विकास और व्यवहार
मेरे 9 सप्ताह के शिशु का विकास कैसा होना चाहिए?
अब आपका शिशु नौ सप्ताह का हो चुका है। इस चरण में शिशु में आपको कई तरह के विकास देखने को मिलेंगे, जैसे कि वे परिचित और गैर-परिचित लोगों की आवाजों के बीच अंतर कर सकते हैं। शायद आप गौर कर पाएंगी कि आपका शिशु नई आवाजों को काफी गौर से सुनने की कोशिश करता होगा। इसी के साथ उसके चेहरे के हावभाव और प्रतिक्रियाएं भी बदलती होंगी।
इसलिए आप अपने शिशु से अधिक से अधिक बात करने की कोशिश करें। इससे उनमें नई समझ विकसित होगी। बात करने के दौरान शिशु के हावभाव में भी बदलाव आते हैं, जैसे कि जब कभी वे आपका चेहरा देखेगा तो कभी हंसकर अपनी प्रतिक्रिया देगा। आप समय—समय पर उनसे मनोरंजक संवाद करने के लिए संगीत, विभिन्न आवाजों का प्रयोग कर सकती हैं।
दूसरे महीने के पहले सप्ताह में, आपको अपने शिशु में कुछ बदलाव देख सकते हैं, जैसे कि:
- आपके मुस्कुराने का जवाब वह अपनी मुस्कुराहट से देते हैं।
- वह परिचित और अपरिचित आवाजों के बीच अंतर कर पाते हैं।
- जिस दिशा से आवाज आ रही है, उस ओर देखने की कोशिश करते हैं।
- कई शिशु आवाजों पर अलग—अलग तरीके से प्रतिक्रिया देते हैं, जैसे कि घूरना, रोना या चुप रहना।
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मुझे 9 सप्ताह के शिशु के विकास के लिए क्या करना चाहिए?
आप अपने शिशु से बात करने की कोशिश करें, ऐसा करना कई बार खुद से बात करने के जैसा भी प्रतीत हो सकता है। लेकिन, यकीन मानिए यह आपके शिशु में समझ निर्माण करने के लिए एक बड़ा महत्वपूर्ण कदम है। आपका शिशु आपके चेहरे को देखकर आपके हावभावों को समझने की कोशिश करता है। वह आपकी आवाज के भावों को समझता है और उसकी प्रतिक्रिया में वह कुछ आवाजें निकालता है या हंस सकता है।
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स्वास्थ्य और सुरक्षा
मुझे अपने डॉक्टर से क्या बात करनी चाहिए?
शिशु की स्थिति के आधार पर आप डॉक्टर से सलाह करें, लेकिन, आप निम्नलिखित विषयों पर अपने डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं, जैसे कि:
- आपके डॉक्टर शिशु की लंबाई, वजन और सिर की लंबाई का मूल्यांकन कर सकते हैं, यह जानने के लिए कि शिशु का विकास सही से हो रहा है या नहीं।
- डॉक्टर शिशु की दृष्टि, श्रवण, हृदय और फेफड़ों की जांच कर सकते हैं।
- अपने शिशु को कुछ टीके लगवाएं: हेपेटाइटिस बी, पोलियो; डिप्थीरिया, टेटनस और पर्टुसिस, हेपेटाइटिस, न्यूमोकोकल, कान में संक्रमण और मेनिन्जाइटिस; रोटावायरस (मौखिक जोखिम) के कारण होने वाले दस्त सामान्य कारणों से गंभीर दस्त को रोकते हैं।
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मुझ किन बातों की जानकारी होनी चाहिए?
यहां कुछ चीजें हैं जिनके बारे में आपको पता होना चाहिए:
टीकाकरण
कई अभिभावकों में टीकाकरण को लेकर कई भ्रम होते हैं। ज्यादातर माता-पिता ने टीकाकरण के फायदे से ज्यादा नुकसान के बारे में ही सुना होगा। लेकिन कई डॉक्टरों ने इस बात की पुष्टि की है कि टीकाकरण आपके शिशु को कई घातक बीमारियों से बचाता है।
शिशु में लगाए जाने वाले टीका हमारे बीमारियों से लड़ने के साथ हमारे शरीर एंटीबॉडी का निर्माण करते हैं। इसका मतलब ये है कि आपके शरीर में इस बीमारी के कीटाणुओं से लड़ने की शक्ति मिलती है और भविष्य में आप इन कीटाणुओं का सामना आसानी से कर सकते हैं।
यह सच है कि टीकाकरण से कई शिशुओं की जान बचाई जा चुकी है, लेकिन कई बार कुछ शिशुओं में इसके कुछ नुकसान भी देखे गए हैं, जैसे कि हल्का बुखार या कई बार कई गंभीर बीमारी की शक्ल भी ले सकता है। इस बात को नाकारा भी नहीं जा सकता कि टीकाकरण के कारण कुछ बच्चों की मौत भी हुई है। इसकी सावधानी के तौर पर आप कुछ उपाय अपना सकती हैं, जैसे;
- सुनिश्चित कर लें कि टीकाकरण से पहले डॉक्टर ने के स्वास्थ्य की अच्छी तरह से जांच कर ली हो, कहीं आपके बच्चे को पहले से कोई गंभीर बीमारी तो नहीं है। यदि
