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इस बैक्टीरिया के प्रकार आपको ऐसे कर सकते हैं संक्रमित, जरूर रखें सावधानियां!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 22/09/2021

    इस बैक्टीरिया के प्रकार आपको ऐसे कर सकते हैं संक्रमित, जरूर रखें सावधानियां!

    स्ट्रेप थ्रोट की समस्या स्ट्रेप्टोकोकल बैक्टीरिया (Streptococcal bacteria) के कारण होती है। स्ट्रेप ग्रुप में केवल एक बैक्टीरिया नहीं होता है। यानी ये केवल एक प्रकार का बैक्टीरिया नहीं है, जो संक्रमण को फैलाता है। अलग-अलग प्रकार के स्ट्रेप्टोकोकी (Streptococci) होते हैं, जो हल्के गले से संबंधित लक्षणों के साथ ही गंभीर लक्षण पैदा कर सकते हैं। इस संक्रमण से कोई भी इंसान संक्रमित हो सकता है। यानी नवजात शिशु से लेकर बुजुर्ग व्यक्ति में भी इस बैक्टीरिया का संक्रमण पाया जा सकता है। ज्यादातर स्ट्रेप इंफेक्शन को एंटीबायोटिक के माध्यम से ठीक किया जा सकता है। स्ट्रेप्टोकोकी इंफेक्शन को विभिन्न ग्रुप में बांटा जा सकता है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको विभिन्न प्रकार के स्ट्रेप्टोकोकी (Streptococci) या स्ट्रेप्टोकोकी के प्रकार (Different types of streptococci)  के बारे में जानकारी देंगे।

    स्ट्रेप्टोकोकी के प्रकार (Different types of streptococci) के हम आपको ग्रुप ए स्ट्रेप, ग्रुप बी स्ट्रेप और ग्रुप सी स्ट्रेप के बारे में जानकारी देंगे। जानिए स्ट्रेप्टोकोकी के प्रकार (Different types of streptococci) कैसे संक्रमण को फैलाते हैं और शरीर के किस भाग को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

    स्ट्रेप्टोकोकी के प्रकार: ग्रुप ए स्ट्रेप्टोकोकस (Group A Streptococcus)

    ग्रुप ए स्ट्रेप्टोकोकस को जीएएस (GAS) के नाम से भी जानते हैं। ये गले और स्किन को मुख्य रूप से संक्रमित करता है। जिन व्यक्तियों को ग्रुप ए स्ट्रेप बैक्टीरिया का संक्रमण होता है, आमतौर पर उनमें लक्षण नजर नहीं आते हैं। लेकिन कुछ लोगों में रेयर केस में लक्षण दिखाई पड़ सकते हैं। बैक्टीरिया कुछ लोगों में असर नहीं करता है वहीं कुछ लोगों के लिए ये बैक्टीरिया जानलेवा भी साबित हो सकता है। संक्रमित व्यक्ति के म्यूकस के संपर्क में आने से ये संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैलता है।

    ग्रुप ए स्ट्रेप्टोकोकस (Group A Streptococcus) से हो सकती हैं ये बीमारियां!

    ग्रुप ए स्ट्रेप्टोकोकस के कारण लोगों को स्ट्रेप थ्रोट (Strep throat) के साथ ही स्कारलेट फीवर (Scarlet fever) भी हो सकता है। स्ट्रेप थ्रोट के कारण गले में दर्द के साथ ही सूजन की समस्या हो जाती है। मुंह में लाल छोटे दाने के साथ ही लिम्फ नोड में सूजन की समस्या भी हो सकती है। बच्चों में स्ट्रेप थ्रोट की समस्या होने पर वॉमिटिंग, पेट में दर्द, सिरदर्द की समस्या हो जाती है। अगर बीमारी का इलाज न कराया जाए, तो ये बीमारी दो से पांच दिनों में चली जाती है। स्ट्रेप थ्रोट को केवल देखकर नहीं बताया जा सकता है बल्कि इस बीमारी को डायग्नोज की जरूरत पड़ती है। डॉक्टर समस्या से निपटने के लिए एंटीबायोटिक दवाएं (Antibiotics) देते हैं।

    ग्रुप ए स्ट्रेप्टोकोकस बैक्टीरिया स्कारलेट फीवर (Scarlet fever) या लाल बुखार का कारण भी बनता है। लाल बुखार के कारण जीभ में छाले या उभार आ जाते हैं, जो जीभ में एक लेयर की तरह दिखते हैं। बुखार के साथ ही गले की ग्रंथि में भी सूजन आ जाती है। अगर लाल बुखार का सही समय पर ट्रीटमेंट न कराया जाए, तो ये जानलेवा भी हो सकता है। इसके कारण मुंह में लाल दाने के साथ ही सीने, हाथ, पेट और पैरों तक फैल जाते हैं। इनमें खुजली की समस्या भी हो सकती है।

    दो से छह साल के बच्चों में स्किन इंफेक्शन इम्पेटिगो (Impetigo) फैलने की अधिक संभावना होती है। ये ग्रुप ए स्ट्रेप्टोकोकस के कारण फैलता है। इस कारण से फेस, आर्म या पैर की स्किन में पिंपल जैसे उभार दिखते हैं और उनमें पस भी भर जाता है। कट लगने या फिर स्किन में घाव होने पर ये बैक्टीरिया स्किन में प्रवेश कर जाता है। ग्रुप ए स्ट्रेप्टोकोकस नॉन इंवेसिव भी हो सकता है यानी ये ब्लड स्ट्रीम में नहीं फैलता है। कुछ मामलों में ये इंवेसिव (Invasive) भी हो सकता है। यानी ये ब्लड स्ट्रीम के साथ ही शरीर के अन्य भागों में भी फैल सकता है। स्ट्रेप थ्रोट (Strep throat), स्कारलेट फीवर (Scarlet fever) और स्किन इंफेक्शन इम्पेटिगो (Impetigo) ग्रुप ए स्ट्रेप्टोकोकस नॉन इंवेसिव इंफेक्शन है, जो कि ब्लड स्ट्रीम में नहीं फैलता है।

