backup og meta

शिंगल्‍स वैक्सीन के इस्तेमाल के दौरान इन बातों का रखें ध्यान, जानें क्या

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Niharika Jaiswal द्वारा लिखित · अपडेटेड 05/01/2022

    शिंगल्‍स वैक्सीन के इस्तेमाल के दौरान इन बातों का रखें ध्यान, जानें क्या

    शिंगल्स एक तरह की त्वचा संबंधी बीमारी है, कुछ-कुछ यह दाद जैसा दिखता है। कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोग और बुजुर्गों में इसका खतरा अधिक होता है। इससे बचाव के लिए टीकाकरण ही एकमात्र उपाय है। शिंगल्स आमतौर पर नर्व में छुपे हुए वैरिसेला-जोस्टर वायरस के एक्टिव होने की वजह से होता है। वैरिसेला जोस्टर एक प्रकार का हर्पिज वायरस है, जो चिकनपॉक्स (चेचक) के लिए ज़िम्मेदार है। इस बीमारी से बचाव के लिए शिंग्रिक्स (Shingrix) वैक्सीन दी जाती है। जानें शिंगल्स वैक्सीन के बारे में-

    क्या है शिंगल्स रोग (Shingles Disease) ?

    शिंगल्स एक तरह का चर्म रोग है जो वायरस के कारण होता है और इस बीमारी में शरीर पर फफोले जैसे आ जाते हैं। दरअसल, जिन लोंगो को बचपन में चिकनपॉक्स हुआ हो उनके शरीर में वैरिसेला जोस्टर जो एक तरह का हर्पिज वायरस है दोबारा सक्रिय हो जाते हैं और यही शिंगल्स रोग के लिए जिम्मेदार है। यह वायरस नर्व में छुपे होते हैं और किन्हीं कारणों से दोबारा एक्टिव हो जाते हैं। कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता के साथ ही कई बार यह बीमारी तनाव, चोट, कुछ दवाओं के रिएक्शन या अन्य कारणों से भी हो सकती है। इससे बचाव के लिए शिंगल्स वैक्सीन लेनी जरूरी है।

    और भी पढ़ें: जानिए हर्पीस के घरेलू उपाय, रोकथाम और परहेज

    शिंगल्स रोग के कारण (Shingles Disease Causes)

    बचपन में हुए चिकन पॉक्स के कारण : बचपन में सभी को एक बार चिकनपॉक्स हुआ होता है। तो बड़े होने के बाद कई बार ये बीमारी चिकन पॉक्स के वायरस वेरिसेला जॉस्टर के कारण होती है। दरअसल चिकन पॉक्स ठीक होने के बाद यह वायरस नर्वस सिस्टम में चला जाता है । जिसका प्रभाव अन्य हिस्सों पर भी होता है।

    वायरल इंफेक्शन : हर्पीज एक प्रकार का वायरस है, जोकि  एच. एस. वी. के कारण होती है। यदि किसी को ये इंफेक्शन हो जाए तो इसका प्रभाव उसके तंत्र पर भी पड़ता है। त्वचा के अलावा शरीर के अंदर भी ये वायरस प्रभावित करता है।

    रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करता है : जब हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने लगती है, तो धीरे-धीरे कर के कई बीमारी शरीर पर हावी होने लगती है। जिसमें से एक ये भी है। इस रोग में वायरस सीधे नर्वस से होते हुए  त्वचा तक चला जाता है। जिसके कारण स्किन में खुजली, दानों में दर्द और  जलन जैसी समस्या होती है।

    और भी पढ़ें: Oral Herpes: ओरल हर्पीस क्या है?

    जानिए शिंगल्स वैक्सीन (Shingles Vaccine) के बारे में

    शिंगल्स नामक चर्म रोग से बचने का एकमात्र तरीका है शिंगल्स वैक्सीन (शिंग्रिक्स)। जानकारों के मुताबिक 50 साल और उससे अधिक उम्र के सभी लोगों को शिंगल्स की वैक्सीन जिसे शिंग्रिक्स (Shingrix) कहते हैं ज़रूर लगवानी चाहिए। यह जोस्टर वैक्सीन के संयोजन से ही बनी है। शिंगल्स रोग और उससे होने वाली जटिलताओं को कम करने के लिए यह वैक्सीन 2 से 6 महीने में लगाई जाती है। आपका डॉक्टर या फार्मासिस्ट ऊपरी बांह पर इसका इंजेक्शन लगाता है। यह वैक्सीन शिंगल्स रोग से बचाने में 90 फीसदी से अधिक प्रभावी है। टीकाकरण के बाद अगले 4 सालों तक यह आपको 85 फीसदी तक सुरक्षा प्रदान करती है।

    किसी लगानी चाहिए शिंगल्स वैक्सीन?

