बहरापन और मेनिन्जाइटिस दोनों ही समस्याएं मम्प्स के कारण हाे सकती हैं।
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रूबेला (Rubella)
रूबेला को “जर्मन खसरा’ भी कहा जाता है और यह रूबेला वायरस के कारण होता है। यह बीमारी संक्रमित के खांसने या छींकने कारण हवा के माध्यम से वायरस फैल जाता है, जाे दूसरे व्यक्ति को भी बहुत आसानी से प्रभावित कर लेता है। इ
रूबेला के लक्षणों में शामिल हैं:
- रैशेज
- हल्का बुखार
- आंखों में लालपन
- गर्दन के पीछे लिम्फ नोड्स में सूजन
- गठिया (आमतौर पर महिलाओं में)
रूबेला गर्भवती महिलाओं के लिए गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है, जिसमें गर्भपात या जन्म दोष भी शामिल है।
एमएमआर वैक्सीन कब लेना चाहिए?
रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के विश्वस्त स्रोत के अनुसार, एमएमआर वैक्सीन प्राप्त करने के लिए निश्चित आयु हैं:
- पहली खुराक 12 से 15 महीने के बच्चे के लिए,
- दूसरी खुराक 4 से 6 साल के बच्चे के लिए,
- 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र के वयस्कों को एक डाेज की सलाह दी जाती है।
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एमएमआर वैक्सीन के फायदे
खसरा, एक प्रकार का वायरल इंफेक्शन है, जो श्वसन प्रणाली में होता है। इसके होने पर त्वचा पर चकत्ते पड़ जाते हैं, जो धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैलने लगते हैं। एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलने के इसके खतरे ज्यादा होते हैं। खसरा और रूबेला से बचाव के लिए एमएमआर वैक्सीन का उपयोग किया जाता है। यह आपके शरीर को रोग के खिलाफ एंटीबॉडी का उत्पादन करने का काम करता है।
किसे एमएमआर वैक्सीन नहीं लेनी चाहिए?