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ब्रेस्टफीडिंग और एंटीबायोटिक्स : ब्रेस्टफीडिंग में एंटीबायोटिक्स लेना कितना है सुरक्षित?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


AnuSharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 21/12/2021

    ब्रेस्टफीडिंग और एंटीबायोटिक्स : ब्रेस्टफीडिंग में एंटीबायोटिक्स लेना कितना है सुरक्षित?

    प्रेग्नेंसी का समय हर महिला के लिए बेहद खास होता है। जिसमें उन्हें अतिरिक्त केयर के साथ ही ध्यान रखने की भी जरूरत होती है ताकि शिशु को कोई नुकसान न हो। लेकिन, प्रसव के बाद भी मां को कई चीजों का खास ख्याल रखना पड़ता है जैसे शिशु की देखभाल, ब्रेस्टफीडिंग, वैक्सीनेशन आदि। ब्रेस्टफीडिंग एक ऐसी चीज है जिसे लेकर मां का चिंता करना स्वभाविक है। क्योंकि, ब्रेस्टमिल्क के माध्यम से ही शिशु को सभी न्यूट्रिएंट्स मिलते हैं। लेकिन, आज हम बात करने वाले हैं ब्रेस्टफीडिंग और एंटीबायोटिक्स (Breastfeeding and Antibiotics) के बारे में। अगर आपके मन में भी एंटीबायोटिक और ब्रेस्टफीडिंग को लेकर कोई भी सवाल है, तो पाएं इनके जवाब इस लेख के माध्यम से। सबसे पहले जानते हैं एंटीबायोटिक्स से जुडी सेफ्टी के बारे में।

    क्या ब्रेस्टफीडिंग के दौरान एंटीबायोटिक्स लेना सुरक्षित है? (Antibiotics are Safe or not)

    लैक्टेशन पर एंटीबायोटिक का प्रभाव दवाई के प्रकार और डॉक्टर के द्वारा बताई गई इसकी स्ट्रेंथ पर निर्भर करती है। यही नहीं, बच्चे की सामान्य स्वास्थ्य स्थिति भी यह निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है कि उसका शरीर एंटीबायोटिक में मौजूद केमिकल्स पर कैसे रियेक्ट करेगा। लेकिन, अधिकांश एंटीबायोटिक्स को स्तनपान के दौरान भी मां द्वारा सेवन के लिए सुरक्षित माना जाता है और इसका बच्चे के स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है।

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    अधिकतर मामलों में मां और शिशु दोनों के लिए ब्रेस्टफीडिंग के दौरान एंटीबायोटिक का सेवन पूरी तरह से सुरक्षित होता है। ऐसा भी माना जाता है कि एंटीबायोटिक्स सबसे सामान्य मेडिकेशंस हैं, जिसकी सलाह डॉक्टर देते हैं और मां के दूध में भी इनकी कुछ मात्रा पास होती है। अधिकतर दवाईयों का शिशु को कोई हानि नहीं होती लेकिन इसमें कुछ अपवाद भी हो सकते हैं।

    एंटीबायोटिक्स और ब्रेस्टफीडिंग

    दवा के अलावा, एंटीबायोटिक मेडिकेशंस लेते हुए कुछ कारकों को भी ध्यान में रखना चाहिए जैसे आपके बच्चे की उम्र, स्वास्थ्य स्थिति आदि। एंटीबायोटिक दवाओं के संपर्क में आने पर बड़े बच्चों और टोडलर की तुलना में प्रीमच्योर बच्चों और नवजात शिशुओं के लिए अधिक जोखिम होगा। यदि आपका शिशु सुरक्षित रूप से एंटीबायोटिक ले सकता है, तो स्तनपान के दौरान इसे लेने में कोई रिस्क नहीं है। लेकिंग, अगर आपको कोई ऐसी एंटीबायोटिक लेने कि सलाह दी जाती है, आपके शिशु के लिए सुरक्षित नहीं है। तो आपको सबसे पहले खुद यह निर्धारित करना चाहिए कि यह दवाईयां लेना आपके लिए कितनी महत्वपूर्ण हैं? जानिए क्या एंटीबायोटिक्स ब्रेस्टमिल्क में पास होती हैं या नहीं?

