बच्चे के अंदर तेजी से सीखने की प्रवृत्ति कब से विकसित होती है, या बच्चा कब से अच्छे से सीखने लगेगा इसे लेकर हर पैरेंट्स चिंतित रहते हैं। पैरेंट्स को फिक्र की नहीं, बल्कि धैर्य की जरूरत है। अगर आपका बच्चा सीखने के काबिल हो तो उसे अच्छी आदतें सीखाना शुरू कर दें। बच्चे को पॉटी ट्रेनिंग (Potty training) देना भी एक बड़ी चुनौती होती है। लेकिन, हर मां-बाप को अपने बच्चे को सबसे पहले पॉटी ट्रेनिंग देना चाहिए।
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बच्चे की पॉटी ट्रेनिंग (Potty training) को बनाए इस तरह से आसान
अगर आपको लग रहा है कि आपके बच्चे को नहीं पता कि कब पॉटी के लिए बताना है, तो बच्चे की पॉटी ट्रेनिंग (Potty training) बहुत जरूरी हो जाती है। आपको इसके लिए कुछ बातों का ख्याल रखने की जरूरत है। जानिए किन बातों का ध्यान रखें।
बच्चे की पॉटी ट्रेनिंग (Potty training): बच्चे के हाव भाव को समझें
बच्चे को पॉटी ट्रेनिंग देने से पहले माता-पिता को समझना चाहिए कि बच्चा सीख सकता है या नहीं। इसके लिए लगभग एक महीने तक बच्चे की आदतों और हावभाव पर माता-पिता को गौर करना चाहिए। अगर बच्चा सूसू करने के बाद गीली नैपी को पहने रहने से मना कर रहा है तो आप समझ जाएं कि अब डायपर को बाय-बाय कहने का वक्त आ गया है।
पॉटी ट्रेनिंग में बच्चे के दिलचस्पी बनाएं :
बच्चे को प्यार से समझाएं कि अब डायपर या पैंट में सूस या पॉटी करना सही नहीं है। बच्चे को बताएं कि अगर वह डायपर में सूसू या पॉटी करता रहा तो वह बीमार हो जाएगा। साथ ही उसे अपने साथ लेकर शौचालय जाएं और बच्चे में शौचालय के प्रयोग के लिए दिलचस्पी जगाएं। बच्चे को शौचलय के हर चीज (टॉयलेट सीट पर बैठने से लेकर फ्लश तक) की जानकारी और उसे इस्तेमाल करने का तरीका बताएं। ऐसा करने से बच्चे के मन में शौचालय का इस्तेमाल करने की इच्छा होगी।
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बच्चे की पॉटी ट्रेनिंग (Potty training): पॉटी करते वक्त बच्चे की पैंट निकाल दें
नेकर निकालना पॉटी ट्रेनिंग का एक अहम हिस्सा है। ऐसा करने से बच्चे को एहसास होगा कि उसे आप क्या करने के लिए कह रहे हैं। सुबह उठते ही बच्चे की डायपर या नेकर निकाल दें और उसे शौचालय जाने के लिए कहें। ऐसा हर रोज करने से बच्चे को पॉटी के लिए शौचायल में जाने की आदत हो जाएगी।
पॉटी चेयर का इस्तेमाल करें:
पॉटी ट्रेनिंग के पहले दिन से ही बच्चे को पॉटी सीट पर बैठने का तरीका सिखाएं। हालांकि बच्चा छोटा है तो पॉटी सीट पर सही से नहीं बैठ पाएगा। इसलिए पॉटी चेयर का इस्तेमाल करें। बच्चों के अंदर बड़ों को देख कर सीखने की आदत होती है। इसलिए बच्चे को पॉटी चेयर पर बैठाने के साथ ही आप भी पॉटी सीट पर बैठें और बच्चे को पॉटी करना सिखाएं।
बच्चे की पॉटी ट्रेनिंग (Potty training): बच्चे को खुद से कपड़े उतारना और पहनना सिखाएं
बच्चे को पॉटी ट्रेनिंग के दौरान खुद से पैंट उतारने के लिए कहें। ऐसा करने से उसे समझ में आएगा कि कपड़ें में गंदगी नहीं करनी है। पॉटी करने के बाद उसे हाथ धुलना सिखाएं और फिर नेकर पहनने को कहें। जिससे बच्चे को पॉटी करने की प्रक्रिया समझ में आ जाए।
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दिन के साथ रात में भी दें पॉटी ट्रेनिंग :
