कब लगाया जाता है टीका?
रोटावायरस से बचाव के लिए टीका लगवाना (vaccination)) जरूरी है। यह वैक्सीन ओरली दी जाती है। आमतौर पर इसकी दो या तीन खुराक दी जा सकती है। पहली खुराक 15 हफ्ते की उम्र से पहले दी जानी चाहिए और आखिरी खुराक 8 महीने की उम्र तक देना जरूरी है। एक बाद का ध्यान रखें विशेषज्ञ कुछ बच्चों को यह वैक्सीन नहीं देने की सिफारिश करते हैं। जिन बच्चों को रोटावायरस वैक्सीन की पहली डोज के बाद गंभीर एलर्जिक रिएक्शन (allergic reaction) हुआ हो या जिन्हें दूसरी गंभीर एलर्जी (serious allergies) हो उन्हें यह टीका नहीं लगवाना चाहिए। जिन बच्चों को इम्यून सिस्टम से जुड़ी समस्या (immune system problems) हो उन्हें भी वैक्सीन नहीं लगानी चाहिए।
वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स (Possible side effects)
दूसरे टीके की तरह ही रोटावायरस वैक्सीन के भी कुछ साइड इफेक्ट्स हैं। हालांकि यह साइड इफेक्ट मामूली होते हैं और अपने आप चले जाते हैं। इनमें शामिल है-
- अस्थायी डायरिया (diarrhea) या उल्टी (vomiting)
- बुखार (fever)
- भूख न लगना (loss of appetite)
- चिड़चिड़ापन (irritability)
कुछ दुर्लभ मामलों में एलर्जिक रिएक्शन भी हो सकता है।
हेपेटाइटिस ए (Hepatitis A) वैक्सीन
हेपेटाइटिस ए लिवर की गंभीर बीमारी (liver disease) है, जो हेपेटाइटिस ए वायरस के कारण होता है। इसके लक्षण कुछ हफ्ते से कुछ महीनों में समाप्त होते हैं। कुछ मामलों में लक्षण गंभीर हो जाते हैं और ठीक होने में कई महीने लग सकते है। थकान, पेटदर्द, मितली, जॉन्डिस आदि इसके कुछ लक्षण है।
कब लगाया जाता है टीका?
एक्सपर्ट्स सभी बच्चों को हेपेटाइटिस ए का टीका लगवाने की सलाह देते हैं। आमतौर पर इसकी दो खुराक 6 से 18 महीने के अंदर दी जाती है।
कुछ मामलों में व्यस्कों को भी यह वैक्सीन (vacine)दी जाती है। खासतौर पर उन्हें, जो ऐसे देशों की यात्रा पर जाते हैं जहां हेपेटाइटिस ए से संक्रमित होने का खतरा अधिक होता है। इसके अलावा ड्रग्स (drugs) का इस्तेमाल करने वाले और क्रॉनिक लिवर डिसीज (chronic liver disease) वालों को भी टीका लगवाने की सलाह दी जाती है।
वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स (Possible side effects)
आमतौर पर यह वैक्सीन (vaccine) सुरक्षित होती है, लेकिन कई बार मामूली साइड इफेक्ट्स दिख सकते हैं जिसमें शामिल है-
- इंजेक्शन वाली जगह पर घाव
- सिरदर्द (headache)
- भूख न लगना
- थकान (tiredness)
दुर्लभ, लेकिन गंभीर साइड इफेक्ट्स में शामिल है-
- सांस लेने में दिक्कत (trouble breathing)
- नर्व डैमेज (nerve damage) के कारण मांसपेशियों का कमजोर होना
- थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (thrombocytopenia) यह लो प्लेटलेट काउंट की स्थिति है
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मेनिंगोकॉकल (Meningococcal) वैक्सीन
मेनिंगोकॉकल डिसीज एक गंभीर बैक्टीरियल बीमारी है, जो मैनिन्जाइटिस (मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के आसपास की सुरक्षात्मक लेयर में सूजन) और रक्तप्रवाह संक्रमण (bloodstream infection) या सेप्सिस (sepsis) की तकलीफ के लिए ज़िम्मेदार मानी जाती है।
कब लगाया जाता है टीका? (When to get vaccine)
