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स्कूल के लिए बच्चों को पॉकेटमनी कितनी देनी चाहिए?

स्कूल के लिए बच्चों को पॉकेटमनी कितनी देनी चाहिए?

पेरेंट्स द्वारा बच्चों को दी जाने वाली पॉकेटमनी बच्चों को ‘मनी मैनेजमेंट’का गुण सिखाने के लिए सहायक है। इसके साथ ही पॉकेटमनी को खर्च करने के तरीके से उन्हें आर्थिक आत्मनिर्भर होने में भी मदद मिलती है। बच्चों को पॉकेटमनी (Pocket money for kids) देने पर एज्युकेशन स्पेशलिस्ट और चाइल्ड सायकायट्रिस्ट के अलग-अलग मत हैं। कई विशेषज्ञों का मानना है कि पॉकेट मनी बच्चे की प्रतिभा में रुकावट जैसा है, जबकि कुछ को बच्चों की प्रतिभा में सहायक मानते हैं। सवाल उठता है कि यदि बच्चों को पॉकेटमनी (Pocket money for kids) दी जाए तो कितनी? बच्चों को पॉकेटमनी देना कब शुरू करें और पैसे देते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

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बच्चों को पॉकेटमनी (Pocket money for kids) कब देना शुरू करें?

  • बच्चों को 7-8 साल की उम्र से पॉकेट मनी देना सही समय माना जाता है। 
  • आठ साल की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते बच्चे पैसों की वैल्यू समझने लगते हैं।
  • इस उम्र के बाद बच्चों में पैसे संभालने की टेंडेंसी आने लगती है।

बच्चों को जेब खर्च देने से पहले करें ये काम

बच्चों को जेब खर्च भले ही आप सात या फिर आठ साल से देना शुरू करें, लेकिन बच्चों को मनी के बारे में आप चाहे तो चार या पांच साल से ही समझाना शुरू कर सकती हैं। बच्चे चार या पांच साल से खेल-खेल में आसानी से कई बातों को समझ जाते हैं। उन्हें ये बात पता चल जाती है कि पैसे की सहायता से टॉफी (Toffee) या फिर चॉकलेट (Chocolate) खरीदा जाता है। आपको बच्चे के साथ फेक मनी यानी नकली पैसे की मदद से गेम खेलना होगा। बच्चे को खेल-खेल के माध्यम से बताएं कि कैसे घर के लिए खर्च करते हैं और बाकी पैसों की सेविंग करते हैं। ऐसा करने से बच्चों को चार या पांच साल इस बात की जानकारी हो जाएगी कि हाथ में जितने पैसे होते हैं, सब को खत्म नहीं करना होता है, बल्कि कुछ सेविंग भी की जाती है। यकीन मानिए ऐसा करने से बच्चों को पैसे की वैल्यू कम उम्र में ही समझ आ जाएगी। गेम खेलने (Playing) के दौरान बोनस पाउंट बच्चे को जरूर दें,जब वे पैसों की बचत करें।

बच्चों को पॉकेटमनी (Pocket money for kids) में शुरुआत में थोड़े-थोड़े पैसे देना ही सही

बच्चों को पॉकेटमनी (Pocket money for kids) एक बार देने से अच्छा है कि आप उन्हें सप्ताह करके दें। और निर्देश दें कि वह इन पैसों का किन चीजों पर खर्च कर सकता है? बच्चों को मौखिक रूप से यह हिदायत भी दें कि तय समय से पहले पैसे खर्च न करें, वरना फिर से पैसे नहीं मिलेंगे। ऐसी हिदायतें देने से बच्चे में प्लान से खर्च करने की आदत पड़ जाएगी, जो जीवन में आगे भी काम आ सकेगा।

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बच्चों को पॉकेटमनी (Pocket money for kids) देते समय किन खर्चों को शामिल करें?

