विकास और व्यवहार
मेरे 18 सप्ताह के शिशु का विकास कैसा होना चाहिए?
अब आपका शिशु 18 सप्ताह यानी चार महीने का हो गया है। 18 सप्ताह के शिशु अकेले में और अपने आस-पास की चीजों से खेलना शुरू कर देते हैं। कई बार आप 18 सप्ताह के शिशु को अकेले में अपने हाथों और पैरों के साथ खेलते हुए भी देख सकते हैं। साथ ही, पास में मौजूद चीजों की तरफ उनका ध्यान भी सबसे अधिक जाता है जिसे वे पकड़ने की भी कोशिश करते रहते हैं। इसके अलावा, बच्चे सुनाई देने वाली आवाजों पर अपनी प्रक्रिया भी जाहिर करने का प्रयास कर सकता है और वह आपसे बात करने का भी प्रयास करता हुआ दिखाई दे सकता है। इन दिनों आपको यह भी महसूस होगा कि आपका शिशु, जो अब तक पूरी तरह से आप पर निर्भर था, अब वह अकेले खुद के साथ भी खेल सकता है। इसके अलावा, कुछ अन्य बदलाव भी आपको अपने शिशु में देखने को मिलेंगे।
- जब वह ऊपर उठने की कोशिश करते हैं, तो अपना सिर सीधा रख सकते हैं।
- लेटे हुए हाथ के बल अपने सीने को ऊपर उठा सकते हैं।
- खिलौने या वस्तु हाथ में पकड़ सकते हैं।
- एक ही समय पर हाथ और पैरों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
- वह अकेले में खुद के साथ खेलते हैं।
- जब तक उनका मन न भरें वे एक ही चीज को बार—बार दोहराते रहते हैं।
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मुझे 18 सप्ताह के शिशु के विकास के लिए क्या करना चाहिए?
आप कई तरह से अपने शिशु के विकास में सहायता कर सकती हैं। आप उसके साथ खेल सकती हैं। ऐसे कई खेल हैं जो शिशु खेलना पसंद करते हैं, उसमें से एक शिशुओं का सबसे पसंदीदा खेल “पिकाबू’ है। वैसे तो यह खेल सभी ने अपने बचपन में खेला होगा, लेकिन आपको याद न हो, तो हम बता देते हैं कि इस खेल में आप अपने चेहरे को दोनों हाथों से छुपा लें और फिर अचानक अपने चेहरे से हाथ हटा लें। शिशु यह खेल बार-बार खेलना चाहेगा।
इसके अलावा अपने शिशु के हाथ में अलग-अलग रंग और आकार की वस्तुएं दें। यह आपके शिशु के अंदर चीजों को पहचानने की समझ विकसित होगी।
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डॉक्टर की सलाह
18 सप्ताह के शिशु: मुझे अपने डॉक्टर से क्या बात करनी चाहिए?
आपके शिशु के सेहत के अनुसार डॉक्टर कुछ चीजें कर सकते हैं, जैसे कि—
- शिशु की शारीरिक क्षमता की जांच कर सकते हैं।
- डॉक्टर शिशु की कुछ गतिविधियों का निरीक्षण कर सकते हैं जैसे कि उसके अपने सिर को संभालने की क्षमता, वह अपने हाथों का कैसे इस्तेमाल करता, वह कैसे देखता है और सुनता है इत्यादि।
मुझे किन बातों की जानकारी होनी चाहिए?
