ऑटिज्म की बीमारी एक ऐसी बीमारी है, जो ब्रेन पर प्रभाव डालती है। ऑटिज्म के कारण बच्चों का अन्य लोगों से इंटरेक्ट करना या फिर कम्युनिकेट करना मुश्किल हो जाता है। ऐसा ब्रेन में इफेक्ट के कारण होता है। इस बीमारी का कारण क्या है, इसकी असल वजह अब तक सामने नहीं आई है लेकरकुछ जेनेटिक्स डिफरेंस के कारण, एनवायरमेंट फैक्टर यानी कि वातावरण के कारक इस बीमारी का रिस्क बढ़ा सकते है। कुछ लोगों के मन में वैक्सीन और ऑटिज्म (Vaccines And Autism) को लेकर कई सवाल रहते हैं। तो क्या वैक्सीन के कारण और ऑटिज्म की बीमारी हो जाती है, तो इसका जवाब कई लोगों के पास नहीं होता है। आज इस आर्टिकल में हम आपको वैक्सीन और ऑटिज्म के बारे में जानकारी देंगे और बताएंगे कि इन दोनों का संबंध है या फिर नहीं।
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वैक्सीन और ऑटिज्म (Vaccines And Autism)
वैक्सीन और ऑटिज्म (Vaccines And Autism) को लेकर कई रिसर्च हो चुकी है, जिनमें यह बात साफ हो चुकी है कि वैक्सीन के कारण ऑटिज्म की समस्या नहीं होती है। 1998 में ब्रिटिश रिसर्चस ने पेपर पब्लिश किया था, जिसमें मीजल्स, मम्प्स, रूबेला (Measles, mumps, and rubella) वैक्सीन यानी कि एमएमआर वैक्सीन के कारण ऑटिज्म बीमारी के बारे में लिखा गया था। लेकिन इसे बाद में फ्रॉड बताया गया। इसे लिखने वाले डॉक्टर ने अपना मेडिकल लाइसेंस खो दिया, और इसे प्रकाशित करने वाली मेडिकल जर्नल ने पेपर वापस ले लिया
अगर यह कहा जाए कि वैक्सीन के कारण ऑटिज्म की बीमारी मात्र एक अफवाह है, तो इसे गलत नहीं कहा जाएगा। यह स्टडी करीब 12 बच्चों में की गई थी लेकिन स्टडी के नतीजे ने खूब पब्लिसिटी हासिल की थी। एमएमआर वैक्सीन और ऑटिज्म के बीच में कोई भी कनेक्शन नहीं है क्योंकि इस संबंध में कई स्टडीज हो चुकी हैं। आइए जानते हैं की ऑटिज्म की बीमारी किन कारणों से हो सकती है।
वैक्सीन और ऑटिज्म: क्या है थिमेरोसल विवाद?
वैक्सीन और ऑटिज्म (Vaccines And Autism) को लेकर कई विवाद हो चुके हैं। ब्रिटिश अध्ययन के एक साल बाद, वैक्सीन और ऑटिज्म के लिंक को लेकर एक विवाद भी सामने आया। एमएमआर वैक्सीन में इस्तेमाल होने वाले पदार्थ को लेकर भी कुछ लोगों ने सवाल किए। इसे थिमेरोसल कहा जाता था, और इसमें पारा होता था।यह एक धातु है, जो अधिक मात्रा में शरीर में पहुंचने पर किडनी और ब्रेन को नुकसान पहुंचा सकती है। टीकों में बैक्टीरिया और कवक के विकास को रोकने के लिए डॉक्टरों ने थिमेरोसल का इस्तेमाल किया था। इस बात का कोई सबूत नहीं था कि दवाओं में इस्तेमाल की जाने वाली थिमेरोसल की छोटी मात्रा से किसी बच्चे को नुकसान हुआ हो। फिर भी, अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स और यू.एस. पब्लिक हेल्थ सर्विस के आग्रह पर 2001 में एमएमआर वैक्सीन से थिमेरोसल को हटा लिया गया।
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क्यों होती है ऑटिज्म की समस्या?