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    क्या एंटीबायोटिक्स ब्रेस्टमिल्क से पास होती हैं? (Antibiotics pass into Breastmilk)

    जो कुछ भी मां खाती या पीती है, वो शिशु तक ब्रेस्टफीडिंग के माध्यम से पहुंचता है और यही कारण है कि मां के लिए हेल्दी डायट लेना बहुत जरुरी है। ऐसा आहार जो बैलंस्ड और जरूरी न्यूट्रिशंस का मिश्रण हो। ब्रेस्टफीडिंग और एंटीबायोटिक्स (Breastfeeding and Antibiotics) दोनों एक दूसरे में जुड़े हुए हैं ।जैसे ब्रेस्ट खून से न्यूट्रिशन लेती है, एंटीबायोटिक्स में इतनी क्षमता होती हैं कि वो ब्रेस्ट मिल्क से पास हो सके। एंटीबायोटिक्स की मात्रा जो ब्रेस्टमिल्क से पास होती है, वो इसकी डोज की फ्रीक्वेंसी और एंटीबायोटिक कंपाउंड की कंसंट्रेशन पर निर्भर करती है।

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    एंटीबायोटिक्स लेते हुए मां के लिए क्या जानना जरुरी है (About Antibiotics)

    ब्रेस्टफीडिंग कराते हुए अक्सर मां को खानपान संबंधी कई नसीहते दी जाती हैं जैसे उसे इस चीज को नहीं खाना चाहिए और इस चीज का सेवन करना चाहिए। उन्हीं में से एक हैं एंटीबायोटिक्स और अन्य दवाईयां। हालांकि, मां के मन में भी कई सवाल आते हैं। ऐसी ही कुछ बातें इस प्रकार हैं जिनके बारे में हर मां को जानकारी होनी चाहिए, जैसे:

    • एंटीबायोटिक्स की वजह से आपके शिशु के मल में बदलाव आ सकते हैं। अगर आप अपने शिशु के मल में बदलाव नोटिस करती हैं, तो समझ जाएं कि यह एंटीबायोटिक्स की वजह से है।
    • ब्रेस्टफीडिंग कराते हुए अगर आप एंटीबायोटिक्स लेती हैं तो आप ऐसा महसूस कर सकती हैं कि आपका शिशु अधिक चिड़चिड़ा हो गया है या उसके पेट में दर्द है।
    • एंटीबायोटिक्स स्मॉल इंटेंस्टाइन में नेचुरल बैक्टीरिया फ़्लोरा (Natural Bacteria Flora) की डेंसिटी को प्रभावित कर सकते हैं। शिशुओं में “अच्छे बैक्टीरिया’ की अविकसित मात्रा होती हैं। ऐसे में एंटीबायोटिक्स इंटेस्टाइन में मौजूदा बैक्टीरिया को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे शिशु को पेट संबंधित समस्याएं जैसे दस्त भी हो सकते हैं। अब जानिए ब्रेस्टफीडिंग और एंटीबायोटिक्स (Breastfeeding and Antibiotics) में  कौन से एंटीबायोटिक्स लेना सुरक्षित होते हैं?

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    कौन से एंटीबायोटिक्स सुरक्षित होते हैं? (Which Antibiotics are Safe)

    ब्रेस्टफीडिंग और एंटीबायोटिक्स (Breastfeeding and Antibiotics ) के मुद्दे पर आपके मन में यह सवाल भी आ सकता है कि इस दौरान कौन से एंटीबायोटिक्स सुरक्षित होते हैं? इस सवाल का उत्तर शिशु के वजन, उम्र और संपूर्ण हेल्थ पर निर्भर करता है और इसके लिए आपको अपने डॉक्टर से भी सलाह लेनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि कई एंटीबायोटिक्स हैं जो ब्रेस्टफीडिंग महिलाओं के लिए पूरी तरह से सुरक्षित हैं जैसे:

    नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन (National Library of Medicine) के अनुसार शिशु के जन्म के कुछ दिनों तक शिशु बेहद नाजुक होता है। इस दौरान उसका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है और जरूरी ऑर्गन अभी बन रहे होते हैं। ऐसे में किसी भी चीज का सेवन करने खासतौर पर एंटीबायोटिक्स को लेने से पहले खास ख्याल रखना जरूरी है। हो सके तो इस दौरान इन दवाईयों का सेवन करना नजरअंदाज करें। लेकिन ,अगर आप ऐसा नहीं कर सकती हैं तो डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही इन्हें लें। शिशु पर एंटीबायोटिक्स के प्रभाव को कम करने के लिए हेल्दी और न्युट्रिशयस फूड का सेवन भी जरूरी है। यदि आप एक एंटीबायोटिक लेने पर विचार कर रहे हैं जिनका नाम ऊपर दी लिस्ट में नहीं है, तो डॉक्टर से सलाह लेना बेहद जरूरी है।

    Antibiotics and Breastfeeding

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    शिशु पर एंटीबायोटिक्स के प्रभाव के बारे में जानने के लिए ध्यान में रखें इन फैक्टर्स को 

