इलाज
चिकनपॉक्स का आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic treatment of chickenpox) क्या है?
चिकनपॉक्स का आयुर्वेदिक इलाज थेरिपी, जड़ी-बूटी और औषधियों की मदद से किया जाता है :
चिकनपॉक्स का आयुर्वेदिक इलाज थेरिपी या कर्म के द्वारा (Ayurvedic therapy for chickenpox)
चिकनपॉक्स का आयुर्वेदिक इलाज निम्न कर्म के द्वारा की जाती है :
वमन कर्म (Vaman karma )
चिकनपॉक्स का आयुर्वेदिक इलाज वमन कर्म के द्वारा किया जाता है। इसमें चिकनपॉक्स से पीड़ित व्यक्ति को उल्टी कराई जाती है। जिससे शरीर के दोषों में संतुलन बनता है। चिकनपॉक्स के इलाज में किए जा रहे वमन कर्म में अडूसा, नीम, परवल आदि जड़ी-बूटियों की मदद से उल्टी कराई जाती है। जिससे पेट से विषाक्त पदार्थ निकल जाते हैं और शरीर डिटॉक्स हो जाता है।
लेपन कर्म (Lapen Karma)
लेपन कर्म में चिकनपॉक्स पीड़ित व्यक्ति के शरीर पर किसी पेस्ट के द्वारा की जाने वाली मालिश है। इससे त्वचा पर निकलने वाले दानों में खुजली से आराम मिलता है। क्योंकि चिकनपॉक्स में होने वाली खुजली से त्वचा में जलन होने लगती है। ऐसे में त्वचा को ठंडक पहुंचाना जरूरी होता है। नीम की पत्तियां, ब्राह्मी, मेहंदी की पत्तियों को एक साथ पीस कर पेस्ट बना लें। इसके बाद आपको उसे चिकपॉक्स चिकनपॉक्स से पीड़ित मरीज के शरीर पर इस पेस्ट को लगा कर मसाज करें। मेहंदी और ब्राह्मी की तासीर ठंडी होती है, जिससे खुजली के कारण होने वाले जलन से राहत मिलती है। वहीं, नीम एंटीसेप्टिक का काम करता है और त्वचा पर किसी अन्य तरह के इंफेक्शन को होने से रोकता है।
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चिकनपॉक्स का आयुर्वेदिक इलाज जड़ी बूटियों के द्वारा
चिकनपॉक्स का आयुर्वेदिक इलाज निम्न जड़ी बूटियों के द्वारा किया जाता है :
हल्दी (turmeric)
हल्दी को हम दो तरह से इस्तेमाल करते हैं, एक कच्ची हल्दी और एक पकी हल्दी। कच्ची हल्दी, हल्दी की जड़ होती है और पकी हल्दी में हल्दी को पानी में उबाल कर पकाया जाता है और फिर उसे धूप में सुखाया जाता है। चिकनपॉक्स के इलाज के लिए कच्ची हल्दी का इस्तेमाल किया जाता है। कच्ची हल्दी को पानी की मदद से पीस कर उसे मरीज को एक चम्मच सुबह शाम पिलाएं। इसके अलावा दूध में भी कच्ची हल्दी को पका कर पीने के लिए दे सकते हैं।
गुडुची (Guduchi)
गुडुची एक आयुर्वेदिक ब्लड प्यूरिफायर है, जिसे स्किन प्रॉब्लम में ज्यादातर इस्तेमाल किया जाता है। चिकनपॉक्स में भी स्किन में प्रॉब्लम होती है। ऐसे में चिकनपॉक्स के मरीज को गुडुची का इस्तेमाल करना चाहिए। हालांकि, गुडुची का स्वाद थोड़ा कड़वा होता है, लेकिन इसके पाउडर या अर्क के इस्तेमाल से चिकनपॉक्स से राहत मिलती है।
नीम (Neem)
चिकनपॉक्स में नीम का नाम सबसे पहले आता है। चिकनपॉक्स में ज्यादातर नीम का ही प्रयोग किया जाता है, क्योंकि नीम एक प्राकृतिक एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल, एंटीसेप्टिक औषधि है जो ब्लड को प्यूरीफाई भी करता है और चिकनपॉक्स में होने वाली खुजली से राहत देता है। चिकनपॉक्स से ग्रसित मरीज को नहाने के पानी में नीम की पत्तियां मिला कर नहाना चाहिए। वहीं, नीम का पाउडर, काढ़ा, अर्क, तेल आदि रूपों में इस्तेमाल किया जा सकता है।
मंजिष्ठा ( Manjishtha)
मंजिष्ठा एक ऐसी जड़ी-बूटी है, जो ब्लड फ्लो को दुरुस्त करती है। चिकनपॉक्स का आयुर्वेदिक इलाज में डॉक्टर अक्सर मंजिष्ठा का प्रयोग करते हैं। मंजिष्ठा स्वाद में थोड़ा तीखा होता है और इसे टैबलेट, पाउडर, काढ़े या पेस्ट के रूप में मरीज को दिया जाता है। मंजिष्ठा का प्रयोग हमेशा डॉक्टर के द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार ही करें।
मुलेठी (Mulethi)
मुलेठी कफ और वात विकारों में इस्तेमाल की जाने वाली जड़ी-बूटी है। चिकनपॉक्स में कुछ लोगों की त्वचा पर बड़े छाले पड़ जाते हैं, ऐसे में मुलेठी उन छालों को सुखाने में मदद करता है। इसके लिए मुलेठी की चाय, काढ़ा या पानी में इसका पाउडर मिलाकर मरीज को पिलाएं।