उम्र को बढ़ने से रोका नहीं जा सकता। कई महिलाएं विभिन्न कारणों से बड़ी उम्र में बच्चे पैदा करती हैं। लेकिन यह तथ्य ज्ञात है कि उम्र बढ़ने के साथ गर्भधारण करना कठिन होता जाता है। नई 2016 सेंसस रिपोर्ट ऑफ इंडिया दिखाती है कि पिछले एक दशक में महिलाओं की प्रजनन दर 21% घटी है, जो चिंताजनक है। आज हम जो इनफर्टिलिटी रेट (प्रजनन अक्षमता की दर) और आंकड़े देख रहे हैं, उनके हिसाब से महिलाओं को यह समझने की जरूरत है कि उम्र से प्रजनन क्षमता क्यों और कैसे प्रभावित हो सकती है। महिलाओं में प्रजनन की आयु 15 से 49 वर्ष तक होती है। 25 से 29 वर्ष की आयु तक प्रजनन क्षमता अपने चरम पर होती है और इसके बाद घटने लगती है। डाटा दिखाता है कि 30 वर्ष की आयु के बाद गर्भधारण की कोशिश करने वाली महिलाओं की प्रजनन क्षमता बहुत तेजी से घटी है। आइए जानते हैं कि उम्र और प्रजनन क्षमता (Age and fertility) में क्या संबंध है?
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उम्र और प्रजनन क्षमता में क्या संबंध है (What is the relationship between age and fertility) ?
महिलाओं की आयु उनकी प्रजनन क्षमता के स्तर को प्रभावित करने वाला एक महत्वपूर्ण कारक है। आयु के साथ प्रजनन क्षमता बदलती है। प्रजनन क्षमता के चरम वाले वर्ष किशोरवय और 20 से 30 वर्ष की आयु के बीच होते हैं। 30 वर्ष की आयु के बाद प्रजनन क्षमता घटने लगती है। और तो और, 30 से 35 साल के बीच यह गिरावट ज्यादा तेज हो जाती है। 45 वर्ष की आयु तक प्रजनन क्षमता इतनी घट जाती है कि प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करना ज्यादातर महिलाओं के लिये सामान्य से कठिन हो जाता है। यह जानना और समझना जरूरी है कि महिला की आयु बढ़ने के साथ उसकी प्रजनन क्षमता घटती है, जिसका कारण उसकी ओवरीज (अंडाशयों) में अंडों की संख्या का बढ़ती आयु के साथ कम होना है। आयु बढ़ने के साथ होने वाली इनफर्टिलिटी विभिन्न कारणों से आम होती जा रही है, जैसे वित्तीय अस्थिरता या कॅरियर से जुड़ी आकांक्षाओं के कारण महिलाओं का गर्भधारण को टालना, देर से शादी होना, या किसी बीमारी से पीडि़त होना। यह सभी कारक गर्भधारण के विलंब में भूमिका निभाते हैं और प्रजनन क्षमता को प्रभावित करते हैं।
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तो आपके गर्भधारण की कोशिश में उम्र क्यों मायने रखती है?
हम कहते हैं कि उम्र केवल एक नंबर है, लेकिन गर्भधारण की कोशिश कर रही महिला के लिये केवल समय के क्रम वाली आयु (क्रोनोलॉजिकल ) मायने नहीं रखती है। गर्भधारण की योजना बनाते समय हमें शारीरिक आयु को ध्यान में रखना चाहिये। महिला के शरीर में अंडाशय अकेला अंग है, जो एक निश्चित आयु के बाद काम करना बंद कर देता है। इसका मतलब यह है कि जब अंडाशय काम करना बंद कर देते हैं, तब शरीर अंडे बनाना बंद कर देता है और इस तरह महिला की प्रजनन क्षमता का अंत हो जाता है। हर महिला का जन्म उसके अंडाशयों में अंडों की एक निश्चित संख्या के साथ होता है और यह संख्या आयु के साथ घटती जाती है। महिला की शारीरिक आयु का मूल्यांकन खून की एक आसान जाँच और एक अच्छे ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड से किया जा सकता है।
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प्रजनन क्षमता कब घटना शुरू होती है?