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    स्ट्रेप्टोकोकी के प्रकार (Different types of streptococci) : ग्रुप बी स्ट्रेप्टोकोकस (Group B Streptococcus)

    स्ट्रेप्टोकोकी के प्रकार (Different types of streptococci) में ग्रुप बी बैक्टीरिया भी शामिल है। B स्ट्रेप बैक्टीरिया भी सभी उम्र के लोगों को संक्रमित कर सकता है। ये बैक्टीरिया नवजात शिशुओं में गंभीर रूप से फैलता है और सेप्सिस (Sepsis), निमोनिया (Pneumonia) और मेनिन्जाइटिस (Meningitis) का कारण बनता है। वहीं वयस्कों में स्ट्रेप बी के कारण यूरिनरी ट्रेक्ट इंफेक्शन (Urinary tract infections), निमोनिया ( Pneumonia), स्किन से संबंधित संक्रमण या फिर ज्वाइंट इंफेक्शन शामिल है।

    B स्ट्रेप बैक्टीरिया नवजात शिशुओं में या तो जन्म के कुछ घंटों के बाद फैलता है या फिर कुछ दिनों बाद। ये बैक्टीरिया डिलिवरी के दौरान (During delivery) मां से बच्चे में फैलता है। इस कारण से बच्चे को सांस लेने में दिक्कत, फीड करने में समस्या, दिल की धड़कन का धीमा हो जाना आदि शामिल है। अगर डिलिवरी के दौरान मां को दवाएं दी जाएं, तो इस संक्रमण की संभावना को काफी हद तक कम किया जा सकता है। वहीं वयस्कों में स्ट्रेप बी बैक्टीरिया फैलने की संभावना बहुत कम रहती है। अगर संक्रमण हो भी जाए, तो लक्षण न के बराबर दिखते हैं। ग्रुप बी स्ट्रेप बैक्टीरिया की जांच करने के लिए स्पाइनल फ्लूड, यूरिन आदि का सैंपल लिया जाता है, ताकि बैक्टीरिया के बारे में जानकारी मिल सके।

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    स्ट्रेप्टोकोकी के प्रकार (Different types of streptococci) : ग्रुप सी और जी स्ट्रेप्टोकोकस (Group C and G Streptococcus)

    ग्रुप सी और जी स्ट्रेप्टोकोकस के बारे में अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। ये ग्रुप ए और ग्रुप बी की तरह संक्रमण नहीं फैलाते हैं और कॉमन भी नहीं होते हैं।

    ग्रुप सी और जी स्ट्रेप्टोकोकस जानवरों में रहते हैं और कच्चे दूध या फिर जानवरों के संपर्क में आने से फैल सकते हैं। ये बैक्टीरिया व्यक्ति के गले, स्किन को नुकसान पहुंचा सकते हैं। अगर ये बैक्टीरिया ब्लड स्ट्रीम में आ जाए, तो स्थिति भयानक हो सकती है। ये बैक्टीरिया शिशुओं की अपेक्षा वयस्कों में फैलने की संभावना अधिक रहती है।

    ना किया जाए ट्रीटमेंट, तो हो सकता है रूमेटाइड फीवर (Rheumatic Fever)

    अगर बच्चे को स्ट्रेप थ्रोट या फिर स्कारलेट फीवर हो जाने के बाद ट्रीटमेंट नहीं कराया जाता है, तो रूमेटाइड फीवर (Rheumatic Fever) की संभावना बढ़ जाती है। ग्रुप ए स्ट्रेप बैक्टीरिया के कारण ही ये दोनों बीमारिया होती हैं। बैक्टीरिया का इंफेक्शन होने के करीब एक से पांच सप्ताह के बीच रूमेटाइड फीवर होने की संभावना बढ़ जाती है। ये बॉडी के इम्यून सिस्टम रिस्पॉन्स के कारण होता है, जिसके कारण इंफ्लामेशन हो सकती है। ऐसे में बच्चे को जोड़ों में दर्द के साथ ही थकान का एहसास, बॉडी मूवमेंट में समस्या, स्किन में रैशेज आदि दिख सकते हैं। ये बुखार जानलेवा नहीं होता है। वैसे तो ये फीवर किसी को भी हो सकता है लेकिन बच्चों में इसकी अधिक संभावना रहती है। बेहतर होगा कि आप बीमारी के लक्षण दिखते ही डॉक्टर से जांच कराएं।

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    बच्चों में इंफेक्शन जल्दी फैलता है इसलिए बच्चों की देखभाल करते समय आपको अधिक सावधान रहने की आवश्यकता है। अगर आप समय पर एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन करते हैं, तो बड़ी परेशाना को टाला जा सकता है। अगर आपको स्ट्रेप्टोकोकी के प्रकार (Different types of streptococci) के बारे में अधिक जानना हो, तो आप डॉक्टर से जानकारी ले सकते हैं। संक्रमण किसी भी प्रकार का हो, उसके बारे में जानकारी और सावधानी आपको जरूर पता होनी चाहिए।

    हैलो हेल्थ किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार उपलब्ध नहीं कराता। इस आर्टिकल में हमने आपको स्ट्रेप्टोकोकी के प्रकार (Different types of streptococci) के संबंध में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको  हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।

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