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माइक्रोसेफली- जब बच्चों के मस्तिष्क का नहीं होता सही विकास

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Toshini Rathod द्वारा लिखित · अपडेटेड 23/02/2021

    माइक्रोसेफली- जब बच्चों के मस्तिष्क का नहीं होता सही विकास

    माइक्रोसेफली (microcephaly) एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल स्थिति है जिसमें बच्चे का सिर सामान्य से छोटा होता है। कुछ बच्चों के मस्तिष्क का विकास गर्भ में ही सही तरह से नहीं हो पाता, तो कुछ में जन्म के बाद सही विकास न होने के कारण माइक्रोसेफली (microcephaly) की समस्या होती है। इसमें बच्चे के सिर का आकार सामान्य साइज से छोटा होता है। बच्चों में यह समस्या कई कारणों से हो सकती है। माइक्रोसेफली क्या है, क्यों होती है इसका क्या उपचार है जानिए इस आर्टिकल में।

    माइक्रोसेफली क्या है (What is microcephaly)?

    माइक्रोसेफली एक ऐसी स्थिति है जिसमें बच्चे का सिर सामान्य से बहुत छोटा होता है। ऐसा प्रेग्नेंसी के दौरान बच्चे के मस्तिष्क का विकास सही तरीके से न होने के कारण या जन्म के बाद मस्तिष्क का विकास रुकने के कारण होता है। माइक्रोसेफली अकेले हो सकता है यानी इसके साथ दूसरे बर्थ डिफेक्ट नहीं होते या फिर दूसरे गंभीर बर्थ डिफेक्ट (birth defect) के साथ भी हो सकता है। माइक्रोसेफली कई अनुवांशिक या पर्यावर्णीय कारको के कारण हो सकता है। इससे पीड़ित बच्चों में विकास संबंधी समस्या (Development issue) भी देखी गई है। वैसे तो इसका कोई उपचार नहीं है, लेकिन जल्दी निदान से कुछ थेरेपी की मदद से बच्चे कि जिंदगी को बेहतर बनाया जा सकता है और बच्चे के विकास (chid development) में थोड़ी मदद मिल सकती है।

    माइक्रोसेफली के लक्षण (sign of microcephaly)

    मुख्य रूप से इस न्यूरोलॉजिकल स्थिति में बच्चे का सिर उसी उम्र के अन्य बच्चों की तुलना में बहुत छोटा होता है। गंभीर माइक्रोसेफली होने पर बच्चे के अन्य अंगों और विकास पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। साथ ही इस स्थिति में बच्चे का सिर (kids head) पीछे की ओर झुका भी हो सकता है।

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    माइक्रोसेफली के कारण (causes of microcephaly)?

    इस न्यूरोलॉजिकल स्थिति के अधिकांश मामलों में मस्तिष्क का असामान्य विकास इसके लिए जिम्मेदार होता है। अक्सर मस्तिष्क के असामान्य विकास किन कारणों से हुआ इसका पता नहीं चल पाता है। माइक्रोसेफली (microcephaly) के लिए अनुवांशिक कारण (genetic reason) भी जिम्मेदार हो सकते हैं।

    अनुवांशिक स्थिति

    कई जेनेटिक यानी अनुवांशिक स्थितियों के कारण भी बच्चे के मस्तिष्क का सही विकास नहीं हो पाता है। आमतौर पर निम्न अनुवांशिक (Genetic) स्थितियों के कारण माइक्रोसेफली (microcephaly) हो सकती है-

    कॉर्नेलिया डी लैंगे सिंड्रोम (Cornelia de Lange syndrome)- इस सिंड्रोम के कारण गर्भ के अंदर और जन्म के बाद भी मस्तिष्क का विकास धीमी गति से होता है। इसकी वजह से बौद्धिक समस्याएं (Intellectual problem), बांह और हाथों का असामान्य विकास, चेहरे के फीचर्स पर असर देखा गया है। जैसे इस सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों के आईब्रो एकसाथ मध्य में उग जाते हैं, कान नीचे की ओर होते हैं, नाक और दांत छोटे होते हैं।

