3.गट बैक्टीरिया में सुधार कैसे करें? प्रीबायोटिक फूड्स (Prebiotics foods) अपनाएं
प्रीबायोटिक्स फूड्स गट में बैक्टीरिया की ग्रोथ को प्रमोट करते हैं। वे मुख्य रूप से फायबर या जटिल कार्ब्स होते हैं जिन्हें मानव कोशिकाएं पचा नहीं सकती हैं। इसके बजाय, आंत में बैक्टीरिया की कुछ प्रजातियां उन्हें तोड़ देती हैं और उन्हें एनर्जी के लिए इस्तेमाल करती हैं। कई फलों, सब्जियों और साबुत अनाज में प्रीबायोटिक्स होते हैं, लेकिन वे अपने आप भी प्राप्त किए जा सकते हैं।
रेजिस्टेंट स्टार्च एक प्रीबायोटिक भी हो सकता है। इस प्रकार का स्टार्च छोटी आंत में अवशोषित नहीं होता है और बड़ी आंत में चला जाता है, जहां माइक्रोबायोटा इसे तोड़ देता है। एनसीबीआई में छपी स्टडी से पता चला है कि प्रीबायोटिक्स (Prebiotics) बिफीडोबैक्टीरिया (Bifidobacteria) सहित कई प्रकार के लाभकारी बैक्टीरिया के विकास को बढ़ावा दे सकते हैं।
और पढ़ें: गट का हमारे शरीर में क्या होता है अहम रोल, जानिए इस बारे में विस्तार से!
4 साबुत अनाज खाएं (Eat whole grain)
गट बैक्टीरिया में सुधार कैसे करें? आप भी इस सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो बता दें कि साबुत अनाज का सेवन गट बैक्टीरिया की हेल्थ को प्रमोट कर सकता है। साबुत अनाज में नॉनडायजेस्टेबल कार्ब्स और फायबर पाया जाता है जैसे कि बीटा ग्लूकन (Beta-glucan)। ये कार्ब्स छोटी आंत में अवशोषित नहीं होते हैं और इसके बजाय आंत में लाभकारी बैक्टीरिया के विकास को बढ़ावा देने के लिए बड़ी आंत की तरफ जाते हैं। एनसीबीआई में छपी स्टडी के अनुसार साबुत अनाज मनुष्यों में बिफीडोबैक्टीरिया, लैक्टोबैसिली, और बैक्टेरोएडेट्स बैक्टीरिया की ग्रोथ को प्रमोट करते हैं।
इन अध्ययनों में पता चला कि, साबुत अनाज ने पेट भरा होने के एहसास को भी बढ़ाया और सूजन और हृदय रोग के लिए कुछ जोखिम वाले कारकों को कम किया।
और पढ़ें: गट से जुड़ी हैं ऐसी-ऐसी बीमारियां, जो आपके दरवाजे पर कभी भी दस्तक दे सकती है!
5. प्लांट बेस्ड डायट (Plant based diet) को अपनाएं
गट बैक्टीरिया में सुधार कैसे करें? (How To Improve Gut Bacteria) इसका एक बेहद सरल उपाय है प्लांट बेस्ड डायट को अपनाना। कई अध्ययनों से पता चला है कि वेजिटेरियन डायट से आंत के माइक्रोबियोम को फायदा हो सकता है, जिसका कारण इनमें मौजूद हाय फायबर है।उदाहरण के लिए, एनसीबीआई के 2013 के एक छोटे से अध्ययन में पाया गया कि शाकाहारी भोजन से मोटापे से ग्रस्त लोगों में रोग पैदा करने वाले बैक्टीरिया के स्तर में कमी आई, साथ ही शरीर के वजन, सूजन और कोलेस्ट्रॉल के स्तर में कमी आई।