6 सप्ताह में आपका शिशु की हार्टबीट 1 मिनट में 110 बीट होती है। वहीं अगले 2 सप्ताह बाद 150 से 170 बीट तक पहुंच जाती है। यानी कि यह लगभग 2 गुना तेजी से धड़कने लगता है। 9 से 10 सप्ताह तक आपके बच्चे का दिल 170 बीट प्रति मिनट धड़कता है। इसके बाद 20 सप्ताह में यह घटकर 140 बीट प्रति मिनट हो जाता है। आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि बच्चे के दिल की धड़कन में वेरिएशन यानी कि बदलाव होता रहता है। यह कम या फिर ज्यादा होता है, जो कि सामान्य है। वहीं डिलिवरी के दौरान बच्चे के दिल की गति 110 से 160 बीट प्रति मिनट तक हो सकती है। अगर हार्टबीट इससे कुछ ज्यादा या कुछ धीमी हो जाती है, तो इसे सामान्य ही माना जाता है। आपको इस बारे में डॉक्टर से अधिक जानकारी लेनी चाहिए।
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फीटल डॉप्लर (Doppler) कैसे करता है काम?
डॉक्टर फीटल डॉप्लर की मदद से बेबी की हार्टबीट (Your Baby’s Heartbeat) को चेक करते है। यह एक तरह से अल्ट्रासाउंड है, जिसे छोटी डिवाइस की मदद से बच्चे की हार्ट बीट को नापा जाता है। फीटल डॉप्लर की मदद से 10 से 12 सप्ताह के भीतर महिला के पेट में डिवाइस को लगाकर बच्चे की हार्टबीट की जांच की जा सकती है। वैसे तो यह काम अल्ट्रासाउंड के दौरान भी हो जाता है लेकिन जब आप डॉक्टर के पास पहली बार चेकअप के लिए जाएंगे, तो हो सकता है कि वह आपको फीटल डॉप्लर की मदद से बच्चे की हार्ट बीट सुनाएं। वहीं कुछ डॉक्टर सेकंड ट्राइमेस्टर के दौरान इसका इस्तेमाल करते हैं।
आप फीटल डॉप्लर से ही नहीं बल्कि स्टेथोस्कोप की मदद से बच्चे के हार्टबीट सुन सकते हैं। गर्भावस्था के लगभग 20वें सप्ताह तक, आप बच्चे के दिल की धड़कन को स्टेथोस्कोप से सुन सकते हैं। डॉप्लर द्वारा इसका पता लगाने के लगभग आठ से 10 सप्ताह बाद स्टेथोस्कोप का इस्तेमाल किया जा सकता है।
जब भ्रूण का विकास शुरू होता है, तो फीटल हार्ट का डेवलपमेंट जल्दी स्टार्ट हो जाता है। जब बच्चा गर्भ से बाहर आता है, तो उसकी हार्टबीट में परिवर्तन भी होता है। गर्भ के अंदर की दुनिया और गर्भ के बाहर की दुनिया बहुत अलग होती है और शरीर भी उसी के अनुसार खुद को परिवर्तित कर देता है।