    50 साल और उससे अधिक उम्र के स्वस्थ बुजुर्गों को 2 से 6 महीने के अंदर शिंग्रिक्स की दो डोज दी जानी चाहिए। आपको वैक्सीन लगवानी चाहिए यदि

    • पहले कभी शिंगल्स हुआ हो
    • आपने जोस्टावैक्स लिया हो (Zostavax*)
    • याद नहीं है कि कभी चिकनपॉक्स हुआ था

    और भी पढ़ें: हर्पीस (Herpes) इंफेक्शन से होने वाली बीमारी है, अपनाएं ये सावधानियां

    इस वैक्सीन को लेने के लिए कोई अधिकमत उम्र सीमा नहीं है। यदि आपको पहले कभी शिंगल्स रोग हुआ है, तो भविष्य में इससे बचाव के लिए वैक्सीन जरूर लें। शिंगल्स होने के बाद आपको कितने दिनों बाद वैक्सीन लगवानी चाहिए इसे लेकर कोई समय तो निर्धारित नहीं है, लेकिन आप यह सुनिश्चित कर लें कि टीका लगवाने के पहले शिंगल्स के कारण हुए रैशेज ठीक हो गए हों।

    शिंगल्स और चिकनपॉक्स में गहरा नाता है, क्योंकि दोनों के लिए एक ही तरह का वायरस जिम्मेदार है। अध्ययन के मुताबिक, अमेरिका में 40 साल से अधिक उम्र के करीब 99 प्रतिशत लोगों को चिकनपॉक्स हो चुका है, भले ही उन्हें याद न हो। चिकनपॉक्स जिस वायरस के कारण होता है वह शरीर में ही निश्क्रिय होकर पड़ा रहता है, लेकिन सालों बाद किसी कारण से सक्रिय हो जाता है और शिंगल्स रोग पैदा कर सकता है। शिंगल्स की वैक्सीन डॉक्टर के क्लिनिक या फार्मासिस्ट के पास उपलब्ध होती है। आप अपने डॉक्टर से एक बार परामर्श करके इसे लगवा सकते हैं। इस वैक्सीन के बारे में किसी तरह की दुविधा होने पर डॉक्टर से बात करें।

    और भी पढ़ें: Oral Herpes: ओरल हर्पीस क्या है?

    किसे शिंग्रिक्स (Shingrix) नहीं लगवाना चाहिए?

    आपको शिंगल्स का टीका नहीं लगवाना चाहिए यदि-

    और भी पढ़ें:Herpes zoster: हर्पीस जोस्टर क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय

    शिंगल्स वैक्सीन कितनी असरदार है?

    शिंग्रिक्स की दो डोज शिंगल्स रोग के प्रति मजबूत सुरक्षा प्रदान करती हैं। 50 से 69 साल के वैक्सीन लेने वाले बुजुर्गों में यह शिंगल्स से बचाने में 97 फीसदी तक कारगर है।

    70 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों में 91 प्रतिशत असरदार है। वैक्सिनेशन के बाद शिंग्रिक्स का प्रोटक्शन अगले 4 सालों तक 70 साल और उनसे अधिक उम्र के लोगों में 85 प्रतिशत तक प्रभावी रहती है। क्योंकि उम्र बढ़ने पर शिंगल्स रोग का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए बुजुर्गों को वैक्सीन अवश्य लगवानी चाहिए।

    और भी पढ़ें: बच्चों को निमोनिया की वैक्सीन लगाना है जरूरी

    शिंगल्स वैक्सीन के साइड इफेक्ट (Shingles Vaccine Side Effects)

    अध्ययन बताते हैं कि शिंगल्स वैक्सीन यानी कि शिंग्रिक्स बिल्कुल सुरक्षित है। यह वैक्सीन शिंगल्स से बचाव के लिए आपके शरीर को मजबूती से तैयार करती है। इसके परिणामस्वरूप हो सकता है कि अस्थायी रूप से आपको इसके कुछ साइड इफेक्ट नजर आएं, जैसे टीका लगवाने के बाद

    • 2-3 दिनों तक अपने सामान्य काम करने में परेशानी महसूस होना।
    • बांह में हल्का या ज्यादा दर्द
    • इंजेक्शन वाली जगह पर लालिमा या सूजन
    • थकान महसूस होना
    • मांसपेशियों में दर्द
    • सिरदर्द
    • बुखार
    • पेट दर्द
    • मितली

