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कितना जरूरी है जेस्टेशनल डायबिटीज में व्यायाम करना?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


AnuSharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 15/02/2022

    कितना जरूरी है जेस्टेशनल डायबिटीज में व्यायाम करना?

    व्यायाम करने के महत्व के बारे में हम सभी जानते हैं। अगर आप डायबिटीज से पीड़ित हैं, तो आपको खासतौर पर एक्सरसाइज करने की सलाह दी जाती है। अगर बात की जाए डायबिटीज यानी मधुमेह की, तो यह एक गंभीर समस्या है। डायबिटीज के कई प्रकार हैं जैसे टाइप 1 डायबिटीज, टाइप 2 डायबिटीज आदि। ऐसे ही गर्भावस्था में होने वाली डायबिटीज को जेस्टेशनल डायबिटीज के नाम से जाना जाता है। आज हम बात करने वाले हैं जेस्टेशनल डायबिटीज में व्यायाम का प्रभाव (Effect of exercise in gestational diabetes) क्या होता है, इसके बारे में। इसके साथ ही, पहली तिमाही में एब्नार्मल स्क्रीनिंग और जेस्टेशनल डायबिटीज का रिस्क होने पर एक्सरसाइज का क्या प्रभाव होता है, इस बारे में भी हम जानेंगे। जेस्टेशनल डायबिटीज में व्यायाम का प्रभाव (Effect of exercise in gestational diabetes) क्या है, इससे पहले जेस्टेशनल डायबिटीज के बारे में जान लेते हैं।

    जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational diabetes) क्या है?

    जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational diabetes), वो डायबिटीज है जिसका निदान पहली बार गर्भावस्था के समय होता है। यह वो स्थिति है, जिसमें प्लेसेंटा द्वारा बनाये जाने वाला हॉर्मोन, शरीर को इंसुलिन का प्रभावी ढंग से उपयोग करने से रोकता है। इसमें सेल्स द्वारा अब्जॉर्ब होने के बजाय ब्लड में ग्लूकोज का निर्माण होता है। यह डायबिटीज हाय ब्लड शुगर का कारण बनती है, जो प्रेग्नेंसी और शिशु की हेल्थ को प्रभावित करती है। अगर बात की जाए, इससे जुड़ी प्रेग्नेंसी कॉम्प्लीकेशंस के बारे में, तो होने वाली मां इस समस्या को कंट्रोल कर सकती है। इसके लिए उसे हेल्दी आहार का सेवन करना चाहिए और सही व्यायाम करना चाहिए।

    अगर जरूरी हो, तो डॉक्टर ब्लड शुगर कंट्रोल करने के लिए और डिलीवरी में कोई समस्या न आए, इसके लिए दवाइयां भी दे सकते हैं। जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational diabetes) से प्रभावित गर्भवती महिला का ब्लड शुगर लेवल (Blood sugar level) डिलीवरी के बाद सामान्य हो जाता है। लेकिन, अगर किसी को यह परेशानी है। तो उन्हें टाइप 2 डायबिटीज होने की संभावना अधिक रहती है। जेस्टेशनल डायबिटीज में व्यायाम का प्रभाव (Effect of exercise in gestational diabetes) जानने से पहले इसके लक्षणों के बारे में जान लेते हैं।

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    जेस्टेशनल डायबिटीज के लक्षण (Symptoms of Gestational diabetes)

    जेस्टेशनल डायबिटीज से पीड़ित महिलाओं में आमतौर पर इसका कोई भी लक्षण नजर नहीं आता है। इसका निदान रूटीन स्क्रीनिंग के दौरान हो सकता है। हालांकि, कुछ महिलाएं इन समस्याओं का अनुभव कर सकती हैं:

    • सामान्य से अधिक प्यास का अनुभव होना
    • अधिक भूख लगना
    • सामान्य से अधिक बार मूत्र त्याग
    • नजरों का धुंधला होना

    अगर इनमें से कोई भी लक्षण गर्भावस्था के दौरान नजर आता है, तो तुरंत डॉक्टर से बात करें। अगर किसी को यह रोग होता है, तो उसे नियमित चेकअप कराना चाहिए। यह समस्या अधिकतर गर्भावस्था के अंतिम महीनों में होती है। गर्भवस्था में होने वाली इस समस्या के कारणों के बारे में भी सही जानकारी नहीं है। लेकिन, कुछ फैक्टर्स के कारण यह समस्या होने की संभावना बढ़ सकती है जैसे प्रेग्नेंसी से पहले महिला का वजन अधिक होना, डायबिटीज की फैमिली हिस्ट्री आदि। अब जानिए क्या पड़ता है जेस्टेशनल डायबिटीज में व्यायाम का प्रभाव (Effect of exercise in gestational diabetes)?