    डाउन सिंड्रोम (Down syndrome)- इस सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों में निम्न समस्याएं होती है-

    • संज्ञानात्मक देरी
    • थोड़ा या अधिक बौद्धिक विकलांगता
    • कमजोर मांसपेशिया
    • चेहरे का असामान्य फीचर जैसे आंखों का अलग शेप, गोल चेहरा आदि।

    क्री-डु-चैट (Cri-du-chat syndrome)- इसे कैट्स क्राई सिंड्रोम भी कहते हैं। इससे पीड़ित शिशु बहुत तेज आवाज में बिल्ली की तरह रोता है। इस दुर्लभ सिंड्रोम की वजह से निम्न परेशानिया होती हैं-

  • बौद्धिक विकलांगता
  • जन्म के समय शिशु का कम वजन
  • कमजोर मसल्स
  • अलग फेशियल फीचर्स, जैसे आंखें चौड़ी, छोटे जबड़े और नीचे की ओर कान
  • सिकेल सिंड्रोम (Seckel syndrome)- यह भी एक दुर्लभ बीमारी है जो गर्भ में और जन्म के बाद भी बच्चे के विकास को बाधित करती है। इसकी वजह से निम्न परेशानिया होती हैं-

    • बौद्धिक विकलांगता
    • अलग फेशियल फीचर्स, जैसे संकीर्ण चेहरा, चोंच की तरह नाक, झुका हुआ जबड़ा

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    वायरस, ड्रग्स या टॉक्सिन के संपर्क में आना

    बच्चा जब गर्भ में ही किसी वायरस, ड्रग्स या टॉक्सिन के संपर्क में आता है तो इस न्यूरोलॉजिकल स्थिति (neurological condition) का शिकार हो सकता है। उदाहरण के लिए प्रेग्नेंसी (pregnancy) के दौरान शराब और ड्रग्स (Drugs) का सेवन करने वाली महिलाओं के शिशुओं को माइक्रोसेफली (microcephaly) हो सकता है।

    माइक्रोसेफली के अन्य संभावित कारणों में शामिल हैं –

    माइक्रोसेफली- Microcephal

    ऊपर बताए कारणों के अलावा कई बार वायरस से प्रभावित होने पर भी मस्तिष्क का विकास (brain devlopment) प्रभावित होता है। प्रेग्नेंट महिला के कई तरह के वायरस के संपर्क में आने से गर्भ में पल रहे शिशु को माइक्रोसेफली होने का खतरा बढ़ जाता है।

    जीका वायरस (zika virus)- संक्रमित मच्छर इंसानों में जीका वायरस फैला सकता है।  प्रेग्नेंसी के दौरान (during pregnancy) यदि महिला इससे संक्रमित होती है तो यह शिशु तक पहुंच सकता है और इसकी वजह से बच्चा इस न्यूरोलॉजिकल स्थिति और अन्य जन्मजात रोगों से ग्रसित हो सकता है जैसे-

    • देखने और सुनने में परेशानी
    • सही विकास न होना
    • मिथाइलमर्करी पॉइजनिंग (Methylmercury poisoning)

    कुछ लोग मिथाइलमर्करी का उपयोग जानवरों को खिलाए जाने वाले दानों को संरक्षित करने के लिए करते हैं। साथ यह पॉइजनिंग पानी में भी बन सकती है, जिससे मछलियां भी जहरीली हो जाती है। ऐसे में यदि कोई दूषित सीफूड या ऐसे जानवरों का मीट खाते हैं जिसने मिथाइलमर्करी वाला दाना खाया हो तो यह उनके शरीर में भी प्रवेश कर जाता है और यदि प्रेग्नेंट महिला (pregnant women)ऐसी चीजों का सेवन कर ले तो इस जहर का असर शिशु के मस्तिष्क विकास (child brain development)  पर होता है और इससे स्पाइनल कॉर्ड इंजरी (spinal cord injury) भी हो सकती है।

