वैक्सीन और ऑटिज्म: क्या है थिमेरोसल विवाद?
वैक्सीन और ऑटिज्म (Vaccines And Autism) को लेकर कई विवाद हो चुके हैं। ब्रिटिश अध्ययन के एक साल बाद, वैक्सीन और ऑटिज्म के लिंक को लेकर एक विवाद भी सामने आया। एमएमआर वैक्सीन में इस्तेमाल होने वाले पदार्थ को लेकर भी कुछ लोगों ने सवाल किए। इसे थिमेरोसल कहा जाता था, और इसमें पारा होता था।यह एक धातु है, जो अधिक मात्रा में शरीर में पहुंचने पर किडनी और ब्रेन को नुकसान पहुंचा सकती है। टीकों में बैक्टीरिया और कवक के विकास को रोकने के लिए डॉक्टरों ने थिमेरोसल का इस्तेमाल किया था। इस बात का कोई सबूत नहीं था कि दवाओं में इस्तेमाल की जाने वाली थिमेरोसल की छोटी मात्रा से किसी बच्चे को नुकसान हुआ हो। फिर भी, अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स और यू.एस. पब्लिक हेल्थ सर्विस के आग्रह पर 2001 में एमएमआर वैक्सीन से थिमेरोसल को हटा लिया गया।
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क्यों होती है ऑटिज्म की समस्या?
ऑटिज्म किन कारणों से होता है, इस बारे में कहना मुश्कि है लेकिन हां कई ऐसे रिस्क फैक्टर हैं, जो ऑटिज्म के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। ऑटिज्म की बीमारी के लिए जेनेटिक रीजन यानी कि परिवार के किसी अन्य सदस्य का ऑटिस्टिक होना, अचानक से जेनेटिक म्यूटेशन, किसी जेनेटिक डिसऑर्डर के कारण, अधिक उम्र में बच्चा पैदा करने के कारण, जन्म के समय बच्चे का कम वजन होना, मेटाबॉलिक इंबैलेंस, एनवायरमेंटल टॉक्सिंस के संपर्क में आने से, वायरल इंफेक्शन की मैटरनल हिस्ट्री आदि कारणों से ऑटिज्म की समस्या हो सकती है। हमने आपको यहां पर जितने भी कारण बताए हैं, जरूरी नहीं है कि उन कारणों से ऑटिस्टिक बच्चा पैदा हो लेकिन कई बार यह कारण ऑटिज्म से जुड़े हो सकते हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर एंड स्ट्रोक (एनआईएनडीएस) के अनुसार, आनुवंशिकी और पर्यावरण दोनों फैक्टर यह निर्धारित कर सकते हैं कि कोई व्यक्ति ऑटिज्म विकसित करता है या नहीं। लेकिन कोई भी वैक्सीन ऑटिज्म का कारण नहीं बनता है।