यहां कुछ चीजें हैं जिनकी जानकारी आपको होनी चाहिए, जैसे कि-
कंजंक्टिवाइटिस
आंख आना यानी कंजंक्टिवाइटिस बच्चों में काफी आम बीमारी है। इसमें बैक्टीरिया, वायरस या एलर्जी के कारण आंखों में सूजन हो जाती है और आंखे लाल हो जाती हैं। आंखो से पानी भी आता रहता है और जब शिशु सुबह सोकर उठता है, तो उसे आंखें खोलने में दिक्कत आती है। ऐसा होने पर अपने शिशु को तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं। ऐसा होने पर अपने शिशु को तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं।
कंजंक्टिवाइटिस एक फैलने वाला संक्रमण है। इसलिए आपको सावधान रहने की आवश्यकता होती है, वरना यह शिशु से आप में भी फैल सकती है। शिशु की आंखे साफ करने के बाद आपको तुरंत अपने हाथ धोने चाहिए। अपने शिशु को ज्यादा देर बाहर न निकलने दें। इसके अलावा शिशु के कपड़े, तौलिया इत्यादि गर्म पानी में धोएं ताकि उनके कीटाणू मर जाएं।
अगर आपके शिशु में कंजंक्टिवाइटिस का कारण बैक्टीरिया है, तो आपके डॉक्टर शिशु के लिए कुछ एंटी बायोटिक लिख कर दे सकते हैं। अगर इसका कारण संक्रमण है और उसके साथ आपके शिशु में सर्दी और खांसी के लक्षण भी दिखाई देते हैं, तो आपका डॉक्टर रोजाना पानी से शिशु के शरीर की साफ़ सफाई करने की सलाह दे सकते हैं, खासकर के उसकी आंखो की। यदि इसका कारण एलर्जी है, तो डॉक्टर इसकी वजह जानकार उस पर उपाय बता सकते हैं।
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18 सप्ताह के शिशु: कम वजन होना
अगर आपके 18 सप्ताह के शिशु का वजन कम है, तो आपको शिशु के विकास का जायजा लेना चाहिए। ऐसी कई चीजे हैं, जिनका असर शिशु के वजन या पूर्ण विकास पर पड़ सकता है, जैसे कि माता-पिता दोनों का ही वजन कम है, तो वैज्ञानिक तौर पर शिशु के भी कमजोर रहने की संभावना ज्यादा होती है। शिशु का अति सक्रिय होना या अपूर्ण आहार लेना भी कमजोरी के कारण हो सकते हैं।
हर माता-पिता चाहते हैं कि उनके शिशु का विकास बढ़िया तरीके से हो, साथ ही वह सेहतमंद भी रहे। यही कारण है कि कई माता-पिता शिशु के शुरूआती समय में फैट और कैलोरी की मात्रा को प्रतिबंधित कर देते हैं, जोकि शिशु के विकास के लिए सही नहीं है। शिशु के विकास के प्रारंभिक चरण में उसे हर पोषक तत्व की आवश्यकता होती है और इस समय में किसी भी पोषक तत्व को प्रतिबंधित करना मतलब शिशु के विकास में बाधा डालने की तरह है। इसके अलावा आप आपके डॉक्टर से भी इस बारे में सलाह ला सकते हैं।
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महत्वपूर्ण बातें
18 सप्ताह के शिशु: मुझे किन बातों का ख्याल रखना चाहिए?
क्या आपका शिशु अभी भी पेसिफायर का इस्तेमाल करता है?
अंगूठा चूसना
सामान्य तौर पर लगभग कई शिशुओं में अंगूठा चूसने की आदत होती है। यह आदत उन्हें जन्म के शुरुआती दिनों से ही होती है। पहली बार शिशु यूं ही अंगूठे के अपने मुंह में डाल लेता है। लेकिन धीरे-धीरे यह उसकी आदत बन जाती है। शायद हो सकता है उस समय आपको आपका शिशु अंगूठा चूसते हुए बड़ा ही प्यारा लगे, लेकिन यही आदत बाद में आपके लिए समस्या बन सकती है। आप शिशु की धीरे-धीरे यह आदत छुड़ाने की कोशिश करें। इस दौरान शिशु से जबरदस्ती न करें क्योंकि, कई शोध यह बताते हैं कि शिशु चार से सात साल की उम्र तक यह आदत अपने आप छोड़ देते हैं। तो आपको सही समय का इंतजार करना चाहिए। बच्चे के साथ ज्यादा जोर जबरदस्ती आपके उसके मानसिक सेहत पर बुरा असर डाल सकती है।
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