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Cluster feeding: क्लस्टर फीडिंग को कैसे किया जाए मैनेज? जानिए यहां

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 22/12/2021

    Cluster feeding: क्लस्टर फीडिंग को कैसे किया जाए मैनेज? जानिए यहां

    मां बनने के बाद एक मां के लिए नवजात शिशु को स्तनपान कराना किसी चुनौती से कम नहीं होता है। अगर बच्चा सही से दूध नहीं पीता है या फिर दूध पीने के बाद भी रोता है, तो मां के मन में एक साथ कई सवाल आते हैं। बच्चे आमतौर पर पेट भरने पर दूध पीना छोड़ देते हैं और फिर भूख लगने पर दूध पीने लगते हैं। जब बच्चे एक ही घंटे में कई बार दूध पिएं, तो इस स्थिति को क्लस्टर फीडिंग (Cluster feeding) के नाम से जाना जाता है। क्लस्टर फीडिंग (Cluster feeding) शिशु का सामान्य व्यवहार होता है, जो मुख्य रूप से जन्म के पहले कुछ हफ्तों में नवजात शिशुओं को स्तनपान कराने के दौरान देखने को मिलता है। अगर आपके साथ ही ऐसा हो रहा है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि आपके बच्चे या आपके मिल्क सप्लाई में कुछ गड़बड़ है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको क्लस्टर फीडिंग (Cluster feeding) से जुड़ी कुछ अहम बातों के बारे में जानकारी देंगे।

    नवजात शिशुओं में अक्सर क्लस्टर फीडिंग (Cluster feeding) के बारे में जानकारी नहीं मिल पाती है। इसका मुख्य कारण ये होता है कि नवजात शिशुओं के सोने, जागने या फिर ब्रेस्टफीडिंग करने का कोई निश्चित समय नहीं होता है। आपके मन में अब ये सवाल होगा कि आखिर बच्चे किस उम्र में क्लस्टर फीडिंग (Cluster feeding) कर सकते हैं। यहां हम आपको कुछ पॉइंट के माध्यम से इस बात को समझाने की कोशिश करेंगे।

    • नवजात शिशु पैदा होने के एक सप्ताह बाद तक भी क्लस्टर फीडिंग (Cluster feeding) कर सकते है।
    • बच्चे दूध पीने के बाद भी अगर रो रहे हैं, तो समझ जाएं कि उन्हें भूख लग रही है।
    • क्लस्टर फीडिंग (Cluster feeding) के दौरान नवजात को बार-बार भूख का एहसास होता है और उन्हें शॉर्ट सेशन में भूख लगती है।
    • ऐसे बच्चों के डायपर (Diaper) भी जल्दी गंदे होते हैं।
    • शाम के समय क्लस्टर फीडिंग (Cluster feeding) आम हो सकती है।
    • नवजात को दिन में कभी भी कई बार भूख का एहसास हो सकता है।
    • क्लस्टर फीडिंग (Cluster feeding) को ग्रोथ से जोड़ कर देखा जा सकता है।

    अगर आपके नवजात में भी दिए गए लक्षण दिख रहे हैं, तो आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। आप चाहे तो इस बारे में डॉक्टर से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

    सभी नवजात बच्चे एक जैसे नहीं होते हैं। यानी सभी बच्चों का फीडिंग टाइम एक जैसा नहीं होता है। कुछ नवजात का फीडिंग सेशन 10 मिनट का होता है तो कुछ का 30 मिनट तक। एक्सपर्ट का मानना है कि नवजात शिशु को 24 घंटे में आठ से 12 बार ब्रेस्टफीडिंग करानी चाहिए। बच्चे को जब भूख लगती है, तो वो रोते हैं या फिर कुछ इशारा भी कर सकते हैं। अगर बच्चा जल्दी-जल्दी दूध पी रहा है, तो इसमें परेशान होने की जरूरत नहीं है। ऐसे में बेबी का विकास होता है और वो पीलिया (Jaundice) जैसी बीमारी से भी दूर रहते हैं। बच्चे के बार-बार दूध पीने से मां की मिल्क सप्लाई भी बढ़ जाती है।