आप जब भी बच्चों को पॉकेटमनी (Pocket money for kids) दें, उसे अच्छी तरह से समझा दें कि उसे इन पैसों से किस तरह के खर्च निकालने हैं? अगर संभव हो तो बच्चों को पॉकेटमनी से किए जाने वाले खर्चों की लिस्ट बना दें। इससे बच्चा अपने खर्चों का बजट व बचत को समझ पाएगा। जेनरली इन पॉकेट मनी में स्कूल कैंटीन, स्टेशनरी, और अन्य खाने-पीने की चीजें शामिल होती हैं।

चाइल्ड सायकायट्रिस्ट डॉ. जितेंद्र नागपाल कहते हैं कि आज बच्चों को चीजों की कीमत पता है, लेकिन उसकी अहमियत नहीं। पैरंट्स की जिम्मेदारी है कि वे बच्चों को पैसे और मेहनत की वैल्यू समझाएं। पैसे देने से पहले उन्हें सेविंग की जानकारी दें। उन्हें समझाएं कि उनके पास जो पैसे हैं, उन्हें पूरा खर्च नहीं करना है। बच्चे को बहुत ज्यादा पैसे न दें।”

बच्चों को पॉकेटमनी (Pocket money for kids) देना है कितना सही?

बच्चों को पॉकेटमनी (Pocket money for kids) ज्यादा बिलकुल न दें, नहीं तो उनमें फिजूलखर्ची की आदत लग सकती है। पेरेंट्स होने की नाते आपको अपने बच्चों की जरूरत आपको पता होनी चाहिए। उसी को बेस मानकर पॉकेट मनी तय करें। आप अपने बच्चों के दोस्तों के पेरेंट्स से भी इसपर बात कर सकते हैं। शुरुआत में उसे उतने पैसे जरुर दें, जिससे वे अपने लिए छोटी-छोटी चीज़ें, जैसे – मनपसंद टॉफी, पेंसिल, स्टीकर आदि खरीद सकें।

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बच्चे को बच्चा रहने में मदद करें

अपने बच्चों को पॉकेटमनी (Pocket money for kids) ज्यादा देकर उसे अपने दोस्तों और अन्य बच्चों से अलग करने की कोशिश न करें। आप बहुत अमीर हो सकते हैं, लेकिन बच्चे को बच्चा ही रहने दें। उसे अन्य बच्चों के साथ खेलने, कूदने, घूमने, पढ़ने दें। इससे बच्चों में परस्पर सहयोग, स्नेह, आत्मीयता व आत्मविश्वास की वृद्धि होती है। साथ ही बच्चों को पॉकेटमनी (Pocket money for kids) देने के साथ ही बचत की आदत भी डालें।

बच्चे को बताएं जरूरत और चाहत में अंतर

जरूरत और चाहत में फर्क होता है। इस बात को आपको बच्चे को समझाना होगा। बच्चे को सिर्फ जरूरत के हिसाब से खर्च करना बताएं। बच्चे को समझाएं कि वह जरूरी चीजोंं पर ही खर्च करे और फिजूलखर्च ना करे। बच्चों को जो भी चीज मार्केट में दिखाई देती है और उन्हें पसंद आती है, वो उसे खरीदना चाहते हैं। जब बच्चे बहुत छोटे होते हैं तो उन्हें ये बात समझाना मुश्किल होता है, लेकिन आप उन्हें सात से आठ साल में जरूरत और चाहत में अंतर बता सकते हैं। एक बात का ध्यान रखें कि बच्चे की सभी डिमांड को पूरा करना उसकी आदत बिगाड़ने जैसा होता है। अगर आप बच्चे की सभी डिमांड को पूरा करेंगे तो उन्हें ये समझ नहीं आएगा कि पैसे की क्या वैल्यू होती है। साथ ही वो पैसे को खर्च करते समय ज्यादा नहीं सोचेंगे। आपको उसे धीरे-धीरे ही सही, लेकिन पैसे की वैल्यू को समझाना होगा।

घर की छोटी जिम्मेदारियों से बताएं पैसों का इस्तेमाल

घर के अंदर और आसपास के कामों के लिए अपने बच्चों को जरूर लगाएं। यह उनके अंदर पैसों का मैनेजमेंट करने के सही तरीकों को सीखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शुरुआत में इस तरह के कामों में उनसे कोई गलती भी हो जाए तो ज्यादा नुकसान नहीं होगा। क्योंकि, बाद में बड़ी गलतियों की तुलना में अब आप छोटी “गलतियां” करना बच्चे के लिए बेहतर है।

