
घर में नए मेहमान के आते ही मां-बाप की जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं। फिर चाहें उसके पालन-पोषण की बात हो या बच्चों का वैक्सीनेशन करवाने की। मां-बाप को बच्चे के जन्म के साथ ही उसके टीकाकरण को लेकर अधिक जागरुक हो जाने की जरूरत होती है। बच्चों के वैक्सीनेशन को लेकर उनकी इस जागरुकता की वजह है टीकाकरण के बाद बच्चे को होने वाली गंभीर बीमारियों से बचाव। आज हम आपको बताएंगे बच्चों का वैक्सीनेशन क्या है, इन्हें कब लगवाना चाहिए और इसके फायदे क्या हैं।
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बच्चों का वैक्सीनेशन क्या है?
बच्चों का वैक्सीनेशन कराना उनको गंभीर बीमारियों से बचाने का एक सरल और असरदार तरीका है। यह न केवल रोगों से रक्षा करने में मदद करता है। बल्कि, यह बीमारी को बढ़ने से रोककर बड़े समुदाय की सुरक्षा करता है।
कुछ बीमारियों से लड़ने के लिए इम्यून सिस्टम को ट्रिगर करने का काम बच्चों का वैक्सीनेशन करता है। अगर एक टीका लगाया गया व्यक्ति इन बीमारियों के संपर्क में आता है, तो उनका इम्यून सिस्टम ज्यादा असरदार तरीके से प्रतिक्रिया करने में सक्षम होता है, जिससे बीमारी को और अधिक विकसित होने से रोका जा सके या इसकी गंभीरता को कम किया जा सके।
बच्चों का वैक्सीनेश किन बचपन की बीमारियों से करता है बचाव?
बच्चों का वैक्सीनेशन कराने से उन्हें कई गंभीर बीमारियों से बचपन में ही बचाया जा सकता है, जिनमें शामिल हैं:
- काली खांसी (pertussis)
- खसरा (measles )
- जर्मन खसरा (रूबेला)
- मेनिंगोकोकल सी (meningococcal C)
- न्यूमोकोकल रोग (pneumococcal disease)
- चिकनपॉक्स (Veri-Sella )
- टिटनस (tetanus)
- कण्ठमाला का रोग (mumps)
- पोलियो (polio)
- डिप्थीरिया (diphtheria)
- रोटावायरस (rotavirus)
- हेपेटाइटिस (hepatitis)
बच्चे इन स्थितियों के कारण अस्पताल में भर्ती होने से लेकर, गंभीर स्वास्थ्य स्थितियों (कैंसर, ब्रेन डैमेज और बहरेपन सहित) में पड़ सकते हैं और कभी-कभी यह और भी घातक हो सकते हैं। उच्च टीकाकरण दरों के कारण इनमें से कई बीमारियां अभी कम हो गई हैं। हालांकि, ये बीमारियां अभी भी मौजूद हैं और इन बीमारियों से होने वाले दुष्प्रभावों या जटिलताओं के जोखिम टीकाकरण से होने वाले दुष्प्रभावों के से कहीं अधिक हैं।
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बच्चे का वैक्सीनेशन कब कराना चाहिए?
राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम अनुसूची निश्चित समय पर कुछ टीकों को लगाने की सलाह देता है। बच्चों का वैक्सीनेशन का किस समय कराया जाना चाहिए इसके लिए पेडिएट्रक (बच्चों के डॉक्टर) से बात करके आप और अधिक जानकारी प्राप्त की जा सकती है। वहीं, कुछ बच्चों को अतिरिक्त टीके भी लगवाने पड़ सकते हैं। अगर आप अनिश्चित हैं, तो अपने डॉक्टर या टीकाकरण प्रोवाइडर से बात करें। 8 से 10 साल में छात्रों को स्कूल-आधारित कार्यक्रम के माध्यम से जरूरी टीके भी दिए जाते हैं।
बच्चों का वैक्सीनेशन कराने में देरी न करें
बच्चों को जीवन के शुरूआती समय में घातक बीमारियों से बचाने के लिए बच्चों के वैक्सीनेशन में देरी करने के बजाय बताए गए समय पर टीके लगवाना जरूरी होता है। अजन्मे शिशुओं को उनकी मां के एंटीबॉडी द्वारा संरक्षित किया जाता है, जो जन्म के बाद कुछ महीनों तक रहता है। एक बार जब ये एंटीबॉडीज खराब हो जाते हैं, तो शिशुओं को गंभीर संक्रमण और बीमारियां होने का खतरा होता है। इन एंटीबॉडीज के गायब होने से पहले शिशु अपने पहले टीकाकरण के फेज में होता है। शिशुओं के लिए टीकों की सलाह दी जाती है क्योंकि उनका इम्यूनिटी सिस्टम पूरी तरह से मैच्योर नहीं होता है, जिससे उनके शरीर में बैक्टीरिया और वायरस का बनना और बढ़ना आसान हो जाता है।
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कब-कब कराएं बच्चों का वैक्सीनेशन
- गर्भावस्था
- जन्म
- चार महीने
- 6 महीने
- 7 – 11 महीने
- 12 महीने
- 12- 23 महीने
- 4 – 6 साल
- 7 -10 साल
- 11 – 12 साल
- 13 – 18 वर्ष
- 23 वर्ष
क्या बच्चों का वैक्सीनेशन सुरक्षित है?
