ध्यान दें बच्चे में भ्रूण अल्कोहल सिंड्रोम जन्म से ही पैदा होता है जो उम्र के किसी भी पड़ाव पर देखा जा सकता है। साथ ही बच्चों में यह विकार समय से इलाज न कराने पर लंबे समय बने रहते हैं। बता दें कि इससे बच्चे की तंत्रिका तंत्र में कई तरह की समस्याएं उत्पन्न होती हैं जो बीमारी से पीड़ित को दिमागी रूप से कमजोर और बीमार बनाता है।
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फेटल अल्कोहल सिंड्रोम पर ऐसे लगाएं रोकथाम
विशेषज्ञों को मानना है कि अगर महिलाएं गर्भावस्था के दौरान शराब का सेवन नहीं करती हैं, तो भ्रूण अल्कोहल सिंड्रोम पर पूरी तरह से रोकथाम लगाई जा सकती है। ये दिशानिर्देश भ्रूण अल्कोहल सिंड्रोम को रोकने में मदद कर सकते हैं।
गर्भवती होने से पहले छोड़ दें शराब
अगर आप गर्भवती होना चाहती हैं तो शराब का सेवन तुरंत बंद कर दें. शराब छोड़ने के बाद ही प्रेग्नेंसी के लिए प्लान करें।
गर्भावस्था के दौरान न करें शराब का सेवन
यदि आपने प्रेग्नेंट होने से पहले शराब का सेवन हीं छोड़ा है तो आप अपने होने वाले बच्चे को भ्रूण अल्कोहल सिंड्रोम से पूरे गर्भावस्था पीरियड के दौरान शराब की एक बूंद न पीकर बचा सकते हैं.
असुरक्षित यौन संबंध के दौरान न ले शराब
यदि आप रोजाना सेक्स करने की आदी हैं और असुरक्षित यौन संबंध बनाती हैं तो आपको इन दिनों में शराब को बिल्कुल भी हाथ नहीं लगाना चाहिए। असुरक्षित यौन संबंध में आपके गर्भवती होने की संभावना होती है।
शराब के आदी हैं तो करें ये काम
अगर आप शराब की आदी हैं और इसके चंगुल से नहीं निकल पा रही हैं और आप बेबी भी प्लान करना चाहती हैं तो आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए. आप दिन, हफ्ते और महीने में कितनी शराब का सेवन करती हैं यह सब डॉक्टर को उचित रूप से बताएं।
गर्भावस्था में शराब पीने के शारीरिक नुकसान
गर्भावस्था में शराब का सेवन मां और बच्चे दाेनों के लिए नुकसानदायक हो सकता है। इससे उनमें कई तरह की हेल्थ प्रॉब्लम उत्पन्न हो सकती है, जैसे कि कैंसर और हार्ट डिजीज आदि। इसलिए डॉक्टर की मानें, तो प्रेग्नेंसी के समय अल्कोहल के सेवन से बचना चाहिए।
कैंसर
गर्भावस्था में शराब पीने के लिए कई शारीरिक नुकसान हो सकते हैं, मां और शिशु दोनों के लिए। जिनमें से एक है कैंसर होने का खतरा। इस बार में साहनी हॉस्पिटल की गायनेकाेलॉजिस्ट डॉक्टर संतोष सहानी का कहना है कि प्रेग्नेंसी में शराब के सेवन से मां और शिशु दोनों में कैंसर का खतरा सकता है। खतरा तब और भी ज्यादा बढ़ जाता है जब शरीर में शराब एसीटैल्डिहाइड, शक्तिशाली कैसरजन में परिवर्तित हो जाता है। शराब के अधिक उपयोग से मुंह, गले, ग्रासनली, लीवर, स्तन, पेट और मलाशय के कैंसर होने का खतरा बहुत अधिक रहता हैं।इसका का खतरा उन लोगों में और भी अधिक बढ़ जाता है, जो बहुत अधिक शराब पीने के साथ तम्बाकू का सेवन भी करते हैं।
हृदय रोग
प्रेग्नेंट महिला में शराब अधिक पीने के कारण प्लेटलेट्स की ब्लड क्लॉट्स के रूप में जमा होने की संभावना अधिक होती है। ऐसा होना मां और शिशु दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। जिसके कारण प्रेग्नेंस महिला में हार्ट अटैक या स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है। शराब के सेवन से मां में पीने वाले उन लोगों में मौत का खतरा दोगुना हो जाता है, जिन्हें पहले हार्ट अटैक आ चुका है।
डिमेंशिया यानी पागलपन
उम्र बढ़ने के साथ लोगों में औसत रूप से लगभग 1.9 प्रतिशत की दर से मस्तिष्क सिकुड़ता है। इसे सामान्य माना जाता है। लेकिन अधिक शराब पीने से मस्तिष्क के कुछ महत्वपूर्ण हिस्सों में इस संकुचन की गति बढ़ जाती है जिसके कारण स्मृति हानि और डिमेंशिया के अन्य लक्षण दिखाई देते हैं।
1996 में उठाया गया ये कदम
बता दें कि भ्रूण अल्कोहल प्रभाव (FAE) का इस्तेमाल पहले किसी व्यक्ति में बौद्धिक अक्षमता, व्यवहार और सीखने की समस्याओं को जानने के लिए किया गया था। वहीं, 1996 में इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिन (IOM) ने एफएई (FAE) को शराब से संबंधित न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर (ARND) और जन्म दोष (ARBD) में बदल दिया था।
न्यूरोएहैवियरल डिसऑर्डर को प्रीनेटल अल्कोहल एक्सपोजर (ND-PAE) के साथ जोड़ा गया:
ND-PAE को पहली बार 2013 में अमेरिकन साइकियाट्रिक एसोसिएशन (APA) के डायग्नोस्टिक एंड स्टैटिस्टिकल मैनुअल 5 (DSM 5) में शामिल किया गया। बता दें कि एनडी-पीएई स्थिति वो होती है जिसमें भ्रूण अल्कोहल डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति सोचने, व्यवहार करने और क्षमता-दक्षता कम होती है। लोगों में एनडी-पीएई गर्भावस्था के दौरान शराब के संपर्क में आने से होता है।
इस आर्टिकल को पढ़कर आपने जाना होगा कि शिशु के विकास के लिए किस तरह से शराब या अन्य अल्कोहल का सवेन हानिकारक साबित हो सकता है। गर्भवती महिलाओं को इसके सेवन से बचना चाहिए। ऐसा करना मां और शिशु दोनों की सेहत के लिए अच्छा है।