    शिशु पर एंटीबायोटिक्स का क्या प्रभाव पड़ता है। इसके बारे में जानने के लिए कुछ फैक्टर्स को ध्यान में रखना बेहद जरूरी है, जैसे:

    शिशु की उम्र और स्वास्थ्य (Age and Health of Baby)

    जो शिशु 2 महीने से कम उम्र के होते हैं, उन्हें एंटीबायोटिक्स के साइड-इफेक्ट होने की संभावना अधिक होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि उनके लिवर और किडनी अभी विकसित हो रहे होते हैं और यह दवाईयों को फ्लश आउट करने के लिए पर्याप्त रूप से मच्योर नहीं होते हैं। एक बार जब बच्चे 6 महीने के हो जाते हैं, तो उन्हें साइड इफेक्ट होने का खतरा थोड़ा कम हो जाता है।

    दूसरी दवाईयों के साथ एंटीबायोटिक्स का मेल (Antibiotics in Combination with Other Medications)

    ब्रेस्टफीडिंग और एंटीबायोटिक्स (Breastfeeding and Antibiotics ) में एंटीबायोटिक्स आपके शिशु के लिए कितनी सुरक्षित हैं, यह इस बात पर भी निर्भर करती है कि क्या यह किसी अन्य प्रकार की दवा के साथ कंबाइन कर के ली जा सकती है या नहीं। कई बार एक सुरक्षित एंटीबायोटिक को किसी दूसरी दवाई के साथ लिया जाता है तो ऐसे कंपाउंड बन सकते हैं, जो शिशु के लिए नुकसानदायक हों। इसलिए जरूरी है कि कोई भी दवाई, लेने से पहले डॉक्टर की राय लेना आवश्यक है।

    एंटीबायोटिक की केमिकल प्रॉपर्टीज (Chemical Properties of the antibiotics)

    कुछ केमिकल फैक्टर जैसे मॉलिक्यूलर वेट (Molecular Weight), हाफ लाइफ (Half Life), प्रोटीन के साथ बाइंडिंग (Binding with Protein) और लिपिड सोलुबिलिटी (Lipid Solubility) ब्रेस्ट मिल्क में ड्रग के बने रहने की क्षमता को निर्धारित कर सकते हैं। जिन दवाओं का लॉन्गर हाफ लाइफ और हेवियर मॉलिक्यूलर वेट होता है, उन्हें टूटने में अधिक समय लगता है। यदि कोई एंटीबायोटिक वसा/लिपिड से जल्दी से बाइन्ड हो जाता है, तो यह ब्लड से मिल्क में तेजी से ट्रांसफ्यूज करेगा। ऐसे में इन चीजों को ध्यान में रखना भी जरूरी है।

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    ब्रेस्ट मिल्क कम्पोजीशन और एसिडिटी (Breast Milk Composition and Acidity)

    कुछ खास एंटीबायोटिक्स में दूध में घुलने की प्रवृत्ति होती है, जिसमें ब्लड की तुलना में अधिक प्रोटीन कंटेंट होता है। प्रीमच्योर बच्चों की माताओं को अपने एंटीबायोटिक सेवन को लेकर अतिरिक्त सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि उनके शरीर में उच्च प्रोटीन स्तर वाले दूध का उत्पादन होता है। अगर ब्रेस्टफीडिंग और एंटीबायोटिक्स (Breastfeeding and Antibiotics ) को लेकर आपके मन में कोई भी सवाल है तो आपको तुरंत डॉक्टर से पूछना चाहिए। कुछ चीजों को अपने डॉक्टर से अवश्य जानें और बताएं, जैसे:

  • अगर आप शिशु को ब्रेस्टफीड करा रही हैं तो अपने डॉक्टर को इसके बारे में पहले ही बता दें ताकि वो निर्धारित कर सकें कि आपको एंटीबायोटिक्स देनी हैं या नहीं।
  • अगर आप कोई और दवाई ले रही हैं, तो इस बारे में भी डॉक्टर को भी बता दें। क्योंकि कुछ एंटीबायोटिक्स अन्य दवाईयों के साथ मिल कर कुछ ऐसे कंपाउंड बना सकते हैं तो शिशु के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं।
  • शिशु के स्वास्थ्य और उम्र के बारे में भी डॉक्टर को बता दें। एंटीबायोटिक्स की सलाह देने से पहले यह जरूरी है।
  • अगर एंटीबायोटिक्स का कोई विकल्प हो सकता है तो उसके बारे में भी डॉक्टर से पूछें। डॉक्टर आपको ओरल एंटीबायोटिक की जगह ऑइंटमेंट या क्रीम की सलाह दे सकते हैं। जानिए एंटीबायोटिक्स के हार्मफुल प्रभाव क्या हैं?
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    एंटीबायोटिक्स के हार्मफुल इफेक्ट क्या हैं? (Harmful Effects of Antibiotics)