टीकाकरण बच्चों को गंभीर बीमारी से बचाने का एक बहुत ही सुरक्षित उपाय है। हालांकि, कोई भी दवा 100% सुरक्षित नहीं हो सकती है। टीकाकरण का सबसे जरुरी लाभ है कि वह एक जानलेवा बीमारी से ग्रसित होने के जोखिमों को दूर करता हैं। उपयोग किए जाने वाले सभी टीके व्यापक लैब में अलग-अलग टेस्ट से गुजरते हैं और उन्हें चिकित्सीय सामान प्रशासन (Therapeutic Goods Administration) द्वारा उपयोग के लिए सुरक्षित बताया जाता है। इससे पहले कि किसी वैक्सीन को लाइसेंस दिया जा सके, इसे सुरक्षित रखने के लिए कई वर्षों तक परीक्षण किया जाता है और यह काम करता है। टीका को लेकर सुरक्षा के बारे में कोई भी शंका होने पर अपने डॉक्टर या टीकाकरण करने वाले के साथ बात करें।
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क्या बच्चे को बीमारी के दौरान भी टीका लगाया जा सकता है?
अगर टीकाकरण के दिन आपके बच्चे कोअधिक बुखार हो, तो आपके बच्चे का टीकाकरण नहीं किया जाना चाहिए। अगर आप अनिश्चित हैं, तो चिकित्सीय सलाह लें। अपने चिकित्सक से जांच कराएं कि क्या आपके बच्चे को कभी एलर्जिक रिएक्शन हुए हैं या वह कीमोथेरेपी जैसे उपचार से गुजर रहा है, जो इम्यूनिटी सिस्टम को कमजोर करते हैं।
क्या बच्चों का वैक्सीनेशन कराने के दुष्प्रभाव होते हैं?
सभी दवाओं की तरह टीकों के दुष्प्रभाव हो सकते हैं। लगभग ये सभी मामूली प्रतिक्रियाएं हैं, जैसे इंजेक्शन वाली जगह दर्द या हल्का बुखार। अधिकांश साइड-इफेक्ट कम समय के लिए होते हैं और लंबी समस्याओं का कारण नहीं बनते हैं। एक मामूली रिएक्शन भी दिखता है कि टीका इम्यूनिटी सिस्टिम पर जरूरी प्रभाव डाल रहा है। अधिक गंभीर दुष्प्रभाव बहुत कम देखने को मिलते हैं । लेकिन इसमें एलर्जी संबंधी प्रतिक्रियाएं (एनाफिलेक्सिस सहित) हो सकती हैं। रोटावायरस टीकाकरण में पहली और दूसरी वैक्सीन की खुराक के बाद पहले कुछ हफ्तों में 17,000 में से 1 शिशु को कुछ परेशानी हो सकती है।
बच्चो का वैक्सीनेशन कहां कराएं ?
अपने आसपास के सरकारी अस्पताल या बाल स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर पता करें कि क्या वे मुफ्त टीकाकरण करते हैं। आप अपने बच्चे को अपने डॉक्टर द्वारा भी टीका लगवा सकती हैं। जिसमें टीका मुफ्त होगा, आपका डॉक्टर परामर्श शुल्क ले सकता है।
बच्चों का वैक्सीनेशन कराने के बाद इन बातों का रखें ख्याल
- पोलियो की खुराक के तुरंत बाद बच्चे को स्तनपान कराया जा सकता है।
- बीसीजी का वैक्सीनेशन बच्चे को जहां लगा हो वहां कोई रिएक्शन या फफोला हो तो घबराएं नहीं।
- बच्चों का वैक्सीनेशन कराने के बाद अगर उसे कोई एलर्जी हो या बुखार आए तो घबराएं नहीं डॉक्टर से सलाह लें।
- टीका लगने वाली जगह पर अगर सूजन हो, तो उस पर ठंडे पानी की पट्टी रख सकते हैं।
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