1. माइग्रेन : यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें गंभीर रूप से सिर दर्द होता है। माइग्रेन में सिर दर्द के बाद या पहले भी चक्कर आ सकते हैं। दरअसल माइग्रेन न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर होता है। माइग्रेन की स्थिति में तेज सिरदर्द, मतली, उलटी, तेज रौशनी से तकलीफ (फोटोफोबिया), तेज आवाज से तकलीफ (फोनोफोबिया) माइग्रेन के लक्षण हैं। अक्सर लोगों को माइग्रेन की तकलीफ महीने में 3-4 बार हो सकती है। पुरषों की तुलना में माइग्रेन की समस्या से महिलाएं ज्यादा पीड़ित होती हैं। ऐसी स्थिति में पीड़ित को बार-बार चक्कर आने की परेशानी शुरू हो जाती है।
2. चिंता या तनाव : चिंता और ज्यादा तनाव लेने से भी चक्कर आ सकते हैं। जब आपको बहुत ज्यादा चिंता सताने लगे या आप तनाव महसूस करें, तब आप लंबी-लंबी सांस लें। चिंता और तनाव से कोई भी पीड़ित हो सकता है। कुछ लोग इससे आसानी से बाहर आ जाते हैं लेकिन, कुछ लोग खुद को चिंता और तनाव से उभार नहीं पाते हैं। ऐसे में कई बार ऐसे लोगों की सेहत बिगड़ भी जाती है। ऐसा इसलिए भी है कि कुछ लोग चिंता में खाना कम कर देते हैं। वहीं, कुछ लोग इसके विपरीत हैं। एंजायटी और स्ट्रेस में खूब खाते हैं। इन दोनों ही स्थिति में चक्कर आने की परेशानी शुरू हो जाती है।
3. लो ब्लड शुगर : शुगर के मरीजों को कभी भी चक्कर आ सकते हैं। जब लो ब्लड शुगर हो जाए, तब चक्कर आ सकता है। वैसे ब्लड शुगर लेवल बढ़ना डायबिटज से पीड़ित तो करता ही है लेकिन, डायबिटीज होने का मतलब है कि आपको दिल की बीमारी, दौरा पड़ना या स्ट्रोक जैसी समस्या हो सकती है। हालांकि ऐसा नहीं है की इन बीमारियों से बचा नहीं जा सके। अगर आपको डायबिटीज है, तो आप ब्लड शुगर लेवल और साथ ही ब्लड प्रेशर (Blood Pressure) और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करके दिल की बीमारी और स्वास्थ्य की रक्षा कर सकते हैं।
4. लो ब्लड प्रेशर : लो ब्लड प्रेशर होने से भी चक्कर आ सकता है। लो ब्लड प्रेशर होने से मस्तिष्क तक ऑक्सिजन नहीं पहुंच पाती है, जिस कारण चक्कर आने लगता है।
5. अचानक से ब्लड सर्क्यूलेशन होना : कुर्सी पर काफी देर तक बैठे रहने से ब्लड सर्क्यूलेशन स्लो रहता है। जैसे ही हम कुर्सी से अचानक उठते हैं, ब्लड तेजी से सर्क्यूलेट होने लगता है, जिस कारण कभी-कभी चक्कर आने लगता है।