एनटी स्कैन करवाने की जरूरत क्यों पड़ सकती है (Why need to have an NT scan)?
डॉक्टर प्रेग्नेंसी के दौरान सभी गर्भवती महिलाओं को न्यूकल ट्रांसलुसेंसी स्क्रीनिंग की सलाह देते हैं, ताकि शिशुओं में होने वाले डाउंस सिंड्रोम का पता लगाया जा सके। डाउंस सिंड्रोम से ग्रस्त शिशु से मां केलिए भी डिलिवरी के दौरान खतरा बढ़ सकता है । बड़ी उम्र में प्रेग्नेंट हुई महिलाओं के लिए तो खासतौर पर। इस स्क्रीनिंग में दो स्टेज शामिल होती हैं। एक रक्त परीक्षण और अल्ट्रासाउंड, जिसमें दो पदार्थों के स्तर की जांच करता है – गर्भावस्था से जुड़े प्लाज्मा प्रोटीन-ए (पीएपीपी-ए) और मानव कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन। एक विशेष प्रकार से अल्ट्रासाउंड है, जिसे न्यूकल ट्रांसलूसेंसी स्क्रीनिंग कहा जाता है। इसमें बच्चे की गर्दन के पीछे के हिस्से को मापा जाता है। हालांकि, इन डायग्नोस्टिक जांचों में गर्भपात होने का भी रिस्क हो सकता है। इसी वजह से डॉक्टर डायग्नोस्टिक टेस्ट करवाने से पहले डॉक्टर स्क्रीनिंग टेस्ट की सलाह देते हैं।
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न्यूकल ट्रांसलुसेंसी स्क्रीनिंग की जरूरत कब होती है (When is nuchal translucency screening needed) ?
न्यूकल ट्रांसलुसेंसी स्क्रीनिंग प्रेग्नेंसी के एक विशेष समय पर किया जाता है। यह स्क्रीनिंग प्रेग्नेंसी के 11 हफ्ते और 13 हफ्ते में किया जाता है। इसे कराने का सबसे बेहतर समय प्रेग्नेंसी का 12 वां सप्ताह भी माना जाता है। जब आपके शिशु की सिर से नितंब तक की लंबाई (सीआरएल- क्राउन रंप लेंथ) 45 मि.मी. (1.8 इंच) और 84 मि.मी. (3.3 इंच) के बीच होती है। यही इसका सही समय होता है। इसके पहले या बाद के समय में इसे कराने से सही परिणा प्राप्त नहीं होते हैं। इसके अलावा, यह स्क्रीनिंग आमतौर पर पेट पर से किया जाता है, इसलिए पेट करवाने के दौरान पेट में यूरिन फूल होना जरूरी है। इसके अलावा, डॉक्टर अल्ट्रासाउंड के दौरान पेट पर कुछ जैल लगाएंगे। फिर उसके बाद जांच शुरू करेंगे। ताकि सही कंडिशन का पता चल सके। इसके अलावा, ट्रांसवेजायनल अल्ट्रासाउंड (टीवीएस) समय आपका पेट खाली होना चाहिए, यानि की पेट में यूरिन नहीं होना चाहिए। इसमें डॉक्टर आपके शिशु को उसके सिर के ऊपरी सिरे से रीढ़ के निचले हिस्से तक मापना शुरु करेंगे।