बच्चे को दिन में ही नहीं बल्कि रात में भी पॉटी ट्रेनिंग दें। दिन भर वह जागता रहता है लेकिन रात में वह बिस्तर गीला कर दे तो ट्रेनिंग का कोई मतलब नहीं निकलता। इसलिए बच्चे को सोने से पहले सूसू करने को कहें। इसके अलावा उसे समझाएं कि रात में सूसू आने पर वह आपको जगाए। खुद भी रात में तीन से चार घंटे के अंतराल पर बच्चे को उठा कर सूसू कराएं।
पॉटी ट्रेनिंग के दौरान बच्चे पर गुस्सा न करें:
बच्चे को जब भी पॉटी ट्रेनिंग दें तो उसकी असफलताओं पर गुस्सा ना करें। बच्चा है सीखते-सीखते ही सीख पाएगा। पॉटी ट्रेनिंग के दौरान कभी-कभार बच्चा डायपर या नेकर गंदा कर सकता है। ऐसे में उसे अपने साथ वॉशरूम में ले जाएं और बताएं कि उसने गंदगी की है। बच्चे को समझाएं कि ऐसा दोबारा ना करे और जब भी सूसू या पॉटी आए तो आपको बताए।
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बच्चे की टॉयलेट ट्रेनिंग के लिए आजमाएं ये टिप्स
बच्चे की टॉयलेट ट्रेनिंग का एक जरूरी स्टेप यह भी है कि आप उन्हें इससे जुड़े शब्दों के बारे में बताएं। बच्चे से बात करते हुए टॉयलेट से जुड़े शब्दों का बार-बार इस्तेमाल करें। साथ ही धैर्य रखने की भी जरूरत होगी। बच्चे को इसे समझने के लिए कुछ दिन का समय लग सकता है। ऐसे में जरूरी है कि आप बच्चे को इसके लिए जरूरी समय दें। ये टिप्स करें फॉलो:
- बच्चे की पॉटी ट्रेनिंग (Potty training) के लिए उसे पॉटी चेयर का इस्तेमाल सिखाना जरूरी है। इसका इस्तेमाल बताने के लिए उसे यह भी पता लगेगा कि पॉटी कहां करनी है। इसके लिए उसके लिए डायपर से पॉटी निकालर पॉटी चेयर में डालें इससे बच्चे को भी पता रहेगा कि पॉटी कहां करनी है।
- इसके अलावा अगर उनके भाई-बहन उनसे थोड़े बड़े हैं और अभी पॉटी चेयर का इस्तेमाल करते हैं, तो बच्चे को उन्हें देखने दें। वे समझेंगे कि इसका इस्तेमाल कैसे किया जाता है। इसके अलावा जब आपका बड़ा बच्चा पॉटी चेयर से स्टूल को टॉयलेट में सिफ्ट करता है, तो बच्चे को देखने दें।
- बच्चे को फ्लश करना भी सिखाएं और साथ में यह भी देखें कि वह बाद में फ्लश कर रहा है कि नहीं।
- साथ ही बच्चे को संकेतों को समझें कि कब उसे पॉटी जाने की जरूरत है।
- हर बार ध्यान दें कि बच्चा पॉटी करने के बाद ठीक से हाथ धो रहा है या नहीं
- यह भी याद रखें कि बच्चे की पॉटी ट्रेनिंग (Potty training) का उद्देश उन्हें पॉटी करना सीखाने के साथ-साथ यह भी है कि वे बाथरूम जाने की आवश्यकता को समझ सकें।
- बच्चा जब सब कुछ ठीक करे तो उसकी तारीफ करें इसके अलावा उसे खुद से कपड़े उतारना भी आना चाहिए। साथ ही उसे पॉटी जाना है यह भी वह अपने पेरेंट्स को समझा पाएं यह भी जरूरी है।
ये तरीके अपनाने से माता-पिता बच्चे की पॉटी ट्रेनिंग (Potty training) को आसान बना सकते हैं। साथ ही आपके और बच्चे को बीच में आपसी समझ का रिश्ता भी बनेगा। पॉटी ट्रेनिंग के दौरान बच्चे नई चीजें सीखता है, जिससे उसका शारीरिक और मानसिक विकास होता है। बस आप सब्र से काम लें आपको साकारात्मक परिणाम जल्दी ही मिलेंगे। हैलो हेल्थ किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार उपलब्ध नहीं कराता। इस आर्टिकल में हमने आपको बच्चे की पॉटी ट्रेनिंग (Potty training) के संबंध में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।
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