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    जेस्टेशनल डायबिटीज में व्यायाम का प्रभाव (Effect of exercise in gestational diabetes)

    जैसा की पहले ही बताया गया है कि यह डायबिटीज तब होती है, जब शरीर गर्भावस्था के दौरान प्रोड्यूज होने वाले इंसुलिन के प्रति रेसिस्टेंट हो जाता है। अगर किसी को जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational diabetes) है, तो उसका ब्लड ग्लूकोज लेवल सामान्य से अधिक हो जाता है। ऐसे में ग्लूकोज लेवल को कम करने का एक तरीका है व्यायाम। जब हम व्यायाम करते हैं तो हमारे मसल्स अधिक ग्लूकोज ले लेते हैं। जब यह प्रभाव समाप्त हो जाता है, तो हमारी मांसपेशियां कुछ समय के लिए इंसुलिन के प्रति अधिक सेंसिटिव रहती हैं। इसका परिणाम होता है ब्लड ग्लूकोज लेवल का कम होना। ऐसे में इस डायबिटीज को मैनेज करने के लिए सही डायट, वजन को सही रखने के साथ-साथ पर्याप्त व्यायाम करना भी जरूरी है।

    किंतु इस दौरान आपको कौन सा व्यायाम करना चाहिए इसके बारे में अपने डॉक्टर और एक्सपर्ट की राय अवश्य लें। क्योंकि, ऐसी स्थिति में इंटेंस वर्कआउट या सही से व्यायाम न करने के परिणाम हानिकारक हो सकते हैं। हालांकि, गर्भावस्था में भी व्यायाम करना महत्वपूर्ण है लेकिन एक्सरसाइज के बाद गर्भवती महिलाओं के लिए कुछ लक्षणों का ध्यान रखना चाहिए। जैसे चक्कर आना, छाती और टांगों में दर्द, सांस लेने में समस्या, सिरदर्द आदि। ऐसे लक्षण नजर आने पर तुरंत व्यायाम करना बंद कर देना चाहिए और मेडिकल हेल्प लेनी चाहिए। अब पाते हैं जेस्टेशनल डायबिटीज में व्यायाम का प्रभाव  (Effect of exercise in gestational diabetes) क्या है, इसके बारे में और जानकारी।

    जेस्टेशनल डायबिटीज में व्यायाम का प्रभाव (Effect of exercise in gestational diabetes)
    जेस्टेशनल डायबिटीज में व्यायाम का प्रभाव (Effect of exercise in gestational diabetes)

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    जेस्टेशनल डायबिटीज में व्यायाम का प्रभाव (Effect of exercise in gestational diabetes): पाएं अधिक जानकारी

    जेस्टेशनल डायबिटीज में व्यायाम के प्रभाव के बारे में आप जान ही गए होंगे। अब जानते हैं कि पहली तिमाही में एब्नार्मल स्क्रीनिंग और जेस्टेशनल डायबिटीज के रिस्क पर व्यायाम का प्रभाव कैसा पड़ता है? कायजर पर्मानेंटे नॉर्दन कैलिफोर्निया (Kaiser Permanente Northern California) द्वारा की गयी स्टडी का उद्देश्य फर्स्ट ट्रायमेस्टर के दौरान एब्नार्मल स्क्रीनिंग और जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational diabetes) का रिस्क होने पर मरीज में एक्सरसाइज के प्रभावों की जांच करना था। यह स्टडी उन महिलाओं पर की गयी, जो वहां दाखिल थी। व्यायाम का आकलन करने के लिए प्रेग्नेंसी फिजिकल प्रश्नावली (Questionnaire)  का उपयोग किया गया था।

