जब महिला को प्रेग्नेंट होने की जानकारी मिलती है, तो वह अपने पेट में हाथ फिरा कर बच्चे का एहसास करने की कोशिश करती है। जब पहली बार मां को बच्चे की हार्टबीट सुनाई जाती है, तो उसकी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहता है। ऐसा आमतौर पर फर्स्ट ट्राइमेस्टर के दौरान होता है। प्रेग्नेंसी के फर्स्ट ट्राइमेस्टर के दौरान डॉक्टर सोनोग्राफी या अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह देते हैं। इस दौरान मां को बच्चे की हार्टबीट भी सुनवाई जाती है। यकीनन मां के लिए यह बहुत ही अच्छा एहसास होता है, जिसे बयां नहीं किया जा सकता है। लेकिन क्या आपको पता है कि प्रेग्नेंसी के महीनों के गुजरने के साथ ही बच्चों की हार्टबीट में भी परिवर्तन आता है। यानी बच्चे की हार्टबीट हमेशा एक जैसी नहीं रहती है। आइए जानते हैं बेबी की हार्टबीट (Your Baby’s Heartbeat) के बारे में अहम जानकारी।
और पढ़ें: First Bath: बेबी की पहली बाथ के दौरान किन बातों का रखा जाता है ख्याल?
बेबी की हार्टबीट (Your Baby’s Heartbeat) कब सुन सकते हैं?
पहली बार मां बनने वाली महिलाओं को इस बात की बहुत जल्दबाजी होती है कि उन्हें जल्द से जल्द बच्चे की हार्टबीट सुनाई दे। हम आपको बताते चलें कि बच्चे की पहली हार्टबीट दसवें सप्ताह के आसपास सुनाई दे जाती है लेकिन कुछ बच्चों में यह कुछ देर से भी सुनाई दे सकती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कई बार डॉप्लर की हेल्प से 10 वें सप्ताह में हार्टबीट कैच नहीं हो पाती है। ऐसा कई कारणों से हो सकता है लेकिन आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि जब आपको डॉक्टर अगली विजिट के लिए बुलाएंगे, तब आपको वह पूरी तरह से चेक करेंगे और साथ ही बच्चे की हार्ट बीट भी सुनाएंगे, इसलिए आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है।
6 सप्ताह में आपका शिशु की हार्टबीट 1 मिनट में 110 बीट होती है। वहीं अगले 2 सप्ताह बाद 150 से 170 बीट तक पहुंच जाती है। यानी कि यह लगभग 2 गुना तेजी से धड़कने लगता है। 9 से 10 सप्ताह तक आपके बच्चे का दिल 170 बीट प्रति मिनट धड़कता है। इसके बाद 20 सप्ताह में यह घटकर 140 बीट प्रति मिनट हो जाता है। आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि बच्चे के दिल की धड़कन में वेरिएशन यानी कि बदलाव होता रहता है। यह कम या फिर ज्यादा होता है, जो कि सामान्य है। वहीं डिलिवरी के दौरान बच्चे के दिल की गति 110 से 160 बीट प्रति मिनट तक हो सकती है। अगर हार्टबीट इससे कुछ ज्यादा या कुछ धीमी हो जाती है, तो इसे सामान्य ही माना जाता है। आपको इस बारे में डॉक्टर से अधिक जानकारी लेनी चाहिए।
और पढ़ें: Best Baby Mittens: बेबी मिटन्स के कितने होते हैं प्रकार, जानिए बेबी मिटन्स के बारे में!
फीटल डॉप्लर (Doppler) कैसे करता है काम?
डॉक्टर फीटल डॉप्लर की मदद से बेबी की हार्टबीट (Your Baby’s Heartbeat) को चेक करते है। यह एक तरह से अल्ट्रासाउंड है, जिसे छोटी डिवाइस की मदद से बच्चे की हार्ट बीट को नापा जाता है। फीटल डॉप्लर की मदद से 10 से 12 सप्ताह के भीतर महिला के पेट में डिवाइस को लगाकर बच्चे की हार्टबीट की जांच की जा सकती है। वैसे तो यह काम अल्ट्रासाउंड के दौरान भी हो जाता है लेकिन जब आप डॉक्टर के पास पहली बार चेकअप के लिए जाएंगे, तो हो सकता है कि वह आपको फीटल डॉप्लर की मदद से बच्चे की हार्ट बीट सुनाएं। वहीं कुछ डॉक्टर सेकंड ट्राइमेस्टर के दौरान इसका इस्तेमाल करते हैं।
आप फीटल डॉप्लर से ही नहीं बल्कि स्टेथोस्कोप की मदद से बच्चे के हार्टबीट सुन सकते हैं। गर्भावस्था के लगभग 20वें सप्ताह तक, आप बच्चे के दिल की धड़कन को स्टेथोस्कोप से सुन सकते हैं। डॉप्लर द्वारा इसका पता लगाने के लगभग आठ से 10 सप्ताह बाद स्टेथोस्कोप का इस्तेमाल किया जा सकता है।
जब भ्रूण का विकास शुरू होता है, तो फीटल हार्ट का डेवलपमेंट जल्दी स्टार्ट हो जाता है। जब बच्चा गर्भ से बाहर आता है, तो उसकी हार्टबीट में परिवर्तन भी होता है। गर्भ के अंदर की दुनिया और गर्भ के बाहर की दुनिया बहुत अलग होती है और शरीर भी उसी के अनुसार खुद को परिवर्तित कर देता है।
और पढ़ें: Best Baby Swings: जानिए बेस्ट बेबी स्विंग और बेबी झूला खरीदने के लिए टिप्स!