यह वैक्सीन बच्चों को 11 से 12 साल की उम्र में दी जाती है। 11 से 12 साल की उम्र में जिन्हें पहली खुराक दी जाती है उन्हें 16 की उम्र में बूस्टर डोज दी जाती है। जिन बच्चों को 13 से 15 साल के बीच पहली खुराक दी जाती है उन्हें 16-18 साल के बीच बूस्टर डोज दी जाती है। लेकिन जिन्हें 16 की उम्र के बाद इसकी पहली खुराक दी जाती है उन्हें बूस्टर डोज की जरूरत नहीं होती है।
वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स (Possible side effects)
आमतौर पर यह वैक्सीन (Vaccine) सुरक्षित होती है, लेकिन कई बार मामूली साइड इफेक्ट्स दिख सकते हैं जिसमें शामिल है-
- इंजेक्शन वाली जगह पर दर्द या लाल होना
- सिरदर्द
- थकान
- घाव
दुर्लभ साइड इफेक्ट्स में शामिल है।
- गिलीन-बर्रे-सिंड्रोम (guillain-barré syndrome gbs ) एक डिसऑर्डर है जिसमें व्यक्ति का इम्यून सिस्टम ही उसके नर्व सेल्स को नुकसान पहुंचाता है।
- गंभीर
- हाइव्स (hives)
- फेशियल स्वेलिंग (facial swelling)
- तेज धड़कन (fast heartbeat)
- सांस लेने में दिक्कत (difficulty breathing)
- चक्कर आना (dizziness)
- कमजोरी
ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (Human papilloma virus vaccine) (HPV)

ह्यूमन पैपिलोमा वायरस एक आम वायरस है जो जननांग संपर्क के माध्यम से फैलता है। इसके कुछ स्ट्रेन ज्यादा घातक नहीं होते हैं और उनसे कुछ खास समस्या नहीं होती है, लेकिन दूसरे स्ट्रेन कई तरह की जटिलताएं पैदा कर सकते हैं। जिसमें शामिल है-
- महिलाओं में सर्वाइकल (cervical), वजाइनल (vaginal) और वुल्वर कैंसर (vulvar cancers)
- पुरुषों में पेनिस कैंसर
- एनल और थ्रोट कैंसर (anal and throat cancers)
- महिलाओं और पुरुषों में जेनिटल रॉट्स
कब लगाया जाता है टीका?
आमतौर पर लड़कियों और लड़कों दोनों को 11 और 12 साल की उम्र में यह वैक्सीन (vaccine) लेने की सलाह दी जाती है। यदि इस उम्र में वैक्सीन नहीं लगती है तो लड़कियों और महिलाओं को 13 से 26 साल के बीच और लड़कों और पुरुषों को 13 से 21 साल के बीच इसे लेने की सलाह दी जाती है।
वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स (Possible side effects)
वैसे तो यह वैक्सीन सुरक्षित मानी जाती है, लेकिन इसके कुछ मामूली साइड इफेक्ट्स नजर आ सकते हैं-
- इंजेक्शन वाली जगह पर दर्द, लालिमा और सूजन
- मितली (nausea)
- बेहोशी (fainting)
- चक्कर आना
- सिरदर्द (headache)
और पढ़ें- Bacterial pneumonia: बैक्टीरियल निमोनिया क्या है?
Tdap बूस्टर (Tdap booster)
बच्चे के लिए जरूरी वैक्सीन की लिस्ट में इसे भी शामिल किया जान चाहिए। यह कॉम्बिनेशन बूस्टर शॉट्स होता है जो बच्चों और व्यस्कों को तीन बीमारियों टिटनेस (tetanus), डिप्थीरिया (diphtheria )और काली खांसी (diphtheria) से बचाता है
कब दी जाती है वैक्सीन?
यह सिंगल डोज बूस्ट्रिक्स (boostrix) है जो 10 से 12 साल के बच्चों को दिया जाता है। जिन लोगों को पहले यह डोज नहीं दिया गया है वह व्यस्क होने पर इसे ले सकते हैं।
वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स (Possible side effects)
वैसे तो यह वैक्सीन सुरक्षित मानी जाती है, लेकिन इसके कुछ मामूली साइड इफेक्ट्स नजर आ सकते हैं-
- इंजेक्शन वाली जगह पर दर्द और लालिमा
- हल्का बुखार
- सिरदर्द
- थकान
- शरीर में दर्द
बच्चों को बीमारियों से बचाने और उन्हें स्वस्थ रखने के लिए वैक्सीनेशन (vaccination) बहुत जरूरी है। इसलिए नवजात बच्चों के माता-पिता को बच्चे के लिए जरूरी वैक्सीन की जानकारी होनी चाहिए। इसके लिए आप अपने डॉक्टर या एक्सपर्ट्स से सलाह ले सकते हैं।