हेपेटाइटिस बी का सामना कर रहे लोगों में हेपेटाइटिस डी होने की आशंका काफी ज्यादा होती है। हेपेटाइटिस डी इंफेक्शन को सुपरइंफेक्शन भी कहा जाता है। आमतौर पर हेपेटाइटिस बी की वैक्सीन दी जाती है जो हेपेटाइटिस डी वायरस से प्रोटेक्शन प्रदान करती है।
हेपेटाइटिस ई (Hepatitis E)
हेपेटाइटिस ई का मुख्य कारण दूषित पानी का उपयोग है। इसके साथ ही यह पानी की कमी से भी होता है। इसलिए हायड्रेशन इसका आवश्यक ट्रीटमेंट है। हेपेटाइटिस के बारे में जानने के बाद पीलिया को भी विस्तार से जान लेते हैं।
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पीलिया (Jaundice)
हेपेटाइटिस और पीलिया की बात करें तो, पीलिया एक बार-बार और सामान्य तौर पर होने वाली मेडिकल कंडिशन। यह आमतौर पर नवजात शिशु और बच्चों में होती है लेकिन कई बार व्यस्क भी इससे पीड़ित होते हैं। पीलिया होने पर आंखें, त्वचा और पेशाब पीला आता है। ऐसा ब्लड में बिलिरुबिन के बढ़ने से होता है। इस कंडिशन को हायपरबिलिरुबिनेमिया (Hyperbilirubinemia) भी कहते हैं। अन्य अपशिष्ट पदार्थों की तरह जो पेशाब के माध्यम से बाहर निकल जाते हैं, बिलीरुबिन भी हीमोग्लोबिन के क्षरण (Degradation) का अपशिष्ट पदार्थ है, लेकिन पानी में अघुलनशील होने के कारण बिलीरुबिन पेशाब के जरिए बाहर नहीं निकल पाता है।
ऐसे में लिवर कुछ रसायनों के संयोजन से बिलीरुबिन को संयुग्मित-पानी में घुलनशील सामग्री में परिवर्तित करने में कार्य करता है। यह संयुग्मित-पानी में घुलनशील पदार्थ तब पित्त नली (बाइल डक्ट) द्वारा पेशाब और मल में स्रावित होता है। यह बिलीरुबिन मल को पीला रंग देने के लिए जिम्मेदार है।
हालांकि, हेमोलिसिस (Hemolysis) और अन्य स्थिति के कारण जब लिवर और पित्त प्रणाली (Biliary system) में डीग्रेडेड (Degraded) लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या बढ़ जाती है, तो अंततः रक्त में बिलीरुबिन (Bilirubin) के स्तर में वृद्धि होती है।
पीलिया के प्रकार (Types of Jaundice)
पैथोलॉजिकल कंडिशन्स के आधार पर पीलिया के सामान्य तौर पर निम्न तीन प्रकार होते हैं।
- हेपाटोसेलुलर जोइंडिस (Hepatocellular jaundice) यह लिवर डिजीज के कारण होता है
- ऑब्सट्रक्टिव जोइंडिस (Obstructive jaundice) यह असामान्यताओं के कारण या स्टोन्स के कारण होने वाले बिलेरी ट्रेक्ट के ऑब्स्ट्रक्शन के कारण होता है।
- हीमोलिटिक जोइंडिस (Hemolytic jaundice) यह हेमीलिसिस के बढ़ने कारण होता है।