- बच्चा बीमार हो तो उस समय टीकाकरण न करें।
- जो वैक्सीन शिशु को दी जाने वाली है उसकी जानकारी पढ़ लें।
- टीकाकरण के 72 घंटो तक अपने शिशु पर खास ध्यान दें, किसी भी तरह का दुष्प्रभाव दिखाई देने पर तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
- अपने डॉक्टर से वैक्सीन और वैक्सीन बेंच के निर्माता का नाम पूछें। इस जानकारी की एक प्रति अपने पास रखें। आपका यह कदम वैक्सीन का दुष्प्रभाव होने पर
- तुरंत इलाज शुरू करने में सहायता कर सकता है।
- अगले टीकाकरण से पहले, चिकित्सकों को पिछले इंजेक्शन के शिशु पर हुए प्रभाव को याद दिलाएं ।
- यदि आपको टीकों की सुरक्षा के बारे में कोई चिंता है, तो सीधे डॉक्टर से बात करें।
वैसे तो ऐसे गंभीर मामले काफी कम देखे गए हैं, लेकिन अगर शिशु में निम्नलिखित लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
- यदि 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक बुखार हो,
- शिशु तीन घंटे से अधिक रोने लगे,
- इंजेक्शन के बाद सात दिनों के भीतर मिर्गी या असामान्य व्यवहार,
- एलर्जी (मुंह, चेहरे या गले की सूजन; सांस लेने में कठिनाई),
- ज्यादा सोना या फिर बेहद धीमी प्रक्रिया।
यदि टीकाकरण के बाद आपके बच्चे में इनमें से कोई भी लक्षण दिखे तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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महत्वपूर्ण बातें
मुझे किन बातों का ख्याल रखना चाहिए?
यहाँ कुछ चीजें हैं , जिनके बारे में आप चिंतित हो सकते हैं:
बोतल से दूध पिलाना
अगर आप कई बार व्यस्त हैं तो शिशु को बोतल से भी दूध पीने की आदत भी डाल सकती हैं। बोतल द्वारा दूध पीने से आपका शिशु स्तनपान की आदत नहीं छोड़ेगा। अगर आप कुछ दिनों के लिए शिशु को बोतल द्वारा दूध पिलाने का सोच रही हैं तो कुछ बोतल में ब्रैस्ट फीड दूध निकालकर फ्रिज में रख सकती हैं और यह कुछ आपके शिशु की जरूरतों को पूरा कर सकता है।
कुछ स्तनपान करने वाले शिशु आसानी से बोतल से पीना पसंद नहीं करते हैं, लेकिन कुछ शिशु इसे बहुत जल्दी अपना लेते हैं। इसलिए अपने शिशु को कम से कम सप्ताह में तीन बार स्तनपान जरूर कराएं ताकि उन्हें इसकी आदत रहे। क्योंकि कई बार ऐसा देखा गया है कि बोतल द्वारा दूध पीने वाले शिशु बाद में स्तनपान करने में नखरे करते हैं।
शिशु को पूरे पोषक तत्व देने का स्तनपान एक आसान और स्वस्थ तरीका है । स्तनपान के दौरान आपका शिशु अपनी जरूरत या भूख के अनुसार दूध पी लेता है, लेकिन बोतल के द्वारा दूध पिलाते समय आपके सामने एक समस्या यह भी होती है कि कितना दूध आपके शिशु को पिलाया जाए। इस बारे आप आपके डॉक्टर से सलाह कर सकते हैं, क्योंकि हर शिशु की पोषक तत्त्व की जरूरतें अलग हो सकती हैं।
अगर आप कामकाजी महिला हैं और शिशु को दूध पिलाने का समय नहीं निकाल पा रही हैं तो आप शिशु को बोतल द्वारा दूध भी पिला सकती हैं। लेकिन, याद रहे की काम पर लौटने से पहले आपको कम से कम दो सप्ताह पहले से शिशु को बोतल से दूध पिलाने की आदत डालनी होगी, ताकि आपका शिशु इस बदलाव को आसानी से अपना सके।
अगर आप कभी कभार शिशु को बोतल द्वारा दूध पिलाना चाहती हैं, तो अपने दोनों स्तनों से थोड़ा दूध निकाल आप बोतल में रख सकती हैं। इससे दूध का रिसाव जैसी समस्याओं से खुद को दूर रख सकती हैं।
शिशु की पहली हंसी
अगर आपका शिशु आपको देखकर हँसता नहीं है, तो इसमें चिंता करने जैसी कोई बात नहीं। क्योंकि कई बार शरारती से शरारती बच्चे भी शुरुवाती 6-7 सप्ताह तक मुस्कुराते नहीं हैं। और जब वह हंसना शुरू करते हैं तो कई बार वह वह यूं ही हँसते हैं। आप उनकी असली और नकली हंसी में फर्क उनके चेहरे के हावभाव देखकर कर सकती हैं। और कई बार आपको आपके शिशु को हंसाने के लिए कड़ी मेहनत भी करनी पढ़ती है जैसे कि उनके साथ खेलना, गुदगुदी करना इत्यादि।
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