ऑटिज्म किन कारणों से होता है, इस बारे में कहना मुश्कि है लेकिन हां कई ऐसे रिस्क फैक्टर हैं, जो ऑटिज्म के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। ऑटिज्म की बीमारी के लिए जेनेटिक रीजन यानी कि परिवार के किसी अन्य सदस्य का ऑटिस्टिक होना, अचानक से जेनेटिक म्यूटेशन, किसी जेनेटिक डिसऑर्डर के कारण, अधिक उम्र में बच्चा पैदा करने के कारण, जन्म के समय बच्चे का कम वजन होना, मेटाबॉलिक इंबैलेंस, एनवायरमेंटल टॉक्सिंस के संपर्क में आने से, वायरल इंफेक्शन की मैटरनल हिस्ट्री आदि कारणों से ऑटिज्म की समस्या हो सकती है। हमने आपको यहां पर जितने भी कारण बताए हैं, जरूरी नहीं है कि उन कारणों से ऑटिस्टिक बच्चा पैदा हो लेकिन कई बार यह कारण ऑटिज्म से जुड़े हो सकते हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर एंड स्ट्रोक (एनआईएनडीएस) के अनुसार, आनुवंशिकी और पर्यावरण दोनों फैक्टर यह निर्धारित कर सकते हैं कि कोई व्यक्ति ऑटिज्म विकसित करता है या नहीं। लेकिन कोई भी वैक्सीन ऑटिज्म का कारण नहीं बनता है।
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वैक्सीन और ऑटिज्म: अफवाह के कारण न करें वैक्सीन को मिस
जैसे कि हमने आपको पहले ही बताया कि वैक्सीन और ऑटिज्म में का कोई संबंध नहीं है, इसलिए आपको वैक्सीन और ऑटिज्म को लेकर कोई भी गलत जानकारी नहीं रखनी चाहिए। अगर आप अफवाह को सच मानकर बच्चों को एमएमआर की वैक्सीन नहीं लगवाते हैं, तो यह बच्चे के लिए बहुत ही घातक हो सकती है। मीजल्स, मम्फ्स रूबैला वैक्सीन बच्चों के लिए बहुत ही जरूरी होती है, जिसे समय रहते लगवा लेना चाहिए ताकि बच्चों को इन बीमारियों के खतरों से बचाया जा सके। अगर आपको फिर भी मन में कोई शंका है, तो आप इस बारे में डॉक्टर से जानकारी ले सकते हैं।
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एमएमआर वैक्सीन से होने वाले साइड इफेक्ट्स हैं नॉर्मल
अगर आपके मन में यह प्रश्न है कि एमएमआर वैक्सीन लगवाने के बाद बच्चे को किसी प्रकार की समस्या हो जाएगी, तो आप निश्चिंत हो जाएं क्योंकि वैक्सीन को लगवाने के बाद कुछ दुष्प्रभाव जरूर दिखाई पड़ सकते हैं। बच्चे को एमएमआर वैक्सीन लगवाने के बाद इंजेक्शन वाले स्थान में लालिमा आना, सूजन होना, बुखार की समस्या या फिर बदन दर्द की समस्या हो सकती है, जो कि सामान्य माना जाता है। यह समस्या या तो अपने आप ठीक हो जाती है या फिर कुछ दवाइयों का सेवन करने के बाद ठीक हो जाती है। आपको इसको लेकर परेशान होने की जरूरत नहीं है। एमएमआर वैक्सीन का अनुवांशिक बीमारी से कोई भी कनेक्शन नहीं है।
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कब नहीं दी जाती हैं एमएमआर वैक्सीन लगवाने की सलाह?
एमएमआर वैक्सीन एक साथ तीन बीमारियों से बचाने का काम करती है। बच्चों को इसकी दो डोज की जरूरत होती है। पहला डोज 12 से 15 महीने की उम्र में लगता है, वहीं दूसरा डोज चार से छह साल की उम्र में लगता है। कुछ कंडीशन या परिस्थितियों में एमएमआर वैक्सीन नहीं दी जाती है। अगर बच्चे को एमएमआर की पहली वैक्सीन की डोज से सीरियस एलर्जी रिएक्शन हो गया है, तो ऐसे में डॉक्टर दूसरी डोज ना लगवाने की सलाह देते हैं। अगर बच्चे को कोई बीमारी है, जो इम्यून सिस्टम पर बुरा असर डाल रही है, तो ऐसे में भी डॉक्टर वैक्सीन न लगाने की सलाह दे सकते हैं। कब बच्चे को एमएमआर वैक्सीन नहीं लगवानी है, इस बारे में केवल डॉक्टर ही बता सकते हैं। बेहतर होगा कि आप डॉक्टर से इस बारे में जानकारी लें।
जन्म के बाद बच्चों को वैक्सीन लगवाना बहुत जरूरी होता है। वैक्सीन का शेड्यूल डॉक्टर बताते हैं। बच्चों को सभी जरूरी वैक्सीन लगवानी चाहिए। अगर आपको किसी ने भी वैक्सीन के संबंध में गलत जानकारी दी है, तो उसे ना मानें। अगर आपके मन में किसी वैक्सीन को लेकर कोई शंका या प्रश्न है, तो आपको केवल डॉक्टर से ही पूछना चाहिए। बिना जानकारी लिए अगर आप बच्चे की जरूरी वैक्सीन स्किप कर देते हैं, तो यह आपके बच्चे के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
इस आर्टिकल में हमने आपको वैक्सीन और ऑटिज्म (Vaccines And Autism) को लेकर जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।
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