अगर मां के गर्भ में बच्चे का विकास ठीक प्रकार से होता है, तो बच्चा स्वस्थ पैदा होता है। अगर किन्हीं कारणों से बच्चा समय से पहले पैदा हो जाता है, तो उसे कुछ समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है। प्रीमैच्योर बेबी को सांस लेने में समस्या का सामना करना पड़ सकता है। जो बच्चे जन्म के बाद ठीक तरह से सांस नहीं ले पाते हैं, उन्हें मशीन की सहायता से सांस लेनी पड़ती है। लंबे समय से मशीन के माध्यम से सांस लेने से भी कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ब्रोन्कोपल्मोनरी डिसप्लेसिया (Bronchopulmonary Dysplasia) सांस से संबंधित रोग है, जो बच्चे में जन्म के बाद होता है। जिन बच्चों का जन्म समय से पहले हो जाता है, उन बच्चों को ये समस्या होने की अधिक संभावना होती है। ब्रीथिंग मशीन में लंबे समय तक रहने से कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जिसमें ब्रोन्कोपल्मोनरी डिसप्लेसिया (Bronchopulmonary Dysplasia) भी शामिल है। ये लंग डैमेज का कारण बन सकता है। इस कारण से फेफड़ों का विकास ठीक प्रकार से नहीं हो पाता है। आइए जानते हैं इस बीमारी के बारे में अहम बातें।
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ब्रोन्कोपल्मोनरी डिसप्लेसिया (Bronchopulmonary Dysplasia) क्या है?
ब्रोन्कोपल्मोनरी डिसप्लेसिया (Bronchopulmonary Dysplasia) एक ब्रीथिंग डिसऑर्डर है, जो नवजात शिशु के फेफड़ों को प्रभावित करने का काम करती है। इस कारण से बच्चों के फेफड़ों का ठीक प्रकार से विकास नहीं हो पाता है। ये कंडीशन ज्यादातर उन बच्चों को होती है, जिनका जन्म के समय वेट कम होता है या फिर जो बच्चे समय के पहले पैदा हो जाते हैं। ब्रोन्कोपल्मोनरी डिस्प्लेसिया (Bronchopulmonary Dysplasia) को क्रॉनिक लंग डिजीज ऑफ प्रीमैच्योर बेबी (Chronic lung disease of premature babies), निओनेटल क्रॉनिक लंग डिजीज (Neonatal chronic lung disease) आदि के नाम से भी जानते हैं। ये कंडीशन माइल्ड से मॉडरेटस भी हो सकती है। इस बीमारी के कारण बच्चों को जन्म के एक से दो साल तक सांस लेने में समस्या होती रहती है या फिर ये समस्या बड़े हो जाने पर भी बनी रहती है। इस कंडीशन से पीड़ित बच्चों को हॉस्पिटल के साथ ही अधिक केयर की जरूरत पड़ती है।
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ब्रोन्कोपल्मोनरी डिस्प्लेसिया के कारण (Bronchopulmonary Dysplasia causes)
ज्यादातर मामलों में, यह बीमारी तब पैदा होता है, जब समय से पहले बच्चे का जन्म हो जाए और उसे अतिरिक्त ऑक्सिजन या सांस लेने की मशीन (मैकेनिकल वेंटिलेटर) की जरूरत पड़ती हो। जब बच्चा बहुत जल्दी पैदा होता है, तो उसके फेफड़े पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाते हैं और ऑक्सिजन की जरूरत पूरी नहीं हो पाती है। मशीन की सहायता से शिशु को अधिक आसानी से सांस लेने में मदद मिलती है। लेकिन दबाव में ऑक्सिजन प्राप्त करने से कभी-कभी फेफड़ों को नुकसान पहुंचता है। हम जिस हवा में सांस लेते हैं, उसकी तुलना में प्रीमैच्योर बेबी (Premature baby) को अधिक मात्रा में ऑक्सिजन की आवश्यकता होती है। समय के साथ, वेंटिलेशन का दबाव और अतिरिक्त ऑक्सिजन का देने से नवजात शिशुओं के नाजुक फेफड़ों को डैमेज होने का खतरा बढ़ जाता है। इससे ब्रोन्कोपल्मोनरी डिस्प्लेसिया (Bronchopulmonary Dysplasia) हो सकता है।
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ब्रोन्कोपल्मोनरी डिस्प्लेसिया को कैसे किया जाता है डायग्नोज?
