परिभाषा
भोजन के पाचन और अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने का काम हमारी इंटेस्टाइन यानी आंत करती हैं। जब यह अपना सामान्य काम करना बंद कर देती है, या उसमें कुछ रुकावट आती है तो उस स्थिति को इलियस कहा जाता है। इंटेस्टाइनल इलियस क्या है और किस तरह से इसका उपचार किया जाता है जानिए इस आर्टिकल में।
इंटेस्टाइनल इलियस क्या है?
आंत एक लंबी और घुमावदार ट्यूब की तरह होती है जो पेट को गुदा (Anus) से जोड़ती है। आंत के दो हिस्से होते हैं, छोटी आंत और बड़ी आंत। छोटी आंत मुख्य रूप से भोजन को तोड़ने के काम करती है और बड़ी आंत पानी को अवशोषित करके स्ट्रॉग वेव्स (तंरगें) पैदा करता है जो भोजन के छोटे टुकड़े और अपशिष्ट को गुदे की ओर धकेलेने का काम करती है। कुछ दिनों के लिए आंत जब यह वेव्स बनाना बंद कर देती है तो उस स्थिति को इलियस कहा जाता है।
आमतौर पर 1-3 दिन तक ऐसी स्थिति रहती है। इलियस का मतलब है कि आपके आंत में ट्रैफिक जाम जैसी स्थिति हो जाती है। इलियस के कारण इंटेस्टाइनल ऑब्स्ट्रक्शन हो सकता है। इसका मतलब है कि भोजन, गैस और तरल पदार्थ इसके जरिए नहीं जा सकता। ऐसा सर्जरी के साइड इफेक्ट की वजह से हो सकता है, लेकिन इसके अन्य कारण भी हो सकते हैं।
इलियस गंभीर चिंता का विषय हो सकता है, लेकिन लोग इसे नहीं समझ पाते और खाना जारी रखते हैं, जिससे आंत में भोजन का ढेर लगता जाता है। यदि सही समय पर इसका इलाज न किया जाए तो दवाब से आंत फट सकती है, यह जानलेवा साबित हो सकता है।
कारण
इंटेस्टाइनल इलियस के कारण
सर्जरी के बाद इंटेस्टाइनल इलियस होना आम है, क्योंकि इस दौरान डॉक्टर कुछ ऐसी दवाएं देता है जिससे इंटेस्टाइन का मूवमेंट कम हो जाता है। यह एक तरह का पैरालेटिक इलियस है।
- इस अवस्था में आंत पूरी तरह से ब्लॉक नहीं होती है, लेकिन उसकी गति धीमी हो जाती है।
- नतीजतन भोजन बहुत धीमी गति से पचता है या फिर आंत का मूवमेंट एकदम नहीं होता है।
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निम्न दवाओं से पैरालेटिक इलियस हो सकता हैः
हाइड्रोमोरफोन (डिलॉयड)
- मॉर्फीन
- ऑक्सीकोडोन
- ट्राईसाइक्लिक एंटीडिप्रेसेंट्स, जैसे कि एमिट्रिप्टिलाइन और इमीप्रामाइन (टोफ्रानिल)
इंटेस्टाइनल इलियस के अन्य कारणों में शामिल हैः
- इंटेस्टाइनल कैंसर
- क्रोहन रोग, जिसमें ऑटोइम्यून सूजन के कारण आंतों की दीवारें मोटी हो जाती हैं।
- डायवर्टिकुलाइटिस
पार्किसन डिसीज , जो आंतों में मसल्स और नर्व्स को प्रभावित करता है।
व्यस्को में इलियस का यह प्रमुख करना है। बच्चों को भी इंटेस्टाइनल इलियस हो सकता है। बच्चों में इलियस का मुख्य कारण है इंटससेप्शन (Intussusception)।
लक्षण
इंटेस्टाइनल इलियस के लक्षण
इंटेस्टाइनल इलियस की अवस्था में पेट में बहुत असहज महसूस होता है। इसके लक्षणों में शामिल हैं-
- पेट में क्रैंप
- भूख में कमी
- पेट भरा होने का एहसास
- कब्ज
- गैस पास न कर पाना
- पेट में सूजन
- मितली
- उल्टी
- गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल के लक्षण दिखना इलियस में आम हैं।
आपके आंत और पेट में गैस भर जाती है और यह रेक्टम से पास नहीं हो पाती। इसकी वजह से पेट टाइट और सूज जाता है। यदि किसी सर्जरी के बाद ऐसे लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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कब्ज और इंटेस्टाइनल इलियस के बीच संबंध
इंटेस्टाइनल इलियस की ही तरह कब्ज भी पेट संबंधी विकार होता है जो कि खाने के सही ढंग से न पचने या पाचन प्रणाली में किसी प्रकार की समस्या आने के कारण होता है।
सप्ताह में 3 बार से कम दफा मल त्याग करने जाने का संकेत होता है कि आपको कब्ज की समस्या है। ज्यादातर मामलों में कब्ज अपने आप ठीक हो जाती है लेकिन कुछ दुर्लभ मामलों में यह किसी अन्य गंभीर रोग का संकेत हो सकता है, जैसे की इंटेस्टाइनल इलियस।
इंटेस्टाइनल इलियस के कारण खाना पेट से गुदा तक नहीं पहुंच पाता है। यही कारण है कि कब्ज के इलाज से पहले आपको इलियस की पहचान करने की जरूरत पड़ सकती है और उसी अनुसार उपचार अपनाने की भी। लंबे समय तक कब्ज की समस्या होने पर उसे नजरअंदाज न करें और तुरंत किसी डॉक्टर से परामर्श करें।
जोखिम
इलियस के जोखिम
पेट की सर्जरी के बाद इंटेस्टाइनल इलियस होना बहुत आम है। कई मेडिकल कंडिशन्स इलियस के जोखिम को बढ़ा देती है। इसमें शामिल है-
- इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन, जैसे जिसमें पोटैशियम और कैल्शियम शामिल हैं।
- आंतों की चोट या आघात का इतिहास।
- आंतों की गड़बड़ी का इतिहास जैसे क्रोहन रोग और डायवर्टीकुलिटिस।
- सेप्सिस
- पेट और उसके आसपास के हिस्से में विकिरण (irradiation) का इतिहास ।
- पेरिफेरल आर्टरी डिसीज
- तेजी से वजन कम होना
बढ़ती उम्र का भी आंतों की गति पर असर पड़ता है। बुजुर्गों में इलियस का जोखिम अधिक होता है, खासतौर पर तब जब वह अधिक दवा खाते हैं यह इंटेस्टाइन मूवमेंट को धीमा कर देता है।
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निदान
इलियस को डायग्नोस कैसे किया जाता है?