    स्क्रीनिंग और डायग्नोस्टिक टेस्ट्स के लिए ग्लूकोज टेस्टिंग रिजल्ट, इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड्स से प्राप्त किए गए। इस स्टडी में यह पाया गया कि एक्सरसाइज करने से एब्नार्मल स्क्रीनिंग और जेस्टेशनल डायबिटीज का जोखिम कम होता है। लेकिन, इन रिस्क रिडक्शंस के लिए आवश्यक अमाउंट करंट रिकमेंडेशन्स की तुलना में अधिक होने की संभावना है। स्टडीज यह बताती हैं कि नियमित व्यायाम, ग्लूकोज लेवल को कंट्रोल करने और शरीर की इंसुलिन की जरूरत को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

    प्रेग्नेंट महिला के मसल्स जब वो व्यायाम करती ,है तो अधिक ग्लूकोज की मांग करते हैं। हालांकि, जब यह मांग कम होती है। तब भी मसल्स कुछ समय के लिए इंसुलिन के लिए हायली सेंसिटिव रहते हैं। जिससे शरीर का ब्लड ग्लूकोज लेवल (Blood Glucose level) कम होता है। इसलिए, गर्भावधि मधुमेह यानी जेस्टेशनल डायबिटीज से पीड़ित गर्भवती महिलाओं को हर दिन कम से कम 30 मिनट के लिए कुछ मॉडरेट-इंटेंसिटी एक्सरसाइजेज को अपनी दिनचर्या में अवश्य शामिल करना चाहिए। यह तो थी जानकारी कि जेस्टेशनल डायबिटीज में व्यायाम का प्रभाव (Effect of exercise in gestational diabetes) क्या होता है? अब जानते हैं गर्भावधि मधुमेह में हाय ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने के अन्य तरीकों के बारे में।

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    जेस्टेशनल डायबिटीज में व्यायाम का प्रभाव (Effect of exercise in gestational diabetes): कैसे मैनेज करें इस डायबिटीज को?

    अगर सही समय पर इस समस्या का निदान हो जाए तो इसे मैनेज करना बेहद आसान हो सकता है। जीवनशैली को सही बनाए रखना इस रोग को मैनेज करने का पहला आसान तरीका है। इसके डॉक्टर रोगी को इन सब की सलाह दे सकते हैं:

    हेल्दी डायट का सेवन करें (Consume a healthy diet)

    ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar level) को कंट्रोल करने के लिए डॉक्टर प्रेग्नेंट महिलाओं को हेल्दी मील प्लान का पालन करने के लिए कह सकते हैं। वो उन्हें डायट में अधिक फल, सब्जियों और साबुत अनाज आदि को शामिल करने के लिए कहेंगे।

    एक्टिव रहें (Be active)

    जेस्टेशनल डायबिटीज में व्यायाम का प्रभाव (Effect of exercise in gestational diabetes) क्या होता है, यह तो आप जान ही गए होंगे। ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में करने के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण है। इसके बारे में अपने डॉक्टर से अवश्य बात करें।

    दवाइयां लें  (Take medications)

    जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational diabetes) को कंट्रोल में रखने के लिए डॉक्टर कुछ दवाइयों की सलाह भी दे सकते हैं। इन दवाइयों को डॉक्टर की सलाह के अनुसार लें और नियमित ब्लड शुगर लेवल की जांच भी कराएं। इसके अलावा आप रिलेक्स रहें और जीवन के इस समय का पूरा मजा लें यानी तनाव से बचें।

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    उम्मीद है कि “जेस्टेशनल डायबिटीज में व्यायाम का प्रभाव (Effect of exercise in gestational diabetes)” क्या पड़ता है, इसके बारे में यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational diabetes) से बचने के लिए आपको गर्भावस्था से पहले ही डॉक्टर की राय लेनी चाहिए और उनकी सलाह का पूरी तरह से पालन भी करना चाहिए। किंतु, अगर आप इससे प्रभावित हैं, तो भी चिंता न करें। बल्कि, इस दौरान अपना और अपने बच्चे का खास ख्याल रखें। इन आसान तरीकों को अपना कर और मेडिकल हेल्प से आप और आपका शिशु पूरी तरह से स्वस्थ रह सकते हैं। अगर इस बारे में आपके मन में कोई भी सवाल है तो अपने डॉक्टर से इस बारे में जरूर जानें।

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