    शिंगल्स वैक्सीन लगवाने वाले 6 में से एक व्यक्ति में साइड इफेक्ट देखे जाते हैं जो 2-3 दिनों में अपने आप ठीक हो जाजते हैं। युवाओं में यह साइड इफेक्ट ज्यादा दिखता है।

    यदि आपको शिंग्रिक्स की एक या दोनों डोज किसी तरह का रिएक्शन होता है, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

    और भी पढ़ें: जानें कहा तक पहुंची है कोराेना की वैक्सीन और आने वाले साल में इसका प्रभाव कैसा रहेगा

    शिंगल्स रोग के लिए घरेलू उपचार

    यदि किसी को शिंगल्स रोग हो जाता है तो वह निम्न घरेलू तरीके अपना सकते हैं।

    • टी ट्री ऑयल इस रोग में फायदेमंद माना जाता है। दरअसल, इसमें एंटी-फंगल और एंटी-सेप्टिक गुण होते हैं, जो शिंगल्स की समस्‍या को जड़ से दूर कर सकता है। इस ऑयल की कुछ बूंदें संक्रमित त्‍वचा पर लगाकर छोड़ दें।
    • एप्‍पल साइडर सिरका भी शिंगल्‍स की समस्या से छुटकारा दिलाने में मददगार है। इसमें एंटी-वायरल गुण होता है जो दर्द कम करता है। पानी में एप्‍पल साइडर सिरका मिलाकर इसे प्रभावित हिस्से पर लगाएं। आप चाहें को एप्‍पल साइडर विनेगर का सेवन भी कर सकते हैं। 1 ग्लास गुनगुने पानी में दो चम्‍मच विनेगर और एक चम्‍मच शहद मिलाकर खाने से 20 मिनट पहले पीएं। ऐसा दिन में 3 बार करें।
    • किसी भी तरह के संक्रमण से बचाव में विटामिन सी और शहद बहुत मददगार होता है औरइम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत बनाता है। जब आपकी इम्यूनिटी मजबूत रहेगी, तो आप शिंगल्स से भी बच जाएंगे। इसलिए डायट में विटामिन सी से भरपूर चीजें शामिल करें और शहद को भी डायट में शामिल करें। शहद में मौजूद एंटी-बैक्‍टीरियल और एंटीवायरल गुण शिंगल्‍स की समस्या दूर करने मदद करता है।
    • किसी भी बीमारी से बचने के लिए आपकी इम्यूनिटी का मजबूत होना बहुत जरूरी है। यदि आपकी इम्यूनिटी सही है, तो आपको शिंगल्स क्या दूसरी और कोई भी बीमारी जल्दी नहीं होगी। अपने डायट में विटामिन-सी की मात्रा भी शामिल करें। इसके लिए बहुत से ऐसे फूड हैं, जिसमें आपको विटामिन सी मिल जाएगा, जैसे कि इसकी कमी को पूरा करने के लिए संतरे का सेवन काफी अच्छा मानते हैं। कई अध्ययनों के अनुसार भी विटामिन सी शिंगल्स जैसी बीमारी के लिए काफी प्रभावकारी माना गया है। ये दर्द में भी काफी राहत पहंचाता है। इसके अलावा इसमें कई तरह के एंटी-बैक्‍टीरियल और एंटीवायरल गुण होते हैं।
    • त्वचा के लिए एलोवेरा का उपयोग काफी अच्छा मानते हैं। इस जेल और अर्क शिंगल्‍स सहित त्‍वचा की कई समस्‍याओं का उपचार कर सकते हैं।
    • मुलेठी के उपयोग को भी इस रोग के इलाज के लिए काफी प्रभावकारी मानते हैं। इसमें मौजूद एंटीवायरल गुणों के कारण भी मुलेठी शिंगल्‍स जैसी बीमारी के इलाज के लिए बहुत प्रभावी होती है। आप इसका इस्तेमाल पाउडर या चाय के रूप में कर सकते हैं। पाउडर का पेस्ट बना लें और प्रभावित त्‍वचा पर लगायें।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

    के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

    डॉ. प्रणाली पाटील

    फार्मेसी · Hello Swasthya


    Niharika Jaiswal द्वारा लिखित · अपडेटेड 05/01/2022

    advertisement iconadvertisement

    Was this article helpful?

    advertisement iconadvertisement
    advertisement iconadvertisement