इस न्यूरोलॉजिकल स्थिति को रोकना हमेशा संभव नहीं होता, खासतौर पर जब यह अनुवांशिक (genetic) हो। यदि आपके बच्चे को माइक्रोसेफली है, तो आपको जेनेटिक काउंसलिंग की जरूरत है। जेनेटिक काउसलिंग में कई तरह के सवालों के जवाब और जानकारियां दी जाती हैं-
- प्रेग्नेंसी प्लान (pregnancy plan) करने से जुड़ी जानकारी
- प्रेग्नेंसी के दौरान क्या किया जाना चाहिए
- बच्चे की देखभाल कैसे करें
- एक व्यस्क के रूप में माइक्रोसेफली के साथ कैसे रहा जा सकता है।
जन्म से पहले सही देखभाल, प्रेग्नेंसी (Pregnancy) के दौरान शराब और ड्रग्स से दूरी बनाकर कुछ हद तक माइक्रोसेफली की संभावना को कम जरूर किया जात सकता है। साथ ही विशेषज्ञ प्रेग्नेंट महिलाओं (Pregnant women) को ऐसी जगहों पर जाने से भी मना करते हैं जहां जीका वायरस (zika virus) की संभावना अधिक हो।
माइक्रोसेफली का सामना और सहयोग (Coping with microcephaly)
किसी भी पैरेंट्स के लिए वह बहुत मुश्किल समय होता है जब उसे पता चलता है कि उसका बच्चा माइक्रोसेफली (microcephaly) से पीड़ित है। वह गुस्सा (anger), डर (fear), चिंता (anxiety), निराशा और गिल्ट की भावनाओं से भर जाते हैं। उन्हें समझ नहीं आता कि अब क्या करें और उनके बच्चे का भविष्य कैसा होगा। इस स्थिति से बाहर निकलने का बस एक ही तरीका है स्थिति से जुड़ी जानकारी और सहयोग प्राप्त करना। साथ ही मौजूदा हालात का सामना करने के लिए खुद को मानसिक रूप से तैयार करना।
विश्वसनीय प्रोफेशनल्स को तलाशें- अब जो हुआ उसे तो आप बदल नहीं सकते, लेकिन बच्चे के भविष्य को बेहतर बनाने के बारे में तो सोचना होगा न। इसलिए अपने आसपास बेहतरीन डॉक्टर, टीचर और थेरेपिस्ट की तलाश करें, जो बच्चे को बेहतर जिंदगी जीने में मदद कर सकेंगे
अपनी तरह दूसरे परिवारों को तलाशें- जब आपको अपनी तरह ही दूसरे परिवार मिलेंगे जिनके बच्चे भी इसी स्थिति से पीड़ित है तो आपको हालात का सामना करने की हिम्मत आती है और आप दोनों एक दूसरे का सहयोग कर सकते हैं। आप ऑनलाइन भी ऐसी कम्यूनिटी की तलाश कर सकते हैं।
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माइक्रोसेफली (microcephaly) एक दुर्भल मानसिक स्थिति है और इसे पीड़ित बच्चों व उनके पैरेंट्स की जिंदगी बहुत मुश्किल हो जाती है। वैसे तो इसे पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता, लेकिन प्रेग्नेंट महिलाओं (pregnant women) को प्रेग्नेंसी के दौरान (during pregnancy) हमेशा अपना चेकअप करवाते रहना चाहिए और डॉक्टर के निर्देशों का पूरा पालन करना चाहिए जिससे शिशु को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से बचाया जा सके।