ग्रीन पूप गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कंडीशन (Gastrointestinal conditions)
अगर आपको क्रोहन डिजीज है या फिर जीआई कंडीशन है, तो ऐसे में इंटेस्टाइन में बाइल तेजी से मूव करता है। इस कारण से ग्रीन पूप की समस्या पैदा हो सकती है। क्रोहन डिजीज एक इंटेस्टाइन रोग है, जो पाचन तंत्र में सूजन का कारण बनता है। सीलिएक डिजीज के कारण ग्लूटेन के प्रति इंटॉलरेंस पैदा हो जाती है। इस कारण से जीआई प्रॉब्लम (GI problems) गैस, ब्लोटिंग, डायरिया, पेट दर्द की समस्या पैदा हो जाती है। अगर आपको सीलिएक डिजीज है, तो आपको ग्रीन पूप की समस्या हो सकती है।
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एनल फिशर (Anal fissures) की समस्या के कारण हरा पूप
एनल फिशर (Anal fissures) के कारण एनस के आसपास टीयर हो जाते हैं। जिन लोगों को क्रॉनिक डायरिया की समस्या होती है या फिर इंफ्लामेटरी बाउल डिजीज होती, उन्हें भी इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है। इस कारण से स्टूल का रंग हरा हो जाता है। एनल फिशर के कारण स्टूल का रंग हरा होने के साथ ही स्टूल में ब्लड भी दिख सकता है। अगर आपको कभी भी अपने पूप के रंग में बदलाव दिखे या फिर ब्लड दिखे तो इसे सामान्य समस्या नहीं समझना चाहिए। ये किसी गंभीर बीमारी से भी जुड़ा हो सकता है।
ग्रीन पूप: स्टूल के रंग और कैंसर का क्या है संबंध?
आपके मन में यह भी सवाल आ रहा होगा कि अगर स्टूल के रंग में परिवर्तन हो गया है, तो क्या यह कैंसर का संकेत हो सकता है। आपको घबराने की जरूरत नहीं है। यह सच है कि स्टूल का अलग-अलग रंग कैंसर के ट्यूमर का संकेत हो सकता है लेकिन कैंसर के साथ ही स्टूल का रंग काले या भूरे रंग का भी होता है। साथ ही ये सूखा हो सकता है और स्टूल के साथ-साथ ब्लड आने की भी संभावना अधिक होती है। आमतौर पर हरे रंग के पूप से कैंसर का कोई संबंध नहीं होता है। अगर आपके स्टूल के साथ साथ ही उल्टी या दस्त की समस्या भी हो गई है और साथ ही शरीर में अन्य लक्षण भी दिखाई पड़ रहे हैं, तो ऐसे में आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
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पेट का खराब होना, स्टूल के साथ में ब्लड आना, लगातार दस्त की समस्या बने रहना आदि समस्याओं से अगर आप गुजर रहे हैं, तो ऐसे में आपको तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। दस्त की समस्या होने पर शरीर में पानी की कमी होने लगती है। अगर पर्याप्त मात्रा में पानी ना पिया जाए, तो डिहाइड्रेशन की समस्या भी हो जाती है। ऐसे में जरूरी है कि आप डॉक्टर को दिखाएं और बीमारी के कारणों के बारे में जानकारी लें। ऐसा करने से समय पर ट्रीटमेंट मिल जाएगा और आप किसी बड़ी बीमारी से बच जाएंगे। अगर आपको फिर भी स्टूल के रंग को लेकर अधिक जानकारी चाहिए, तो अपने डॉक्टर से इस बारे में जरूर बात करें।
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