एंटीबायोटिक की केमिकल प्रॉपर्टीज (Chemical Properties of the antibiotics)
कुछ केमिकल फैक्टर जैसे मॉलिक्यूलर वेट (Molecular Weight), हाफ लाइफ (Half Life), प्रोटीन के साथ बाइंडिंग (Binding with Protein) और लिपिड सोलुबिलिटी (Lipid Solubility) ब्रेस्ट मिल्क में ड्रग के बने रहने की क्षमता को निर्धारित कर सकते हैं। जिन दवाओं का लॉन्गर हाफ लाइफ और हेवियर मॉलिक्यूलर वेट होता है, उन्हें टूटने में अधिक समय लगता है। यदि कोई एंटीबायोटिक वसा/लिपिड से जल्दी से बाइन्ड हो जाता है, तो यह ब्लड से मिल्क में तेजी से ट्रांसफ्यूज करेगा। ऐसे में इन चीजों को ध्यान में रखना भी जरूरी है।
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ब्रेस्ट मिल्क कम्पोजीशन और एसिडिटी (Breast Milk Composition and Acidity)
कुछ खास एंटीबायोटिक्स में दूध में घुलने की प्रवृत्ति होती है, जिसमें ब्लड की तुलना में अधिक प्रोटीन कंटेंट होता है। प्रीमच्योर बच्चों की माताओं को अपने एंटीबायोटिक सेवन को लेकर अतिरिक्त सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि उनके शरीर में उच्च प्रोटीन स्तर वाले दूध का उत्पादन होता है। अगर ब्रेस्टफीडिंग और एंटीबायोटिक्स (Breastfeeding and Antibiotics ) को लेकर आपके मन में कोई भी सवाल है तो आपको तुरंत डॉक्टर से पूछना चाहिए। कुछ चीजों को अपने डॉक्टर से अवश्य जानें और बताएं, जैसे:
- अगर आप शिशु को ब्रेस्टफीड करा रही हैं तो अपने डॉक्टर को इसके बारे में पहले ही बता दें ताकि वो निर्धारित कर सकें कि आपको एंटीबायोटिक्स देनी हैं या नहीं।
- अगर आप कोई और दवाई ले रही हैं, तो इस बारे में भी डॉक्टर को भी बता दें। क्योंकि कुछ एंटीबायोटिक्स अन्य दवाईयों के साथ मिल कर कुछ ऐसे कंपाउंड बना सकते हैं तो शिशु के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं।
- शिशु के स्वास्थ्य और उम्र के बारे में भी डॉक्टर को बता दें। एंटीबायोटिक्स की सलाह देने से पहले यह जरूरी है।
- अगर एंटीबायोटिक्स का कोई विकल्प हो सकता है तो उसके बारे में भी डॉक्टर से पूछें। डॉक्टर आपको ओरल एंटीबायोटिक की जगह ऑइंटमेंट या क्रीम की सलाह दे सकते हैं। जानिए एंटीबायोटिक्स के हार्मफुल प्रभाव क्या हैं?
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एंटीबायोटिक्स के हार्मफुल इफेक्ट क्या हैं? (Harmful Effects of Antibiotics)
हालांकि, डॉक्टर अगर एंटीबायोटिक्स की सलाह ब्रेस्टफीड करने वाली माताओं को देते हैं तो इसका अर्थ है कि यह उनके और शिशु लिए सुरक्षित हैं। लेकिन, इनका बहुत अधिक प्रयोग करने से बचना चाहिए और केवल उतनी ही डोज लेनी चाहिए, जितनी सलाह डॉक्टर ने दी है। लेकिन, अगर बिना सलाह के इन एंटीबायोटिक्स को लिया जाए तो मां शिशु में इन समस्याओं का अनुभव कर सकती है:
डायरिया (Diarrhea)
शिशु के गट में मौजूद गुड बैक्टीरिया भी विकसित नहीं हुए होते। यह बैक्टीरिया खाने को पचाने में मदद करते हैं। एंटीबायोटिक्स का लक्ष्य केवल रोग का कारण बनने वाले बैक्टीरिया को नष्ट करना ही नहीं होता, बल्कि गुड बैक्टीरिया को भी यह नष्ट कर सकते हैं। ऐसे में डॉक्टर की सलाह जरूरी है।
सेप्सिस (Sepsis)
सेप्सिस की समस्या तब होती है जब एक पैथोजन के कारण इम्यून सिस्टम शरीर के हेल्दी टिश्यूज को नुकसान पहुंचाता है। ऐसे में एंटीबायोटिक्स का सेवन बच्चे की कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर सकता है और सेप्सिस का कारण बन सकता है।
टेम्प्रेचर में बदलाव (Change in Temperament)
एंटीबायोटिक्स लेने से बच्चा थोड़ा अशांत और असहज महसूस कर सकता है। यही नहीं उसमें कोलिक (Colic) जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं। इसके साथ ही, एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग से मां में थ्रश (Thrush) की समस्या भी हो सकती है। यह एक ऐसी स्थिति है जहां इन दवाईयों के सेवन से मां का पेट फूल जाता है। शिशु में एंटीबायोटिक्स के रिस्क को इस तरह से कम किया जा सकता है?
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एंटीबायोटिक्स के जोखिम को कम करने के तरीके (Avoid Risks of Antibiotics)
यह तो थी ब्रेस्टफीडिंग और एंटीबायोटिक्स (Breastfeeding and Antibiotics ) के बारे में जानकारी। एंटीबायोटिक्स के साइड-इफेक्ट्स से बचने का सबसे बेहतरीन तरीका है उनका सेवन न करना। लेकिन, जब आप इन्हें लेते हैं तो शिशु को इनके बुरे प्रभावों के जोखिम से बचने के लिए आपको इन स्टेप्स का पालन करना चाहिए :
- ओरल एंटीबायोटिक्स की जगह एंटीबायोटिक ऑइंटमेंट या क्रीम का प्रयोग करें।
- डॉक्टर से ऐसी एंटीबायोटिक्स देने के निवेदन करें, जो शिशु के लिए सुरक्षित हों।
- शिशुओं में पुअर ओरल बायोअवेलेबिलिटी (Oral Bioavailability) वाले एंटीबायोटिक्स बिना किसी नुकसान के उनके पाचन तंत्र से बाहर निकल जाते हैं। ऐसे एंटीबायोटिक का सेवन को अधिक महत्व दें।
- इस बात को सुनिश्चित करें कि आप ब्रेस्टफीडिंग के बाद एंटीबायोटिक की डोज लें ताकि इसके सेवन और अगले ब्रेस्टफीडिंग सेशन के बीच में टाइम गैप अधिक हो।
- हालांकि, अधिकतर एंटीबायोटिक्स के सेवन को स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए सुरक्षित माना जाता है लेकिन फिर भी बिना डॉक्टर की सलाह के इनका सेवन न करें।

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आप ब्रेस्टफीडिंग और एंटीबायोटिक्स (Breastfeeding and Antibiotics ) के बारे में तो जान ही गए होंगे। एंटीबायोटिक का प्रयोग ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माताओं के लिए बहुत सामान्य है। हालांकि, इन अधिकतर दवाईयों से शिशु को कोई नुकसान नहीं होता है। अगर आप इस दौरान एंटीबायोटिक्स ले रहे हैं तो अपने बच्चे के खाने-पीने सोने, रैशेज, तापमान आदि में आए बदलावों पर ध्यान दें। अगर उनमें कोई भी बदलाव आप नोटिस करती हैं तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है।