पेरेंट्स अक्सर यह सोचते हैं कि बच्चे की ढाई-तीन साल उम्र होने पर ही उन्हें प्ले –स्कूल (Play school) में भेज दिया जाए। इससे बच्चा कुछ सीख जाएगा और बच्चों के एडमिशन (Child admission) में होने वाले इंटरव्यू के लिए जल्दी तैयार हो जाएगा। लेकिन, क्या आपको यह पता है कि बच्चों के लिए स्कूल किस उम्र में स्टार्ट करना अच्छा रहता है? भारत में अधिकतर माता-पिता अपने बच्चों की स्कूलिंग पांच साल तक के होते ही शुरू करवा देते हैं। ऐसा करना ठीक नहीं है। कई शिक्षा मनोवैज्ञानिक भी यही कहते हैं। स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए हालिया रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ है कि बच्चों को बहुत जल्द स्कूल भेजने से बिहेवियर पर बुरा प्रभाव पड़ता है। शोध के मुताबिक, बच्चों को स्कूल भेजने की उम्र जितनी ज्यादा होगी, बच्चे का खुद पर सेल्फ-कंट्रोल (Self control) उतना अच्छा होगा और बच्चे का दिमाग उतना एक्टिव होगा। स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा की गई इस शोध के मुताबिक, बच्चों को 5 की उम्र के बजाय 6 या 7 की उम्र में स्कूल भेजना चाहिए। रिसर्च में पाया गया कि जिन बच्चों को 6 साल की उम्र में किंडरगार्डन यानी प्री-स्कूल भेजा गया था, उनका 7 से 11 साल की उम्र में खुद पर सेल्फ कंट्रोल बहुत अच्छा था।
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सेल्फ कंट्रोल बच्चों के शुरुआती सीखने के समय में ही विकसित किया जा सकता है। सेल्फ कंट्रोल वाले बच्चे आसानी से किसी भी चुनौतियों का सामना कर पाते हैं। स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता थॉमस डी और हैन्स हेनरिक सीवर्जन ने अपने इस शोध के लिए डैनिश नेशनल बर्थ कोवर्ट डीएनबीसी से डाटा इकट्ठा किया।
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एक्सपर्ट्स की मानें तो माता पिता बच्चों को उम्र से पहले स्कूल भेजने लगते हैं। मां-बाप यही सबसे बड़ी गलती कर रहे हैं। बच्चा दो साल का होता नहीं है कि माता-पिता बच्चों को प्ले स्कूल में एनरोल करा देते हैं। बच्चे आज कल तीन साल की उम्र में नर्सरी, चार साल की उम्र में केजी और पांच साल की उम्र में फर्स्ट क्लास कर लेते हैं। बहुत सारे मामले ऐसे भी देखे गए हैं कि बच्चा 4 साल की उम्र में ही फर्स्ट क्लास में पहुंच जाता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि यदि बच्चे को उम्र (Child’s age) से पहले स्कूल में एडमिन कराया जाए तो इससे उनकी ज्ञान संबंधी स्किल्स प्रभावित होती हैं। खासकर बच्चों के पढ़ने (Teaching) या याद करने की क्षमता पर असर पड़ता है। यही कारण है कि ये बच्चे दूसरे बच्चों से काफी पीछे रह जाते हैं।
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बच्चों के एडमिशन की सही उम्र क्या है? (Child’s age)
राइट टू एजुकेशन ऐक्ट 2009 के अनुसार फर्स्ट क्लास में पढ़ने वाले बच्चे की उम्र 6 साल से कम नहीं होनी चाहिए। लेकिन भारतीय माता पिता को बच्चों को स्कूल भेजने की इतनी जल्दी रहती है कि महज चार साल का बच्चा फर्स्ट क्लास में पहुंच जाता है। ऐसा सिर्फ बड़े महानगरों में ही नहीं गांवों में भी देखने को मिल रहा है। ऐनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (ASER) 2019 की मानें तो ग्रामीण इलाकों में पढ़ने वाले हर 5 में से 1 बच्चा, 6 साल की उम्र (6 Years baby) से पहले ही क्लास 1 में पहुंच जाता है। दरअसल आजकल के मां-बाप