बेबी की हार्टबीट (Your Baby’s Heartbeat) : पहले ट्राइमेस्टर के दौरान बच्चे की हार्टबीट
एंब्रियो यानी कि भ्रूण के विकास के चौथे सप्ताह के दौरान ब्लड वेसल्स यानी कि रक्त वाहिकाएं बनना शुरू हो जाती हैं जोकि हार्ट का निर्माण करती है। करीब 5 सप्ताह में बच्चे की हार्ट बीट शुरू हो जाती है। इस दौरान यह ट्यूब जैसी संरचना दिखाई देती है, जो बाद में हार्ट और वॉल्व को बनाने का काम करती है। 6वें सप्ताह के दौरान बच्चे के दिल में चेंबर बन जाते हैं, जो कि 12 सप्ताह तक जारी रहते है। अब बेबी के बोन मैरो से ब्लड सेल्स बनना शुरू हो जाते हैं।
बेबी की हार्टबीट (Your Baby’s Heartbeat) : दूसरे ट्राइमेस्टर में बच्चे की हार्टबीट
दूसरे ट्राइमेस्टर के दौरान हार्ट का तेजी से विकास हो चुका होता है। इस दौरान भ्रूण का ब्रेन हार्टबीट को कंट्रोल करना शुरू कर देता है। इस दौरान छोटी-छोटी ब्लड वेसल्स बच्चे के शरीर को ऑक्सीजन युक्त ब्लड पहुंचाने का काम करती हैं। दूसरी तिमाही के दौरान अल्ट्रासाउंड में बच्चे के दिल की संरचना को देखा जाता है। गर्भावस्था के 18 से 24 सप्ताह के दौरान भ्रूण के हार्ट की इकोकार्डियोग्राम की मदद से जांच करने की सलाह दी जाती है। अगर आपकी फैमिली में जन्मजात हृदय दोष की हिस्ट्री रही है, तो उसका असर बच्चे के दिल में हुआ है या नहीं, इस बारे में भी जानकारी मिल जाती है।
तीसरे ट्राइमेस्टर के दौरान सर्कुलेटरी सिस्टम धीमे-धीमे ग्रो करने लगता है। इस तरह से 40 सप्ताह तक ये पूरी तरह से तैयार हो जाता है ताकि वॉम्ब के बाहर निकलर ये ठीक तरह से काम करने लगे।
और पढ़ें: Tummy Time: आप बेबी का टमी टाइम इग्नोर तो नहीं कर रहीं? जानिए क्यों है जरूरी टमी टाइम!
जब बच्चा पैदा होता है, तो उसके अंदर काफी बदलाव आते हैं। जब अम्बलिकल कॉर्ड को कट किया जाता है, तो बच्चे के फेफड़े काम करना शुरू कर देते हैं। यानी कि जब आप प्रेग्नेंसी टेस्ट करते हैं, तब बच्चे का दिल बनना शुरू हो जाता है और धीरे-धीरे उसका विकास होता रहता है। एक बात का ध्यान रखिए कि बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य के लिए आपको हेल्दी लाइफस्टाइल अपनानी चाहिए और साथ ही उन सभी चीजों से दूरी बना लेनी चाहिए, जो आपके स्वास्थ्य के साथ-साथ आपके बच्चे के स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।
और पढ़ें: बेस्ट बेबी कैरियर्स : मां और बच्चे दोनों का काम बना देते हैं आसान!
इस आर्टिकल में हमने आपको बेबी की हार्टबीट (Your Baby’s Heartbeat) की समस्या से संबंधित जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की ओर से दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।
[embed-health-tool-vaccination-tool]