अगर आप किसी वेकेशन या फिर ट्रिप में जा रहे हैं तो बच्चों के साथ शॉपिंग (Shopping) करने जाए। बच्चों को उस दौरान कहें कि वे एक लिस्ट तैयार करें, जिसमें उनके जरूरी सामान शामिल हो। अब उस सामान के सामने आप रेट भी लिख सकती हैं। अब आप उस सामान को हटा दें, जो जरूरी नहीं है। बच्चे को पहले तैयार किए गए बजट और बाद के बजट के बारे में अंतर समझाएं। उन्हें बताएं कि प्राथमिकता पहले जरूरी सामान खरीदना होता है। अगर रुपए एक्स्ट्रा हो तो उन्हें रख लेना चाहिए, ताकि जरूरत पड़ने पर उन्हें फिर से यूज किया जा सके।

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बच्चे को महंगे-सस्ते की जानकारी दें

10 साल के ऊपर के बच्चे पैसों का लेखा-जोखा अच्छे से रख सकते हैं। इसके लिए आप जब भी बाजार जाएं तो बच्चे को साथ लेकर जाए। इससे जब आप सामान खरीदेंगे तो बच्चे को महंगे और सस्ते की जानकारी दे सकते हैं। सामान की खरीदारी करते समय उन पर अंकित कीमत को पढ़ना बताएं। दुकानदार को चुकाई गई कीमत के बारे में बच्चे से सवाल-जवाब करें। इससे बच्चे को मजा भी आएगा और खरीदारी को लेकर समझ भी बढ़ेगी।

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बच्चे के लिए बैंक में खाता खोलें 

कोशिश करें कि बच्चे के नाम से बैंक में एक जमा खाता (Savings Account) खोल दें। अगर बच्चा दस साल से ऊपर का है तो उसे खुद ही बैंक जाने दें और फॉर्म भर कर धन जमा करने के लिए कहें। इस से बच्चे में बचत की आदत की भावना आएगी। साथ ही बैंक के कार्यप्रणाली की जानकारी भी होगी।

बच्चों को बैंकिंग प्रणाली के बारे में बताएं

बच्चे में बचत की आदत सिखाना हो तो उन्हें बैंक के कामों को भी बताएं। इससे उनमें बैंकिंग की जानकारी होगी। आप अपने छोटे बच्चों को अपने साथ बैंक ले जा सकते हैं, इससे जब भी बैंक जाएं तो बच्चे को साथ ले जाएं। बच्चे को बैंक का महत्त्व समझाएं। उसे बताएं की बैंक में किस तरह उसके पैसे सुरक्षित हैं और जरूरत पड़ने में उसे किस तरह से इन पैसों से मदद मिल सकती है। हो सके तो बच्चे का भी एक अकाउंट खुलवाए।

बच्चों को पॉकेटमनी (Pocket money for kids) एक समय के बाद आपको देना ही पड़ेगा, बेहतर होगा कि उसे पहले से पैसे के महत्व के बारे में जानकारी दें। अगर बच्चों को एक बार ये बात समझ आ गई कि हमारी जरूरतों के लिए पैसा बहुत महत्वपूर्ण है तो वो हमेशा इस बात का ध्यान रखेंगे कि पॉकेटमनी को हमेशा जरूरी कामों के लिए ही खर्च करना चाहिए।आशा करते हैं कि आपको इस आर्टिकल की जानकारी पसंद आई होगी और आपको बच्चों को पॉकेटमनी (Pocket money for kids) से जुड़ी सभी जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अगर आपके मन में बच्चों की देखभाल या पेरेंटिंग से जुड़ा कोई भी सवाल हो तो आप हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं। साथ ही आप हेल्थ अपडेट के लिए हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज को लाइक करें।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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Current Version

14/07/2021

Nikhil Kumar द्वारा लिखित

के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. अभिषेक कानडे

Updated by: Nidhi Sinha


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Nikhil Kumar द्वारा लिखित · अपडेटेड 14/07/2021

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