चाहते हैं कि उनका बच्चा हर क्षेत्र में बहुत एडवांस रहे। इस कारण से वो अपने बच्चे को लगभग तीन साल के बाद ही स्कूल में डालने के बारे में सोचने लगते हैं। कुछ मां-बाप का मानना है कि बच्चा जितनी जल्दी स्कूल जाने लगेगा वो पढ़ाई के क्षेत्र में उतना अधिक बेहतर रहेगा। बहुत से मां-बाप बहुत ही कम उम्र में ही अपने बच्चे को प्ले स्कूल (Babies play school) में डाल देते हैं। यदि एक्ट की मानें तो इतनी कम उम्र बच्चों के स्कूल जाने के लिए सही नहीं होती है। इस पड़ाव में बच्चों की सही देखभाल करने की आवश्यकता अधिक होती है।
स्कूल का चुनाव करते समय अपनाएं ये टिप्स
आज किसी भी शहर में स्कूल की कमी नहीं है। लेकिन मां-बाप के लिए समस्या यह पैदा हो जाती है कि वो अपने बच्चे के लिए सही स्कूल का चुनाव कैसे करें। कौन सा स्कूल उनके बच्चे के लिए बेहतर है, यह एक कठिन फैसला होता है। हर क्षेत्र की तरह आजकल स्कूल में भी बहुत अधिक कंपिटिशन बढ़ गया है। ऐसे में प्रत्येक व्यक्ति असमंजस में पड़ जाता है कि किसी स्कूल में अपने बच्चे का एडमिशन (Babies admission) कराएं। हर मां-बाप की स्कूल को लेकर कुछ प्राथमिकता होती है। जिसमें बच्चे की देखभाल,सुरक्षा,शिक्षा और बच्चे को अच्छा संस्कार दिया जाए। आइए जानते हैं, अपने बच्चे के लिए स्कूल का चुनाव करते समय आपको क्या करने की आवश्यकता है।
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1. बच्चे और परिवार के बड़ों के साथ विचार करें
आप अपने बच्चे के लिए अच्छे स्कूल की तलाश में हैं। सबसे पहले यह जरूरी है यह जानना कि एक स्कूल में क्या खूबियां चाहते हैं ? इसके बारे में सोचकर अच्छे स्कूल के लिए अपनी खोज शुरू करें। शायद आपके बच्चे को विशेष भाषा या शिक्षा की जरूरत हो, इन पर भी ध्यान रखें। आखिरकार, आप अपने बेटे या बेटी को किसी और से बेहतर जानते हैं। उनकी योग्यता और काबिलियत बखूबी समझते हैं। स्कूल की तलाश करने में इन बिंदुओं पर परिवार के अन्य सदस्यों के साथ विचार करना भी सहायक साबित होगा।
2. बच्चों के एडमिशन के लिए स्कूलों के बारे में जानकारी इकट्ठा करें
यदि आपको कार या रेफ्रिजरेटर खरीदने की जरूरत होती, तो आप क्या करते? दोस्तों और परिवार से बात करके, इंटरनेट और पत्रिकाओं से जानकारी हासिल करते हैं। इसी तरह, जब बच्चों के लिए स्कूलों की जांच करते हैं, तो आपको फोन कॉल करके, विभिन्न स्कूलों के न्यूज लैटर और प्रॉस्पेक्टस आदि से जरूरत की जानकारी प्राप्त करें। बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए किया गया आपका थोड़ा सा भी स्मार्ट काम आपके बच्चे के लिए अच्छे स्कूल ढूंढने में सफल हो जाए तो आपकी मेहनत रंग लाएगी।
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3. बच्चे की सुविधा के लिए जांच करें
यह जरूरी नहीं है कि जो स्कूल आपने बच्चे के लिए पसंद किया है, वो आपके घर के नजदीक ही हो। कई बार वह स्कूल आपके घर से कुछ दूर भी स्थित हो सकता है। ऐसे में यदि आप प्रतिदिन बच्चे को छोड़ने और ले जाने के लिए उपलब्ध नहीं हैं तो आपको इस बारे में स्कूल प्रबंधन से पूरी जानकारी लेनी चाहिए। उनसे बात करके आपको यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि क्या स्कूल की तरफ से बच्चों को घर से लेने और छोड़ने की सुविधा दी जा रही है। इसके अलावा आपको स्कूल वैन ड्राइवर और कंडेक्टर का नाम नंबर अथवा अन्य जानकारी लेकर रखना चाहिए। स्कूल द्वारा यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि बच्चों के लिए संपूर्ण साधन सेवा के लिए वो जिम्मेदार होंगे। स्कूल में उनका पूरा रिकॉर्ड दर्ज होना चाहिए। उनका पुलिस वेरिफकेशन कराए बिना उन्हें काम पर नहीं रखना चाहिए। यह सुरक्षा की दृष्टि से कराना आवश्यक होता है।