    कुछ बच्चों को पेट की समस्या (Stomach problems) के कारण भी परेशानी हो सकती है और आपको ऐसा महसूस होगा कि बच्चे को बार-बार भूख लग रही है। क्लस्टर फीडिंग (Cluster feeding) बच्चों में क्यों होती है, इस बारे में सही से जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन इस संबंध में बहुत से थ्योरीज हैं, जिसे प्रूव नहीं किया जा सका है। द हैप्पी स्लीपर के सायकोथेरेपिस्ट का मानना है कि क्लस्टर फीडिंग (Cluster feeding) वो बच्चे कर सकते हैं, जिनका नर्वस सिस्टम मैच्योर हो रहा हो। मॉम के लिए क्लस्टर फीडिंग थकाने वाली हो सकती है। बार-बार बच्चे को दूध पिलाने से मां को थकान का एहसास होता है और साथ ही लंबे समय बैठे रहने से पीठ दर्द (Back pain) का सामना भी करना पड़ सकता है। क्लस्टर फीडिंग (Cluster feeding) कई शिशुओं के विकास का एक सामान्य हिस्सा हो सकती है।

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    क्या क्लस्टर फीडिंग (Cluster feeding) जुड़ा है लो मिल्क सप्लाई से?

    न्यू मॉम के मन में ये सवाल आ सकता है कि बच्चा बार-बार दूध पीने के लिए रो रहा है, तो कहीं ऐसा तो नहीं है कि मिल्क की सप्लाई कम हो रही है? मिल्क की सप्लाई के बारे में आप बच्चे के डायपर गीला होने से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। न्यूबॉर्न बेबी (New born baby) शुरुआत के दिनों में दिन में एक से दो बार डायपर गीला करता है, जबकि पांच से सात दिन बाद दिन में छह से आठ बार डायपर गीला करता है। एक से दो महीने का बच्चा दिन में चार से छह बार डायपर गीला कर सकता है। आपको समय-समय पर बच्चे का वजन भी चेक कराना चाहिए। आप चाहे तो इस संबंध में लैक्टेशन कंसल्टेंट (Lactation consultant) से भी बात कर सकते हैं।

    क्लस्टर फीडिंग (Cluster feeding) को कैसे करें मैनेज?

    क्लस्टर फीडिंग (Cluster feeding) को मैनेज करने के लिए मां को हमेशा पानी पीने के साथी हेल्दी स्नैक्स खाने चाहिए। स्तनपान कराते समय आपको पॉजिशन भी बदलनी चाहिए, ताकि आपको समस्या महसूस न हो। अगर आपको उस समय का इस्तेमाल भी करना है, तो आप आराम से फ्लोर में बैठकर ऐसे समय में बुक रीडिंग (Book reading) भी कर सकते हैं। अगर आपको पता है कि बच्चे को कब बार-बार भूख लगेगी, तो आपको पहले से ही ऐसे समय के लिए तैयार हो जाना चाहिए। आप चाहे तो फीडिंग कराने के दौरान अपने पार्टनर से फोन में बात भी कर सकती हैं।

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    अगर बच्चा भूख लगने पर बहुत परेशान करता है, तो आपको कुछ ट्रिक्स अपनाने की जरूर है। आपको बच्चे को कुछ गुनगुनाने की जरूरत है या फिर आप ऐसे समय के लिए पहले से ही दूध तैयार कर सकती हैं। आप चाहे तो ब्रेस्टमिल्क पंप का इस्तेमाल कर सकती हैं, ताकि बच्चा आपको परेशान न करें। आपको इन सब बातों का ध्यान रखने के साथ ही बेबी को समय-समय पर चेकअप कराने की भी जरूरत है। डॉक्टर बच्चे का वेट यानी वजन चेक करके ये जानने की कोशिश करते हैं कि बच्चा सही से फीड कर रहा है या फिर नहीं। अगर बच्चे का वजन ठीक है, तो आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। क्लस्टर फीडिंग (Cluster feeding) को आप समस्या न मानकर नवजात बच्चे का बिहेवियर मान सकती हैं, जो कुछ दिनों बाद नॉर्मल हो जाता है। अगर आपको ठीक तरह से दूध नहीं बन रहा हो, तो आप इस संबंध में डॉक्टर को बता सकती हैं। डॉक्टर मिल्क सप्लाई ठीक से न होने पर कुछ सप्लिमेंट्स लेने की सलाह दे सकते हैं।

    हैलो हेल्थ किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार उपलब्ध नहीं कराता। इस आर्टिकल में हमने आपको क्लस्टर फीडिंग (Cluster feeding)  के संबंध में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको  हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।

    डिस्क्लेमर

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