न्यूकल स्कैन कितना सही होता है (How accurate is nuchal scan)?
न्यूकल ट्रांसलुसेंसी स्क्रीनिंग, डाउंस सिंड्रोम से ग्रस्त लगभग 80 प्रतिशत बच्चों में इसका पता लग जाता है। इसके अलावा, जिन शिशु में डाउंस सिंड्रोम होने के उच्च जोखिम का भी सही समय का पता चल जाता है। इसे फाल्स पॉजिटिव कहा जाता है। एनटी स्कैन टेस्ट में सही परिणाम के लिए अल्ट्रासाउंड के साथ ब्लड टेस्ट भी करवाया जाता है। खून की जांच में फ्री बीटा-एचसीजी हॉर्मोन और पैप-ए (PAPP-A) प्रोटीन के स्तरों से परिणाम का पता लगाया जाता है। इस डाउंस सिंड्रोम वाले शिशुओं में एचसीजी का उच्च स्तर और पैप-ए का स्तर कम होता है। जब एनटी स्कैन को खून की जांच से जोड़ा जाता है, तो डाउंस की पहचान की दर बढ़कर 92 प्रतिशत हो जाती है। इसे कम्बाइंड टेस्ट कहा जाता है। सबसे सटीक स्क्रीनिंग टेस्ट है – नॉन-इनवेसिव प्रीनेटल टेस्टिंग (एनआईपीटी)। इसमें पहचान की दर 99 प्रतिशत से भी ज्यादा है। एनआईपीटी की फाल्स पॉजिटिव दर 0.1 प्रतिशत है, जिसका मतलब है कि कम्बाइंड टेस्ट की तुलना में इसके बहुत कम मामले फाल्स पॉजिटिव पाए जाते हैं।
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क्या इस जांच के माध्यम से अन्य असामान्यताओं के खतरों का भी पता चलता है (Does this test also detect the dangers of other abnormalities?)?
प्रेग्नेंसी में मां और बच्चे दोनों को खतरे से बचाने के लिए डॉक्टर गर्भवती मां को एडवड्र्स सिंड्रोम और पैटोज सिंड्रोम के जोखिम के बारे में भी बताएंगे। ये दोनों स्थितियां डाउंस सिंड्रोम से बहुत दुर्लभ हैं और सबसे बड़ा चिंता विषय यह है कि इनसे प्रभावित अधिकांश गर्भावस्थाओं में गर्भपात ही करावाने की आवश्यकता पड़ जाती है। इस सिड्रोम के शिकार स्थितियों वाले शिशुओं में आमतौर पर ऐसी असामान्यताएं भी होती हैं, जिन्हें एनटी स्कैन या 20 सप्ताह की गर्भावस्था में होने वाले एनॉमली (टिफ्फा) स्कैन में भी देखा जा सकता है। लेकिन यह सभी टेस्ट अपनी जगह जरूरी है। स्क्रीनिंग के दौरान डॉक्टर पेट पर अल्ट्रासाउंड में प्रोब का इस्तेमाल करते है। इस प्रॉसेज में योनि के अंदर प्रोब डालकर जांच की जा सकती है और सही स्थिति का पता लगाया जा सकता है। इसके अलावा, अल्ट्रासाउंड में हाय फ्रीक्वेंसी साउंड वेव्स से भी शरीर के अंदर का हिस्सा देखा जाता है । इस जांच में तस्वीर के माध्यम से डॉक्टर को बच्चे की गर्दन के पीछे ट्रांसलूसेंसी या साफ जगह का पता चल जाता है। टेस्ट मां और बच्चे दोनों के लिए ही बहुत जरूरी है।
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न्यूकल ट्रांसलुसेंसी स्क्रीनिंग (Nuchal Translucency Screening) के बारे में आपने जाना यहां कि इसकी जरूरत क्यों पड़ती है और इसे प्रेग्नेंसी के दौरान किस समय करवाना चाहिए। यह टेस्ट बहत जरूरी है मां और बच्चे दोनों के लिए। यदि आप प्रेग्नेंट है, तो इस टेस्ट को करवाने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से इसे समझ लें, क्योंकि यह जांच काफी महंगी है, आप इसे कैसे और कहां से करवा सकती हैं। यदि यह टेस्ट आपके बजट से बाहर है, तो इसमें डॉक्टर आपकी मदद ले सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए डाॅक्टर की सलाह लें।