    हालांकि, डॉक्टर अगर एंटीबायोटिक्स की सलाह ब्रेस्टफीड करने वाली माताओं को देते हैं तो इसका अर्थ है कि यह उनके और शिशु लिए सुरक्षित हैं। लेकिन, इनका बहुत अधिक प्रयोग करने से बचना चाहिए और केवल उतनी ही डोज लेनी चाहिए, जितनी सलाह डॉक्टर ने दी है। लेकिन, अगर बिना सलाह के इन एंटीबायोटिक्स को लिया जाए तो मां शिशु में इन समस्याओं का अनुभव कर सकती है:

    डायरिया (Diarrhea)

    शिशु के गट में मौजूद गुड बैक्टीरिया भी विकसित नहीं हुए होते। यह बैक्टीरिया खाने को पचाने में मदद करते हैं। एंटीबायोटिक्स का लक्ष्य केवल रोग का कारण बनने वाले बैक्टीरिया को नष्ट करना ही नहीं होता, बल्कि गुड बैक्टीरिया को भी यह नष्ट कर सकते हैं। ऐसे में डॉक्टर की सलाह जरूरी है।

    सेप्सिस (Sepsis)

    सेप्सिस की समस्या तब होती है जब एक पैथोजन के कारण इम्यून सिस्टम शरीर के हेल्दी टिश्यूज को नुकसान पहुंचाता है। ऐसे में एंटीबायोटिक्स का सेवन बच्चे की कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर सकता है और सेप्सिस का कारण बन सकता है।

    टेम्प्रेचर में बदलाव (Change in Temperament)

    एंटीबायोटिक्स लेने से बच्चा थोड़ा अशांत और असहज महसूस कर सकता है। यही नहीं उसमें कोलिक (Colic) जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं। इसके साथ ही, एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग से मां में थ्रश (Thrush) की समस्या भी हो सकती है। यह एक ऐसी स्थिति है जहां इन दवाईयों के सेवन से मां का पेट फूल जाता है। शिशु में एंटीबायोटिक्स के रिस्क को इस तरह से कम किया जा सकता है?

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    एंटीबायोटिक्स के जोखिम को कम करने के तरीके (Avoid Risks of Antibiotics)

    यह तो थी ब्रेस्टफीडिंग और एंटीबायोटिक्स (Breastfeeding and Antibiotics ) के बारे में जानकारी। एंटीबायोटिक्स के साइड-इफेक्ट्स से बचने का सबसे बेहतरीन तरीका है उनका सेवन न करना। लेकिन, जब आप इन्हें लेते हैं तो शिशु को इनके बुरे प्रभावों के जोखिम से बचने के लिए आपको इन स्टेप्स का पालन करना चाहिए :

    • ओरल एंटीबायोटिक्स की जगह एंटीबायोटिक ऑइंटमेंट या क्रीम का प्रयोग करें।
    • डॉक्टर से ऐसी एंटीबायोटिक्स देने के निवेदन करें, जो शिशु के लिए सुरक्षित हों
    • शिशुओं में पुअर ओरल बायोअवेलेबिलिटी (Oral Bioavailability) वाले एंटीबायोटिक्स बिना किसी नुकसान के उनके पाचन तंत्र से बाहर निकल जाते हैं। ऐसे एंटीबायोटिक का सेवन को अधिक महत्व दें।
    • इस बात को सुनिश्चित करें कि आप ब्रेस्टफीडिंग के बाद एंटीबायोटिक की डोज लें ताकि इसके सेवन और अगले ब्रेस्टफीडिंग सेशन के बीच में टाइम गैप अधिक हो।
    • हालांकि, अधिकतर एंटीबायोटिक्स के सेवन को स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए सुरक्षित माना जाता है लेकिन फिर भी बिना डॉक्टर की सलाह के इनका सेवन न करें।

    एंटीबायोटिक्स और ब्रेस्टफीडिंग

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    आप ब्रेस्टफीडिंग और एंटीबायोटिक्स (Breastfeeding and Antibiotics ) के बारे में तो जान ही गए होंगे। एंटीबायोटिक का प्रयोग ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माताओं के लिए बहुत सामान्य है। हालांकि, इन अधिकतर दवाईयों से शिशु को कोई नुकसान नहीं होता है। अगर आप इस दौरान एंटीबायोटिक्स ले रहे हैं तो अपने बच्चे के खाने-पीने सोने, रैशेज, तापमान आदि में आए बदलावों पर ध्यान दें। अगर उनमें कोई भी बदलाव आप नोटिस करती हैं तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है।

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