क्या है शिंगल्स रोग (Shingles Disease) ?
शिंगल्स एक तरह का चर्म रोग है जो वायरस के कारण होता है और इस बीमारी में शरीर पर फफोले जैसे आ जाते हैं। दरअसल, जिन लोंगो को बचपन में चिकनपॉक्स हुआ हो उनके शरीर में वैरिसेला जोस्टर जो एक तरह का हर्पिज वायरस है दोबारा सक्रिय हो जाते हैं और यही शिंगल्स रोग के लिए जिम्मेदार है। यह वायरस नर्व में छुपे होते हैं और किन्हीं कारणों से दोबारा एक्टिव हो जाते हैं। कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता के साथ ही कई बार यह बीमारी तनाव, चोट, कुछ दवाओं के रिएक्शन या अन्य कारणों से भी हो सकती है। इससे बचाव के लिए शिंगल्स वैक्सीन लेनी जरूरी है।
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शिंगल्स रोग के कारण (Shingles Disease Causes)
बचपन में हुए चिकन पॉक्स के कारण : बचपन में सभी को एक बार चिकनपॉक्स हुआ होता है। तो बड़े होने के बाद कई बार ये बीमारी चिकन पॉक्स के वायरस वेरिसेला जॉस्टर के कारण होती है। दरअसल चिकन पॉक्स ठीक होने के बाद यह वायरस नर्वस सिस्टम में चला जाता है । जिसका प्रभाव अन्य हिस्सों पर भी होता है।
वायरल इंफेक्शन : हर्पीज एक प्रकार का वायरस है, जोकि एच. एस. वी. के कारण होती है। यदि किसी को ये इंफेक्शन हो जाए तो इसका प्रभाव उसके तंत्र पर भी पड़ता है। त्वचा के अलावा शरीर के अंदर भी ये वायरस प्रभावित करता है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करता है : जब हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने लगती है, तो धीरे-धीरे कर के कई बीमारी शरीर पर हावी होने लगती है। जिसमें से एक ये भी है। इस रोग में वायरस सीधे नर्वस से होते हुए त्वचा तक चला जाता है। जिसके कारण स्किन में खुजली, दानों में दर्द और जलन जैसी समस्या होती है।
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जानिए शिंगल्स वैक्सीन (Shingles Vaccine) के बारे में
शिंगल्स नामक चर्म रोग से बचने का एकमात्र तरीका है शिंगल्स वैक्सीन (शिंग्रिक्स)। जानकारों के मुताबिक 50 साल और उससे अधिक उम्र के सभी लोगों को शिंगल्स की वैक्सीन जिसे शिंग्रिक्स (Shingrix) कहते हैं ज़रूर लगवानी चाहिए। यह जोस्टर वैक्सीन के संयोजन से ही बनी है। शिंगल्स रोग और उससे होने वाली जटिलताओं को कम करने के लिए यह वैक्सीन 2 से 6 महीने में लगाई जाती है। आपका डॉक्टर या फार्मासिस्ट ऊपरी बांह पर इसका इंजेक्शन लगाता है। यह वैक्सीन शिंगल्स रोग से बचाने में 90 फीसदी से अधिक प्रभावी है। टीकाकरण के बाद अगले 4 सालों तक यह आपको 85 फीसदी तक सुरक्षा प्रदान करती है।