    जन्मजात रूबेला (Congenital rubella)- यदि प्रेग्नेंसी के पहले 3 महीने में आम जर्मन मिजल्स या रूबेला फैलाने वाले वायरस के संपर्क में आती हैं तो बच्चे में गंभीर विकास संबंधी समस्या हो सकता है

    • बहरापन (hearing loss)
    • बौद्धिक विकलांगता
    • सिजर्स

    हालांकि रूबेला वैक्सीन (rubella vaccine) की वजह से यह स्थितियां अब आम नहीं रह गई हैं।

    जन्मजात टोक्सोप्लाज़मोसिज़ (Congenital toxoplasmosis)- यदि आप प्रेग्नेंसी के दौरान पैरासाइट टोक्सोप्लाज़मोसिज़ गॉन्डी (toxoplasmosis gondii)  से पीड़ित होती हैं, तो बच्चे में विकास संबंधी समस्या हो सकती है। प्रीमेच्योर डिलिवरी (premature delivery) के साथ ही बच्चे को कई शारीरिक परेशानियां हो सकती हैं-

    • सिजर्स (Sizers)
    • अंधापन और बहरापन

    यह पैरासाइट बिल्ली के मल और कुछ बिना पके भोजन में पाया जाता है।

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    डिलिवरी की जटिलताएं (complications in delivery)

    यह न्यूरोलॉजिकल स्थिति कई बार डिलिवरी के समय होने वाली जटिलताओं के कारण भी हो सकती है। बच्चे के मस्तिष्क तक ऑक्सीजन सप्लाई (oxygen supply) कम होने पर इस डिसऑर्डर का खतरा बढ़ जाता है। मां का  गंभीर कुपोषण भी इसकी संभावना बढ़ा देता है।

    माइक्रोसेफली का निदान कैसे किया जाता है?  (Microcephaly diagnosis)

    आपके बच्चे को माइक्रोसफली है या नहीं, इसका पता लगाने के लिए डॉक्टर विस्तार से बच्चे के जन्म  से पहले, जन्म और फैमिली हिस्टी के बारे में पूछता है और शारीरिक परीक्षण (physical examination)) करता है। वह आपके बच्चे की सिर के घेरे को मापता है और उम्र के अनुसार विकास चार्ट से उसकी तुलना करता है और भविष्य में विकास के बारे योजना बनाता है। पैरेंट्स के सिर का आकार भी मापा जाता है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि कहीं छोटे सिर का पारिवारिक इतिहास तो नहीं है। कुछ मामलों में यदि आपके बच्चे का विकास धीमा है, तो डॉक्टर आपको सीटी स्कैन (CT scan) या एमआरई (MRI) और ब्लड टेस्ट (blood tests) करके इसके अंर्तनिहित कारणों को जानने की कोशिश करता है।

    माइक्रोसेफली का उपचार (Microcephaly Treatment)

    माइक्रोसेफली- Microcephal

    क्रेनियोसेनोस्टोसिस (craniosynostosis) एक प्रकार का बर्थ डिफेक्ट (Birth defect) है जिसमें बच्चे की खोपड़ी में हड्डियां बहुत जल्दी एक साथ जुड़ जाती हैं और ऐसा बच्चे के मस्तिष्क के पूरी तरह से बनने से पहले ही हो जाता है। सिर्फ क्रेनियोसेनोस्टोसिस (बच्चे की खोपड़ी में हड्डियां बहुत जल्दी जुड़ जाती हैं) के लिए सर्जरी (surgery) की जाती है, जबकि माइक्रोसेफली के लिए कोई इलाज नहीं है जो बच्चे के सिर का आकार बढ़ा सकते या अन्य जटिलताओं को खत्म कर सकते। उपचार सिर्फ इस स्थिति को मैनेज करने पर केंद्रित होता है यानी इस स्थिति के साथ ही बच्चे को कैसे बेहतर जिंदगी के लिए प्रेरित किया जा सकता है। चाइल्डहुड इंटरवेन्शल प्रोग्राम (childhood Internationale program ) जिसमें स्पीच, फिजिकल और ऑक्यूपेशनल थेरेपी शामिल है वह बच्चे की क्षमताओं को मजबूत करने में मदद कर सकता है। माइक्रोसेफली के कारण होने वाली कुछ जटिलताओं के लिए डॉक्टर दवा की सलाह दे सकता है जैसे सिजर्स (seizure ) या हाइपरएक्टिविटी (hyperactivity)।

