स्कारलेट फीवर (Scarlet fever) कब गंभीर बीमारी बन जाती है?
स्कारलेट फीवर के कुछ लक्षण शुरुआत में दिखते हैं। अगर समय रहते इसका इलाज नहीं करवाया गया तो यह गंभीर बीमारी बन जाती है और शरीर के अन्य अंगों को प्रभावित करने लगती है। सही समय पर इलाज ना होने पर किडनी की बीमारी (Kidney disease), कानों में इनफेक्शन (Ear infection), निमोनिया (Pneumonia) और आर्थराइटिस (Arthritis) हो सकता है। जिन अंगों को स्कारलेट फीवर (Scarlet fever) प्रभावित करता है वो हैं:
- टॉन्सिल
- फेफड़े
- त्वचा
- गुर्दे
- रक्त
- कान
- हार्ट
- जोड़
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स्कारलेट फीवर का परीक्षण (Diagnosis of Scarlet fever)
- जैसा कि पहले भी बताया कि यह बीमारी ज्यादातर बच्चों को होती है। बच्चों के लिए चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉक्टर होते हैं और वही उनका इलाज करते हैं।
- डॉक्टर बच्चे के शरीर की पूरी जांच करता है।
- लक्षणों का पता लगाने के लिए डॉक्टर सबसे पहले बच्चे की जीभ, गले और टॉन्सिल को जांचता है।
- डॉक्टर शरीर में पड़े चकत्तों को देखेंगे। साथ ही यह भी पता लगाने की कोशिश करेंगे कि शरीर में कोई गांठ तो नहीं बन गई है।
- अगर डॉक्टर को लगता है कि बच्चे को स्कारलेट फीवर (Scarlet fever) है तो वह बच्चे के गले की कोशिकाओं का एक सैंपल परीक्षण के लिए ले सकते हैं।
- इस सैंपल को लैब में टेस्ट किया जाएगा।
स्कारलेट फीवर का इलाज (Treatment for Scarlet fever)
आमतौर पर स्कारलेट फीवर का इलाज उसी तरह होता है जैसे खराब गले का किया जाता है। डॉक्टर बच्चे को एंटिबायोटिक्स दे सकते हैं। जब बच्चे का इलाज चल रहा हो, तब बच्चे को स्कूल नहीं भेजना चाहिए। इसके अलावा डॉक्टर कुछ अन्य इलाज भी बता सकते हैं।
- गर्म और नमकीन पानी से गरारा करना, जिससे गले का दर्द और सूजन खत्म हो सके।
- दर्द या बुखार कम करने के लिए एसिटामिनोफेन (टाइलेनॉल) या इबुप्रोफेन (एडविल, मोट्रिन) दे सकते हैं। लेकिन ये दवाएं बड़ों के लिए होती हैं।
- डॉक्टर बच्चे को ज्यादा से ज्यादा तरल चीजें पिलाने को कह सकते हैं। इससे बच्चे के गले को आराम मिलेगा और डिहाइड्रेशन भी नहीं होगा।
- घर की हवा में अगर नमी है तो ये बच्चे के गले (Babies throat) को ठीक करने में मदद कर सकती है।
- अगर आपके बच्चे की उम्र 4 साल है तो उसे आप सूप या किसी ड्रिंक में मिला सकते हैं।
- अगर बच्चे के शरीर पर पड़े चकत्तों पर खुजली हो रही है तो डॉक्टर एंटी—इचिंग दवाई देते हैं। बच्चे के नाखूनों को काटकर रखें जिससे वो अपनी त्वचा को नुकसान ना पहुंचा सकें।
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