
विकास और व्यवहार
मेरे बच्चे को अभी क्या-क्या गतिविधियां करनी चाहिए?
29 महीने के बच्चे की देखभाल करना मुश्किल नहीं बल्कि नामुमकिन-सा काम होता है। खासकर तब जब बच्चे का शरीर और मानसिक विकास तेजी से हो रहा हो। 29 महीने के बच्चे जब किसी के साथ खेलते हैं, तो अपने खिलौने के लिए अक्सर झगड़ा करते हैं। इस उम्र में बच्चे अपनी चीजों की रक्षा करना चाहते हैं, लेकिन किसी के साथ कोई चीज शेयर कैसे की जाती है, इसका ज्ञान स्वाभिक तौर पर आना मुश्किल होता है।
इस उम्र में अक्सर बच्चा अपनी चीजों को दोहराता है। अक्सर देखा जाता है कि 29 महीने के बच्चे बार-बार एक ही चीज को खाना चाहता है। हर बार वही कपड़े पहनना चाहता है या ठीक उसी क्रम में चीजे करने की इच्छा रखता है। 29 महीने के बच्चे की देखभाल के दौरान आपको यह याद रखने की आवश्यकता है कि वह दुनिया के बारे में समझ बनाने की कोशिश कर रहा है। इसलिए थोड़ा-सा कंट्रोल करके चीजों को सिखाने की कोशिश करें। इस दौरान आप जितनी सादगी के साथ बच्चों के साथ पेश आएंगे वो वही सीखने की कोशिश करेगा।
29 महीने के बच्चे का दिमाग तेजी से विकास करता है और वह अपनी आंखों के जरिए जो भी देखता है उसकी एक छवि दिमाग में बैठा लेता है। जैसा कि अनुभव और आदत उसके मस्तिष्क में नए-नए कनेक्शन बनाते हैं, वह इन कैप्चर की गई छवियों को दिमाग में बैठा लेता है, जैसे कि उसका खोया हुआ गुड्डा कैसा था, दादी मां का घर कैसा है, कल जो उसने खाना खाया था आदि।
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29 महीने के बच्चे की देखभाल : बच्चे को अब किन चीजों के लिए तैयार करना चाहिए ?
- 29 महीने के बच्चे के सामने घर में या बच्चे के सामने झगड़ा करने से बचे
- “शेयरिंग” जैसे शब्दों का उपयोग करें। 29 महीने के बच्चे से पुछे कि “क्या आप मेरी कुकी शेयर करना चाहेंगे?”
- 29 महीने के बच्चे को बाहर की चीजों के प्रति आकर्षित करें, जैसे कहीं घूमाना या फिर बुलबुले बनाना।
- उन्हें दिखाएं कि घर में मौजूद बड़े लोग या बच्चे कैसे चीजे शेयर करते हैं।
- घर में जब दूसरे बच्चे खेलने आते हैं तो उनका फेवरेट खिलौना छुपा दें। बच्चे अक्सर चाहते हैं कि जो चीजें उन्हें पसंद है या फिर जिससे उनका जुड़ाव है उसे कोई और बच्चा न खेले।
- बच्चों को खेलने के लिए आजादी दें। छोटे बच्चों का दिमाग काफी तेज होता है, इसलिए उनका दिमाग कल्पनाएं ज्यादा कर सकता है, इसलिए बच्चों को पेंटिंग, ड्राइिंग और मिट्टी से खेलने की आजादी दें, ताकि वह नई चीजों को सीख सके।
- रात में जब बच्चा सोने वाले हो, तो उससे दिन भर की एक्टिविटी के बारे में पूछें। जैसे-आज आपने क्या खेला?
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डॉक्टर के पास कब जाएं?
29 महीने के बच्चे की देखभाल के लिए बच्चे से जुड़े किन विषयों पर डॉक्टर से बात करनी चाहिए?