डॉक्टर पहले आपसे आपकी सेहत और लक्षणों के बारे में पूछेगा। आपकी मेडिकल हिस्ट्री, अगर कोई सर्जरी हुई है, क्या दवा खाते हैं, किसी तरह की स्वास्थ्य समस्या तो नहीं है, आदि के बारे में पूछेगा। इसके बाद फिजिकल एग्जामिनेशन करके पेट में सूजन का पता लगता है।
इसके लिए स्टेथेस्कोप से पेट की हलचल का पता लगता है यदि सामान्य आवाज आती है तो इसका मतलब है सब ठीक है, लेकिन पेट से यदि किसी तरह की आवाज नहीं आती तो यह इंटेस्टाइनल इलियस का संकेत हो सकता है। आंत और पेट की सूजन की पुष्टि के लिए डॉक्टर एक्स रे करेगा। एक्स रे से इलियस की सही स्थिति के बारे में पता चलता है। शारीरिक परिक्षण के बाद डॉक्टर एक्स रे के अलावा अन्य इमेजिंग मेथड का भी इस्तेमाल कर सकता है जिसमें शामिल है-
प्लेन फिल्म एक्स रे- यह इंटेस्टाइन में फंसी गैस और संभवतः आंतों में रुकावट का कारण दिखा सकता है, लेकिन प्लेन एक्स रे हमेशा इलियस के डायग्नोस का सबसे निर्णायक तरीका नहीं है।
सीटी स्कैन– यह स्कैन विस्तृत एक्स रे इमेज प्रदान करती है, जो डॉक्टर को इलियस की सही स्थिति का पता लगाने में मदद करता है। इस स्कैन में कॉन्ट्रास्ट एजेंट को नसों के जरिए इंजेक्ट किया जाता है या मुंह में खिलाया जाता है।
अल्ट्रासाउंड- आमतौर पर बच्चों में इलियस का पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड का इस्तेमाल किया जाता है।
कुछ मामलों में डॉक्टर इलियस के डायग्नोस के लिए एयर या बेरियम एनीमा प्रक्रिया का सहारा ले सकता है। डॉक्टर एयर या बेरियम सल्फेट जो रेडियोओपेक पदार्थ है, को रेक्टम के जरिए आंत में इंजेक्टक करता है, इस दौरान तकनीशियन पेट का एक्स रे करता है। एक्स रे में दिखने वाली एयर या बेरियम में तकनीशियन को किसी भी तरह की बाधा पहचानने में मदद करता है।
उपचार
इंटेस्टाइनल इलियस का उपचार
इंटेस्टाइनल इलियस का उपचार कई तरीकों से किया जाता है। उपचार का तरीका इलियस की गंभीरता पर निर्भर करता है।
24 से 72 घंटे तक मुंह से भोजन-पानी न लेना
इस दौरान आपको किसी तरह का भोजन नहीं दिया जाता है। बस शरीर में तरल पदार्थ की आपूर्ति के लिए आपको तरल पदार्थ और इलेक्ट्रोलाइट नसों में इंजेक्शन के जरिए दिया जाता है। आपका स्ट्रॉन्ग पेन रिलिवर्स (ओपिओइड एनाल्जेसिक) भी बंद या कम कर सकता है।
गैस और तरल पदार्थ के जमने से छुटकारा
यदि ऐसा होता है तो इस स्थिति में गैस और तरल पदार्थ के बिल्डअप से हुई असहजता को कम करने के लिए डॉक्टर नाक के जरिए एक ट्यूब पेट या छोटी आंत तक पहुंचाता है। फिर वह सक्शन का इस्तेमाल करके प्रेशर और ब्लोटिंग को शांत करता है। यदि समस्या बड़ी आंत में है तो ट्यूब गुदा के जरिए डाली जाती है।
क्या इलियस को रोका जा सकता है?
इलियस के ज्यादातर जोखिम कारकों को नहीं रोका जा सकता है। जैसे की चोट या कोई पुराना रोग।
अगर इंटेस्टाइनल इलियस के इलाज में सर्जरी की जरूरत है तो उसकी संभावना को जरूर ध्यान में रखें। इलियस के लक्षणों को पहचानना बेहद जरूरी होता है क्योंकि इसका इलाज जितना जल्दी करवाया जाता है, बेहतर परिणामों की संभावना उतनी अधिक होती है।
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