4. फिडबैक लेना न भूलें
अपने बच्चे के लिए स्कूल का चुनाव करने से पहले वहां पहले से पढ़ रहे बच्चे और उनके अभिभावक से बात करना न भूलें। कई बार जैसी चीजें दिखाई देती हैं वैसी होती नहीं हैं। इसलिए जो बच्चे पहले से वहां पढ़ रहे हैं उनसे बात करके असल में उस स्कूल के बारे में जानकारी ली जा सकती है। उनके मां-बाप से भी बच्चो के व्यवहार के बारे में पूछें। वो घर आकर कैसा व्यवहार करते हैं। स्कूल के बारे में और वहां के अध्यापक के बारे में वो क्या बताते हें। इस प्रकार की सभी जानकारी रखने के बाद ही अपने बच्चे को किसी स्कूल (School) में दाखिला दिलाएं।
5. स्कूलों का निरीक्षण करें
जिन विद्यालयों में आपकी रुचि है, उनसे संपर्क करें और विजिट के लिए समय की मांग करें। यदि संभव हो, तो नियमित स्कूल समय (School time) के दौरान स्कूलों का दौरा करें और कुछ कक्षाओं का भी दौरा करें। स्कूल कैसे संचालित होता है? इसकी वास्तविक जानकारी प्राप्त करने के लिए कार्यकाल के पहले या सप्ताह के अन्तिम दिनों के दौरान स्कूलों का दौरा करने से बचें।
स्कूल से संबंधित अपने सवालों का जवाब पाने का एक अच्छा तरीका स्कूल प्रिंसिपल के साथ मीटिंग (Meeting) हो सकती है। यदि संभव हो, तो किसी अभिभावक-शिक्षक बैठक या अन्य स्कूल समारोह में भाग लें। जो स्टाफ, छात्रों और अभिभावकों के दृष्टिकोण के बारे में मूल्यवान जानकारी भी प्रदान करेगा।
स्कूल के बारे में शिक्षक क्या कहते हैं, इसे करीब से सुनें। शिक्षक आपके बच्चे के सबसे करीब होंगे और आप जानना चाहेंगे कि क्या वे अपने काम में अच्छी तरह से तैयार, समर्पित और खुश हैं? क्योंकि बच्चों के एडमिशन के बाद बच्चों का भविष्य इन्हीं शिक्षकों के हाथों में सौपने वाले हैं।
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6. बच्चों के एडमिशन: चुने गए स्कूलों पर तुरंत एक्शन लें
एक बार जब आप अपने बच्चे के लिए सबसे अच्छा स्कूल का चयन कर लेते हैं, तो आप स्कूलों में बच्चों के एडमिशन (Child admission) के लिए आवेदन करने और अपने बच्चे का नामांकन करने की प्रक्रिया से गुजरेंगे। यदि आपका बच्चा अपनी पहली पसंद में एडमिशन नहीं ले सका है, तो एक से अधिक स्कूलों में आवेदन करने पर विचार करें। प्रवेश प्रक्रिया अलग-अलग हो सकती है। आपके बच्चे को परीक्षण या साक्षात्कार की आवश्यकता हो सकती है और आपको सिफारिशें या अन्य जानकारी प्रदान करने की आवश्यकता हो सकती है। यह स्कूलों के लिए प्रवेश मानदंड के बारे में जानने में मददगार होगा।
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नोट: कई बार छोटे बच्चों को कई तरह से प्रतिड़ित किया जाता है लेकिन वो किसी डर वश अपने मन की बाते व्यक्ति नहीं कर पाते हैं। इसलिए चिंता को कम करने के लिए अपने बच्चे से रोज बात करें,उनसे पूछें कि पूरे दिन स्कूल में उन्होंने क्या किया। हर अध्यापक के बारे में हर विशष के बारे में बात करें। अपने बच्चे को प्रतिदिन समय देकर उनके स्कूल (School), ट्यूशन (Tution) और बाकी सभी कार्यों के बारे में बात करें। बच्चे संबंधी किसी भी जानकारी के लिए किसी जानकार या एक्सपर्ट की सलाह लें।
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