अक्सर देखा जाता है कि 29 महीने के बच्चे होने के बावजूद कुछ बच्चों की अंगूठा चूसने की आदत नहीं जाती है। मनोवैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो अंगूठा चूसने से बच्चों का मन शांत होता है। इस उम्र में बच्चों के दिमाग में प्री-स्कूल या फिर डे-केयर जाने की भी एक छवि बना दी जाती है, इसलिए जब वह अंगूठे की ओर देखता है, तो वह थका हुआ, डरा हुआ या फिर ऊब चुका महसूस करता है।
वह रात को सोते समय और रात के बीच में जागने पर खुद को वापस सुलाने के लिए अंगूठे को चूसने की कोशिश करता है। यह एक आम प्रक्रिया है, जो ज्यादातर बच्चों में देखने को मिलती है। ऐसे में आप डॉक्टर के पास बच्चों को लेकर जाएं तो उसको डराए नहीं बल्कि प्यार से समझाने की कोशिश करें।
इस समय बच्चों का नियमित चेकअप किया जाता है। आपका डॉक्टर कुछ ऐसे सवाल कर सकता है-
- बच्चे के खाने का क्या रूटीन है? क्या वह समय से खाता है?
- क्या आपका बच्चा शारीरिक रूप से एक्टिव है? क्या वह बाहर खेलता है?
- आपका बच्चा टीवी या आईपैड देखता है ? अगर हां, तो कितने घंटे?
डॉक्टर को क्या बताएं?
अपने 29 महीने के बच्चे को नियमित डेंटल चेकअप के लिए ले जाएं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उसके दांत स्वस्थ और साफ हैं। इस उम्र में बच्चों के दांत उगने के कारण कई बार सांस की बदबू आ जाती है, अगर आपके बच्चे में इस तरह की परेशानी है तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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क्या उम्मीद करें?
29 महीने के बच्चे बच्चे की देखभाल से संबंधित और किन चीजों का ध्यान रखना चाहिए ?
- बच्चों और वयस्कों में कभी-कभी सांस की बदबू की परेशानी देखने को मिलती है।
- अमूमन मुंह का सूखा रहना: कई मामलों में देखा गया है कि 29 महीने के बच्चे या उससे छोटे बच्चे नाक की बजाय मुंह से सांस लेते हैं, अगर आपका बच्चा भी ऐसा ही कर रहा है तो उसके मुंह में बैक्टीरिया कम होने की संभावना है।
- मटर, बीन, एक छोटा खिलौना या एक अन्य वस्तु जिसे अक्सर बच्चे मुंह या नाक में डाल लेते हैं, इसकी वजह से भी सांसों से बदबू आ सकती है। ऐसा उन बच्चों के साथ देखने को मिलता है, जो छोटी-छोटी चीजों को उठा लेते हैं और सीधे नाक या मुंह में डाल लेते हैं।
- खराब हाइजीन : अक्सर लोग खाना खाने के बाद बच्चों के मुंह नहीं धुलवाते हैं, जिसके कारण खाना दांतों के बीच, गम लाइन पर, जीभ पर या अपने बच्चे के गले में टॉन्सिल की सतह पर जमा रहता है। इसी कारण बच्चे के मुंह में बैक्टीरिया पैदा हो जाते हैं, जो सांसों में बदबू का कारण बनते हैं।
- तीखा खानाः अगर आपको छोटा सा बेबी लहसुन और प्याज वाली सब्जी या अन्य चीजों को चटकारे लेकर खाता है तो यह कई बार सांस की बदबू का कारण बन सकते हैं। यह वह पदार्थ हैं। जो शरीर के सिस्टम से सांस को प्रभावित करते हैं।
समय पर टीका देने के अलावा बच्चों से जुड़ी छोटी-छोटी बातों का भी ध्यान रखना आवश्यक होता है। उदाहरण के तौर पर बच्चों को कड़ी धूप से जरूर बचाकर रखें। शुरुआती दौर में सनबर्न होने की संभावना होती है। सनबर्न होने से त्वचा खराब होती है। उन्हें टोपी और चश्मे के साथ बाहर लेकर जाएं। बच्चों को हर मौसम में खास देखभाल की जरूरत होती है। उनके खान-पान से लेकर स्वास्थ्य तक का मौसम के हिसाब से ख्याल रखें।
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