अंडाशय की आयु बढ़ना एक सच है और यह एक महिला के जीवन में बहुत जल्दी शुरू हो जाता है। यूरोपीय देशों और शेष विश्व की महिलाओं की तुलना में भारत में महिलाओं को मेनोपॉज (रजोनिवृत्ति) 5 साल पहले हो जाती है। इसका मतलब यह है कि भारतीय महिलाएं शेष दुनिया से काफी जल्दी बूढ़ी होने लगती हैं। पेरीमेनोपॉज मेनोपॉज का एक चरण और संक्रमणकाल है, जब महिला का मासिक धर्म बंद हो जाता है। इसमें मासिक धर्म में बदलाव होते हैं और इसके अन्य शारीरिक और भावनात्मक लक्षण भी होते हैं और यह 2 से 10 वर्ष तक का हो सकता है। पेरीमेनोपॉज की शुरूआत वास्तविक मेनोपॉज से 8 से 10 वर्ष पहले होती है। इसका मतलब यह है कि ओवरीयन रिजर्व या अंडे बनाने की क्षमता 30 से 40 वर्ष की आयु के बीच घट जाती है। इसलिये महिलाओं को अपने अंडाशय की आयु को लेकर बहुत सावधान रहना चाहिये।
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गर्भवती होना चाह रही महिलाओं को क्या जानने की जरूरत है
महिला और पुरूष, दोनों की शारीरिक आयु बढ़ती है। महिलाओं की आयु तेजी से बढ़ती है, जबकि पुरूषों की थोड़ी कम तेजी से। जैसा कि ऊपर बताया गया है, 30 साल की आयु के बाद अंडों की संख्या तेजी से घटती है। आयु बढ़ने के साथ आनुवांशिक रूप से असामान्य अंडों की संख्या भी बढ़ती है, जो गर्भपात और आनुवांशिक रूप से असामान्य शिशुओं के बढ़ते मामलों का एक कारण है। इस प्रकार, 35 वर्ष की आयु के बाद अंडों की कम संख्या और गुणवत्ता में गिरावट के कारण स्वस्थ गर्भधारण की संभावना कम हो जाती है। 35 साल से ज्यादा की महिलाओं में गर्भधारण से जुड़ी परेशानियाँ, जैसे डायबीटीज और हायपरटेंशन भी ज्यादा आम हैं। चूंकि अंडाशय की आयु बढ़ने से रोकी नहीं जा सकती, इसलिये फर्टिलिटी के विशेषज्ञ भी एक निश्चित आयु के बाद अपने ही गैमीट्स (युग्मकों) द्वारा गर्भवती होने में ऐसी महिलाओं की सहायता नहीं कर सकते।
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गर्भवती होते समय महिलाओं को क्या करना चाहिये?
गर्भधारण की योजना बनाते समय अपने फर्टिलिटी विशेषज्ञ से सहायता लें और योजना अपनी आयु को देखते हुए बनाएं। अपने ओवरीयन रिजर्व की जाँच करवाएं, ताकि आपको बच्चा पैदा करने की अपनी क्षमता का पता चल सके।
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पुरूषों के संदर्भ में प्रजनन क्षमता की गुणवत्ता
यह समझना महत्वपूर्ण है कि जब कोई कपल बच्चा पैदा करना चाहता है, तब पुरूष और महिला, दोनों की आयु और प्रजनन क्षमता से जुड़े कारक गर्भधारण के दौरान समान रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। एक निश्चित आयु के बाद पुरूष की प्रजनन क्षमता भी महिला की तरह घट जाती है। पुरूष 40 वर्ष की आयु के बाद बूढ़े होने लगते हैं। 40 वर्ष की आयु के बाद वीर्य की गुणवत्ता घटने लगती है। शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता घट जाती है। इस प्रकार प्रजनन में दोनों जेंडर्स का योगदान होता है।
आजकल हर कोई अपनी पसंद के समय पर बच्चा पैदा करने का फैसला करता है। लेकिन उपरोक्त सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, यह जानकारी होनी चाहिये कि अब जाँच उपलब्ध है और फर्टिलिटी विशेषज्ञों से सलाह लेनी चाहिये, ताकि एक निश्चित आयु में बच्चा पैदा करने की संभावनाओं को समझा जा सके। जाँच से कपल्स जान सकते हैं कि वे गर्भधारण को कब तक टाल सकते हैं और बेहतर तरीके से जिन्दगी में अन्य चीजों को प्राथमिकता दे सकते हैं।
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पुरूष और महिला, दोनों के लिये अपनी प्रजनन क्षमता को जानना महत्वपूर्ण है, ताकि वे बेहतर पारिवारिक योजना बना सकें। सिंगल महिलाओं के लिये भी, अगर शादी और बच्चों की चिंता नहीं है, तो प्रजनन क्षमता के संरक्षण की बेहतरीन तकनीकें उपलब्ध हैं। प्रजनन क्षमता का अच्छी तरह से संरक्षण किया जा सकता है और ऐसी महिलाएं बाद की आयु में अपनी इच्छा से अपने परिवार की योजना बना सकती हैं।
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