ब्रोन्कोपल्मोनरी डिस्प्लेसिया (Bronchopulmonary Dysplasia) का पता बच्चे के जन्म के बाद चल सकता है। जो बच्चे प्रीमैच्योर पैदा होते हैं, उनको इस कंडीशन की संभावना अधिक बढ़ जाती है। ऐसे में बीमारी को डायग्नोज करने के लिए डॉक्टर कुछ बातों पर गौर करते हैं और बीमारी को डायग्नोज करते हैं। जानिए बीमारी को डायग्नोज करने के लिए किन बातों पर ध्यान दिया जाता है।
- बच्चा कितनी जल्दी पैदा हुआ था?
- बच्चे को ऑक्सिजन थेरिपी कब तक मिलती है?
- बच्चे को ऑक्सीजन का स्तर कितना दिया गया है?
- बच्चे को कितना प्रेशर लेवल दिया गया है?
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ब्रोन्कोपल्मोनरी डिस्प्लेसिया का ट्रीटमेंट (Bronchopulmonary Dysplasia treatment)
ब्रोन्कोपल्मोनरी डिस्प्लेसिया (Bronchopulmonary Dysplasia) का ट्रीटमेंट पूरी तरह से कर पाना संभव नहीं है। इस बीमारी से बचाव किया जा सकता है। जिन बच्चों को ये कंडीशन होती है, डॉक्टर मेडिसिंस के साथ ही पोषक तत्वों को लेने पर जोर देते हैं। बच्चों को जब तक जरूरत पड़ती है, उन्हें तब तक ऑक्सीजन दी जाती है। साथ ही पोषण पर पूरा ध्यान दिया जाता है। कुछ समय बाद बच्चे अपने आप ही ऑक्सीजन लेना शुरू कर देते हैं। कुछ बच्चों को हाय फ्रीक्वेंसी वेंटिलेशन की जरूरत होती है। ये बच्चों में लंग डैमेज के खतरे को कम करने का काम करता है लेकिन हाय फ्रीक्वेंसी वेंटिलेशन की सुविधा सभी जगह आसानी से उपलब्ध नहीं हो पाती है।
ब्रोन्कोडायलेटर्स (जैसे एल्ब्युटेरोल) एयरवे को खोलने में मदद करते हैं वहीं फ़्यूरोसेमाइड फेफड़ों में फ्लूड बिल्डअप को रोकने का काम करते हैं। डॉक्टर इनहेल्ड स्टेरॉयड भी दे सकते हैं। एंटी इफ्लामेशन मेडिसिंस के सेवन से कुछ दुष्प्रभाव भी दिखाई पड़ सकते हैं। डॉक्टर केवल बच्चे के माता-पिता से बात करने के बाद ही इसका इस्तेमाल करते हैं ताकि वे इसके संभावित लाभों और जोखिमों को समझ सकें। कुछ सावधानियों का ध्यान जरूर रखें। ऐसा करने से इस कंडीशन से काफी हद तक बचा जा सकता है।
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ब्रोन्कोपल्मोनरी डिस्प्लेसिया (Bronchopulmonary Dysplasia) के कारण बच्चों को लंबे समय तक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है लेकिन अगर बीमारी को सही समय पर डायग्नोज कर लिया जाए, तो बीमारी से बचाव हो सकता है। अगर आपको इस ब्रीथिंग कंडीशन को लेकर किसी प्रकार की समस्या हो, तो आपको डॉक्टर से संपर्क जरूर करना चाहिए। ब्रोन्कोपल्मोनरी डिस्प्लेसिया से पीड़ित बच्चों का विकास बहुत धीमी गति से होता है। ऐसे में बच्चे की अधिक देखभाल की जरूर होती है। अगर बच्चे को दूध पीने में समस्या हो रही है या फिर सांस लेने में भी समस्या हो रही है, तो डॉक्टर से जानकारी जरूर प्राप्त करें।
प्रीमेच्योर बेबी होने की एक नहीं बल्कि कई कारण हो सकते हैं। आप इस बारे में डॉक्टर से पूछ ले कि किन कारणों के कारण प्रीमेच्योर बेबी का जन्म होता है। अगर आप भी बेबी प्लान कर रहे हैं, तो ऐसा कोई भी काम ना करें, जो बच्चे के जन्म के दौरान समस्या खड़ी करें। अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए केवल डॉक्टर से ही परामर्श करें। डॉक्टर जो सावधानियां अपनाने के लिए कहें, उसे मानें।
इस आर्टिकल में हमने आपको ब्रोन्कोपल्मोनरी डिस्प्लेसिया (Bronchopulmonary Dysplasia) के बारे में बारे में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।
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