    क्या माइक्रोसेफली को रोका जा सकता है? (Can microcephaly be prevented)

    इस न्यूरोलॉजिकल स्थिति को रोकना हमेशा संभव नहीं होता, खासतौर पर जब यह अनुवांशिक (genetic) हो। यदि आपके बच्चे को माइक्रोसेफली है, तो आपको जेनेटिक काउंसलिंग की जरूरत है। जेनेटिक काउसलिंग में कई तरह के सवालों के जवाब और जानकारियां दी जाती हैं-

    • प्रेग्नेंसी प्लान (pregnancy plan) करने से जुड़ी जानकारी
    • प्रेग्नेंसी के दौरान क्या किया जाना चाहिए
    • बच्चे की देखभाल कैसे करें
    • एक व्यस्क के रूप में माइक्रोसेफली के साथ कैसे रहा जा सकता है।

    जन्म से पहले सही देखभाल, प्रेग्नेंसी (Pregnancy) के दौरान शराब और ड्रग्स से दूरी बनाकर कुछ हद तक माइक्रोसेफली की संभावना को कम जरूर किया जात सकता है। साथ ही विशेषज्ञ प्रेग्नेंट महिलाओं (Pregnant women) को ऐसी जगहों पर जाने से भी मना करते हैं जहां जीका वायरस (zika virus) की संभावना अधिक हो।

    माइक्रोसेफली का सामना और सहयोग (Coping with microcephaly)

    किसी भी पैरेंट्स के लिए वह बहुत मुश्किल समय होता है जब उसे पता चलता है कि उसका बच्चा माइक्रोसेफली (microcephaly) से पीड़ित है। वह गुस्सा (anger), डर (fear), चिंता (anxiety), निराशा और गिल्ट की भावनाओं से भर जाते हैं। उन्हें समझ नहीं आता कि अब क्या करें और उनके बच्चे का भविष्य कैसा होगा। इस स्थिति से बाहर निकलने का बस एक ही तरीका है स्थिति से जुड़ी जानकारी और सहयोग प्राप्त करना। साथ ही मौजूदा हालात का सामना करने के लिए खुद को मानसिक रूप से तैयार करना।

    विश्वसनीय प्रोफेशनल्स को तलाशें- अब जो हुआ उसे तो आप बदल नहीं सकते, लेकिन बच्चे के भविष्य को बेहतर बनाने के बारे में तो सोचना होगा न। इसलिए अपने आसपास बेहतरीन डॉक्टर, टीचर और थेरेपिस्ट की तलाश करें, जो बच्चे को बेहतर जिंदगी जीने में मदद कर सकेंगे

    अपनी तरह दूसरे परिवारों को तलाशें- जब आपको अपनी तरह ही दूसरे परिवार मिलेंगे जिनके बच्चे भी इसी स्थिति से पीड़ित है तो आपको हालात का सामना करने की हिम्मत आती है और आप दोनों एक दूसरे का सहयोग कर सकते हैं। आप ऑनलाइन भी ऐसी कम्यूनिटी की तलाश कर सकते हैं।

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    माइक्रोसेफली (microcephaly) एक दुर्भल मानसिक स्थिति है और इसे पीड़ित बच्चों व उनके पैरेंट्स की जिंदगी बहुत मुश्किल हो जाती है। वैसे तो इसे पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता, लेकिन प्रेग्नेंट महिलाओं (pregnant women) को प्रेग्नेंसी के दौरान (during pregnancy) हमेशा अपना चेकअप करवाते रहना चाहिए और डॉक्टर के निर्देशों का पूरा पालन करना चाहिए जिससे शिशु को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से बचाया जा सके।

    डिस्क्लेमर

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