मैटरनिटी लीव किसी भी महिला के जीवन का जरूरी अवकाश माना जाता है। ये वही समय होता है, जब महिला काम के दौरान कुछ महीनों का अवकाश लेती है, जिसमें वो गर्भधारण के अखिरी महीनों के साथ ही बच्चे के जन्म के बाद का भी कुछ समय व्यतीत करती है। अगर कोई भी कामकाजी महिला प्रेग्नेंसी के बारे में सोच रही है तो उसे मैटरनिटी लीव एक्ट के बारे में जानकारी होना आवश्यक है। मैटरनिटी लीव के अंतर्गत दिया जाने वाला अवकाश पेड होता है। मैटरनिटी लीव की पॉलिसी में समय-समय पर कुछ बदलाव भी होते हैं। महिलाओं को काम के साथ ही वर्कप्लेस में उन्हें मिलने वाले अधिकारों और समय-समय पर उनमें आए परिवर्तन के बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी है। मैटरनिटी बैनीफिट के दौरान महिला को कितनी सैलरी मिलेगी या फिर महिला ने अगर बच्चा एडॉप्ट किया है, तो इसके क्या नियम हैं, इस बात की जानकारी एक्ट में दी गई है। प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को मानसिक समस्याओं के साथ ही शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है, इसलिए मातृत्व अवकाश बेहद जरूरी हो जाता है। कई बार महिलाओं को प्रेग्नेंसी की शुरुआत में मिसकैरिज का भी सामना करना पड़ता है, जो उनके लिए बहुत दुखदायी होता है। ऐसे समय में महिला को इमोशनल सपोर्ट के साथ ही सभी लोगों के साथ की जरूरत होती है। मैटरनिटी लीव एक्ट में इन सभी बातों का जिक्र किया गया है और साथ ही अवकाश की अवधि भी तय की गई है।
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