वैसोवेगल सिनकोप के कारण चक्कर आने या बेहोशी की समस्या हो सकती है। जब शरीर ब्लड प्रेशर को नियंत्रित नहीं करता है। ऐसा तब होता है जब एंग्जायटी या स्ट्रेस के कारण ब्लड प्रेशर अचानक ड्राप हो जाता है। कई महिलाएं इस समस्या को प्रेग्नेंसी के दौरान पहली बार अनुभव करती हैं। वैसोवेगल सिनकोप की चिंता वाली समस्या का संकेत नहीं है। लेकिन, कई बार यह इरेगुलर हार्ट रिदम को इंडिकेट कर सकती है। तरल पदार्थ की बढ़ी हुई मात्रा के कारण गर्भावस्था में मर्मर (Murmur) असामान्य नहीं है। अगर कोई व्यक्ति इसके लक्षणों का अनुभव करता है, तो उसे तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
भूख (Hunger)
प्रेग्नेंसी में कुछ महिलाएं चक्कर आने की समस्या को तब भी महसूस कर सकती हैं जब वो भूखी हों। प्रेग्नेंसी के दूसरे और तीसरे ट्रायमेस्टर के दौरान प्रेग्नेंट महिला को अपने और अपने शिशु के लिए अधिक कैलोरीज चाहिए होती हैं, जिससे उसे लगातार भूख लग सकती है। जैसे ही ग्लूकोज ड्राप होता है, जिससे गर्भावस्था में चक्कर आना (Dizziness During Pregnancy) की समस्या बढ़ती है।

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गर्भावस्था में चक्कर आना (Dizziness During Pregnancy): मॉर्निंग सिकनेस (Morning sickness)
गर्भावस्था में अधिकतर महिलाएं मॉर्निंग सिकनेस में जी मिचलाना, उल्टी आना, सिरदर्द और इन सभी समस्याओं को महसूस करती हैं। इसके साथ ही उन्हें डिजिनेस भी हो सकती है। यह परेशानी तब बदतर हो सकती है जब महिला भूखी या थकी हुई हो। इसके लक्षण आमतौर पर पहली तिमाही के दौरान अधिक तीव्र हो जाते हैं और पहली या दूसरी तिमाही के अंत तक ठीक हो जाते हैं।
इंसुलिन रेजिस्टेंस (Insulin resistance)
इंसुलिन शरीर को ग्लूकोज को डायजेस्ट करने और उसे एनर्जी में बदलने में मदद करता है। हेल्दी प्रेग्नेंसी में भी शरीर इंसुलिन का इस्तेमाल प्रभावी रूप से नहीं कर पाता है और यह माइल्ड इंसुलिन रेजिस्टेंस का कारण बन सकता है। कई महिलाओं में यह जेस्टेशनल डायबिटीज का कारण बन सकता है। इस डायबिटीज से पीड़ित कई महिलाएं गर्भावस्था में चक्कर आने की समस्या उस समय महसूस कर सकती हैं जब वो भूखी हों, जब उनकी ब्लड शुगर हाय हो या जब उनकी डायबिटीज मेडिकेशन्स ब्लड शुगर में परिवर्तन का कारण बने।
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एक्सेरशन (Exertion)
प्रेग्नेंसी में अंतिम चरण में यूटरस का आकार बढ़ जाता है, जिससे कई ऑर्गन्स पर प्रेशर पड़ता है जिसमें लंग्स भी शामिल हैं। जब एक महिला सांस लेती है तो इस दबाव के कारण फेफड़ों के लिए पूरी तरह से एक्सपैंड करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में सांस लेना मुश्किल हो सकता है और शरीर प्रेग्नेंसी के दौरान अधिक ऑक्सीजन की मांग करता है। ऐसे में महिलाएं गर्भावस्था में चक्कर आना (Dizziness During Pregnancy) महसूस कर सकती है जब मौसम गर्म हो या वो व्यायाम करें व गहरी सांस लें।
अधिक गंभीर हेल्थ इश्यूज More serious health issues
हालांकि, चक्कर आना प्रेग्नेंसी के दौरान कोई गंभीर समस्या नहीं है। लेकिन, कुछ महिलाओं में यह गंभीर प्रॉब्लम्स का सिग्नल हो सकता है जैसे हाय ब्लड प्रेशर, इन्फेक्शन या ब्लड क्लॉट। अगर इस दौरान आपको अचानक या अधिक डिजिनेस आने की परेशानी होती है तो तुरंत मेडिकल हेल्प लें।
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प्रेग्नेंसी में चक्कर आने से कैसे बचें?
गर्भावस्था में चक्कर आना (Dizziness During Pregnancy) क्या है और इसके कारण क्या हैं, इसे बारे में आप जान ही गए होंगे। इन तरीकों से आप डिजिनेस के रिस्क को कम कर सकते हैं:
- धीरे-धीरे खड़े हों। जो महिलाएं वैसोवेगल सिनकोप (Vasovagal syncope) की परेशानी महसूस करती हैं, वो अपने पैरों में मांसपेशियों को टाइट कर के अचानक ब्लड प्रेशर ड्रिप को रोकने में सक्षम हो सकती हैं।
- सही से एक्सरसाइज करें। एक्सरसाइज करने से हेल्दी रहने में मदद मिल सकती है खासतौर पर हार्ट को। ऐसे में, आप एक्सरसाइज करते हुए सावधानी बरते और डॉक्टर व एक्सपर्ट की
- सलाह लें।
- स्मॉल मील्स लें। कुछ महिलाएं प्रेग्नेंसी में प्रोटीन से भरपूर फूड्स और अन्य न्यूट्रिएंट्स जैसे अंडे इस समस्या से राहत पाने में मददगार पाती हैं।
- अधिक से अधिक पानी पीएं। गर्भावस्था में चक्कर आना (Dizziness During Pregnancy) जैसी समस्या से छुटकारा पाने के लिए अधिक से अधिक पाएं पीएं।
- स्ट्रेस और एंग्जायटी से बचें। स्ट्रेस और एंग्जायटी से भी चक्कर आने की समस्या हो सकती है। परिजनों के सपोर्ट, डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइजेज कर के आप इस समस्या से राहत पा सकते हैं।
- शरीर के लेफ्ट साइड में लेटने से भी आपको कुछ हद तक इस परेशानी से राहत मिल सकती है। बायीं करवट लेटने से बढ़ा हुआ गर्भाशय, लिवर पर दबाव नहीं डालता और गर्भ में पल रहे बच्चे तक ब्लड फ्लो बेहतर होता है। अब जानते हैं इसके उपचार के बारे में।