा करने से शिशु को अच्छी नींद लेने में मदद मिलेगी। 

    2. सोने के लिए समय तय करें (Bedtime for Infant)- नवजात शिशु तकरीबन 3 महीने तक ज्यादा सोते हैं, लेकिन इस दौरान उनकी नींद कई कारणों से टूटती है। शिशु के लिए सोने का समय शाम साढ़े सात से नौ बजे के बीच शुरू कर सकते हैं। इसलिए शिशु की मालिश और फीड भी इस समय तक करवाएं। ऐसा करने से शिशु 9 बजे तक सोने शुरू करेगा और सुबह फ्रेश रहेगा। कई बार आसपास के शोर की वजह से भी शिशु की नींद पूरी नहीं हो पाती है।  

    3. फीड करवाएं (Feed your baby)- नवजात शिशु के पेट का आकार बहुत छोटा होता है। इसलिए उसे थोड़ी-थोड़ी देर पर फीड करवाना चाहिए। इसलिए रात के वक्त भी स्तनपान करवाने के दौरान कमरे की लाइट कम रखें और आपस में बातचीत ना करें। ऐसा करने से शिशु की नींद भी नहीं टूटेगी और रात भर सो भी पाएगा। 

    4. स्लीप ट्रेनिंग (Sleep training)- स्लीप ट्रेनिंग शिशु की रात की नींद (Babies Night Sleep) के लिए अत्यधिक सहायक बताई गई है। इसलिए जब आपका शिशु 6 महीने का हो जाए तो आप उसे स्लीप ट्रेनिंग देना शुरू कर दें। नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार स्लीप ट्रेनिंग को आसान शब्दों में समझें, तो जब शिशु को नींद आने लगे और वह उस दौरान रोना शुरू कर सकता है। ऐसे में अगर पेरेंट्स 2 से 5 मिनट तक इस ओर ध्यान ना दें तो देखेंगे कि बच्चा अपने आप सो गया है। हालांकि ये 2 से 5 मिनट का वक्त किसी भी पेरेंट्स के लिए आसान नहीं होता है। इसलिए आप घबराएं नहीं और तकरीबन 1 हफ्ते में बच्चा ठीक से सोना शुरू कर देगा। 

    ये चार तरीके शिशु को रात भर सोने में मददगार हो सकते हैं, जो शिशु के साथ-साथ पेरेंट्स के लिए भी लाभकारी हो सकते हैं। 

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    शिशु की रात की नींद किन कारणों से पूरी नहीं हो सकती है? (Cause of sleepless night for babies) 

    शिशु की रात की नींद (Babies Night Sleep)

    शिशु की रात की नींद (Babies Night Sleep) पूरी नहीं होना या रात के वक्त नींद टूटने के कई कारण हो सकते हैं, जो इस प्रकार हैं- 

    • शिशु को भूख लगना, क्योंकि लगभग ढ़ाई से तीन घंटे के बाद शिशु को फिर से भूख लग सकती है। 
    • शिशु अपनी गीली नैपी की वजह से भी रात को कई बार जाग जाता है या रोने लगता है। 
    • अत्यधिक गर्म मौसम या ठंड की वजह से भी शिशु की नींद टूट सकती है।  
    • आसपास शोर जैसे टीवी या म्यूजिक सिस्टम ऑन होना या कमरे की लाइट ऑन होने की वजह से शिशु की नींद टूट जाती है। 
    • कभी-कभी सांस लेने में परेशानी या किसी बीमारी की वजह से भी शिशु ठीक से नहीं सो पाता है। 

    इन कारणों की वजह से शिशु की नींद टूट जाती है और फिर से सोने में बच्चे को कठिनाई हो सकती है। 

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    शिशु की रात की नींद पूरी हो, इसके लिए क्या करें?  (Tips for Babies healthy sleep) 

    शिशु की रात की नींद पूरी हो इसलिए दिन और रात की एक्टिविटी में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें। जैसे:

    दिन के दौरान (During Day)-

    • कमरे में सूर्य की रोशनी आने दें। 
    • शिशु को दूध पिलाने के दौरान बात करें। 
    • बच्चे के साथ खेलें। 
    • दिन के दौरान टीवी, म्यूजिक सिस्टम चलाएं, आपसी बातचीत करें और चिड़ियों की आवाज आने दें।  
    • घर में अगर छोटे बच्चे हैं, तो उनेक साथ शिशु को खेलने दें। 

    रात के दौरान (During Night)-

    • साथ-साढ़े सात के बाद शिशु को फीड करवाएं और उनकी मालिश करें। इस दौरान उनसे ज्यादा बात ना करें। 
    • शोर ना करें और शिशु के सोने वाले कमरे की लाइट कम कर दें। आप नाइट बल्ब ऑन कर सकती हैं। 
    • शिशु का ध्यान इधर उधर ना भटकायें। 

    इन छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखकर शिशु की रात की नींद पूरी की जा सकती है, जिससे शिशु को शारीरिक एवं मानसिक लाभ मिलेगा। 

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    शिशु के लिए अच्छी नींद के फायदे क्या हैं? (Benefits of Sleep)

    शिशु के लिए अच्छी नींद के फायदे निम्नलिखित हैं-

    • शिशु के शारीरिक विकास एवं मस्तिष्क विकास में मिलता है लाभ।
    • ध्यान केंद्रित करने की बढ़ती है क्षमता।
    • बच्चे को हृदय को हेल्दी रखने में मदद मिलती है।

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    शिशु या बच्चे के सोने के दौरान किन-किन बातों का ध्यान रखें?

    शिशु या बच्चे के सोने के दौरान निम्नलिखित टिप्स फॉलो करें। जैसे:

    • शिशु को पीठ के बल ही सुलाएं।
    • बच्चे के बिस्तर के किनारे ना सुलाएं और बच्चे के चारो ओर से तकिये को लगाएं।
    • शिशु की अच्छी नींद के लिए कुछ देर तक मां को साथ सोना चाहिए।
    • बच्चे को अच्छी तरह से फीड करवाएं।

    अगर आप शिशु की रात की नींद (Babies Night Sleep), ब्रेस्टफीडिंग (Breastfeeding) या डायट (Diet) से जुड़े किसी भी सवाल का जवाब जानना चाहती हैं, तो आप हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर पूछ सकती हैं। हालांकि शिशु की रात की नींद (Babies Night Sleep) से जुड़ी कोई परेशानी या बच्चा ठीक से नहीं सो पाता है, तो डॉक्टर से कंसल्टेशन करना आवश्यक है। डॉक्टर शिशु के हेल्थ कंडिशन मॉनिटर कर दवा में अन्य सलाह दे सकते हैं।

    बच्चों के विकास के साथ-साथ मां को अपना ख्याल रखना भी जरूरी है। नीचे दिए इस वीडियो लिंक पर क्लिक कर एक्सपर्ट से जानें न्यू मॉम अपना ध्यान कैसे रख सकती हैं और यह उनके लिए क्यों जरूरी है।

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